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वक्तृत्वकसा के बीज
११. बेली टीचज ऑल आर्ट स । --अंग्रेजी कहावत
पेट सब हुनर सिखा देता है। १२. पेट थी सह हेठ, पेट करावे बेठ । १३. पहली पेट ने पछी सेट 1
--गुजराती कहावते १४. पहली पेट गुजा, पछ देव दुजा। -राजस्थानी कहावत १५. लज्जा स्नेहः स्वरमधुरता बुद्धयो यौवनश्रीः ,
कान्ता संगः स्वजनममता, दुःवहानि विलासः । धर्मः शास्त्रं, सुरगूमतिः शौचमाचारचिन्ता , णे सत्रे न पिठ मालिना समलिi.
-पञ्चतंत्र ५९२ ला. स्नेह, रवर वा मिटाय, काम करने में बुद्धि, जवानी को शोभा, स्त्री रांग, स्वजना का अपनत्व, दुःख नाश, पलकूद आदि विलास, क्षमा आदि धर्म, देद आरि शास्त्र, कर्तव्य का विवेचन करनेवाली बुद्धि, बाह्याभ्यन्तर शुद्धि और सदानरण की चिन्ता
ये सब बातें उदररूपी कुंड भर जाने पर ही म भवित होती हैं । १६. जब पेट भरा होता है तभी
आदमी को धर्म और ईमान सूझता है , जब मन भरा होता है तभी
आदमी को दर्शन और विज्ञान मूभता है , आत्मा परमात्मा मानयता और
नैतिकता की बातें यूं बहुत अच्छी हैं। लेकिन हकीकत यह है किभूखे पेट को रोटी मे ही भगवान सुभता है !
-'खुले आकाश में से