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पानी १. पानी सपद , इसकी सीट में ऊंच-नोच, गरीब-अमीर
का कोई भेद-भाव नहीं होता । यह समानरूप से सब की
प्यास बुझाता है। २. पानी मिलनसार है। यह जिसके साथ मिलता है, उसी के
अनुरूप बन जाता है। ३. पानी से बिजली पैदा होती है तथा इसमे कभी बढा नहीं
पड़ता। चाहे नीचे कितना ही गहरा खड़ा हो, पानी __ ऊपर बराबर रहेगा। ४. पानी औषधि है। अंगुली आदि कटने पर या तेज बुखार
होने पर इसकी पट्टी लगाई जाती है । ऋगवेद १०११३१७९ में कहा है
आप इद्वा भेषजी आपो अमी वा चान नीः ।
आय सर्वस्वय भेषजी स्तारतेकण्वतु भेषजम् ।। जल औषधि है, वही रोगनाश का कारण है, वही गल व्याधियों
की औषधि है । हे जल ! तुम लोगों की औषधि वनो । ५. अजीर्णे भेषजं वारि, जीर्णे वारि बलप्रदा। __ भोजनेचामृतंवारि, भोजनान्ते विषं जलम् ।।
--- चाणक्यनीति १७ १३८