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भाग : लोवर कोष्ठक
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७. माहिम लूबर
जर्मनी (यूरोप) में एक किसान के घर सन् १४८३ ई० में इनका जन्म हुआ । वकालत पढ़े। धर्म की तरफ झुकाव अधिक था ।
उन दिनों के पोष (गुर) पर यूरो में ईश्वरवत् पूजे जाते थे। उनका यह कहना था कि बड़े से बड़ा पापी भी हमारा सटीफिकेट (मुक्तिपत्र) लेने से स्वर्गगामी बन जाता है। श्रद्धालु लोग धन देकर पोपों से मुक्तिपत्र' लेने लगे । पाप-अत्याचार की वृद्धि होने लगी । लूयर ने लोगों को पोपलीला का रहस्य समझाते हुए कहा – सत्य, आदि के बिना इन कागज के टुकड़ों से कल्याण कभी नहीं होगा। लोग समझे एवं 'प्रोटेस्टेंट' मत चला। पोप क्रुद्ध हुए सभा इन्हें जीवित जला देने की आज्ञा दी । लूवर बच निकले और प्रोटेस्टेंट धर्म का प्रचार करते हुए ६० वर्ष की आयु में परलोकगामी हुए ।
- अध्ययन के आधार पर ।
८. महर्षि वाल्मीकि
इनका मूल नाम अग्निशर्मा था। डाकुओं के संसर्ग में रहकर ये लूटमार और हत्याएँ करने लगे । एक दिन इन्होंने सप्तऋपियों पर भी जाक्रमण कर दिया। ऋषियों ने पूछा भाई ! यह गाय किसके लिए कर रहे हो ? इन्होंने कहाघरवालों के लिए | ऋषि बोले- क्या वे पाप के फल भोगने में हिस्सा ले लगे ? इन्होंने माता-पिता, स्त्री आदि से पूछा तो
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