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मोक्ष मार्ग १. पणए बोरे महाबिहि, सिद्धिपहं गोयाज्यं धुत्रं ।
-सूत्रकृतांग थ तस्कन्ध २१११२१ मुक्तिमार्ग महान् विधिरुप है । न्याययुक्त एष शाश्वत है।
वीरपुरुष नम्र होकर उस पर चलता है। २. नाणं च दंसरगं वेव, चरित च तवो तहा । एसमगुत्ति पन्नत्तो, जिरोहिं वरदंसिहि ।।
__ --उत्तराध्ययन २८ार
सम्बम्जान, सम्यगदर्शन, सम्यक्चारित्र एवं सम्यक्ता मुक्ति
का यह मार्ग विशिष्टज्ञानी जिनेश्वरों ने कहा है । ३. सम्यगदर्शन-ज्ञान चारित्राणि मोक्षमार्गः ।
-तत्त्वार्यसूत्र ११ सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, एवं सम्यक् चारित्र-यह मोक्ष-मागं है ।
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