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२५ दासा के उदाहरण, १६ दान, २७ दान की महिमा, २८ दान की प्रेरणा, २६ दान में विवेक,३० दान के भेद,३१ अभयदान, ३२ सुपात्रदान,३३ कुपात्रदान, ३४ पात्र-कुपात्र, ३५ ज्ञानदान, ३६ कृपण, ३७ याचक, ३८ याचना । तीसरा कोष्ठक :
पृष्ठ १७५ से २३४ १ धन,२ धन की भूख, ३ धन का प्रभाव, ४ धन का उत्पादन, ५ धन का उपयोग,६ धन का खजाना अमेरिका में, धन के विविधरूप, धन की निंदनोयता, १ अन्याय का धन,१० न्यावाजित धन,११ वास्तविक धन, १२ समी, १३ लक्ष्मी का मुल आदि, १४ लक्ष्मी को नश्वरता एवं अस्थिरता, १५ लक्ष्मी का निवास, १६ लक्ष्मो के अप्रिय स्थान, १७ लक्ष्मी के विकार, १८ धनवान, १९ दुनिया के बड़े धनी, २० धनिकों की स्थिति, २१ निर्धन और निर्धनता, २२ गरीब और गरीबी, २३ गरीबी के चित्र, २४ दरिद्र, २५ दरिद्रता, २६ काय, २७ व्यय, २८ अपव्यय निषेध, २६ ऋण (कर्ज), ३. उधार, ३१ संग्रह, ३२ व्याज । चौथा कोष्ठक :
पृष्ठ २३५ से ३१६ तक १ आत्मा, २ आत्मा का स्वरूप, ३ आत्मा की शाश्वतता आदि, ४ मात्मा का कर्तृत्व, ५ आत्मा का दर्शन, ई आत्मा का ज्ञान, ७ आत्मज्ञ, ८ आत्मरक्षा, E आत्मरक्षक, १० आत्मसम्मान, ११ आत्मविश्वास, १२ आत्मप्राप्ति, १३ आत्मशुद्धि, १४ बात्मदमन, १५ आत्मविजय, १६ आत्मचिन्सन, १५ आत्मा की महिमा,१८ आत्मा के भेद, १६ इन्द्रिय, २० इन्द्रियों की शक्ति, २१ इन्द्रियदमन , २२ जितेन्द्रिय, २३ कान और बधिरता, २४ आँख,२५ अन्धा, २६ जिह्वा, २७ मन, २८ गन का स्वभाव, २६ मन के आश्रित बन्ध-मोक्षादि, ३० मन की मुख्यता, ३१ मन के बिना कुछ नहीं, ३२ मनःशुद्धि, ३३ मनःशुद्धि दुष्कर, ३४ मनःशुद्धि के अभाव में, ५ मन की शिक्षा, ३६ मनोनिग्रह,
मनोनिग्रह के मार्ग, ६८ मनोनिग्रह से लाभ, ३६ मन का तार, ४० विलपाखर-दृढ़संक्राल्प, ४१ मन की उपमाएँ, ४२ मन के विषय में विविध ।
चारों कोष्ठकों में कुल १५३ विषय तथा वस भागों
में लगभग १५०० विषय एवं उपविषय हैं।
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