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श्रावक के विषय में विविध
श्रावक के चार विश्राम१. समरणोबारागारम चत्तारि अप्स'मा IT = जना...या
विव ां सीलव्यय-गुणब्धय-वेरमण-पनवाण-पोसहोववासाई पहिवऊनई, नत्थ वि य गे गगे आमामे पन्ननं । जत्थ बियणं मामाइ दसावगामियं मम्मपालेड, नत्थ वि य मे एगे आसाने पन्नन । जन्थ वि य ग चाउमट्ट विट्ठप्रथिनामिनीस पडिपु पोसह मम्मं अणुपाल इ. नत्थ वि य से एमसारी पन्नत्त । जत्य वि य ग अमक्ट्रिममारपंतियसले हरा-भसाझमिाए भत्तपाडिया इशिवार पाओवगए कालमरावतमागी बिहाइ, नन्ध वि य से एगे आमासे पन्नत्त ।
– स्थानाङ्ग ४।३।३१४ भारवाहक की भाँति श्रावक के नार विधाम हैं--- १ जिम सम्य थावक पांच अगसत, तीन गुणवत, नवकारसी
आदि प्रवाश्यान तथ। अष्टमा-परदेशी आदि के दिन उपवास धारण करता है, उस समय प्रथम विश्वाम होता है। जब श्रावक सामायिक एवं देशाववाशिक ब्रत का पालन
करता है, तब दूसरा विश्राम होता है । ३ चतुर्दशी, अष्टमी, अमावस्या, पुणिमा आदि पर्व-तिथियों