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वक्तृत्वकला के बीज
उतरकर जसको मिटा दिया । नाग चलने लगे, पुनः लकीर खींची, पुनः मिटाई । ज्यों ही तीसरी बार लकीर खींची, सर्पराज ने उस लकीर पर पूछ का प्रहार किया
एवं घोड़े मे गिरवार ठाकुर मर गए । -धोडालगणी से प्राप्त ६. मन्त्रित कौड़ियां-डूमार (बंगाल) में एक आदमी को
सांप ने काट खाया। मन्त्रबादी ने चारों दिशाओं में बन कौड़ियाँ फैकी । तीन दिशाओं में वापिस आ गई लेकिन चौथी विद्या से नौन कौड़ियां साँप को लेकर आई । मंत्रदादी में दूध के वार प्यासे रखे, साँक चूसता गया और दूध में डालता गया । तीन प्यानों के दूध का रंग नीला हो गया। फिर चौथे प्या का दूध पीकर सांप चला गया और वह आदमी जी गया ।
-पृथ्वीराज मुराणा से श्रुत ७. वर्ष भर का खर्व-अहमदाबाद लाल-पोल में एक पटेल की
मृत्यु के बाद जब तक उनकी स्त्री जीवित रही. तब तक नये वर्ष के दिन भोयरा के द्वार पर सारे बर्ष के लार्च का हिसाब और एक दूध का प्याला रझा दिया जाता । साँप आकर ध पी जाता और सार्च के रूपए रख जाता । माता को मृत्यु के पश्चात पुत्रों ने भोयग लोला, एक आदमी
मिला तब मे उस सौंप का आना बन्द हो गया। १. सिकोतरी-अकबर भटेबर के तालाब पर सो रहा था।
महाराणाप्रताप जांबूड़ी की नाल में गए । कृषक खेत में पत्थर फेंक रहा था । बुड़िया बोली-"अरे ध्यान राहाजे !