________________
२०६
वक्तृत्वकला के बीज
पत्र पड़ने लगा | राजा ने जो कुछ किया बह सब उस पत्र में पहले से लिख रखा था। राजा ने प्रसन्न होकर भेंट के रूप में प्रतिवर्ष उन्हें २४ रुपया देना स्वीकार किया |
११. उंडाई - टालो (पार) में एक दिन 'सगत मलजी' आदि संत यतीजी का पुस्तकभण्डार देख रहे थे । दोपहर के बाद यतीजी ने थोड़ी-सी (तीन पाव अन्दाज ) ठण्डाई बनाई और एक बर्तन में ढंककर रख दी। पीनेवाले आते गए और बतोजी पिलाते गये । लगभग तीस चालीस आदमी पी गये । बाद में ढंका हुआ वस्त्र हटाकर देखा तो ठंडाई ज्यों की त्यों थी । फिर सन्तों के जलपात्र पर हाथ घुमाया। पानी जम गया एवं पात्र से चिपक गया । सन्त कुछ घबराये | वतीजी ने पुनः पात्र पर हाथ फेरा | सन्त पात्र उठाकर देखने लगे । सारा पानी ठुल गया । -समतमलजी से अत
१२. मन्त्रित उड़द - डाकिनियों ने एक यली के शिष्य को ग्रहण कर लिया एवं वह मर गया। क्रुद्ध गुरु ने मंत्रित उड़द दिये जलती चिता में फेंकने से चीलों के रूप में आकर डाकिनियां उसमें गिरकर भस्म होने लगीं । एक भुट्टी उड़द रख लेने से जीवित बच गयीं ।
कुछ
१३. सुराणाजी बचे - सात्युं गांव में डाकिनी ने ग्रहण कर लिया।
- उदयपुर में त
तेजपालजी सुराणा को घसीजी ने अपना घुटना