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पांचवां भाग : चौथा कोष्ठक
मरे, कुछ घायल हुये बहुत सारा सामान नष्ट-भ्रष्ट हो गया । अन्त में एक व्यक्ति ने उस हाथी को गोली में मार कर शान्ति स्थापित की।
-गोंडा निवासी श्री हनुमानबस्शसिंह से प्राप्त ४. मिष्ठ कुत्त:(क) दुर्गापुर में एक वृद्ध कुत्ता एकादशी के दिन कुछ नहीं
सारा : गइ रोड वास करता है ।
पारण के दिन माँस नही ग्वाता ! (स्त्र) गोहाटी के एक सरकारी अधिकारी का भोलू
नामक क़त्ता अमावस्या-पूर्णिमा एवं एकादशी-ऐसे महीने में तीन उपवास करता है। उपवास के दिन
भूलकर कोई उगे गेटी दे दे तो भी वह नहीं जाता। (ग) बस्तर के पास शैरवी मन्दिर में आरती के समय एक
पत्ता हर रोज आता है एवं एक घण्टा तक आँखें बन्दकर प्रतिमा के मापने वडा रहता है, फिर सात बार परिक्रमा देता है । यह सब कर लेने के बाद ही
वह कन्ट खाता-पीता है। (घ) आर्यबिद्रान शास्त्रार्थ महारथी पण्डित विहारीलाल शास्त्री
की दादी का कत्ता मंगलबार को व्रत रखता था। (ङ) देहरादून के तपोवन-आश्रम में ठाकुर गमसिंहजी
का कुत्ता एकादशी का व्रत करता है, उस दिन रोटी डालने पर पीछे हट जाता है और बाध्य करने पर मुंह में रोटी लेकर वृक्ष के नीचे छिपा आता है एवं