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१८ | शावर तन्त्र शास्त्र
विद्वेषण-मन्त्र (३)
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मन्त्र— 'सत्य नाम आदेश गुरू को आक ढाक दोनों वन राई.
अमुका अमुकी ऐसी करें जैसे कूकर और बिलाई ।" साधन-विधि
मन्त्र संख्या २ के अनुसार। प्रयोग-विधि
शनिवार से आरम्भ करके सात दिनों तक आक के सात पत्तों पर मन्त्र लिखकर उन्हें ढाक की लकड़ी के अंगारों में जलायें तो साध्य प्रेमीप्रेमिका में परस्पर विद्वेष हो जाता है।
विद्वेषण-मन्त्र (४)
मन्त्र- 'ॐ नमो नारदाय अमुकस्य अमुकेन सह विद्वेषणं कुरु
कुरु स्वाहा।" साधन विधि
यह मन्त्र १ लाख की संख्या में जपने से सिद्ध होता है। विशेष
उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुकस्य अमृकेनसह' शब्द है, वहाँ जिन दो व्यक्तियों में परस्पर विद्वेष कराना हो, उनके नाम का उच्चारण करना चाहिए। प्रयोग-विधि
(१) घोड़े का बाल तथा भैसे का बाल-दोनों को उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर, जिस सभा में उन दोनों को जलाकर धूप दी जायेगी, वहाँ उपस्थित लोगों में परस्पर विद्वेष हो जाएगा।
अथवा(२) सेही के काँटे को उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर जिसके घर के दरवाजे पर गाढ़ दिया जायेगा, उस घर के लोगों में नित्य कलह होगी।
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