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भूख १. खुहासमा वेपणा नस्थि ।
भूय के समान कोई भी दूसरी वेदना-गीड़ा नहीं है । २. नास्ति क्षुधासमं दुःखं, नास्ति रोगः क्षधाममः ।
भूख जैसा कोई दुःन नहीं और भूख जैसी कोई बीमारी नहीं। ३. जिधच्छा परमा रोगा।
-धम्मपद १५७ भूम्न सबमें बड़ा रोग है। आहार मग्निः पचति, दोषानाहारवजितः । घातून क्षीणेसु दोषेषु, जीवितं धातृसंक्षये। -आयुर्वेद जठराग्नि आहार को पचाती है। आहार के अभाव में दोषों को, उनके अभाव में धातुओं को और उनके क्षीण होने पर जीवन
को स्वा जाती है। ५. या सद्रूप विनाशिनी श्रतहरी पञ्चेन्द्रियोत्कपिणी,
चक्ष : - श्रोत्र-ललाट दैन्यकरणी वैराग्यमुत्पाटिनी। बन्धूनां त्यजनी विदेशगमनी चारित्रविध्वंसिनी, सेयं बाध्यति पञ्चभूतदमनी क्ष त् प्रागसंहारिणी ।
-चन्दकेवलीरास जो रूप का विनाश करनेवाली है, झाग का हरण करनेवाली