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भोजन कैसा हो? १. स भारः सौम्य ! भर्तव्यो, यो नरं नावसादयेत् । तदन्नमणि मोक्तव्यं, जीर्यते यदनामयम् ।
-वाल्मीकिरामायण ३५०१५ हे सौम्य ! उसी भार को उठाना चाहिए, जिससे मनुष्य को कष्ट न हो । उसी अन्य को खाना चाहिए जो रोग पंदाकिए विना पच
जाए। . २. हितं मित सदाप्लोयाद , या मुखेनैव जीर्यते । धातुः प्रकुप्यते येन, तदन्न वर्जयद्यानिः ।
-अत्रिस्नति मादा हितकारी एवं परमित भोजन करना चाहिए, जो सुषपूर्वक
हजम हो जाए। ३. षट् त्रिशतं सहस्राणि, रात्रीगो हितभोजनः । जीवत्यनानुरो जन्तु-जितात्मा संमत: मताम् ।।
-चरकसंहिता, सूत्रस्थान २०३४८ हितकारी भोजन करनेवाला प्राणी छतीस हजार रात्रि पर्यन्त अर्थात् १०० वर्ष तक जीवित रहता है तथा वह आत्मविजयी,
नीरोग एवं सत्पुरुपों द्वारा सम्मानित होता है । ४. पचे सोई खाइबो, रचे सोई बोलिबो। -बंगला कहावत