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१४ दुर्लभ मनुष्यजन्म को हारो मत ! १. दुर्लभ प्राप्य मानुष्यं, हारयध्वं मुधव मा।
-पार्वनायचरित्र
दुर्लभ मनुष्यजन्म को पाकर व्यर्थ मत गदाओ ।
२. नर को जनम बार-बार ना गवार सुन ,
___ अजहु सवार अवतार ना बिगोइये । लौजेगो हिसाब तब दीजेगी जबाब कहा ,
कीज जु मताब तो सताने शुद्ध होइये । पाप करके अज्ञानी सुख की कहा कहानी ,
घृत की निशानी कित पानी जो विलोइये । स्वारथ तजी जे परमारथ किसन कीजे ,
जनम पदारथ अख्यारथ न खोइये । नदी-नाव को सो योग मिल्यो लख लोग तामें,
काको-काको कीजे शोक काकू काकूँ रोइये । को है काका मित्त तापे काहे काकी चित परी ,
सीतपति मन में निर्मित होय सोइये । ध्याइये न विमुख उपाइये न कैते दुःख , बोये न बीज जो आक बीज बोइये ।
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