Book Title: Shavar Tantra Shastra
Author(s): Rajesh Dikshit
Publisher: Deep Publications

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Page 275
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २७४ | शावर तन्त्र शास्त्र महर्षि 'यतीन्द्र' नक्षत्र सारिणी - - - - - - - देव गण राक्षस गण नक्षत्र अश्विनी, मृगशिर भरणी, रोहिणी आर्द्र, कृतिका, अश्लेषा. पुनर्वसु, पुष्य हस्त, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा मधा, चित्रा, ज्येाटा स्वांति अनुराधा, फाल्गुनी, पूर्वाषाढ़, उ. धनिष्ठा, शतभिषा श्रवण रेवती, षाढ़ पू. भाद्रपद, उ. मूल, विशाखा भाद्रप्रद मंत्र का अ, आ, ए, ओ, औ, | , ऋ, ऋ, लु, लु, ऐ. । ई, उ, ऊ, क, ख. र.. प्रथमाक्षर अं, अः, झ, ज, ड, त, | च, छ, ज, ब, भ, व, घ, ङ, ट, ठ, ढ ण. द, म, क्ष, त्र, ज्ञ, श, ष, स, ह ध, न, प, फ, य. २. मास विचार-विभिन्न उद्देश्यों के लिए मत्र ग्रहण करने में मास, तिथि, वार आदि का भी ध्यान रखा जाता है, जिसके विषय में शास्त्रीय मान्यता इस प्रकार है दीर्घायु सर्वसिद्धि चैत्र धन लाभ वैशाख मरण ज्येष्ठ | स्वजन हानि अषाढ़ श्रवण संतान लाभ भादों रन्न लाभ | मंत्र सिद्धि शत्रुद्धि निषेध डा . बुद्धि वृद्धि | मर्ब मनोन्य सिद्धि __ माघ । फाल्गुन आश्विन पौष मल मास कार्तिक मार्गशीर्ष - - वार-विचार धन लाभ . रविवार .. . शांति मोमवार । आयु क्षय मंगलवार श्री बद्धि बुधवार ज्ञान प्राप्ति गुरुवार, भाग्यहीन शुक्रवार अपकीति शनिवार . For Private And Personal Use Only

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