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वनतृत्वकला के बीज
जलाशय सुखा दिये । शत्रु सेनापति ने भिक्ष के वेष में आकर माफी मांगी तब तीन कोस पर एक तालाब में जल प्रकट किया।
-हाकमचन्द से अत १६ (क) फीकी-कड़बी चीनी-राजलदेसर निवासी मालचंद
जी वैद ने चीनी (शक्कर) को मन्त्र द्वारा फीकी एवं कड़वी बना दिया। प्रकाश बंद का मुंह बहुत देर तक तक कड़वा रहा।
-चूरू में आँखों देखा (ख) इन्हीं मालगन्दजी ने दिव्य शक्ति में खिवाड़ा (मारवाड़) में विदामाजी की दीक्षा के ममय नो सेर गुड़ की लाासी ३४५ मनुग्यों को भोजन करवाया और सात सेर लापसी बचा भी ली। (ग) मारवाड़ जंकशन में खारची गांव से बालचन्दजी के घर से पांच सेर बादाम की वर्फी मगवाकर लोगों को चिलाई तथा लाडनूं में विवाह के प्रसंग पर ग्लुद तीस सेर मिठाई खा गये । और कुछ समय के बाद पुनः ज्यों की त्यों दिखा दी।
-भालचन्दजी से श्रुत
१७. कालगणी की आवाज-विक्रम संवत २००२ पोष की बात
है । आचार्यश्री तुलसी मोमासर से सरदारशहर पधार रहे थे। उन दिनों आचार्यश्री के खांसी का प्रकोप इतना बढ़ रहा था कि कोई भी औषधि काम नहीं कर रही थी। मोमासर से छः मील दूर भादासर गाँव में रात के समय खांसी बहुत अधिक सता रही थी और नींद न आने से