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शावर तन्त्र शास्त्र | ३१
मूठ को वापिस भेजने का मन्त्र
मन्त्र-"काला कलुवा चौंसठ वीर मेरा कलुवा मारा तीर जहाँ
को भेजू उहाँ जाय माँस मच्छी को छूवन न जाय अपना मारा आपही खाय चलत वाण मारू उलट मूठ मारू मार मार कलुवा तेरी आस चार चौमुखा दिया न बाती जा मारू वाही की छाती इतना काम मेरा न करे तो
तुझे अपनो माँ का दूध पीया हराम है।" साधन-विधि
सात मंगलवार तक प्रति दिन २१ बार इस मन्त्र का जाप करें। घी का दीपक जला कर रक्खें तथा अग्नि पर गुग्गुल डालें । लौंग का जोड़ा, फूल तथा मिठाई रक्खें । इस विधि से मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि
यदि किसी ने अपने ऊपर मूठ चलाई हो तो इस मन्त्र को पढ़कर उसे उल्टी भेज दें।
इसी मन्त्र द्वारा आकर्षण तथा वशीकरण के कार्य भी सिद्ध होते हैं। इस हेतु सुपारी की छाल पर २१ बार इस मन्त्र को पढ़कर पान में रखकर खिलादें तो साध्य-व्यक्ति आकषित अथवा वशीभूत होता है।
__ यह मन्त्र रोग-परीक्षा में भी प्रयुक्त होता है। इसके लिए कच्चे सूत के धागे द्वारा रोगी को सिर से पाँव तक नाप कर, २१ बार मन्त्र फूके, फिर डोरा को पुनः नापें । उस समय यदि डोरा बढ़ जाय तो समझें कि "रोगी पर आसेब का खलल है" और यदि घटे तो 'शारीरिक-रोग' समझना चाहिए।
हाजरात का मन्त्र
मन्त्र-''विस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम खुदाई बड़ा तू बड़ा जैनु
द्दीन पैगंबर दुनी तेरी सादात फुरो वादा नामुरादी वेवुन यादी तुर्क मा पीर ताइया सिलार देखू तेरी शक्ति वेग बांधि ल्याव नौ नारसिंह चौरासी कलुवा ब्रह्मा
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