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________________ ६ भोजन कैसा हो? १. स भारः सौम्य ! भर्तव्यो, यो नरं नावसादयेत् । तदन्नमणि मोक्तव्यं, जीर्यते यदनामयम् । -वाल्मीकिरामायण ३५०१५ हे सौम्य ! उसी भार को उठाना चाहिए, जिससे मनुष्य को कष्ट न हो । उसी अन्य को खाना चाहिए जो रोग पंदाकिए विना पच जाए। . २. हितं मित सदाप्लोयाद , या मुखेनैव जीर्यते । धातुः प्रकुप्यते येन, तदन्न वर्जयद्यानिः । -अत्रिस्नति मादा हितकारी एवं परमित भोजन करना चाहिए, जो सुषपूर्वक हजम हो जाए। ३. षट् त्रिशतं सहस्राणि, रात्रीगो हितभोजनः । जीवत्यनानुरो जन्तु-जितात्मा संमत: मताम् ।। -चरकसंहिता, सूत्रस्थान २०३४८ हितकारी भोजन करनेवाला प्राणी छतीस हजार रात्रि पर्यन्त अर्थात् १०० वर्ष तक जीवित रहता है तथा वह आत्मविजयी, नीरोग एवं सत्पुरुपों द्वारा सम्मानित होता है । ४. पचे सोई खाइबो, रचे सोई बोलिबो। -बंगला कहावत
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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