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दृष्टि के समान सृष्टि १. जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरति देखी तिन तेसी।
--रामचरितमानस २. डू नॉट मेजर अदर पीपुल्स कान बाइ युअर ओन बूशल ।
-अंग्रेजी कहावत दृष्टि के समाम सृष्टि । ३. समर्थगुरु रामदास ने रामायण सुनाते समय कहा--
हनुमान ने लंका में श्वेत फूल देखे । गुप्तहनूमान ने कहालाल फूल थे, तुम झूठे हो। दोनों राम के पास पहुँचे । राम ने कहा-मूल तो श्वेत थे, किन्तु हनुमान की आंखों में क्रोध की लालिमा थी अतः इनको लाल दीखे, क्योंकि
दृष्टि के समान ही सृष्टि होती है । ४. एक एव पदार्थस्तु, विधा भवति बीक्षितः । कुरापः कामिनी मांस, योगिभिः, कामिभिः स्वभिः॥
-चाणक्यनीति १४॥१६ एक ही पदार्थ अर्थात् स्त्री का शरीर दृष्टिभेद से तीनरूपों में देखा जाता है, योगी मुर्दा के रूप, कामीपुरुष सुम्दर स्त्री के रूप
में और कुन उसे माम-रूप में देखते हैं। ५. पुष्ट पुत्र को माता दुर्बल, स्त्री पतिदेवता, शत्रु राक्षस
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