Book Title: Shavar Tantra Shastra
Author(s): Rajesh Dikshit
Publisher: Deep Publications
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लोकोपयोगी तन्त्र विज्ञान माला संख्या-3 शावर तन्त्र शास्त्र [आकर्षण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, विद्वेषण, रोग-नाशक तथा विभिन्न कामनाओं की पूर्ति विषयक शावर तन्त्र, मंत्र तथा यन्त्रों ___ का आकर्षक संकलन] लेखक: विद्यावारिधि पं० राजेश दीक्षित साहित्य-शास्त्री, साहित्याचार्य, साहित्यालंकार, कर्मकाण्ड-भास्कर, तन्त्र-शिरोमणि, ज्योतिषरत्न, [सहिस्त्राधिक ग्रन्थों के लेखक दीपपलिकेशन For Private And Personal Use Only Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रकाशक : दीप पब्लिकेशन कंचन मार्केट अस्पताल रोड, आगरा- 3 सम्पादक/लेखक विद्यावारिधि पं० राजेश दीक्षित 0 संस्करण: 1993-94 सर्वाधिकार : प्रकाशकाधीन मुद्रक : www.kobatirth.org रे मूल्य : पैंतालीस रुपये $6 चेतावनी भारतीय कापीराइट एक्ट के अधीन इस पुस्तक के सर्वाधिकार दीप पब्लिकेशन के पास सुरक्षित हैं । अतः कोई सज्जन इस पुस्तक का नाम, अन्दर का मेटर, डिजायन, चित्र व सैटिंग तथा किसी भी अंश को किसी भी भाषा में नकल या तोड़-मोड़ कर छापने का साहस न करें, अन्यथा कानूनी तौर पर हर्जे खर्चे व हानि के जिम्मेदार होंगे । मिन्टर्स, आगरा Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHAVAR TANTRA SHASTRA By Pt. Rajesh Dixit For Private And Personal Use Only -प्रकाशक Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र । तन्त्र एक ऐसा कल्पवृक्ष है, जिससे छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी कामनाओं की पूर्ति सुलम है। श्रद्धा और विश्वास के सम्बल पर लक्ष्य की ओर बढ़ने वाला तन्त्रसाधक अतिशीघ्र निश्चित लक्य को प्राप्त कर लेता है। भावों को प्रकट करने के साधनों का आदिस्रोत यन्त्र-तन्त्र हो है । यन्त्रतन्त्र के विकास से ही अंक और अक्षरों की सृष्टि हुई है । अतः रेखा, अंक एवं अक्षरों का मिला-जुला रूप तन्त्रों में व्याप्त हो गया। साधकों ने इष्टदेव की अनकम्पा से बीज-मन्त्र तथा मन्त्रों को प्राप्त किया और उनके जप से सिद्धियाँ पायौं तो यन्त्रतन्त्र में उन्हें मो अंकित कर लिया। For Private And Personal Use Only Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दो शब्द अनुश्रुति है कि कलिकाल के प्रारम्भ में भूतभावन भगवान शंकर ने प्राचीन 'मन्त्र, तन्त्र, शास्त्र' के सभी मन्त्रों तथा तन्त्रों को इस दृष्टि से कील दिया कि कलियुग के अविचारी मनुष्य उनका दुरुपयोग न करने लगे। महामन्त्र गायत्री भी विभिन्न ऋषियों द्वारा शाप ग्रस्त हुआ तथा उसके लिए भी उत्कीलन की विधि अविष्कृत की गयी। अन्य मन्त्रों तथा तन्त्रों के लिए भी उत्कीलन की विधियां निर्धारित की गई हैं। जब तक उन विधियों का प्रयोग नहीं किया जाता, तब तक कोई भी मन्त्र प्रभावकारी नहीं होता। शास्त्रीय-मन्त्रों की उत्कीलन विधियों का वर्णन मन्त्र शास्त्रीय ग्रन्यो में पाया जाता है उनका ज्ञान संस्कृत भाषा के जानकार ही प्राप्त कर पाते हैं। शास्त्रीय-मन्त्रों के कीलित हो जाने पर लोक-हितैषी सिद्ध-पुरुषों ने जन-कल्याणार्थ समय-समय पर लोक-भाषा के मन्त्रों की रचना की । ऐसे सब मन्त्रों को ही 'शावर मन्त्र-तन्त्र' कहा जाता है। 'शावर तन्त्र-मन्त्र' विभिन्न लोक भाषाओं में पाये जाते हैं और उनकी साधन तथा प्रयोग विधि भी अपेक्षाकृत अधिक सरल होती है, साथ ही प्रभाव में वे प्राचीन शास्त्रीय मन्त्रों से स्पर्धा करते हैं । 'शावर मन्त्रों-तन्त्रों' के प्रचार प्रसार में नाथ-योगियों का योगदान महत्वपूर्ण रहा है । यही कारण है कि अधिकांश 'शावर मन्त्रों' में गुरु गोरखनाथ की दुहाई वाक्य का उल्लेख पाया जाता है । इनके अतिरिक्त इस्माइल - 0 For Private And Personal Use Only Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 5 ) जोगी, लोना चमारी आदि सिद्ध-पुरुष भी शावर-मन्त्रों के जनक एवम् प्रवर्तक माने जाते हैं। 'शावर मन्त्रों-तन्त्रों के जन्म दाता भी महान् तान्त्रिक भगवान् शंकर के भक्त थे, अतः उनके द्वारा विरचित मन्त्रादि को भगवान शंकर ने सफल होने का आशीर्वाद दिया-ऐसी भी मान्यता है। बहरहाल गोस्वामी तुलसीदास ने भी "जनमिल भवर मन्त्र न जापू, प्रगट प्रभाव महेश प्रतापू" महकर शावर मन्त्रों के महत्व को स्वीकारा है।। - शावर मन्त्रों के संग्रह ग्रन्थों के नाम पर वर्तमान समय में अनेक पुस्तकें बाजार में उपलब्ध हैं, परन्तु उनमें से अधिकांश अशुरु, असंगत एवम् दिग्भ्रमित करने वाली ही हैं। उनमें उल्लिखित प्रयोग साधक के लिए लाभ के स्थान पर हानिकारक ही सिद्ध होते हैं । प्रस्तुत पुस्तक की सामिग्नी 'शावर मन्त्र-तन्त्र' विषयक दुर्लभ, प्राचीन हस्तलिखित ग्रन्थों एवं ऐतद् विषयक अनुभवी विद्वानों की कृपा से उपलब्ध की गई है । अत: इस ग्रन्थ में संकलित मन्त्र-तन्त्र-यन्त्रादि साधकों के लिये उपयोगी एवम् हितकर सिद्ध होंगे, ऐसी आशा है। - जहाँ तक सम्भव हो सका है इस संकलन में प्रामाणिक एवम् विश्व सनीय प्रयोग ही संकलित किये गये हैं, तथापि इनकी सफलता साधक की सच्ची लगन एवम् साधना पर ही निर्भर करेगी-इसमें सन्देह नहीं है। - हमें विश्वास है कि 'शावर-तन्त्र' के जिज्ञासुओं के लिए यह ग्रन्थ मार्ग-दर्शक सिद्ध होगा। आगरा महाशिवरात्रि 1986 ई० राजेश दीक्षित For Private And Personal Use Only Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir द्वितीय संस्करण की भूमिका आपके हाथों में 'शावर तन्त्र शास्त्र' का यह पूर्णतया संशोधित, परिवर्धित दूसरा संस्करण देते हुये हमें अपार प्रसन्नता हो रही है। एक वर्ष से भी कम समय में पुस्तक का दूसरा संस्करण होना ही इस पुस्तक की लोकप्रियता और उपयोगिता का सबसे बड़ा प्रमाण है। यह संस्करण पिछले संस्करण से इस अर्थ में भी विशिष्ट है कि इसे एक बार फिर पूर्णरूपेण संशोधित किया गया है। कहने की आवश्यकता नहीं कि इसका संशोधन और परिवर्द्धन विषय के अनुभवी विशेषज्ञों ने अपनी सम्पूर्ण क्षमता से किया है। प्रस्तुत संस्करण का एक और आकर्षण यह है कि इस बार पुस्तक में 'मन्त्र गणना' यानी उपयुक्त मन्त्र-तन्त्र का चयन कैसे करें? विषय को और बढ़ाया गया है, जिससे इस विषय पर पुस्तक की उपयोगिता और बढ़ गयी है । पुस्तक से सम्बन्धित कागज, छपाई आदि का मूल्य बढ़ जाने तथा पुस्तक की पृष्ठ संख्या बढ़ जाने के बाबजूद मूल्य में वृद्धि नहीं की गयी है। हम आशा करते हैं, कि पाठक पूर्ववत सहयोग बनाये रखेंगे। -प्रकाशक For Private And Personal Use Only Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एक दृष्टि में 0 मानव जीवन की आवश्यकता और आकांक्षाओं की पूर्ति के अनेक साधनों में 'तन्त्र' सरल और सुगम साधन हैं। 0 यह भ्रम सर्वथा निर्मूल है कि तन्त्र केवल भूल-भुलैया अथवा मन बह लाने का नाम है। 0 तन्त्र का विशाल प्राचीन साहित्य इसकी वैज्ञानिक सत्यता का जीता जागता प्रमाण है। 0 आधुनिक विज्ञान और तन्त्र में बहुत समानता होते हुए भी तन्त्र में स्थायित्व है, सत्य है और कल्याण है। तन्त्र विधान का शास्त्रीय परिचय और विधियों का सर्वांगीण ज्ञान ___ साधना को सफल बनाकर सिद्ध तक पहुंचता है। । लोक-कल्याण और आत्म-कल्याण की कामना से किये गये तान्त्रिक कर्म इस लोक और परलोक दोनों में लाभदायी होते हैं। 0 इस पुस्तक में दिये गये तन्त्र, मन्त्र प्राचीनतम्, प्रामाणिक, अनुपलब्ध पुस्तकों से संकलित किये गये हैं सिर्फ उन्हीं मन्त्र, तन्त्र को पुस्तक में स्थान दिया गया है, जिनकी सत्यता निर्विवाद है। पुस्तक पाठकों की भलाई के लिये बनाई गई है अस्तु "कुएँ के अन्दर जैसी आवाज देंगे वैसी ही प्रतिध्वनि. होगी" की तरह साधना आपके सच्चे मन कर्म से होगी तभी उसमें इष्टतम् फल प्राप्त होगा अन्यथा जैसा करेगा वैसा भरेगा । इसमें लेखक, प्रकाशक का क्या दोष ? For Private And Personal Use Only Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra किसी भी मन्त्र तन्त्र की ध्यान में रखना आवश्यक है : www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir साधना से पूर्व आवश्यक निर्देश साधना से पूर्व निम्नलिखित निर्देशों को (१) मंत्र-तंत्र का जप अंग-शुद्धि, सरलीकरण एवं विधि-विधान पूर्वक करना उचित है । आत्म-रक्षा के लिए सरलीकरण की आवश्यकता होती है । (२) किसी भी तन्त्र अथवा मन्त्र की साधना करते समय उस पर पूर्ण श्रद्धा रखना आवश्यक है, अन्यथा वांछित फल प्राप्त नहीं होगा । (३) मन्त्र-तन्त्र साधन के समय शरीर का स्वस्थ एवं पवित्र रहना आवश्यक है । चित्त शान्त हो तथा मन में किसी प्रकार की ग्लानि न रहे । (४) शुद्ध, हवादार, पवित्र एवं एकान्त स्थान में ही मन्त्र साधना करनी चाहिए । मन्त्र-तन्त्र साधना की समाप्ति तक स्थान परिवर्तन नहीं करना चाहिए । (५) जिस मन्त्र तन्त्र की जैसी साधना विधि वर्णित है, उसी के अनुरूप सभी कर्म करने चाहिए अन्यथा परिवर्तन करने से विघ्न-बाधाएँ उपस्थित हो सकती हैं तथा सिद्धी में भी सन्देह हो सकता है । (६) जिस मन्त्र की जप संख्या आदि जितनी लिखी है उतनी ही संख्या में जप-हवन आदि करना चाहिए । इसी प्रकार जिस दिशा की ओर मुँह करके बैठना लिखा हो तथा जिस रंग के पुष्पों का विधान हो उन सबका यथावत पालन करना चाहिए । (७) एक बार में एक ही तन्त्र की साधना करना उचित है । इसी प्रकार एक समय केवल एक ही मनोभिलाषा की पूर्ति का उद्देश्य सम्मुख रहना चाहिए । For Private And Personal Use Only Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra कमांडू १. प्रारम्भिक ज्ञातव्य www.kobatirth.org विषय-सूची १. शावर मन्त्रों के विषय में २. मन्त्र - उत्कीलन विधि ३. मन्त्र - उत्कीलन विधि २ ४. मन्त्र - उत्कीलन विधि ३ ५. नजरबन्दी का मन्त्र १ ६. नजरवन्दी का मन्त्र २ ७. नजरबन्दी की गोली १ - नजरबन्दी की गोली २ ६ मन्त्र तन्त्र सिद्धि कर मन्त्र १०. इन्द्रजाल का मन्त्र ११. रसायन मन्त्र १२. मूठ को वापिस भेजने का मन्त्र १३. हाजरात का मन्त्र १४. प्रत्यक्ष हाजरात का भाषा मन्त्र - यन्त्र १५. चौकी चढ़ाने का मन्त्र १ १६. चौकी चढ़ाने का मन्त्र २ १७. मसान जगाने का मन्त्र १८. अदृश्य करण मन्त्र १६. लहरि जगाने का मन्त्र १ २०. लहरि जगाने का मन्त्र २ २१. पादुका - साधन मन्त्र २. आकर्षण तथा मोहन प्रयोग १. आकर्षण तथा मोहन प्रयोगों के विषय में For Private And Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पृष्ठाङ्क २५-३८ २५. २६ २६ २६ २६ २७ २७ २ε ३० ३० ३० ३१ ३१ ३३ ३५ ३५ ३६ ३७ ३८ ३८ ३८ ३६-५७ ३६ Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १० | शावर तन्त्र शास्त्र ० . ० ० 0 0 0 २.. आकर्षण मन्त्र १ ३. आकर्षण मन्त्र २ ४. आकर्षण मन्त्र ३ ५. आकर्षण मन्त्र ४ ६. आकर्षण मन्त्र ५ ७. स्त्री आकर्षण मन्त्र ८. सर्व मोहिनी मन्त्र ६. सर्वग्राम मोहिनी मन्त्र १०. सभा मोहिनी सुर्मा ११. मोहिनी मन्त्र १२. स्त्री मोहिनी मन्त्र १ . १३. स्त्री-मोहिनी मन्त्र २ १४. सर्व मोहिनी मन्त्र २ १५. सर्व मोहिनी मन्त्र ३ . १६. फूल मोहिनी मन्त्र १ १७. फूल मोहिनी मन्त्र २ १८. लाल कनेर फूल का मोहिनी मन्त्र १६. चम्पा फूल का मोहिनी मन्त्र २०. सुपारी मोहिनी मन्त्र १ २१. सुपारी मोहिनी मन्न २ २२. सुपारी मोहिनी मन्त्र ३ २३. लौंग मोहिना मन्त्र : २८. तेल मोहिनी मन्त्र १ २५. तेल मोहिनी मन्त्र २ २६. मिठाई मोहिनी मन्त्र २७. गुड़ मोहिनी मन्त्र १ २८. गुड़ मोहिनी मन्त्र । २६. मोहिनी पुतली वशीकरण मन्त्र ३. वशीकरण प्रयोग १. वशीकरण के विषय में २. वशीकरण प्रयोग १ ५८-१२ For Private And Personal Use Only Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र ११ rur ० ० 00 m moox IN 9) U or ३. वशीकरण प्रयोग २ ४. वशीकरण प्रयोग ३ ५. वशीकरण प्रयोग ४ ६. वशीकरण प्रयोग ५ ७. भूत-वशीकरण मन्त्र ८. सर्व वशीकरण मन्त्र १ ६. सर्व वशीकरण मन्त्र २ १०. सर्व वशीकरण मन्त्र ३ ११. सर्व वशीकरण मन्त्र ४ १२. सर्व वशीकरण मन्त्र ५ १३. सर्व वशीकरण मन्त्र ६ १४. सर्व वशीकरण मन्त्र ७ १५. सर्व वशीकरण मन्त्र ८ १६. सर्व वशीकरण मन्त्र । १७. सर्व वशीकरण मन्त्र १० १८. सर्व वशीकरण मन्त्र ११ १६. सर्व वशीकरण मन्त्र १२ २०. सर्व वशीकरण मन्त्र १३ २१. सर्व वशीकरण मन्त्र १४ २२. पति वशीकरण मन्त्र १ २३. पति-वशीकरण मन्त्रा २ २४. सर्वजन वशीकरण मन्त्रा २५. स्त्री-वशीकरण मन्त्र १ २६. स्त्री-वशीकरण मन्त्र २ २७. स्त्री-वशीकरण मन्त्रा ३ २८. स्त्री-वशीकरण मन्त्रा-यन्त्र ४ २६. स्त्री-वशीकरण मन्त्रा ५ ३०. स्त्री वशीकरण मन्त्रा ६ ३१. स्त्री-वशीकरण मन्त्रा ७ ३२. स्त्री-वशीकरण मन्त्रा ८ ३३. स्त्री-वशीकरण मन्त्रा : or WW. ) 9999) Mr m mro xxx For Private And Personal Use Only Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२ | शावर तन्त्र शास्त्र ७७ ३४. स्त्री वशीकरण मन्त्र १० ३५ स्थी-वशीकरण मन्त्रा ११ ३६. स्त्री-वशीकरण मन्त्र १२ ३७. स्त्री-वशीकरण मन्त्र १३ ३८. स्त्री-वशीकरण मन्त्र १४ ३६ स्त्री-वशीकरण मन्त्र १५ ४० स्त्री-वशीकरण मन्त्रा १६ ४१. स्त्री-वशीकरण मन्त्र १७ ४२. स्त्री-वशीकरण मन्त्र १८ ४३. स्त्री-वशीकरण मन्त्रा १६ ४४. स्त्री-वशीकरण मन्त्र २० ४५. स्त्री-वशीकरण मन्त्र २१ ४६. राजा-वशीकरण मन्त्र १ ४७. राजा-वशीकरण मन्त्र २ ४८. राजा-वशीकरण मन्त्र ३ ४६. राज-कर्मचारी वशीकरण मन्त्रा ५०. शत्र -वशीकरण प्रयोग ५१. वेश्या-वशीकरण मन्त्र ५२. राजा क्रोध शमन एवं वशीकरण मन्त्र ५३. लौंग वशीकरण मन्त्रा ५४. इलायची वशीकरण मन्त्र ५५. पान वशीकरण मन्त्रा ५६. फूल वशीकरण मन्त्र ५७. वशीकरण का शैतानी अमल ५८. सर्व वशीकरण का पुतली मन्त्र ४. उच्चाटन, विद्वेषण एवं मारण प्रयोग १. उच्चाटन, विद्वोषण एवं मारण के विषय में २. उच्चाटन मन्त्रा १ ३. उच्चाटन-मन्त्र २ ८. विद्वेषण-मन्त्र १ ५. विद्वेषण-मन्त्र २ ६३-१०२ GMCKN For Private And Personal Use Only Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १३ ६. विद्वेषण-मन्त्र-यन्त्र ३ ७. विद्वेषण-मन्त्र ४ ८. मारण-मन्त्र १ ९ मारण-मन्त्र २ १०. मारण-मन्त्र-यन्त्र ३ ११. मारण-मन्त्र ४ १२. मारण-मन्त्र ५ १० १०३ १२० १०४ १०५ ५. शत्र पीड़न प्रयोग १. शत्रु-पीड़न के विषय में २. शत्र-नाशक यन्त्र-मन्त्र ३. शत्रु को नष्ट करने का मन्त्र ४. शत्र के ऊपर शैतान (प्रेत) चढ़ाने का मन्त्र ५. शत्र को परास्त करने का यन्त्र ६. शत्र की छाती फटने का यन्त्र ७. शत्र -ज्वर-कारक यन्त्र ८. शत्रु को कष्ट देने का मन्त्र ६. अन्यायी-पुरुष को कष्ट देने का मन्त्र १०. शत्रु को अपमानित करने का मन्त्र ११. शत्रु-मुख-बन्धन मन्त्र १२. शत्रु-बुद्धि स्तंभन मन्त्र १३. शत्रु-मुख-स्तंभन मन्त्र १ १४. शत्रु-मुख-स्तंभन मन्त्र २ १५. शत्रु-मुख-स्तभन मन्त्र ३ १६. शत्र के जूता लगने का मन्त्र १७. शत्र, को आबद्ध करने का यन्त्र १८. शत्रु पीड़ा-कारक एवं मारण प्रयोग १६. शत्रु-मारण मन्त्र २०. शत्रु-माहन यन्त्र २१. कलह कारक यन्त्र २२. रावर्वोपरि जिह्वा-स्तम्भन मन्त्र-यन्त्र is is a doo० mm Xr9,520 vr r r r ro xxx ० ११२ ११७ For Private And Personal Use Only Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२१-१२३ १२१ १२२ १२२ १२२ १२३ १२३ १२४-१३० १२४ १२४ १२५ १२६ १२६ १४ । शावर तन्त्र शास्त्र ६. बन्दी-मोक्षण प्रयोग १. बन्दी-मोक्षण के सम्बन्ध में २. बन्दी-मोक्ष मन्त्र १ ३. बन्दी-मोक्ष मन्त्र २ ४. बन्दी मोक्ष मन्त्र ३ ५. बन्दी-मोक्ष मन्त्र ४ ६. बन्दी-मोक्ष मन्त्र ५ ७. गर्भ, प्रसव एवं रजोधर्म सम्बन्धी प्रयोग १.गर्भ प्रसव एवं रजोधर्म के विषय में २. नियोग-विधि से गर्भधारण का मन्त्र १ ३. नियोग-विधि से गर्भ धारण का मन्त्र २ ४. गर्भ-रक्षा मन्त्र १ ५. गर्भ-रक्षा मन्त्र २ ६. गर्भ-रक्षा मन्त्र ३ ७. गर्भ रक्षा मन्त्र ४ ८. गर्भ रक्षा मन्त्र ५ ६. गर्भ-रक्षा मन्त्र ६ १०. सुख प्रसव का मन्त्र ११. सुख प्रसव का यन्त्र १२. गर्भ स्राव स्तम्भन मन्त्र १३. स्त्री के पैर थामने का मन्त्र १४. स्त्री का रजोधर्म बन्द करने का मन्त्र ८. मूत-प्रेत विषयक प्रयोग १. भूत-प्रेतादि के विषय में २. भूत-प्रेत तथा रोगादि नाशक बाबा आदम मन्त्र ३. भूत, डायन तथा गल नाल झाड़ने का मन्त्रा ४. भूत-नाशन मन्त्र ५. राक्षस-नाशन मन्त्र ६ भूतादि-नाशन मन्त्र ७. मसान-बाधा नाशक मन्त्र ८. सर्व-बाधा-नाशक मन्त्र १२७ १२७ १२८ १२८ १२६ १२६ १२६ १३१-१४० १३१ १३१ १३३ १३३ १३३ १३४ १३४ For Private And Personal Use Only Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १३५ १३६ शावर तन्त्र शास्त्र ! १५ ६. प्रेत बरावे का मन्त्र १३४ १०. डाइन, सईल आदि झाड़ने का देवी मन्त्र ११. प्रेत-विमोचन यन्त्र १२. भूतादि को बकराने का मन्त्र १ १३७ १३. भूतादि को बकराने का मन्त्र २ १४. भूतादि को उतारने का मन्त्र १ १५. भूतादि को उतारने का मन्त्र २ १६. भूतादि को मारने का मन्त्र १७. भूतादि को कैद करने का मन्त्र १८. भूतादि को छोड़ने का मन्त्र १६ डाकिनी-शाकिनी को उतारने का मन्त्र १४० १. झाड़ा देने के विविध मन्त्र १४१-१६३ १. झाड़ा देना १४१ २. कर्णमूल झाड़ने का मन्त्र १४१ ३. थनली झाड़ने का मन्त्र ४. खागां नाशक मन्त्र ५. ममरषा झाड़ने का मन्त्र १४३ ६. एक झाड़ने का मन्त्र १ १४३ ७. हूक झाड़ने का मन्त्र २ ८. रस्सा झाड़ने (भूख-प्यास बढ़ाने) का मन्त्र ६. हूक झाड़ने का मन्त्र १०. सर्प-विष झाड़ने का मन्त्र १ १४५ ११. सर्प-विष झाड़ने का मन्त्र २ १४५ १२. सर्प विष झाड़ने का मन्त्र ३ १४५ १३. बिच्छ-विष झाड़ने का मन्त्र १ १४. बिच्छू-विष झाड़ने का मन्त्र २ १५. बिच्छू-विष झाड़ने का मन्त्र ३ १४ १६. बिच्छू-विष झाड़ने का मन्त्र ४ १७ बिच्छ विष झाड़ने का मन्त्र ५ १४८ १८. बिच्छ विष झाड़ने का मन्त्र ६ १४८ १६. बिच्छ-विष झाड़ने का मन्त्र ७ १४८ १४२ १४३ १४४ १४६ १४७ For Private And Personal Use Only Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६ | शावर तन्त्र शास्त्र १४८ १४६ १४६ १५० १५१ १५२ १५२ १५३ १५४ २०. बिच्छ का विष चढ़ाने का मन्त्र २१. कुत्ता काटे का झाड़ा देने का मन्त्र १ २२. कुत्ता काटे का झाड़ा देने का मन्त्र २ २३. कुत्ता काटे का झाड़ा देने का मन्त्र ३ २४. कुत्ता काटे का झाड़ा देने का मन्त्र ४ २५. कीड़ा झाड़ने का मन्त्र १ २६. कीड़ा झाड़ने का मन्त्र २ २७. कीड़ा झाड़ने का मन्त्र ३ २८. कीड़ा झाड़ने का मन्त्र ४ २६. १० रोग-नाशक मन्त्र ३०. दाँत-दर्द झाड़ने का मन्त्र ३१. दाँत-दर्द का मन्त्र ३२. आँख झाड़ने का मन्त्र ३३. उठी (दुखती हुई) आँख झाड़ने का मन्त्र ३४. रतौंधी झाड़ने का मन्त्र ३५. नेत्र रोग नाशक मन्त्र ३६. बाल-रक्षाकर झाड़े का मन्त्र १ ३७. बाल-रक्षाकर झाड़े का मन्त्र २ ३८. बाल-रक्षाकर झाड़े का मन्त्र ३ ३६. बाल-रक्षाकर झाड़े का मन्त्र ४ ४०. बाल-रक्षा का गण्डा (ताबीज) ४१. बालक को झाडने का मन्त्र ४२. बालक का रोना बन्द करने का यन्त्र ४३. ज्वर का झाड़ा देने का मन्त्र १ ४४. ज्वर का झाड़ा देने का मन्त्र २ ४५. ज्वर का झाड़ा देने का मन्त्र ३ ४६. ज्वर का झाड़ा देने का मन्त्र ४ ४७. ज्वर का झाड़ा देने का मन्त्र ५ ४८. जादू-टोना झाड़ने का मन्त्र १ ४६. जादू-टोना झाड़ने का मन्त्र २ ५०. टोना झाड़े को प्रत्यक्ष करने का मन्त्र ५१. स्त्री को चुडैल का टोना झाड़ने का मन्त्र १५५ १५६ १५६ १५६ १५७ १५८ १५६. १६० १५६ १६० १६० १६ For Private And Personal Use Only Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ५२ डाकिनी की नजर दूर करने का मन्त्र ५३. नजर झाड़ने का मन्त्र १०. विविध नाशक रोग मन्त्र www.kobatirth.org १. विभिन्न रोगों के विषय में २. मृगी का मन्त्र ३ नेहरुवा का मन्त्र १ ४. नेहरुवा का मन्त्र २ ५. धीनही का मन्त्र ६. अण्ड - वृद्धि का मन्त्र ७. डाढ़ की पीड़ा का मन्त्र ८. डाढ़ के कीड़ा का मन्त्र १ ६. डाढ़ के कीड़ा का मन्त्र २ १०. डाड़ के दर्द का मन्त्र ११. डाढ़ की फुन्सी का मन्त्र १२. डाढ़ के कष्ट का मन्त्र १३. दुखती आँख का मन्त्र १४ आंख की फुली काटने का मन्त्र १५. नेत्र ज्योति रक्षक मन्त्र १६. शिरो-व्यथा (सिर-दर्द ) का मन्त्र १ १७. सिर दर्द का मन्त्र २ १८. आधा सीसी का मन्त्र १ १६. आधा सीसी का मन्त्र २ २०. सिर दर्द का मन्त्र-यन्त्र २१. सब प्रकार की पीड़ा ( दर्द ) का मन्त्र २२. पेट दर्द का मन्त्र २३. पीलिया का मन्त्र १ २४. पीलिया का मन्त्र २ २५. सीया का मन्त्र २६. बवासीर का मन्त्र १ २७. बवासीर का मन्त्र २ २८. अन्न पचाने का मन्त्र १ For Private And Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १७२ १६२ १६३ १६४-१८४ १६४ १६४ १६५ १६५ १६६: १६६: १६७० १६७ १६८ १६८ १६८ १६६ १६ε १७० १७० १७० १७१ १३१ १७१ १७२ १७३ १७३ १७३ १७४ १७४ १७४ १७५ १७५ Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८ | शावर तन्त्र शास्त्र १७५ mr m २६. अन्न-पचाने का मन्त्र २ . ३०. पसली का मन्त्र १७६ ३१. रीघन वाय का मन्त्र ३२. बच्चों के प्रत्येक रोग का झाड़ा मन्त्र १७७ ३३. जहर उतारने का मन्त्र १७७ ३४. जानुवा डमरू तथा पसली वाय का मन्त्र १७८ ३५. उवा का मन्त्र १७८ ३६. कांच का टुकड़ा गढ़ जाने के कारण 'नागरा' नामक कोड़ा पड़ जाने पर उन्हें नष्ट करने का मन्त्र १७६ ३७. गाय-भैंस के कीड़ा नष्ट करने का मन्त्र १७६ ३८. नकसीर रोकने का मन्त्र १७६ ३६. घाव भरने का मन्त्र १८० ४०. पीड़ा कारक मन्त्र १८० ४१. दाद का मन्त्र १ ४२. दाद का मन्त्र २ ४३. दाद का मन्त्र ३ १८१ ४४. दाद का मन्त्र ४ १८२ ४५. कठ बेगुचो का मन्त्र १८२ ४६. शींगी मछली के विष का मन्त्र १८३ ४७. शूल नाशक मन्त्र १८३ ४८. धरन ठिकाने आने का मन्त्र १ १८३ ४६. धरन ठिकाने आने का मन्त्र २ १८४ · ५०. करवलाई का मन्त्र १८४ ११. विविध कार्य-साधक मन्त्र १८५.२०३ १. विविध कार्यों के विषय में १८५ २. शस्त्र की धार बाँधने का मन्त्र १ ३. शस्त्र की धार बांधने का मन्त्र २ ४. शस्त्र की धार बाँधने का मन्त्र ३ १८६ ५. सूची बन्धन मन्त्र १८६ ६. शस्त्रास्त्र स्तम्भन मन्त्र ७. तोप बांधने का मन्त्र १८७ ८. तलवार बाँधने का मन्त्र १८७ س س » १८५ १८६ For Private And Personal Use Only Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र ! १६ 95 115 0 0 १८६ १६० १६० १६१. १६१ १६१ 0 ६. ढाल रोपने का मन्त्र १ १०. ढाल रोपने का मन्त्र २ ११. पहुंचा छेदने का मन्त्र १२. गागर छेदने का मन्त्र १३. धनुवर्धन मन्त्र १४. बन्धन का मिश्रित मन्त्र १५. सुई छेदने का मन्त्र १ १६ सुई छेदने का मन्त्र २ १७. अणो-बन्ध का मन्त्र १८ लाय स्तम्भन मन्त्र १६. पाषाण-स्तम्भन मन्त्र २०. कढ़ाही-स्तम्भन मन्त्र १ २१. कढ़ाही-स्तम्भन मन्त्र २ २२. तैल-स्तम्भन मन्त्र २३. अग्नि-स्तम्भन मन्त्र १ २४. अग्नि-स्तम्भन मन्त्र २ २५. अग्नि स्तम्भन मन्त्र ३ २६. अग्नि-स्तम्भन मन्त्र ४ २७. अग्नि बुझाने का मन्त्र २८. अग्नि मुक्तारन मन्त्र २६. पूगी (तुरही) बाँधने का मन्त्र ३०. पूगी (तुरही) खोलने का मन्त्र ३१. कुश्ती जीतने का मन्त्र ३२ पैसा उडाने का मन्त्र ३३. पत्थर बरसाने का मन्त्र ३४. कढ़ाही बाँधने का मन्त्र ३५. बाघ बराने (भगाने) का मन्त्र १ ३६. बाघ वराने का मन्त्र २ ३७. बाघ बराने का मन्त्र ३ ३८. बाघ बराने का मन्त्र ४ ३६. बाघ बराने का मन्त्र ५ ४०. बाघ बराने का मन्त्र ६ 0 0 0 0 0 0 १६५. 0 0 0 १६७ ११८ ११८ For Private And Personal Use Only Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २० : शावर तन्त्र शास्त्र २०० २०० २०४ ४१. मार्ग में सर्प, चोर, नाहर आदि का भय न होने का मन्त्र १६८ ४२. सर्प भगाने का मन्त्र ४३. शूकर तथा मूषक भगाने के मन्त्र १६६ ४४, चूहा भगाने का मन्त्र ४५. बाघ, बिजली, सर्प तथा चोर भय नाशक मिश्रित मन्त्र ४६. बीग बराने (भगाने) का मन्त्र ४७. टिडडी उडाने का मन्त्र २०१ ४८. टिड्डियों को अपनी सीमा से बाहर निकालने का मन्त्र २०१ ४६. टिड्डी की दाढ़ बांधने का मन्त्र २०२ ५०. टिड्डियों को धरती पर बैठाने का मन्त्र २०३ १२. चोरी विषयक प्रयोग २०४-२१० १. चोरी के विषय में २०४ २. चोरी का पता लगाने का मन्त्र १ ३. चोरी का पता लगाने का मन्त्र २ ४. चोरी का पता लगाने का मन्त्र ३ ५. चोरी का पता लगाने का मन्त्र ४ २०६ ६. चोरी का पता लगाने का मन्त्र ! २०७ ७. चोरी का पता लगाने का मन्त्र ६ २०७ ८ चोरी का पता लगाने का मन्त्र ७ ६. चोरी का पता लगाने का मन्त्र १०. चोरी का पता लगाने का मन्त्रह ११. चोरी का पता लगाने का मन्त्र १० २०६ १२. चोरी का पता लगाने का मन्त्र ११ २१० १३. चमत्कारी-मन्त्र प्रयोग २११-२२७ १. चमत्कारी मन्त्रों के विषय में २११ २. आजीविका-दायक मन्त्र-तन्त्र ३. धन-वृद्धि कारक वशीकरण मन्त्र ४. सर्वकार्य-साधक करालिनी मन्त्र २१३ ५. धनदा कुबेर मन्त्र २१३ ६. मनोकामना-सिद्धि कारक मन्त्र २१४ ७. ऋद्धि दाता मन्त्र २१४ २१२ For Private And Personal Use Only Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ८. लक्ष्मीदाता मन्त्र ६. व्यवसाय द्वारा धन-लाभ का मन्त्र १०. महालक्ष्मी मन्त्र ११. ज्वालामुखी मन्त्र १२. शारदा मन्त्र १३. विद्या - बुद्धि-वर्द्धक मन्त्र १४. सरस्वती मन्त्र १५. बुद्धि-वर्द्धक मन्त्र १६ भगवती मन्त्र १७. कर्ण पिशाचिनी मन्त्र १५. रूद्र-मन्त्र १६. हाच्छिष्ट गणपति मन्त्र २०. कार्तवीर्य - मन्त्र २१. वटुक मन्त्र तन्त्र २२. सहदेई कल्प मन्त्र २३. स्वप्न में प्रश्न का उत्तर पाने का मन्त्र २४. विद्या - मन्त्र २५. पृथ्वी में गढ़ा धन दिखाई देने का मन्त्र २६. ऋण-मोचक मङ्गल-स्तोत्र मन्त्र २७ ग्रह पीड़ा नाशक मन्त्र १४. प्रभावकारी शावर-मन्त्र प्रयोग १. प्रभावकारी शावर मन्त्रों के विषय में २. अन्नपूर्ण का मन्त्र ३. महालक्ष्मी का सिद्ध मन्त्र ४. रोजी - प्राप्ति का मन्त्र १ ५. रोजी प्राप्ति का मन्त्र २ ६. रोजी प्राप्ति का मन्त्र ३ ७ दिग्बन्धन का मन्त्र ८. विवाद - विजय मन्त्र ६. शरीर रक्षा का मन्त्र १०. आत्म रक्षा का मन्त्र For Private And Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २१ २१५ २१५ २१५ २१६ २१६ २१७ २१७ २१७ २१८ २१८ २१८ २१८ २१ε २२० २२२ २२३ २२४ २२४ २२५ २२७ २२८-२४३ २२८ २२८ २२६ २२६ २३० २३० २३० २३१ २३१ २३२ Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२ : शावर तन्त्र शास्त्र ११. मनोरथ सिद्धि का मन्त्र १२. यात्रा में थकान न आने का मन्त्र १३. मार्ग और घर में शरीर-रक्षा का मन्त्र १४. सर्व-बाधा-नाशक मन्त्र १५ दीप-निवारक एवं रक्षा कारक मन्त्र १६. देह-रक्षा का मन्त्र १७. सर्व-सुखदाता एव विपत्ति निवारक मन्त्र १८. देह-रक्षा का मन्त्र १६. ऋद्धि-सिद्धि का मन्त्र २०. शुभाशुभ करने का मन्त्र २१. कागज की कढ़ाही में पुआ उतारने का मन्त्र २२. लोपांजन मन्त्र २३. यन्त्र, मन्त्र, तन्त्र तीनों को दूर करने का मन्त्र २४. कृषि एवं आत्म-रक्षक मन्त्र २५. पशु-दुग्ध वर्द्धक मन्त्र २६. मेघ-स्तम्भन का मन्त्र २७. यात्रा में आराम पाने का मन्त्र २८. मनचाही वस्तू माँगने का मन्त्र .२६. अन्न की राशि उड़ाने का मन्त्र ३०. दरिद्रता-नाशक मन्त्र ३१. पुसत्व-नाशक मन्त्र ३२ स्त्री के पैर चलाने का मन्त्र ३३. उपद्रव-नाशक मन्त्र m m m m mr rm ' " ur mmmmm in २४२ २४२ २४३ २४४ -२६२ २४४ १५. यन्त्र प्रयोग १. यन्त्र प्रयोग के विषय में २ अर्श-नाशक यन्त्र ३. मसान रोग-नाशक यन्त्र ४. शीतलता-साधक यन्त्र ५. स्त्री उदर-पीड़ा-नाशक यन्त्र ६. स्त्री का ऊपरी भय-नाशक यन्त्र ७. स्वप्न-भय नाशक यन्त्र २४५. २४७ २४७ For Private And Personal Use Only Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र २३ २४८ २४८ २४६ २४३ २५० २५० २५१ २५१ २५२ २५२ २५३ २५३ २५४ ८. डाकिनी-उच्चाटन मन्त्र ६. सौभाग्य-वृद्धि कर यन्त्र १०. बाल-रोग बाधाहर यन्त्र ११. उदर-शूल नाशक यन्त्र १२. श्री हनुमत् प्रसन्न मन्त्र १३ छूत-विजयप्रद यन्त्र १४ फल-बुद्धि कारक यन्त्र १५. दुग्ध-वृद्धि कारक यन्त्र १६. सर्वजन-वशीकरण यन्त्र १७. स्त्री वशीकरण यन्त्र १८. पति-वशीकरण यन्त्र १६. पत्नी वशीकरण यन्त्र २०. शत्र वशीकरण यन्त्र २१. रोजी पाने का यन्त्र २२. कान की पीड़ा का यन्त्र २३. सर्वतोभद्र यन्त्र २४. भूत-प्रेतादि भय-नाशक यन्त्र २५ भूत-प्रेतादि-त्रासन यन्त्र २६. भूत-प्रेत निष्कासन यन्त्र २७. बलाय दूर करने का यन्त्र २८. प्रेत दूरी कर यन्त्र २६. इकतरा ज्वर नाशक यन्त्र ३०. नजर न लगने का यन्त्र ३१. शीत ज्वर-नाशक यन्त्र ३२. सर्व कार्य सिद्धिदाता यन्त्र ३३. राज-सम्मानप्रद यन्त्र ३४. घर से गये मनुष्य को लौटाने का यन्त्र ३५. सुख-प्रसव यन्त्र ३६. बाल ज्वर नाशक यन्त्र १६. मन्त्र गणना १. उपयुक्त मन्त्र का चयन कैसे करें ? २५४ २५५ २५५ २५६ २५६ २५७ २५७ २५८ २५८ २५६ २६० २६१ २६१ २६१ २६२ २६३ For Private And Personal Use Only Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४ | शावर तन्त्र शास्त्र २६८ २७४ २७७ २. तांत्रिक कर्मकाण्ड के बारे में ३. महर्षि यतीन्द्र नक्षत्र सारणी ४. गुरु मंत्र का चयन ५. गृह और व्यक्तित्व ६. पाश्चात्य अंक दर्शन ७. अंग्रेजी मूल्य तालिका ८. काकणी गणना २७८ २८६ २६. For Private And Personal Use Only Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रारम्भिक ज्ञातव्य शाबर-मन्त्रों के विषय में जनश्र ति है कि कलियुग के आरम्भ होने पर देवाधिदेव महादेव शिवजी ने वेदोक्त मन्त्रों को कील दिया, जिसके कारण वे अप्रभावी हो गये; परन्तु यथार्थ में उनकी सामर्थ्य समाप्त नहीं हुई, केवल यही अन्तर पड़ा कि यदि उन्हें उत्कीलन-विधि से उत्कीलित कर दिया जाय तो वे अपना चमत्कार प्रदर्शित करने में समर्थ हो जाते हैं। मन्त्रों की उत्कीलन-विधि का ज्ञान बड़े विद्वानों तक ही सीमित था, अतः सामान्य मन्त्र-साधकों को उनके साधन में कठिनाइयाँ होने लगी। ऐसी स्थिति में कतिपय सिद्ध महापुरुषों द्वारा शावर-मन्त्रों की रचना की गई। ये मन्त्र लोक-भाषाओं में रचे गये थे और इन्हें सिद्ध करने हेतु उत्कीलनादि की प्रक्रिया अपनाने की आवश्यकता भी न थी, अतः ये बड़े लोकप्रिय हुए और इनका प्रचार-प्रसार भी खूब हुआ। ____ शावर-मन्त्रों के रचयिता सिद्ध-पुरुष ही रहे होंगे, इसमें तो सन्देह नहीं, परन्तु वे शास्त्रज्ञ अथवा विद्वानों की कोटि में रक्खे जाने के योग्य भी रहे हों, इस सम्बन्ध में अलग-अलग मत हैं। लिपिबद्ध न किये जाने के कारण ये मन्त्र गुरु-शिष्य परम्परा के माध्यम से केवल कण्ठ-निवासी ही बने रहे । आरम्भ में बहुत समय तक विद्वानों को इनके महत्व का ज्ञान नहीं हो सका, परन्तु कालान्तर में इनका प्रभाव प्रकट होते हुए प्रत्यक्ष देखा गया, तो वे भी इनका महत्व स्वीकार करने को बाध्य हुए। फलतः इन मन्त्रों के संकलन का कार्य भी आगे बढ़ा। प्रस्तुत प्रकरण में मन्त्र-साधना सम्बन्धी प्रारम्भिक-ज्ञातव्य विषयों का उल्लेख किया जा रहा है । इनका सम्यक्-ज्ञान होने पर ही साधक को मन्त्र-साधन में सफलता प्राप्त हो सकती है। For Private And Personal Use Only Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २६ । शावर तन्त्र शास्त्र मन्त्र-उत्कीलन विधि (१) प्रसिद्ध है कि कलियुग में महादेवजी ने सभी मन्त्र कील दिये हैं, अतः वे फलदायक सिद्ध नहीं होते। परन्तु यदि उनका उत्कीलन कर दिया जाय तो वे सद्य फलप्रद सिद्ध होते हैं। अत: यहाँ उत्कीलन की विधियाँ लिखी जाती हैं। किसी भी मन्त्र का साधन करने से पूर्व उसका नियमानूसार उत्कीलन कर लेने से सिद्धि. एवं सफलता शीघ्र तथा अवश्य प्राप्त होती है। जिस मन्त्र को जपना हो उसे अष्टगन्ध द्वारा भोजपत्र के ऊपर १०८ बार लिखकर धूप, दीप, नैवेद्य आदि से उसका पूजन करके, ब्राह्मण भोजन करायें। फिर एक मिट्टी के पात्र में पानी भर कर मन्त्र लिखित भोजपत्रों को उसमें डालते जायें अथवा उन्हें किसी नदी की धारा में प्रवाहित करदें तो उस मन्त्र का उत्कीलन हो जाता है। अष्टगन्ध में निम्नलिखित वस्तुओं की गणना की जाती है १. गोरोचन, २. कपूर, ३. हाथी का मद, ४. अगर, ५. कस्तूरी, ६. केशर, ७. लाल चन्दन और ८. श्वेत चन्दन। ___ मन्त्र-उत्कीलन विधि (२) मिट्टी द्वारा पुरुष के आकार वाली इष्टदेव को प्रतिमा बनायें, फिर उसकी प्राण प्रतिष्ठा करें। तदुपरान्त शुभ मुहूर्त में भोजपत्र के ऊपर मन्त्र लिखकर, उसे प्रतिमा की छाती में लगाएँ तथा एक मास तक उसका धूप, दीप, नैवेद्य आदि से पूजन करें। तदुपरान्त गुरु की आज्ञा लेकर उस मन्त्र को तो स्वयं लेलें तथा प्रतिमा को नदी में बहाकर ब्राह्मण भोजन करायें। फिर मन्त्र का जप करें तो वह सिद्ध हो जायेगा। ___मन्त्र-उत्कोलन विधि (३) मन्त्रो कोलन के लिए १० संस्कार करने का भी विधान है, उसके लिए हमारी पुस्तक 'हिन्दू तन्त्र शास्त्र' का अध्ययन करें। . नजरबन्दी का मन्त्र (१) ............................. मन्त्र (१)-"ॐ नमो भगवते वासुदेव नागराजाय गोप कुण्डली चलनानिनी स्वाहा ।" For Private And Personal Use Only Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra साधन-विधि रविवार के दिन नैवेद्य का भोग लगाकर जाता है । प्रयोग विधि www.kobatirth.org अंकोल की लकड़ी लें, गोल चौका देकर, धूप-दीप, १०८ बार इस मन्त्र का जप करें तो सिद्ध हो Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तमाशा करते समय देखने वाले लोगों की नजर बाँधने के लिये, तमाशा करने से पूर्व इस मन्त्र को पढ़ कर जिन लोगों पर अपनी दृष्टि घुमायें, उनकी नजर बँध जाय । नजरबन्दी का मन्त्र (२) पहले मन्त्र के अनुसार । शावर तन्त्र शास्त्र | २७ मन्त्र- "ॐ नमो वटुकी चामुण्डी ठः ठः ठः स्वाहा ।" साधन-विधि - पद्म नाल पर क्वारी कन्या के हाथ से कते सूत को लपेट कर १०८ बार मन्त्र का जप करे तो सिद्ध होता है । प्रयोग-विधि -- नजरबन्दी की गोली (१) मन्त्र – “ ॐ नमो भगवते वासुकी नागराजाय गोप कुण्डली चलनानिनी स्वाहा । " साधन-विधि अंगूर की डाली, शशा की बीट, थूहर का पत्ता, बहड़े की छाल तथा पटोल पत्र (परवल के पत्ते ) - इन पांचों को भेड़ के मूत्र में पीस कर गोली बांधें । फिर गूगल की धूनी दें तथा दीपक जलायें । दूध-बूरा मिलाकर भोग घरें तथा पुष्प चढ़ावें । फिर १०८ बार मन्त्र का जप करके, गोली को छाया सुखाकर रख लें । में प्रयोग-विधि For Private And Personal Use Only 1" खेल-तमाशा दिखाते समय सर्व प्रथम “ॐ पानी वल स्वाहा Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २८ | शावर तन्त्र शास्त्र इस मन्त्र को विभूति पर ७ बार पढ़ लगायें; फिर उक्त गोली को मेंहदी की भाँति कि - " फलाना (अमुक) आये" - तो दर्शकों को देगा । कर उसे अपने मस्तक पर हाथ पर लगाकर यह कहें वही व्यक्ति आता दिखाई Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अथवा गोली को किसी के गले से लगायें तो रुण्ड सा दिखाई दे । अथवा गोली को कौए के पंख से लगायें तो कौआ दिखाई दे । अथवा गोली को कमल की नाल में मल कर ऊँचा करें तो आदमी ऊँचा दिखाई दे और नीचा रक्खें तो उल्टा दिखाई दे ! अथवा- गोली को नीबू के पत्त े में लगायें तो वह बिच्छू जैसा दिखाई दे । अथवा- गोली और हरताल, इन दोनों को मिलाकर अंगुली में लगा दें तो खोबा दिखाई दे | अथवा मुर्गे के पंख पर गोली को मल कर उसे हाथ में लें तो मुरगावी दिखाई दे । अथवा - गोली को अन्न पर मलें तो रत्न दिखाई दे 1 अथवा गोली को करंज बीज पर मल कर उसे मुँह में रक्खें तो पेट में पानी भरने और उसे बाहर निकालने में आनन्द हो । अथवा- गोली को हाथ, नाक पर मलें तो अदृश्य होकर भीड से बाहर निकल जाय । For Private And Personal Use Only Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra हुए से दीखें | www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २६ अथवा - गोली को सारे अंग पर लगायें तो हाथ-पाँव आदि सब अंग टूटे को पानी से धो दें तो सब जुड़े हुए दिखाई दें और जब उस लेप इस प्रकार एक ही गोली के प्रयोग से अनेक प्रकार के चमत्कार प्रदर्शित किये जा सकते हैं । नजरबन्दी की गोली (२) मन्त्र- "ॐ नमो भगवते वासुकी नागराजाय गोप कुण्डली चलनानिनी स्वाहा ।" साधन - विधि गोदन्ती, हरताल, आंवला, केला की जड़, मूंगभीगे का अंगूर, सोलह पर्ण, तथा शृंग शाख – इन छहों वस्तुओं को बराबर-बराबर लेकर भेड़ के मूत्र में पीस कर गोली बाँध लें तथा उसे पूर्वोक्त मन्त्र द्वारा २१ बार अभिमन्त्रित कर, छाया में रख कर सुखालें । प्रयोग-विधि उक्त गोली को घिस कर काँसे के पात्र पर लगाने से पाताल की देवी और देवता दिखाई देते हैं । अथवा--- गोली और सरसों को गोमूत्र में पीस कर शरीर पर मलने से बड़ा आकार छोटा दिखाई देता है । अथवा गोली और सरसों को बकरी के मूत्र में पीस कर शरीर पर लगाने से छोटा आकार बड़ा दिखाई देता है । For Private And Personal Use Only अथवा -- गोली को धतूरे के बीज तथा दूध के साथ पीस कर अपनी अँगुली पर मलें, फिर वह अँगुली जिसे दिखाई जायेगी, वह नंगा होकर नाचने लगेगा | Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३०/शावर तन्त्र शास्त्र मन्त्र-तन्त्र सिद्धिकर मन्त्र ........ मन्त्र-"ॐ परब्रह्म परमात्मने नम: जगदुत्पत्ति स्थिति प्रलय कराय ब्रह्मा हरिहराय त्रिगुणात्मने सर्व कौतुकानि दर्शय दात्तालेयाय नमः तन्त्रान् सिद्धि कुरु-कुरु स्वाहा ।" साधन एवं प्रयोग-विधि घी का दीपक जलाकर, धूप देकर तथा चन्दन इत्यादि चढ़ाकर किसी शुभ मुहूर्त से आरम्भ कर २१ दिन तक नित्य १०८ की संख्या में जप करते रहने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। इस मन्त्र को सिद्ध हो जाने के उपरान्त जिस मन्त्र अथवा तन्त्र का साधन एवं प्रयोग किया जाता है, वह सफल होता है। इन्द्र जाल का मन्त्र मन्त्र-"ॐ नमो नारायणाय विश्वंभराय इन्द्रजाल कौतुकान् दर्शय-दर्शय सिद्धि कुरु-कुरु स्वाहा ।" साधन एवं प्रयोग-विधि यह मन्त्र किसी शुभ मुहूर्त से आरम्भ कर २१ दिनों तक नित्य १०८ की संख्या में जपने से सिद्ध हो जाता है। किसी भी इन्द्रजाल के कौतुक को करने से पूर्व इस मन्त्र का उच्चारण कर लेने से कार्य में सफलता मिलती है। रसायन-मन्त्र मन्त्र-"ॐ नमो हरिहराय रसायण सिद्ध कुरु कुरु स्वाहा ।" साधन एवं प्रयोग विधि किसी शुभ मुहर्त से आरम्भ कर इस मन्त्र को २१ दिनों तक नित्य १०८ की संख्या में जपने से यह सिद्ध हो जाता है। इसे मन्त्र के प्रारम्भ में उच्चारण करने से रासायनिक कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है। For Private And Personal Use Only Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | ३१ मूठ को वापिस भेजने का मन्त्र मन्त्र-"काला कलुवा चौंसठ वीर मेरा कलुवा मारा तीर जहाँ को भेजू उहाँ जाय माँस मच्छी को छूवन न जाय अपना मारा आपही खाय चलत वाण मारू उलट मूठ मारू मार मार कलुवा तेरी आस चार चौमुखा दिया न बाती जा मारू वाही की छाती इतना काम मेरा न करे तो तुझे अपनो माँ का दूध पीया हराम है।" साधन-विधि सात मंगलवार तक प्रति दिन २१ बार इस मन्त्र का जाप करें। घी का दीपक जला कर रक्खें तथा अग्नि पर गुग्गुल डालें । लौंग का जोड़ा, फूल तथा मिठाई रक्खें । इस विधि से मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि यदि किसी ने अपने ऊपर मूठ चलाई हो तो इस मन्त्र को पढ़कर उसे उल्टी भेज दें। इसी मन्त्र द्वारा आकर्षण तथा वशीकरण के कार्य भी सिद्ध होते हैं। इस हेतु सुपारी की छाल पर २१ बार इस मन्त्र को पढ़कर पान में रखकर खिलादें तो साध्य-व्यक्ति आकषित अथवा वशीभूत होता है। __ यह मन्त्र रोग-परीक्षा में भी प्रयुक्त होता है। इसके लिए कच्चे सूत के धागे द्वारा रोगी को सिर से पाँव तक नाप कर, २१ बार मन्त्र फूके, फिर डोरा को पुनः नापें । उस समय यदि डोरा बढ़ जाय तो समझें कि "रोगी पर आसेब का खलल है" और यदि घटे तो 'शारीरिक-रोग' समझना चाहिए। हाजरात का मन्त्र मन्त्र-''विस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम खुदाई बड़ा तू बड़ा जैनु द्दीन पैगंबर दुनी तेरी सादात फुरो वादा नामुरादी वेवुन यादी तुर्क मा पीर ताइया सिलार देखू तेरी शक्ति वेग बांधि ल्याव नौ नारसिंह चौरासी कलुवा ब्रह्मा For Private And Personal Use Only Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३२ / शावर तन्त्र शास्त्र अठोत्तर से शाकिनी कमण दुरामन छलछिद्र प्रेत चोर चावर आगिया बेताल बेगी बाँधि ल्याव जो न बाँधि ल्यावें तो दुहाई सुलेमान पैगंबर की।" साधन-विधि शुक्रवार को आरम्भ करके तैल, फूलेल, लोंग, धूप एवं मिठाई से पूजन करके नित्य २१ मन्त्र जपे तो ४० दिन में सिद्ध हो। प्रयोग-विधि जब हाजरात करनी हो तो सर्व प्रथम मिट्टी से जगह लीपकर, चावल की मस्जिद बनायें। फिर कपास की बत्ती बनाकर, पटटे पर विसूल लिख कर एक क्वारी कन्या को स्नान करा के उसे स्वच्छ वस्त्र पहना कर सामने बैठायें। फिर चावलों को अभिमन्त्रित करके उस कन्या पर मारे तथा उसके मस्तक पर दीपक रख कर, जो पूछना चाहे, वह पूछे तो उसके द्वारा सत्य. सत्य उत्तर मिलेगा। प्रत्यक्ष हाजरात का भाषा मन्त्र मन्त्र-"ॐ नमो कामाख्याय सर्व सिद्धिदायै अमुक कर्म कुरु कुरु स्वाहा ।" विशेष इस मन्त्र में जहाँ 'अमुक' शब्द आया है, वहाँ जिस कार्य की इच्छा से मन्त्र का जप करना हो, उसके नाम का उच्चारण करना चाहिये। ___ मन्त्र-जप से पूर्व निम्नलिखित संकल्प-वाक्य का उच्चारण करके कराङ्ग-न्यास तथा हृदयादि-न्यास करना चाहिए। अन्त में ध्यान करके, मन्त्र--जप करना चाहिये। संकल्प-वाक्य-"अस्य मन्त्रस्य वह्निक ऋषि जगती छन्दः कामाख्या देवता प्रणवः शक्तिः अव्यक्तं कीलकं 'अमुक' कर्मणि जपे विनियोगः ।" For Private And Personal Use Only Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | ३३ विशेष उक्त संकल्प वाक्य में जहाँ 'अमुक' शब्द आया है, वहाँ जो कार्य करना हो, उसके नाम का उच्चारण करना चाहिए। अथ कराङ्ग न्यासइसके बाद निम्नानुसार कराङ्ग न्यासं करें 'ॐ नमो अङ्ग,ष्ठाभ्यां नमः । कामाख्यायै तर्जनीभ्यां नमः स्वाहा । सर्व सिद्धिदायै मध्यमाभ्यां वौषट् । अमुक कर्म अनामिकाभ्यां हुँ । कुरु कुरु कनिष्ठिकाभ्यां वौषट् स्वाहा । करतल कर पृष्ठाभ्यां अस्त्राय फट ।" अथ हृदयादि न्यासइसके बाद निम्नानुसार हृदयादि न्यास करें "ॐ नमो हृदयाय । कामाख्यायै शिरसे स्वाहा । सर्व सिद्धिदायै शिखायै वषट् । अमुक कर्म कवचाय हुँ। कुरु कुरु नेत्र त्रयाय वौषट् । स्वाहा अस्त्राय फट ।" अथ ध्यानइसके उपरान्त निम्नानुसार ध्यान करें“योनि मात्र शरीराया कंगुवासिनि कामदा । रजः स्वला महातेजा कामाक्षी ध्येयतां सदा ।।" For Private And Personal Use Only Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३४ / शावर नन्त्र शास्त्र साधन-विधि पूर्वोक्त मन्त्र को १०००० की संख्या में जप कर १०० गुड़हल के फूलों की आहुति देकर होम करें। फिर होम का दशांश तर्पण, तर्पण का दशांश मार्जन कर, मार्जन का दशांश ब्राह्मण भोजन कराये तो मन्त्र सिद्ध हो जाता है । मन्त्र-जप के बाद सकल्प का पानी फूलों पर डालें। प्रयोग-विधि हाजरात करते समय पहले नीचे के चित्र में प्रदर्शित यन्त्र को भोजपत्र के ऊपर लाल चन्दन, केशर आदि से लिखना चाहिए। यन्त्र का स्वरूप इस प्रकार है । र ३ 6 - २ ६. २ - - ५४ (हाजरात का यन्त्र ) रुई में मेढल की राख मिलाकर बत्ती बनायें। उसे तेल के दोपक में रख कर, दीपक का पूजन करके, उसके आगे आठ या दस वर्ष की आयु वाले किसी उच्चवंश एवं देवतागण बालक अथवा बालिका को बैठायें। फिर दीपक के आगे यन्त्र रख कर उसका पूजन करें। फिर यन्त्र उस बालक या बालिका को दें और बालक को हथेली में मेढल की राख तैल में सान कर लगावें। फिर उससे जो कुछ पूछना हो, वह पूछे तो वह सच-सच बतायेगा। For Private And Personal Use Only Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | ३५ चौको चढ़ाने का मन्त्र (१) मन्त्र-(१) "ॐ नमो आं हां कंत जुगराज फटंत, कार्या जिस कारन जुगराज मैं तो • ध्याया हांक मारता जुगराज आया गाजत आया घोरंत आया मिरस के फूल लेता उडता आया और की चौकी उठाता आया आपकी चौकी बैठाता आया, और का किवाड़ तोड़ता आया, अपना किवाड़ माँड़ता आया, बाँध बाँध किसकों बाँध, भूत कों बाँध, प्रेत कों बाँध, उडत कों बाँध, राडंत कों बाँध, जोगिनी कों बाँध, देव कों बाँध, तिरेसठ कला कों बाँध, चौंसठ जोगिनी कू बाँध, आकास की परी कों बाँध, धरती को बाँध, डाकिनी कों बाँध, खेचरी को बाँध, को नाटक कों बाँध, छल कों वाँध, छिद्र कों बाँध, कीया को बाँध, अपनी को बांध, पराई को बाँध, मैली को बाँध, कुचैली को बाँध, स्याह को बाँध, सफेद कों बाँध, काली को बाँध, . पीली कों बाँध, रे गढ़ गजनी महम्मदा वीर बिसर जाय मद. खाय तेरा, तीसों रोजा हलाल उलटि मार, पटकि पछाड़, कबजा चढ़ाय मुख बुलाय, शशि वाय शब्द साँचा, पिंड काचा फुरी मन्त्र ईश्वरी वाचा।" साधना एवं प्रयोग विधिनीचे दिये गये मन्त्र संख्या २ के अनुसार । चौकी चढ़ाने का मन्त्र (२) .... .... .... .... मन्त्रा-“ॐ नमो नाहरसिंह नारी का जाया, याद किया सों जल्दी आया, पाँच पान का बीड़ा मध की धार, चाल For Private And Personal Use Only Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३६ | शावर तन्त्र शास्त्र चाल नाहरसिंह कहां लगाई एती बार देसू केसर कू मुर्गा की ताज कड़ो, देसू मध की धार, आराधो आयो नहीं कहाँ लगाई एती बार । देखू नाहरसिंह वीर तेरा कोया, अमुकी का घट पिण्ड बाँध मेरे हाथ दीया, मारता का हाथ बाँध, बोलता की जीभ बाँध, झांकता का नैन बाँध, हीया बूका बकडो बकडो बाँध, बोटी बोटी बाँध, पकड़ लटी पछाड़ मार, मेरा पग तले ला पछाड़, चढ़तो देसू केसर कूकडो उतरतां देसू मध की धार, इतना दूं जब उतर जो खोल जो धोरे-धार, हमारा उतारा उतरजो, और का उतारा उतरे तो नाहरसिंह तू सही चिण्डाल शब्द साँचा, पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।" । विशेष __ उक्त मन्त्रों में जहाँ 'अमुकी' शब्द आया है, वहां साध्य के नाम का उच्चारण करना चाहिये। साधन-विधि किसी शुभ मुहूर्त से आरम्भ कर, मुर्गा की केसर एक चने के बराबर, गुगल तथा शहद मिलाकर गोली बाँधे । पूजन के समय उसे आग पर रक्खें । ५बताशे, पान का बीड़ा, नारियल, लौंग, इलायची, सुपारी तथा भोग रक्खें । फिर दीपक जलाकर उसके आगे १०८ की संख्या में मन्त्र का जाप करें। इस प्रकार नित्य सात दिनों तक मन्त्र जप करने से सिद्ध हो जाता जाता है। बाद में हर होली, दिवाली तथा ग्रहण के समय इस मन्त्र का जप करते रहना चाहिये। मसान जगाने का मन्त्र मन्त्र- 'ॐ नमो आठ काठ की लाकड़ी मूज बनी का बान, For Private And Personal Use Only Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | ३७ मूवा मुर्दा बोले नहीं तो माया महावीर की आण, शब्द सांचा, पिण्ड काँचा, फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।" साधन एवं प्रयोग विधि पीने की दारू (शराब) एक सेर, चमेली का फूल, लोबान की धूप, छाड़, छबीला, कपूर कचरी, इत्र तथा सुगन्ध इन वस्तुओं को लेकर श्मशान में जा बैठे। वहाँ श्मशान के मुर्दे के ऊपर दारू की धार छोड़े तथा धूप देकर फूल बखेर दें। फिर उससे कुछ दूर हट कर पूर्वोक्त मन्त्र को पढ़े, तदुपरान्त पुनः दारू की धार दे । श्मशान हाहाकार करता हुआ जग पड़ेगा । अदृश्य करण मन्त्र मन्त्रा - "ॐ हुँ फट् कालि कालि माँस शोणितं खादय खादय देवि मा, पश्यतु मानुषेति हुँ फट् । " साधन-विधि दीपावली अथवा होली की रात्रि अथवा ग्रहण पर्व में ३ लाख को संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है. । प्रयोग-विधि आक, सेमल, कपास, रेशम तथा कमल सूत्र - इन पांच वस्तुओं की ५ अलग-अलग बत्तियाँ बनायें, फिर उन्हें ५ मनुष्यों की खोपड़ियों में अंकोल का तेल भर कर अलग-अलग जलायें तथा उन पांचों दोपकों की लौ से काज़ल पारें । विशेष उक्त क्रिया किसी शिवालय अथवा श्मसानभूमि में करनी चाहिए | काजल पर जाने पर, पाँचों काजलों को एकत्र कर, उक्त मन्त्र से १०८ बार अभिमन्त्रित कर अपनी आँखों में आँजें तो स्वयं तो सबको देख सकगे, परन्तु अन्य लोगों की दृष्टि में अदृश्य बने को अपनी आँखों में लगाने वाला व्यक्ति अन्य देता । For Private And Personal Use Only रहेंगे अर्थात् उक्त काजल लोगों को दिखाई नहीं Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ३८ | शावर तन्त्र शास्त्र www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लहरि जगाने के मन्त्र (1) मन्त्र - " छ्व मास की परी डंककयाकी करार गराने न तेरी मछिहि काग आवत कागा चरइ भोटे पानि आपरई पीठे सवाभार विष निजवडं अपने उडीठे ॐ नमः शिव विआज्ञा आज्ञा गिद्ध उड़ड़ ऊपर ईश्वर बाहुन भय ठांवहिषंव नोना परिहाथ षंडान के परिडंक उठि ठाढि भइ जागु जागु ईश्वर डुहुरे डंकहाडं कंडा डिगौ बंजरहू लागिकाइ देहांक देत आवे नोना योगिनि डंक उठे बिहसाइते साते समुद्र े माझे षंडी कबीर ववाठे जीव धरवरो आमन्त्रि रहहि जगावं नोना योगिनि पारवती जागु परमइ शतहुहुँरे डंक ।" लहरि जगाने के मन्त्र (२) मन्त्र - " वोह परोस रात सुनु सुनु काल डंक डंक भरें तो मैं मारो सात गद सुरल पांजरराषु एकका काल महेश समन्त्र यहाँ आप कह काटे तौ मनमह चुहुकीके थुकि डारी आन के काटे तो हाथ से ॐ चुहुकार अर्धकार कनुविशनार बार छिछी विशनाहि आपु कह काटे भा आनकह काटे तौ पढि डंक पोछि देई । " पादुका - साधन मन्त्र मन्त्र – “ ॐ नमो भगवते रुद्राय हरितगदाधराय वासय त्रासय चालय चालय स्वाहा ।" साधन-विधि होली दीवाली की रात्रि अथवा ग्रहण के समय ३ लाख संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध होता है । प्रयोग-विधि कौए की आंख, हृदय और जीभ - इनके साथ मैनसिल, सिन्दूर कौंच, मालती के फूल, रूद्रजटा तथा बिदारीकन्द - इन सबको समभाग पीस कर उक्त सिद्ध मन्त्र से ३ बार अभिमन्त्रित कर अपने पाँवों पर लेप करें तो एक सहस्र योजन तक पैदल चलने की सामर्थ्य प्राप्त होती है । For Private And Personal Use Only Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आकर्षण तथा मोहन प्रयोग - - आकर्षण तथा मोहन प्रयोगों के विषय में 'आकर्षण' का अर्थ है--किसी को अपनी ओर आकर्षित करना और 'मोहन' का अर्थ है--किसी को अपने ऊपर मोहित करना । ये दोनों क्रियाएँ वशीकरण की ही अङ्गभूता हैं । अर्थात् आकर्षण एवं मोहन क्रियाओं के द्वारा साध्य-व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित एवं मोहित करके अपने वश में किया जा सकता है। प्रस्तुत प्रकरण में विभिन्न प्रकार के आकर्षण तथा मोहन सम्बन्धी प्रयोगों का उल्लेख किया गया है। स्मरणीय है कि जब किसी भी सामान्य उपाय से कोई व्यक्ति स्त्री या पुरुष, राजा या दुश्मन अपने प्रति आकर्षित न हो सकें और उस स्थिति में स्वयं को मानसिक, शारीरिक अथवा किसी अन्य प्रकार की हानि होने की सम्भावना हो, उस समय इन मन्त्रों का प्रयोग मनोभिलाषा की पूर्ति करता है। सामान्यतः इन प्रयोगों का उपयोग जीवन रक्षा, स्वार्थ-साधन अथवा विपत्ति से त्राण पाने के लिये किया जाता है । अतः जब अनिवार्य आवश्यकता अनुभव हो, तभी इन प्रयोगों का साधन करना चाहिये। किसी पर-स्त्री के प्रति इन प्रयोगों का साधन तभी करना चाहिये, जब कि उसके बिना स्वयं की प्राण-रक्षा असम्भव अनुभव होतो हो। दुराचार अथवा किसी को लज्जित करने के उद्देश्य से इन प्रयोगों का साधन वजित है। आकर्षण मन्त्र (१) मन्त्र-"ॐ आकर्षय।" For Private And Personal Use Only Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४० / शावर तन्त्र शास्त्र साधन एवं प्रयोग विधि इस मन्त्र को अर्द्धरात्रि के समय आकाश के नीचे एकान्त में खड़ा होकर १२०० की संख्या में जपने तथा साध्य-स्त्री का स्मरण करने से वह दो या तीन दिन में साधक के प्रति आकर्षित हो जाती है। आकर्षण मन्त्र (२) मन्त्र- 'ॐ नमो आदि रूपाय अमुकं आकर्षणं कुरु कुरु स्वाहा ।" विशेष उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुक' शब्द आया है, वहाँ साध्य-व्यक्ति के नाम का उच्चारण करना चाहिये। साधन विधि - ग्रहण, दीपावली अथवा होली को १०००० की संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग विधि - (१) काले धतूरे के पत्ते का रस तथा गोरोचन-इन दोनों को मिलाकर श्वेत कनेर की कलम से भोजपत्र के ऊपर उक्त मन्त्र को लिखकर उसे ख़र के अंगारों पर तपाये। इस विधि से साध्य-व्यक्ति यदि १०० योजन दूर चला गया हो तो भी वह आकर्षित होकर समीप चला आता है। अथवा(२) अनामिका अँगुली के रक्त से सफेद कनेर की कलम द्वारा भोजपत्र के ऊपर उक्त मन्त्र को साध्य-व्यक्ति के नाम सहित लिख । फिर उसके नाम से १०८ बार अभिमन्त्रित कर, भोजपत्र को शहद में डाल दे तो गया हुआ व्यक्ति आकर्षित होकर लौट आता है। अथवा(३) मनुष्य की खोपड़ी में गोरोचन तथा केसर द्वारा मन्त्र लिखकर तीनों समय खर की अग्नि में तपाने से साध्य-व्यक्ति का आकर्षण होता है। For Private And Personal Use Only Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | ४१ आकर्षण मन्त्र (३) . .. .. .....। मन्त्र- 'ॐ ह्रीं ठः ठः स्वाहा ।" साधन-विधि __ मंगलवार से प्रारम्भ कर, इस मन्त्र को १०००० की संख्या में जपना आरम्भ करें। जप पूर्ण हो जाने पर जप संख्या का दशांश होम, होम का दशांश तर्पण तथा तर्पण का दशांश ब्राह्मण भोजन करायें। प्रयोग-विधिनीचे लिखे मन्त्र संख्या ४ के अनुसार । आकर्षण मन्त्र (४) मन्त्र-"ॐ नमो भगवते रुद्राय एदृष्टि लेखि नाहरः स्वाहा दुहाई कंसासुर की जूट जूट फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा।" साधन-विधि किसी भी मंगलवार से आरम्भ कर इस मन्त्र का २१ दिन या १० दिन में अथवा ११ मंगलवारों में कुल १०००० की संख्या में जप करें । मन्त्रजप पूरा हो जाने पर, जप का दशांश होम, होम का दशांश तर्पण तथा तर्पण का दशांश ब्राह्मण भोजन कगयें। परीक्षा-विधि उक्त दोनों मन्त्रों (संख्या ३ तथा संख्या ४) की परीक्षा करने की विधि एक जैसी है, जो इस प्रकार है एक सरकण्डे को बीच में से चीर कर दो लम्बे टुकड़े करलें तथा दोनों सरकण्डों के सिरों को दो मनुष्य अपने दोनों हाथों में अलग-अलग पकड़ लें। फिर चूहे के बिल की मिट्टी, सरसों और बिनौला-इन तीनों का चूर्ण कर, उसे मन्त्र से अभिमन्त्रित करके सरकण्डों के टुकड़ों पर मारे। इस क्रिया से यदि वे दोनों टुकड़े एक दूसरे की ओर झुकते हुए आपस में मिल जाय तो समझे कि मन्त्र सिद्ध हो गया है। प्रयोग-विधि जिस व्यक्ति का आकर्षण करना हो, वह यदि परदेश में हो तो उसके पहनने के वस्त्र पर पूर्वोक्त वस्तुओं के चूर्ण को अभिमन्त्रित करके For Private And Personal Use Only Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४२ | शावर तन्त्र शास्त्र मारे तो जितने दिन का यात्रा मार्ग होगा, उतने दिनों के भीतर ही साध्यव्यक्ति आकर्षित होकर साधक के पास चला आयेगा । आकर्षण मन्त्र ( ५ ) मन्त्र- "ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रां नमः" साधन एवं प्रयोग विधि इस मन्त्र का प्रतिदिन १०००० की संख्या में जप करते हुए साध्यव्यक्ति का ध्यान करना चाहिए । नित्य १५ दिनों तक इस प्रकार साधन करते रहने से साध्य- व्यक्ति का आकर्षण होता है । स्त्री आकर्षण मन्त्र मन्त्र- "ॐ चामुण्डे तरुततु अमुकाय कर्षय आकर्षय स्वाहा । " विशेष उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुकाय' शब्द आया है, वहाँ साध्य- स्त्री के नाम का उच्चारण करना चाहिये । साधन-विधि इस मन्त्र को तीनों सन्ध्या - काल में एक-एक हजार की संख्या में २१ दिनों तक जपना चाहिये । प्रयोग-विधि (१) उत्तर दिशा की ओर मुँह करके लाल चन्दन अथवा लाख द्वारा लाल वस्त्र के ऊपर इस मन्त्र को लिखकर पूजन करें, तदुपरान्त उसे पृथ्वी में गाढ़ कर २१ दिनों तक चावल के धोवन के पानी से सींचते रहें । इस प्रयोग से मानवती वैरिणी स्त्री भी साधक के समीप खिंची चली आती है । अथवा (२) अर्जुन वृक्ष के बाँदा को आश्लेषा नक्षत्र में लाकर, बकरी के मूत्र में पीस कर, तथा उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर जिस स्त्री के मस्तक पर डाला जाय, वह आकर्षित होकर चली आती है । For Private And Personal Use Only Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | ४३ अथवा(३) काले सर्प के फन को काट कर चूर्ण करें, फिर उसे उक्त मन्त्र पढ़ते हुए अग्नि में डालें तथा उसके धुएँ की धूप अपने अंग में लें। जिस स्त्री का नाम लेकर मन्त्र पढ़ा जायेगा, वह आकर्षित होकर समीप चली आयेगी। सर्व मोहिनी मन्त्र (१) मन्त्र-"पद्मनी अंजन मेरा नाम, इस नगरी में पैस कै मोहूं सयरा गाम, न्याव करन्ता राजा मोहूं, फरस बैठा पंच मोहूं, पनघट की पनिहार मोहूं, इस नगरी में पैस के छत्तीस पवन मोहूं; जो कोई मार मार करन्त.आवै, ताहै नाहरसिंह वीर बायां पग के अँगूठा तरे घेर घेर लावे, मेरी भक्ति, गुरू को शक्ति, फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा, सत्तनाम आदेस गुरू का।" साधन विधि सात शनि, रविवार को रात्रि के समय नाहरसिंह का विधि पूर्वक पूजन करे। दोप, धूप, चन्दन, पुष्प, रोली, चावल, गूगल, पान, सुपारी तथा लौंग से १०८ मन्त्र जपे । प्रत्येक मन्त्र के साथ पान, सुपारी, शक्कर तथा गूगल को घृत में सान कर अग्नि में होम करता जाय तथा ब्रह्मचर्य से रहे। इस विधि में मन्त्र सिद्ध हो जायेगा। प्रयोग-विधि - वन कपास की रुई में औंगा (अपामार्ग) की जड़ लपेट कर बत्ती बनाये और उससे काजल पारे । उस काजल को ७ बार मन्त्र द्वारा अभिमन्त्रित कर अपनी आँखों में आँज कर जिस स्थान पर अथवा गाँव में जाये, वहाँ के सब स्त्री, पुरुष, बालक, वृद्ध, युवा वशीभूत हों और सेवा में लगे रहे । पण्डितों के लिए इस अंजन का प्रयोग श्रेष्ठ माना गया है। सर्व ग्राम मोहिनी मन्त्र मन्त्र-"जती हनुमन्त कनेरी मेरे घट पिण्ड का कौन है वैरी छत्तीस पवन मोहि मोहि जोहि जोहि दह दह मेरो भक्ति For Private And Personal Use Only Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४ | शावर तन्त्र शास्त्र गुरू की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा सत्त नाम आदेस गुरू का।" साधन-विधि पहले शनिवार से आरम्भ करके ६ दिन तक हनुमान जी का धूप, दीप, नैवेद्य से पूजन करके नित्य १४४ की संख्या में जप करने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि चौराहे से ७ ककड़ी लाकर, पनघट के कुएँ पर जाकर उन कंकड़ियों को मन्त्र द्वारा १४४ बार अभिमन्त्रित करके उसी कुएँ में डाल दें। फलतः उस कुएँ का पानी जो भी पियेगा, वह साधक के प्रति मोहित एवं वशीभूत बना रहेगा। सभा मोहिनी सुर्मा मन्त्र-"कालू मुख धोयो करू सलाम मेरी आँखों में सुर्मा बसे जो देखे सो पायन पड़े दुहाई गौसुल आजमदस्तगीर को साधन-विधि सवा लाख गेहूं के दानों पर इस मन्त्र को पढ़े। प्रत्येक दाने पर एकएक मन्त्र पढ़ना चाहिए। फिर उनका आटा पिसवा कर, कढ़ाई में धीशक्कर मिलाकर, हलुआ बनायें तथा गोसुल आजमदस्तगीर की नियाज दिलाकर, उस हलवे को स्वयं हो खाकर तथा सुर्मे को उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर अपनी आँखों में आंज कर राज-दरबार अथवा किसी सभा आदि में पहुंचे तो देखते ही वहाँ के सब लोग मोहित हो जाय। मोहिनी मन्त्र मन्त्र-“ॐ नमो आदेस गुरू का मोहनी जगमोहनी मोहनी मेरो नाम । ऊँचे टीले हूं बसू मोहूं सगरो गाम । ठग मोहूं, ठाकुर मौहूं, बाट का बटोही मोहूं, कुवा की पनिहार For Private And Personal Use Only Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | ४५ मोहूं, महला बैठी राणी मोहं, जोहि-जोहि वां वां पग तरे देहु गुरू की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।" साधन-विधि दीपावली की रात को दीपक के सामने धूप देकर मिठाई रक्खें तथा १४४ बार मन्त्र को पढ़े तो यह सिद्ध हो अथवा रविवार से आरम्भ करके प्रतिदिन २१ बार, २१ दिनों तक मन्त्र का जप करे तो भी सिद्ध हो। प्रयोग विधि पहले चौराहे की रेत पर सात बार मन्त्र पढ़कर, उससे अपने मस्तक पर बिन्दी लगाये, फिर एक गुड़ की डेली पर २१ बार मन्त्र पढ़े तथा जिसे मोहित करना हो, उसका नाम लेकर, गुड़ की डेली को कुएं में डाल दें तो जब वह व्यक्ति उस कुएँ का पानी पियेगा, तब वह तुरन्त ही साधक के प्रति मोहित तथा आकर्षित हो जायेगा। स्त्री मोहिनी मन्त्र (१) मन्त्र-"धूली धूलेश्वरी धूली माता परमेश्वरी धूली चंचती जै जैकार दनरन चौंप भरे अमुकी छाती छार छार ते न हट देतां घर वार मरे तो मसान लोटे जीवे तो पांउ पलोठे वाचा बाँध सूती हो तो जगाइ लाव माता धूलेश्वरी तेरी शक्ति मेरी भक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ठः ठः ठः स्वाहा ।" विशेष---- इस मन्त्र में जहाँ 'अमुकी' शब्द आया है, वहाँ साध्य-स्त्री के नाम का उच्चारण करना चाहिए। साधन एवं प्रयोग विधि रविवार के दिन जो मरा हो, उसकी चिता से ३ मुट्ठी राख लाकर पहले शनिवार से आरम्भ करके ७ दिन तक नित्य १४४ की संख्या में उक्त मन्त्र का जप करें तथा धूप, दीप, नैवेद्य रक्खें। श्मशान की राख पर For Private And Personal Use Only Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४६ | शावर तन्त्र शास्त्र दीपक रक्खें तथा उसी राख में से थोड़ी सी लेकर, उसे मन्त्र द्वारा २१ बार अभिमन्त्रित करके जिस साध्य-स्त्री पर डाला जायगा, वह मोहित होकर साधक के पास चली आयेगी। . इस प्रयोग की परीक्षा. भैंस पर कर लेनी चाहिए। अभिमन्त्रित राख भैंस पर डालने से वह साधक के पीछे-पीछे चल देगी। स्त्री मोहिनी तन्त्र (२) मन्त्र-"अल्लाह बीच हथेली के मुहम्मद बीच कपार, उसका __ नाम मोहनी मोहे जग संसार, मुझे करे मार मार, उसे मेरे बांये कदम तले डार, जो न माने मुहम्मद की आन, उस पर बज्र की वाण, बहक्क लाइलाइ अल्ला है मुहम्मद मेरा रसूलिल्लाह ।" साधन एवं प्रयोग विधि शनिवार के दिन घी का दीपक जला कर उसके आगे फूल, मिठाई रख कर लोबान की धूनी दे तथा १०१ बार मन्त्र पढ़े। दूसरे शनिवार को फिर साध्य स्त्री के पाँव के नीचे मिट्टी पर ७ बार मन्त्र पढ़कर, उसके ऊपर डाल दे तो वह साधक के प्रति मोहित होकर वशीभूत हो जाय । ___ सर्व मोहिनी मन्त्र (२) मन्त्र-(५) "ॐ साखाहूली वन में फूली बैठी करै सिंगार, राजा मोहे प्रजा मोहे सबने करे सियार, मेरी भक्ति गुरू . की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।" साधन-विधि __ शनिवार के दिन वन में जाकर चावल, शक्कर चढ़ाकर तथा यूप देकर शंखाहुली को न्योत आवे । फिर रविवार को प्रातः काल पुनः उसके पास जाकर सर्वप्रथम उसे जल से स्नान कराये, फिर चावल तथा फूल चढ़ा, धूप दें, घी का दीपक जलाकर, गुड़ का भोग उसके आगे रवखें । तत्पश्चात् १२१ बार मन्त्र पढ़ कर, उसे फूल समेत उखाड़ कर घर ले आये। For Private And Personal Use Only Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | ४७ फिर गोरोचन, साँप को केंचुल तथा संखाहूली-इन तीनों को पीस कर २१ दिन तक रात्रि के समय नित्य १२१ की संख्या में मन्त्र का जप करे तो वह सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि आवश्यकता के समय अभिमन्त्रित शंखाहूली को अपनी पगड़ी में रखकर राजसभा में जाये तो वहाँ पहुंचते ही राजा तथा सारी सभा मोहित होकर वश में हो जाय । सर्व मोहिनी मन्त्र (३) मन्त्र-"ॐ साखाहूली वन में फूली ईश्वर देख गवरजा भूली जो याकों सिर पर धरे राजा प्रजा वाके चरणों पड़े मेरी भक्ति गुरू की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा।" साधन एवं प्रयोग-विधि मन्त्र संख्या १ के अनुसार । मन्त्र-(३) "ॐ नमो आदेस गुरू को ॐ साखाहूली वन में फूली ईश्वर देख गवरजा भूलो आव आव राजा प्रजा पाव पड़ाव मंगल मोहन वसकरन मोहन मेरो नाम दे मोहन फलाना के अन्त शव सों मंग महेसुर गाँव चल मोहनी राऊल चल जलती आग बुझाक्त चली तीन खेत आगे मोह तीन खेत पाछै मोह तीन खेत उत्तर मोह तीन खेत दक्षिण मोह आवते की दृष्टि मोह दर मोह दीवान मोह गाँव का मुकद्दम मोह काजी का कुरान मोह हे तू नरसिंह वीर हमारा काज न करे तो अपनी माँ का दूध पीया हराम करे ठः ठः ठः ठः ठः स्वाहा ।" साधन-विधि शनिवार के दिन वन में जाकर शंखाहूली को न्योत आवे, फिर For Private And Personal Use Only Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४८ शावर तन्त्र शास्त्र रविवार को प्रातः काल वहाँ पुनः जाकर उसका मन्त्र संख्या १ में वर्णित विधि के अनुसार पूजन करे तथा २१ बार मन्त्र पढ़कर उसे उखाड़ कर घर ले आये। रात्रि के समय दीपक जलाकर नृसिंह का आवाहन करे तथा २. पेड़ा एवं पान के बीड़े का भोग रख कर, चावल, घृत शक्कर पर १२१ बार मन्त्र पढ़कर उन्हें अग्नि में होम करे तथा कपूर से आरती करे तो मन्त्र सिद्ध हो जाता है। रविवार के दिन व्रत रक्खे । फिर शंखाहली का पीस कर उसकी गोली बना ले तथा गोली को अपनी पगड़ी में रखकर राजदरबार में जाय तो राजा, प्रजा और सारी सभा अत्यन्त प्रसन्न हो । सम्पूर्ण सभा उसे पिता के समान आदर दे। यदि उक्त अभिमन्त्रित शंखाहूली की गोली को मिठाई में रख कर, किसी स्त्री को खिला दे तो वह मोहित तथा वशीभूत हो। यदि अभिमन्त्रित. शंखाहूली की गोली को पानी में घिस कर, किसी स्त्री-पुरुष के. माथे पर उसकी बिन्दी लगा दें तो वह भी मोहित हो जाता है तथा मनोभिलाषा की पूर्ति करता है। फूल मोहिनी मन्त्र (१) मन्त्र-"ॐ नमो आदेस गुरू को एक फूल फूल भर दोना, चौंसठ जोगनी ने मिल किया टौना, फूल फूल वह फूल न जानी, हनुवन्त वीर घेर घेर दे आनी, जो सू घे इस फूल की बास, उसका जी प्राण रहे हमारे पास, सूती हो तो जगाइ लाव, बैठी हो तो उठाइ लाव, औरे देखे जरे, बरे, मोहे देख मेरे • पायन परे, मेरी भक्ति गुरू की शक्ति फुरोमंत्र ईश्वरोवाचा वाचावाची से टरे कुम्भी नरक में परे।" साधन-विधि शनिवार से आरम्भ करके २१ दिन तक विधि पूर्वक दीपक का पूजन कर नित्य १४४ की संख्या में मन्त्र का जप करें तो सिद्ध हो। For Private And Personal Use Only Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | ४६ साधन-विधि सोमवार के दिन इस मन्त्र को किसी फूल पर २१ बार फूक कर, उसे जिसे भी सुघावे, वह मन-प्राण से मोहित तथा वशीभूत हो। फूल मोहिनी मन्त्र (२) मन्त्र-'कामरूदेस कामाख्या देवी, जहाँ बसे इस्माइल जोगी, इस्माइल जोगी ने बोई बारी, कूल उतारे लोना चमारी, एक फूल हसे, दूजा फूल बिगसे, तीजे फूल में छोटा बड़ा · नाहरसिंह बसे, जो सूघे इस फूल की बास, सो आवे हमारे पास, और के पास जाय, हियो काट मर जाय, मेरी भक्ति गुरू की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।" साधन एवं प्रयोग-विधि रविवार को स्नान करके लौंग, सुपारी, पान, फूल, मिठाई ले, दीपक जला, धूप-गन्ध करके एक पुष्प को घृत में सान कर, उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर अग्नि में होम दे । इसी प्रकार १०६ फूलों की आहुतियाँ दे। ब्रह्मचर्य से रहे। २१ दिन तक इसी प्रक्रिया को दुहराता रहे तो मन्त्र सिद्ध हो । बाईसवें दिन ब्राह्मणों को भोजन कराके दक्षिणा दे, तदुपरान्त सुगंधित पुष्प को ७ वार इसी मन्त्र से अभिमन्त्रित करके जिसे सुघाया जायेगा । वह मोहित होकर पास चला आयेगा। लाल कनेर फूल का मोहिनी मन्त्र मन्त्र-“ॐ मूठो माता गूठी रानी गूठी लगावे आग, अमुका के चटक लगाव, बेधड़क कलह मचावें, मुख न बोले, सुख न सोवे, कहत मंत्र उठाय मार्यो उरझ, ज्यों काचा सूत की आटी उरझ, अब देखू नाहरसिंह वीर तेरे मन्त्र की शक्ति, शब्द साचा पिण्ड काचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा।" For Private And Personal Use Only Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५० शावर तन्त्र शास्त्र विशेष इस मन्त्र में जहाँ 'अमुका' शब्द आया है, वहाँ साध्य-स्त्री के नाम का उच्चारण करें। साधन-विधि - शनिवार के दिन लाल कनेर की डाली के लाल रंग का डोरा बाँध कर, उसे न्यौत आवे। रविवार को प्रातः काल उसी डाली को तोड़ लावे तथा रात्रि के समय विधि पूर्वक दीपक के आगे रख कर १२१ बार मन्त्र का जप करें। २१ दिन तक नित्य इतनी ही सख्या में जप करते रहने से मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि सिद्ध मन्त्र द्वारा लाल कनेर के फूल को २१ बार अभिमन्त्रित करके जिसे दिया .जायेगा, वह अवश्य हो मोहित होकर, साधक के पास चला आयेगा। चम्पा फूल का मोहिनी मन्त्र मन्त्र-"कामरू देस कामाख्या देवी, जहाँ बसे इसमाइल जोगी इसमाइल जोगी ने लगाई बारी, फूल चुने लोना चमारी, फूल राता फूल माता, फूल हांसा फूल बिगसा, तहाँ बसे चम्पा का पेड़, चम्पा के पेड़ में रहे काल भैरू, भूत प्रेत मरे मसान पै आवें, किसके काम ये आवें, टोना टामन के काम, भेजू काल भैरू को लावे मुशकें बाँध, बैठी हो तो वेगी लाव, सोती हो तो उठा लाव, वह सोबे राजा के महलों प्रजा के महलों मुझ से होनी राणी फूल दूं उसी के हाथ, वह उठ लागे मेरे साथ, हमको छाँड़ि पर घर जाय, छाती फार वहीं मर जाय, मेरी भक्ति गुरू की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा, वाचा चूके उमा हसूके, लोना चमारी बहरे जोगी के कूड में पड़े वाचा छोड़ कुवाचा जाय, तो नरक में पड़े जाय ।" For Private And Personal Use Only Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | ५१ साधन-विधि शनिवार के दिन चम्पा के पेड को न्यौत आवे और उसकी डाली में लाल कलावे का डोरा बाँध आवे । रविवार को प्रातः काल उसी डाली को ७ बार मन्त्र पढ़कर तथा गूगल की धूनी एवं धूप देकर तोड़कर घर ले आवे । रात्रि के समय दीपक जला कर उसके सामने फूल की डाली को रक्खे तथा भैरों का पूजन कर २१ बार में २१ मन्त्र जपे। इक्कीस दिन तक नित्य इतनी ही संख्या में जप करते रहने पर मन्त्र सिद्ध हो। भोग में शराब तथा उड़द के बड़े, तेल, गुड़ तथा दही रक्खें। प्रयोग विधि-- चम्पा के फूल को उक्त मन्त्र से ७ बार अभिमन्त्रित करके, जिसे सुघाया जायेगा. भैरों उसे लाकर साधक के सम्मुख हाजिर कर देंगे। सुपारी मोहिनी मन्त्र (१) मन्त्र-"खरी सुपारी टामनगारी, राजा प्रजा खरी पियारी, मन्त्र पढ़ लगाऊँ तो रही या कलेजा लावे तोड़, जीवत चाटे . पगथली मूवे सेवे मसान, या शब्द की मारी न लावे तो जती हनुमन्त की आज्ञा न माने, शब्द सांचा पिण्ड काचा, फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा।" साधन एवं प्रयोग विधि: .७ सुपारी लेकर उन पर १०८ बार मन्त्र पढ़ कर २१ दिन में सिद्ध करले। अथवा सूर्य ग्रहण के दिन केवल १०८ बार मन्त्र पढ़ कर सुपारी को सिद्ध करले । यह सुपारी जिसे खिलाई जायेगी, वही मोहित होकर वश में हो जायेगा। सुपारी मोहिनी मन्त्र (२) मन्त्र-“ॐ देव नमो हरय ठं ठं स्वाहा ।" साधन विधि पूर्व मन्त्र के अनुसार। For Private And Personal Use Only Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५२ / शावर तन्त्र शास्त्र प्रयोग-विधि इस मन्त्र द्वारा १०८ बार अभिमन्त्रित सुपारी जिसे खिलावे वह मोहित हो। सुपारी मोहिनी मन्त्र (३) मन्त्र-“पीर मे नाथ पीर तू नाथ जिसे खिलाऊँ तिसे बस करना, फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा।" साधन-विधि सूर्य-ग्रहण के समय नाभि पर्यन्त नदी के जल में खड़े होकर ७ सुपारियों को ७ बार मन्त्र से अभिमन्त्रित करके निगल जाँय। जब शौच के समय वे पेट के बाहर निकले, तब उन्हें पहले जल से, फिर गाय के दूध से धोकर ७ बार मन्त्र पढ़ कर अभिमन्त्रित करें तथा गुगल की धूनी देकर रखलें। प्रयोग-विधि उक्त सुपारी को मन्त्र से ७ बार अभिमन्त्रित करके जिसे, खिला दिया जायेगा, वह स्त्री-पुरुष कोई भी क्यों न हो, मोहित होकर, वशीभूत हो जायेगा। लौंग मोहिनी मन्त्र मन्त्र-"ॐ सत्त नाम आदेस गुरु को लौंगा लौंगा मेरा भाई इन ही लौंगा ने शक्ति चलाई, पहली लौंग राती माती, दूजी लौंग जीवन माती, तीजी लौंग अंग मरोड़े, चौथी लौंग दोऊ कर जोड़, चारों लौंग जो मेरी खाय, फलाना के पास सों फलाना कने आ जाय, मेरी भक्ति गुरू की शक्ति, फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा।" साधन एवं प्रयोग-विधि शनिवार से आरम्भ करके, रात्रि के समय दीपक का पूजन कर २१ बार मन्त्र को परे । २२ दिन तक नित्य इसी संख्या में जप करने से मन्त्र For Private And Personal Use Only Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org कावर तन्त्र शास्त्र | ५३ सिद्ध हो जाता है । फिर ४ लौंग को ७ बार मन्त्र पढ़कर अभिमन्त्रित कर, जिसे खिला देंगे, वह मोहित होकर हाजिर होगा । विशेष उक्त मन्त्र में जहाँ " फलाना के पास सों फलाना कने" शब्द आया है, वहाँ स्त्री जिस पुरुष के पास रहती हो पहले उसके नाम का और बाद में अपने नाम का उच्चारण करना चाहिए । तेल मोहिनी मन्त्र (1) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मन्त्र- "ॐ मोहना राणी मोहना राणी चली सैर को, सिर पर धरे तेल की दोहनी, जल मोहूं थल मोहूं मोहूं सब संसार, मोहना राणी पलंग चढ़ बैठी मोह रहा दरबार, मेरी भक्ति गुरू की भक्ति दुहाई गौरा पारवती की, दुहाई बजरंगवली की ।" साधन-विधि इत्र, मिठाई, दीपक तथा लोबान लेकर, दीपावली की रात्रि में २२ माला जपने से मन्त्र सिद्ध हो जाता है । प्रयोग-विधि उक्त सिद्ध मन्त्र से ७ बार अभिमन्त्रित-तल की बिन्दी अपने मस्तक पर लगा कर राज दरबार में जाने से वहाँ उपस्थित सब लोग मोहित हो जाते हैं । यदि ७ बार अभिमन्त्रित तैल को साध्य-स्त्री के अंग से लगा दिया जाय तो वह मोहित होकर, साधक के वश में हो जाती है । तेल मोहिनी मन्त्र (२) साधन एवं प्रयोग विधि- मन्त्र – “ ॐ नमो भोहना राणी पलंग चढ़ बैठी मोह रहा दरबार, मेरी अति गुरु की शक्ति दुहाई लोना चमारी की दुहाई गौरा पार्वती की दुहाई बजरंगबली की ।" मन्त्र संख्या १ के अनुसार । For Private And Personal Use Only Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५४ | शावर तन्त्र शास्त्र मिठाई मोहिनी मन्त्र मन्त्र-"जल मोहूं थल मोहूं, जंगल की हिरणी मोहूं, बाट चलत बटोही मोहूँ, कचेहरी बैठा राजा मोहूं, पीढ़ी बैठी रानी मोहूं, मोहनी मैरा नाम, मोहूं जग संसार, तरा तरीला तोतला तीनों बसें कपाल, दस्तक दे दी मात के दुश्मन करूं पामाल, मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मन्त्र इश्वरोवाचा।" साधन-विधि शनिवार से आरम्भ करके ११ दिन तक नित्य १४४ बार मन्त्र का जप करे तथा मन्त्र पढ़-पढ़ कर अग्नि में गूगल का होम करे। दीपक पर बतासे तथा फल चढ़ाये तो मन्त्र सिद्ध हो । प्रयोग-विधि मिठाई को २१ बार मन्त्र से अभिमन्त्रित कर जिसे खिलाये, वह मोहित होकर वशीभूत हो। गुड़ मोहिनी मन्त्र (१) मन्त्र-“ॐ नमो आदेश गुरु को गूगल की धूप' को धूवां धार, देखू पलमा तेरो शक्ति, तेरस रात्रि को टूटा तारा, ऐसा टूटे भैरों बाबा का मन गाये, गुड़ मन्त्र पढ़ उसको दे, घर में चक्क न बाहर चक्क, फिर फिर देखे मेरा मुख, जीव न सेवे जीव को मूवे सेवे मसाण, हम से आकुल व्याकुल हो तो जती हनुमन्त की आन, हमें छोड़ और के पास जाय, पेडू फाट तुरत मर जाय, सत्यनाम आदेस गुरु को।" साधन-विधि शनिवार से आरम्भ करके ७ शनिवार में प्रतिदिन १२५ बार मन्त्र का जप करे तथा भोग में शराब, लपसी, कलेजी धरे तो मन्त्र सिद्ध हो जाता है। For Private And Personal Use Only Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | ५५ प्रयोग-विधि उक्त सिद्ध मन्त्र से गुड़ को ७ बार अभिमन्त्रित करके जिसे खिलादे, वह मोहित होकर सेवा में हाजिर हो जाता है। गुड़ मोहिनी मन्त्र (२) मन्त्र-“ॐ नमो आदेस गुरू को या गुड़ राती, या गुड़ माती या गुड़ आवै पायां पड़ती, जो माँगू श्योजन पाऊँ, सूती तिरिया जगायर ल्याऊँ, चलिरे आगिया बेताल, फलानी के पेट चलावे झाल, रात्रि को चैन न दिन को सुख, फिर. फिर जोवे हमारा मुख, जै मकड़ी मकड़ी सैट ले, सींस फाट दो टूक हो पड़े, काला कलुआ काली रात, कलुआ चाला आधी रात, चाल चाल रे काला कलुआ, सोधन चाटे, हमारा तलुआ, आक के पान बसे कवारी, धन जोवन सों खरो पियारी, रेतरगत गुड़ करे गिरास, अमुकी आवे फलाना पास, हनुवत जती की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा।" साधन एवं प्रयोग विधि - २ टंक (तोला) गुड़ लेकर उसमें अपनी अनामिका अँगुलो का रक्त मिला दे । फिर उस पर २१ बार मन्त्र पढ़ कर, साध्य-स्त्री को खिला दे तो वह मोहित होकर वशीभूत हो जायेगी । यदि स्त्री को खिला न सके तो गुड़ को कुएँ में डाल दे तो उसका पानी पीने पर वह वश में होगी। विशेष इस मन्त्र में जहाँ "अमुकी आवे फलाना पास" वाक्य है, वहाँ साध्यस्त्री तथा पुरुष के नाम का उच्चारण करना चाहिए। For Private And Personal Use Only Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५६ | शावर तन्त्र शास्त्र मोहिनी पुतली वशीकरण मन्त्र मन्त्र-“बाँधू इन्दु बांधू तारा, बाँधू बिन्दु लोही की धारा, उठे इन्दन घाले घाव, सूक साक पूणी हों जाइ, वण ऊपर लोंका कड़ो हीया लपर लो सूत, मैं तो बन्धन बंधियों सासू ससुर जाया पूत, मन बाँधू तन बाँधू बाँधू विद्या देसू साथ चार कूट जों फिर आवे तो फलानी फलाना के साथ गुरु गुरे स्वाहा ।" विशेष-- इस मन्त्र में जहाँ "फलानी फलाना के साथ" लिखा है, वहाँ साध्यस्त्री तथा साध्य-पुरुष के नाम का उच्चारण करना चाहिए। साधन-विधि शनिवार से आरम्भ कर, २१ दिन तक रात्रि के समय स्वच्छ स्थान में पवित्र होकर एक पुतली बनाकर उसका विधि पूर्वक पूजन करे तथा गूगल की धूनी देकर २१ बार मन्त्र का जप करे तो यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है । जप की अवधि में प्रत्येक शनिवार को सवा पाव लपसी का भोग रखना चाहिए तथा अन्य दिनों में ५ बताशों का भोग लगाना चाहिए। प्रयोग-विधि __ शनिवार के दिन एक पुतली बनाकर उसके पेट में स्त्री का नाम लिखे । फिर पुतली के ऊपर १०८ बार मन्त्र पढ़ कर फूके । पुतली के चारों ओर जिन वर्णों को लिखा जायेगा, उनका स्वरूप आगे दिये गये चित्र में प्रदशित है । इसी के अनुसार पुतली का चित्र बनाना चाहिए। पूतली के तयार हो जाने पर, उसे स्त्री को दिखाकर अपनी छाती से लगा ले तो साध्य-स्त्री बेचैन तथा मोहित होकर साधक के कदमों में आकर हाजिर हो जायेगी। For Private And Personal Use Only Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तात्र शास्त्र | ५७ मयंग्लंकर ॐनमः सिंह अंआंई जतंषंधन जं अटं ठंड 5 * सरओ गुरगुरं स्वाहा - - ओ औ अं अःहीही नामाकरवगंस ही ही ही मिली कली स्त्री (मोहिनी पुतली वशीकरण) For Private And Personal Use Only Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वशीकरण-प्रयोग वशीकरण के विषय में _ 'वशीकरण' का अर्थ है-किसी व्यक्ति अथवा प्राणी को अपने वश में करना । स्व-वशीभूत किये गये प्राणी से इच्छित कार्य सम्पन्न कराया जा सकता है। इस प्रकरण में विविध प्रकार के वशीकरण मन्त्र प्रस्तुत किए जा रहे हैं। वशीकरण मन्त्रों का प्रयोग अधिकतर किसी स्त्री अथवा पुरुष को वश में करने के लिए किया जाता है। इनके अतिरिक्त कभी-कभी वेश्या, शत्र, राजा, राज-कर्मचारी आदि को वशीभूत करने की आवश्यकता भी पड़ती है। न्यायालय में चल रहे किसी विवाद के समय जब यह अनभव हो कि राजा अथवा न्यायाधीश विरोध पक्ष से सहमत होकर दण्ड देने पर उतारू है-उस समय राजा अथवा राज-कर्मचारी विषयक वशीकरणसाधनों का प्रयोग स्व-पक्ष के लिए हितकर सिद्ध होता है। इसी प्रकार जब यह अनुभव हो कि कोई शत्र, स्त्री, पुरुष अथवा वेश्या अपने से प्रतिकूल होकर हानि पहुंचा सकते हैं। तो भी वशीकरण मन्त्रों का प्रयोग करना उचित रहता है। __ पति के विमुख होने पर पति-वशीकरण एवं स्त्री के विमुख होने पर स्त्री-वशीकरण सम्बन्धी प्रयोगों का साधन करना चाहिए। किसी कुमारी कन्या अथवा पर-स्त्री को वशीभूत करने के लिए वशीकरण मन्त्रों का प्रयोग तब तक वजित माना गया है, जब तक कि वैसा करना अपने व्यापक-हित के लिए नितान्त ही आवश्यक अनुभव न हो। वशीकरण प्रयोग (१) इस प्रयोग की सिद्धि आगे लिखे अनुसार की जाती है। सर्व प्रथम अग्रलिखित विनियोग वाक्य का उच्चारण करें For Private And Personal Use Only Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | ५६ विनियोग-ॐ अस्य श्री वामदेवमन्त्रस्य सम्मोहन ऋषिः । गायत्री छन्दः । श्री कामदेव देवता अमुकवश्यार्थे जपे विनियोगः ।" टिप्पणी इस विनियोग-वाक्य में जहाँ 'अमुक' शब्द आया है, वहाँ साध्यव्यक्ति के नाम का उच्चारण करना चाहिये । जैसे-रामलाल नामक किसी पुरुष को वश में करना है तो 'रामलाल वश्यार्थे अथवा मालतीदेवी नामक किसी स्त्री को वश में करना है तो 'मालती देवी वश्यार्थे' आदि उच्चारण करना चाहिए। इसके पश्चात् निम्न मन्त्रों का उच्चारण करते हुए ‘अङ्गन्यास' करें। "कां. हृदयाय नमः। की शिरसे स्वाहा । कू शिखायै वौषट् कामदेवो देवता अस्त्राय कट् ।" फिर निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए कामदेव देवता का ध्यान करें। जपारुणं रक्तविभूषणाढ्यं, मीनध्वजं चारुकृताङ्गरागम् । कराम्बुजरंकुशमिक्ष चापं पुष्पास्त्रपाशौ दधतं नमामिः।" ध्यानोपरान्त निम्नलिखित मन्त्र का ५००० की संख्या में जप करें "ॐ कामदेवाय सर्वजन प्रियाय सर्व जन सम्मोहनाय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल सर्वजनस्य हृदयं मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा ।" प्रयोग-विधि मन्त्र-जप पूर्ण हो जाने पर कनेर के लाल पुष्पों पर चमेली का इत्र लगाकर दशांश अर्थात् ५०० की संख्या में होम करें। For Private And Personal Use Only Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६० / शावर तन्त्र शास्त्र फिर वटुक के निमित्त किसी कुमार (बालक) को भोजन करायें तथा उक्त मन्त्र द्वारा चन्दन को १०८ बार अभिमन्त्रित करके, उसका तिलक कुमार के मस्तक (ललाट) पर लगायें। तत्पश्चात् जिस व्यक्ति को वश में करना हो, उसका ध्यान करते हुए बटुक (बालक) से संभाषण (वार्तालाप) करें तो वह अवश्य वशीभूत हो जाएगा। वशीकरण प्रयोग (२) मन्त्र-"ॐ मोंडो।" साधन एवं प्रयोग-विधि इस मन्त्र का बिना भोजन किये ही ५०० बार जप करें। जिस व्यक्ति को वशीभूत करने की इच्छा से इस मन्त्र का जप किया जाता है, वह साधक के वशीभूत हो जाता है। वशीकरण प्रयोग (३) मन्त्र- 'ॐ ह्रीं मोहिनी स्वाहा ।' साधन एवं प्रयोग विधि यह मन्त्र १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध हो जाता है । मन्त्र के सिद्ध हो जाने पर जल, पुष्प, वस्त्र अथवा किसी उत्तम फल को इस सिद्ध मन्त्र से १०८ बार अभिमन्त्रित करके जिस व्यक्ति के हाथ में दे दिया जाता है, वह साधक के वशीभूत हो जाता है। वशीकरण प्रयोग (४) . .... .... .... मन्त्र-“चामुण्डे ज़ुभ मोहये वशमानय स्वाहा।" यह वशीकरण हेतु चामुण्डा का मन्त्रा है। मन्त्र का जप करने से पूर्व निम्नानुसार चामुण्डा देवी का ध्यान करना चाहिए--- ध्यान मन्त्र-“दंष्ट्राकोटिविशंकटा सुवदना सान्द्रान्धकारे स्थिता। खटांगासित मूढदेच्छित करा वामेशया संशिरः॥ For Private And Personal Use Only Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org श्यामा पिङ्गल मूर्धजा भयकरा शार्दूल चर्माम्बरा । चामुण्डाशववाहिनी जप विधौ ध्येयो सदा साधकैः ॥" साधन-विधि उक्त प्रकार से ध्यान करने के उपरान्त पूर्वोक्त मन्त्र का १००००० की संख्या में जप करें, फिर जप का दशांश अर्थात् १०००० की संख्या में पलाश के पुष्पों से होम करें। होम करते समय एक-एक पुष्प को सात-सात बार अभिमन्त्रित करते हुए होम करना चाहिये । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रयोग विधि होम करते समय जिस व्यक्ति को वश में करना हो, उसका ध्यान करने से सिद्धि प्राप्त होती है अर्थात् वह व्यक्ति साधक के वशीभूत हो जाता है । वशीकरण प्रयोग (५) ---AD वशीकरण हेतु कामेश्वर मन्त्र की प्रयोग विधि इस प्रकार हैमन्त्र - "कामदेवामुकीमानय मम पदं वशं च ।” सानन्दभालिङ्गितः । प्रत्यालीढपदो जपानिभतनु शावर तन्त्र शास्त्र | ६१ यह कामेश्वर मन्त्र है । इसका जप करने से पूर्व सर्व प्रथम निम्नानुसार ध्यान करना चाहिए ध्यान - " आकर्णाञ्चितकार्मुको हर पदे धुन्वन् हरं सायकैर्भानोमेण्डलमध्यगो दयितया भग्नः परेतासनः, कन्दर्पो जयकर्मणि प्रतिदिनं ध्येयो नरैरीट्टशः || ” For Private And Personal Use Only Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६२ / शावर तन्त्र शास्त्र साधन-विधि ध्यानोपरान्त पूर्वोक्त मन्त्र का पहले शुद्ध भाव से ५००० की संख्या में जप करें, तदुपरान्त ५०० की संख्या में पलाश के पुष्प तथा कदम्बक के फलों से दशांश होम करें। पान, फूल अथवा अन्य सुगन्धित वस्तुओं का भी होम करना चाहिए। प्रयोग-विधि उक्त प्रयोग को सात बार करने से साध्य-स्त्री वशीभूत होती है। टिप्पणी मन्त्र में जहाँ 'अमुकी' शब्द आया है, वहाँ साध्य-स्त्री के नाम का उच्चारण करना चाहिए । जैसे-साध्य-स्त्री का नाम 'मालती' हो तो ___कामदेवा मालती मानय मम पद वशं च" इस प्रकार मन्त्रोच्चारण करना चाहिए। विशेष उक्त प्रयोग में शिव मन्दिर, चौराहे के मध्य भाग, नदी के तट अथवा श्मसान भूमि-इनमें से किसी एक स्थान में बैठकर मन्त्र-जप करने से सब कार्य सिद्ध होते हैं । यह प्रयोग वशीकरण के अतिरिक्त आकर्षण एवं मोहन का कार्य भी करता है। कहा गया है कि यदि इस मन्त्र को भली प्रकार सिद्ध कर लिया जाय तो वाक्-सिद्धि तक हो जाती है। भूत-वशीकरण मन्त्र मन्त्र--"ॐ श्री वं वं भू भूतेश्वरी मम वश्यं कुरु कुरु . स्वाहा ।" साधन-विधि मूल नक्षत्र से आरम्भ करके शौच के बचे हुए जल को बबूल के पेड़ की जड़ में डालकर, उक्त मन्त्र का १०८ बार जप करें। इस क्रिया को ४० दिनों तक निरन्तर करते रहें तो इकतालीसवें दिन भूत सामने प्रकट होकर पानी की माँग करेगा। उस समय उसमें तीन वचन लेकर यह कहें कि याद किये जाने पर वह तुरन्त काम करने के लिए हाजिर हो जाया करेगा । जब वह वचन दे दे, तब उसे पानी दे दें। तत्पश्चात् जब तक उसे पूर्वोक्त विधि से पानी मिलता रहेगा, तब तक वह साधक की सेवा में बना रहेगा । भूत के For Private And Personal Use Only Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | ६३ सामने आने पर उससे डरना नहीं चाहिए तथा निर्भय होकर बातचीत करनी चाहिए। परन्तु जिस दिन पानी देना बन्द कर दिया जायेगा, उसी दिन से भूत आना तथा सेवा करना बन्द कर देगा। सर्व वशीकरण मन्त्र (१) मन्त्र- 'ॐ क्षां क्षक्षः ।१२। सौं ह ह सः ठः ठः ठः ठः स्वाहा ।" साधन विधि. उक्त मन्त्र ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध हो जाता है। टिप्पणी उक्त मन्त्र के प्रारम्भिक. भाग -"ॐ क्षां क्ष क्ष; को बारह बार दुहराना चाहिए, तदुपरान्त शेष भाग का केवल एक बार उच्चारण करना चाहिए। प्रयोग-विधि (१) आवश्यकता के समय उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित भोजन राजा को खिला देने से अथवा उसे स्वयं खाकर राजा के पास जाने से राजा वशीभूत होता है। (२) उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित भोजन जिस साध्य-मनुष्य का नाम लेकर खाया जाय, वह वशीभूत हो जाता है। (३) उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित पुष्पों की माला को अपने सिर पर धारण करके साध्य-स्त्री के पास पहुंचने से वह वशीभूत होती है। (४) उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित जायफल को खाने से कामोद्दीपन होता है। उस स्थिति में साध्य-स्त्री के साथ सहवास करने से वह सदैव के लिए वशीभूत हो जाती है। सर्व वशीकरण मन्त्र (२) मन्त्र- 'ॐ चिटि चिटि चामुण्डा काली काली महाकाली अमुकं में वशमानय स्वाहा ।" For Private And Personal Use Only Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ६४ | शावर तन्त्र शास्त्र टिप्पणी www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुक' शब्द आया है, वहाँ जिस स्त्री-पुरुष को वश में करना हो, उसके नाम का उच्चारण करना चाहिए। साधन - विधि उक्त मन्त्र किसी ग्रहण पर्व में १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध हो जाता है । प्रयोग विधि आवश्यकता के समय इस मन्त्र को ताड़पत्र के उपर, साध्य व्यक्ति के नाम सहित लिखें। फिर कनेर का दूध तथा जल बराबर मात्रा में लेकर उसमें उक्त ताड़पत्र को डाल दें तथा रात्रि के समय उस ताड़पत्र एवं कनेर के दूध 'तथा जल वाले पात्र को अग्नि पर चढ़ादें तथा स्वयं उसके सामने बैठकर १००० बार उक्त मन्त्र का जप करें। इस क्रिया को निरन्तर सात दिन तक करते रहने से साध्य व्यक्ति वशीभूत हो जाता है । यह प्रयोग स्त्री-पुरुष दोनों को वशीभूत करने वाला है । सर्व वशीकरण मन्त्र ( ३ ) मन्त्र -- “ॐ नमः कामाय सर्वजन प्रियाय सर्वजन सम्मोहनाय ज्वल ज्वल प्रज्वालय प्रज्वालय सर्वजनस्य हृदयं मम वशं कुरु कुरु स्वाहा ।” साधन - विधि एवं प्रयोग-विधि यह मन्त्र १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध होता है । मन्त्र के सिद्ध हो जाने पर जिस व्यक्ति के ऊपर प्रयोग करना हो, उसके सम्मुख पहुंच कर १०८ बार मन्त्र को मन-ही-मन पढ़ कर साध्य व्यक्ति के शरीर पर फूंक मारने से वह वशीभूत हो जाता है । सर्व वशीकरण मन्त्र ( ४ ) मन्त्र – “ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय त्रिलोचनाय त्रिपुरवानाय | 'अमुक' मम वश्य कुरु कुरु स्वाहा ।" For Private And Personal Use Only Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टिप्पणी उक्त मन्त्र मैं जहाँ 'अमुक' शब्द आया है, वहाँ साध्य - व्यक्ति ( जिस व्यक्ति को वश में करना हो) के नाम का उच्चारण करना चाहिए । जैसे- 'मालती' नामक किसी स्त्री को वश में करना हो तो ---- शावर तन्त्र शास्त्र | ६५ " मालती मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा " अथवा 'रामप्रसाद' नामक किसी पुरुष को वश में करना हो तो - " रामप्रसादं मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा " इस प्रकार उच्चारण करना चाहिए । साधन विधि उक्त मन्त्रको 'सिद्धि योग में १०८ बार जप कर सिद्ध करलें । 'सिद्धि' योग किस दिन और तिथि को पड़ेगा, इसका ज्ञान पञ्चाङ्ग (पत्रा) द्वारा प्राप्त किया जा सकता है । प्रयोग विधि सिद्धि योग में मन्त्र को सिद्ध कर लेने के बाद उक्त मन्त्र से एक सुपारी को अभिमन्त्रित करें अर्थात् १०८ बार उक्त मन्त्र पढ़कर सुपारी पर फूँक मारे. तत्पश्चात् वह सुपारी साध्य व्यक्ति को खाने के लिए दें । उस अभिमन्त्रित सुपारी को खा लेने पर साध्य - व्यक्ति (चाहे स्त्री हो अथवा पुरुष ) साधक के वशीभूत हो जाता है । सर्व वशीकरण मन्त्र (५) मन्त्र – “ ॐ चामुण्डे जय जय वश्यंकरि जय जय सर्व सत्वान्नमः स्वाहा ।" For Private And Personal Use Only साधन-विधि इस मन्त्रको 'सिद्धि योग' में अथवा ग्रहण पर्व में १०००० की संख्या में जप कर सिद्ध कर लें । Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ६६ | शावर तन्त्र शास्त्र प्रयोग विधि मन्त्र सिद्ध कर लेने के बाद किसी रविवार अथवा मंगलवार के दिन इस मन्त्र द्वारा १०८ बार अभिमंत्रित किया हुआ कोई पुष्प साध्य-व्यक्ति को सूने के लिए दें तो वह व्यक्ति पुष्प को सूंघते ही साधक के वशीभूत हो जाएगा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सर्व वशीकरण मन्त्र ( ६ ) ************* - मन्त्र - "ॐ नमो भगवती सूचि चण्डालिनि नमः स्वाहाः । साधन एवं प्रयोग विधि इस मन्त्र का पाठ करते हुए मोम द्वारा अभिलषित-व्यक्ति की एक मूर्ति का निर्माण करें । उस मूर्ति को कृतांजलि, युक्त पाद तथा अंग-प्रत्यंग सहित बनाकर, उसमें अभिलषित-व्यक्ति की प्राण-प्रतिष्ठा करें । प्राण प्रतिष्ठा की विधि किसी विद्वान् पण्डित से सीख लें अथवा उसी के द्वारा करायें। फिर उस पुतली के ऊपर उक्त मन्त्रका १०००० की संख्या में जप करके पुतली को अंगारे की अग्नि में तपायें तो अभिलषित-व्यक्ति वशीभूत होता हैं । सर्व वशीकरण मन्त्र ( ७ ) मन्त्र - " पिंगलायै नमः" साधन विधि सिद्धि योग अथवा ग्रहण पर्व में अथवा किसी अन्य शुभ-मुहूर्त में २००० की संख्या में जप करने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है । प्रयोग विधि दोनों पंखों सहित भ्रमर ( भौंरा या मधुप ) तथा शुक (तोता ) के माँस को एकत्र कर, उसमें अपनी अनामिका अंगुली का रक्त तथा कान का मैल मिला दें। इस मिश्रण को उक्त मन्त्र से ७ बार अभिमन्त्रित कर, जिस व्यक्ति को खिला दिया जाता है, वह वशीभूत हो जाता है । टिप्पणी स्मरणीय है कि यह मिश्रण विषैला होगा, अतः इसका प्रयोग अत्यन्त स्वल्प मात्रा में ही करना उचित है । For Private And Personal Use Only Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | ६७. सर्व वशीकरण मन्त्र (८) मन्त्र--"ॐ नमः कामाय सर्वजन प्रियाय सर्वजन सम्मोहनाय ज्वल ज्वल प्रज्वालय प्रज्वालय सर्वजनस्य हृदयं मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा ।" साधन एवं प्रयोग-विधि __ यह मन्त्र १०००० की संध्या में जपने से सिद्ध हो जाता है। प्रयोग करने से पूर्व इस मन्त्र को १०८ बार जप कर अभिलषित व्यक्ति के सम्मुख पहुंचने से वह वशीभूत होता है। सर्व वशीकरण मन्त्र (6) मन्त्र --“ॐ नमो भगवते ईशानाय सोमभद्राय वशमानय स्वाहा ।" साधन-विधि उक्त मन्त्र ग्रहण काल में १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि (१) देबदाली का रस निकाल कर, उसे सुखाकरं चूर्ण करें, फिर किसी कन्या अथवा युवती स्त्री द्वारा उस चूर्ण की छोटी-छोटी गोलियाँ तैयार करायें। इनमें से एक गोली उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर जिस स्त्री, पुरुष अथवा राजा को खिला दी जाती है, वह वशीभूत हो जाता है । (२) उक्त वटी का स्वयं सेवन करने से चोर, शत्रु तथा हर प्रकार की व्याधियों का भय नष्ट होता है एवं शुभत्व की प्राप्ति होती है। (३) पुष्याऽर्क में सफेद गुन्ध (धुघची) की जड़ लाकर उसे पाँच मलों से युक्त कर तांबूल में रख लें, फिर उसे मन्त्र द्वारा अभिमन्त्रित कर साध्य-मनुष्य को खिला दें तो वह स्त्री-पुरुष कोई भी क्यों न हो, वशीभूत हो जायेगा। (४) उक्त मन्त्र द्वारा अपने वीर्य को अभिमन्त्रित कर, उसे पान में रख कर जिसे खिला दिया जायेगा, वह अवश्य वशीभूत हो जायेगा। For Private And Personal Use Only Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६८ । शावर तन्त्र शास्त्र सर्व वशीकरण मन्त्र (१०) मन्त्र—"ॐ ऐं ह्रीं 'श्री' क्लीं कालिके सर्वान् मम वश्यं कुरु कुरु सर्वान् कामान् मे साधय साधय ।" साधन विधि किसी ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि (१) प्रातः काल इस मन्त्र का २१ बार उच्चारण करते हुए, जिस व्यक्ति का नाम लेकर अपने मुख को पानी से धोया जायेगा, वह वशीभूत हो जायेगा। (२) इस मन्त्र द्वारा २१ बार अभिमन्त्रित जल जिस व्यक्ति को पिला दिया जायगा, वह वश में हो जायेगा। सर्व वशीकरण मन्त्र (११) मन्त्र-“ॐ क्लं क्लौं ह्रीं नमः ।" साधन एवं प्रयोग-विधि इस मन्त्र को ग्रहण के समय १००० की संख्या में जप किया जाय तो पाताल वासी वशीभूत होते हैं। यदि १०००० की संख्या में जप किया जाय तो देवता वश में होते हैं। यदि १००००० की संख्या में जप किया जाय तो तीनों लोकों के प्राणी वशीभूत होते हैं। सर्व वशीकरण मन्त्र (१२) मन्त्र- 'ॐ नमो भगवति पुर पुर वेशनि पुराधिपतये सर्वजगद् भपंकरि छी भै ऊं रां रां रं रीं क्लीं वालीसः वंचकामवाण सर्व श्री समस्त नरनारीगणं मम वश्यं नय नय स्वाहा ।" साधन-विधि . किसी शुभ मुहूर्त में १०००० को संख्या में जप करने से यह मन्त्र सद्ध हो जाता है। For Private And Personal Use Only Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | ६६ प्रयोग विधि आवश्यकता के समय इस मन्त्र को १५ बार पढ़कर अपने मुह के ऊपर हाथ फेरें, फिर जिधर को देखेंगे, उस ओर के सब लोग वशीभूत हो जायेंगे। सर्व वशीकरण मन्त्र (१३) मन्त्र- 'ॐ नमो भगवति चामुण्डे महाहृदय कंपिनि स्वाहाः ।" साधन-विधि किसी शुभ मुहूर्त में १०००० की संख्या में जप करने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग विधि इस मन्त्र द्वारा २१ बार अभिमंत्रित पान का बीड़ा जिस स्त्री-पुरुष को खिला दिया जाय, वह वशीभूत हो जाता है । सर्व वशीकरण मन्त्र (१४) । मन्त्र---"ॐ नमो भगवति मातंगेश्वरि सर्वमुख रंजनि सर्वेषां महामाये मातंगे कुमारिके नन्द नन्द जिह्न सर्वलोक वश्यंकरि स्वाहा ।" साधन विधि 'सिद्धि' योग अथवा ग्रहण-पर्व में १००० की संख्या में जप करने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग विधि (१) चन्द्र ग्रहण के समय सफेद विष्णकान्ता की जड़ को उक्त सिद्ध मन्त्र से ७ बार अभिमंत्रित करें। फिर उसके अंजन को अपने नेत्रों में लगाकर जिस साध्य-व्यक्ति के पास पहुँचेंगे, वह (स्त्री हो अथवा पुरुष) वशीभूत हो जाएगा। (२) ताम्वूल (बिना लगा सादा पान) में गोरोचन मिला कर उसे पूर्वोक्त मन्त्र से ७ वार अभिमन्त्रित कर पीस लें। फिर उस मिश्रण का For Private And Personal Use Only Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७० शावर तन्त्र शास्त्र अपने माथे पर तिलक लगाकर साध्य-व्यक्ति के पास पहुँचें तो वह वशीभूत हो जाता है। (३) उक्त मन्त्र से ७ बार अभिमन्त्रित गोरोचन को लगे हए पान अथवा भोजन में मिलाकर, उसे साध्य-व्यक्ति को भक्षण करा दें तो वह साधक के वशीभूत हो जाएगा। (४) मनसिल, गोरोचन और ताम्बूल (सादा पान) इन तीनों को पीसकर उक्त मन्त्र से ७ बार अभिमन्त्रित करें, फिर उक्त मिश्रण का अपने मस्तक पर तिलक लगाकर, साध्य व्यक्ति के पास पहुँचकर उससे बातचीत करें तो वह साधक के वशीभूत हो जाता है। (५) शुक्लपक्ष की त्रयोदशी को सफेद घघची की बेल को जड़ सहित उखाड़ लावें, फिर उसे पूर्वोक्त मन्त्र से ७ बार अभिमंत्रित कर; पीस लें तथा पान में रखकर साध्य-व्यक्ति को खिलादें तो वह वशीभूत हो जाता टिप्पणी संख्या १ से लेकर ५ तक जिन वशीकरण क्रियाओं का उल्लेख किया गया है, उन्हें बिना अभिमन्त्रित किए हुए भी प्रयोग में लाया जाता है परन्तु पूर्वोक्त मन्त्र द्वारा अभिमन्त्रित कर, प्रयोग में लाने से प्रभाव शीघ्र प्रकट होता है। __ पति वशीकरण मन्त्र (१) मन्त्र--"ॐ काम मालिनी ठः ठः स्वाहा।" साधन विधि यह मन्त्र १०८ बार जपने से ही सिद्ध हो जाता है। प्रयोग विधि (१) गोरोचन को मछली के पित्त में मिलाकर, उक्त मन्त्र से ७ बार अभिमन्त्रित कर, उसका मस्तक पर तिलक लगाने से पति वशीभूत हो जाता है। अथवा (२) उक्त विधि से तिलक लगाकर पति की ओर बाई अंगुली से संकेत करने से वह वश में हो जाता है। For Private And Personal Use Only Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अथवा (३) कौडिन्य पक्षी की बीठ, मांस, घृत तथा शरीर के मल को उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर गुप्ताङ्ग में लेप करके सहवास करने से पति वशीभूत हो जाता है । पति वशीकरण मन्त्र ( २ ) मन्त्र – “ ॐ नमो महायक्षिणी पति से वश्यं कुरु कुरु स्वाहा । " साधन एवं प्रयोग विधि (१) अपनी योनि का रक्त, केला का रस तथा गोरोचन इन सबके मिश्रण से अपने मस्तक पर तिलक करके स्त्री पति के पास जाय तो वह वशीभूत हो । शावर तन्त्र शास्त्र | ७१ अथवा (२) मंगलवार के दिन एक साबुत सुपारी को उक्त मन्त्र से ७ बार अभिमन्त्रित करके निगल लें। जब वह शौच के समय बाहर निकलें तो उसे पानी, दूध तथा गंगाजल से धोकर पुनः मन्त्र द्वारा ७ बार अभिमन्त्रित करें। फिर उसे पान में रख कर पति को खिला दें तो वह वशीभूत हो । अथवा - (३) लौंग और अपनी जिह्वा का मल इन दोनों को मिला कर ७ बार अभिमन्त्रित कर पति को खिला दें तो वह वशीभूत हो । सर्व जन वशीकरण मन्त्र ॐ नमो आदेश गुरू को राजा मोहूं, प्रजा मोहूं, ब्राह्मण वाणियाँ, हनुमन्त रूप में जगत मोहूं, तो रामचन्द्र पर माणिया, गुरू की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा । " For Private And Personal Use Only साधन-विधि शुभ मुहूर्त में धूप, दीप, नेवैद्य रख कर पहले श्री रामचन्द्र जी का ध्यान करें, फिर २१ दिनों तक नित्य १२१ की संख्या में उक्त मन्त्र का जप करें तो मन्त्र सिद्ध हो जाता है । Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७२ | शावर तन्त्र शास्त्र प्रयोग-विधि ___गाँव के चौराहे पर जाकर वहाँ से धूलि की चुटकी ले आयें। उसे ७ बार अभिमन्त्रित करके, अपने मस्तक पर बिन्दी लगायें तो जो भी व्यक्ति देखेगा, वही वशीभूत होगा। स्त्री-वशीकरण मन्त्र (१) मन्त्र- 'ॐ नमो कटविकट घोर रूपिणी अमुकं मे वशमानय स्वाहा।" टिप्पणी । उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुक' शब्द आया है, वहाँ साध्य-स्त्री अर्थात् जिस स्त्री को वश में करना हो उसके नाम का उच्चारण करना चाहिए। साधन-विधि सूर्य अथवा चन्द्र ग्रहण के समय इस मन्त्र का १०००० की संख्या में जप करें तो यह सिद्ध हो जायेगा। प्रयोग-विधि मन्त्र के सिद्ध हो जाने के बाद किसी रविवार के दिन जब भोजन करने बैठे, तब सर्व प्रथम १०८ बार उक्त मन्त्र पढ़ कर भोजन-सामग्री को अभिमन्त्रित कर लें अर्थात् १०८ बार मन्त्र पढ़-पढ़ कर भोजन सामग्री पर फूक मारें। फिर जिस स्त्री को वश में करना हो, उसका नाम लेते हुए भोजन करें। भोजन करते समय उस स्त्री का नाम बारम्बार लेते रहना चाहिए। इस प्रक्रिया से साध्य-स्त्री साधक के शीघ्र वशीभूत हो जाती है। स्त्री-वशीकरण मन्त्र (२) मन्त्र---ॐ भगवति भग भाग दायिनी अमुकीं मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा ।" साधन-विधि ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जप करने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। For Private And Personal Use Only Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रयोग-विधि गुरुवार के दिन नमक को इस मन्त्र द्वारा २१ बार अभिमन्त्रित करके जिस स्त्री के खान-पान की वस्तु में मिला कर उसे खिला-पिला दिया जाय, वह वशीभूत हो जाती है । टिप्पणी शावर तन्त्र शास्त्र | ७३ उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुकी' शब्द आया है, वहाँ साध्य स्त्री के नाम का उच्चारण करना चाहिए । स्त्री वशीकरण मन्त्र ( ३ ) मन्त्र- "ॐ ह्रीं महामातंगीश्वरी चांण्डालिनि अमुकीं पच पच दह दह मथ मथ स्वाहा ।" टिप्पणी उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुकी' शब्द आया है, वहाँ साध्य स्त्री के नाम का उच्चारण करना चाहिए । साधन-विधि मन्त्र ग्रहण के समय १०००० को संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है । प्रयोग-विधि रविवार के दिन जिस स्त्री का नाम लेकर दूध तथा शर्करा से होम किया जाय, वह वशीभूत हो जाती है। होम के समय मन्त्र जप १०००० की संख्या में करना चाहिए । स्त्री वशीकरण मन्त्र ( ४ ) - "ॐ नमो उच्छिष्ट चाण्डालिनि पच पच भंज भंज मोहे मोहे भम अमुकीं वश्यं कुरु कुरु स्वाहा ।" For Private And Personal Use Only टिप्पणी उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुकी' शब्द आया है, वहाँ साध्य स्त्री के नाम का उच्चारण करना चाहिए। Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७४ ] शावर तन्त्र शास्त्र साधन-विधि ग्रहण-पर्व में १०००० की संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि भोजनोपरान्त पके हुए चावलों को एक हाथ में लेकर इस मन्त्रको पढ़ें, फिर उस भात को रख दें। इसी प्रकार १० दिनों तक नित्य करते रहें। तत्पश्चात् उस १० दिनों के एकत्र भात को लेकर उसे ७ बार मन्त्र पढ़ कर अभिमन्त्रित करें। फर वह भात साध्य-स्त्री को खाने के लिए दें अथवा उसके घर में फेंक दें तो वह साधक के वशीभूत हो जाती है। विशेष __ मन्त्र जप करते समय नीचे प्रदर्शित यन्त्र को अष्ट गन्ध द्वारा भोज पत्र के ऊपर लिख कर, उसकी विधिवत् पूजा-प्रतिष्ठा करें; फिर उसे आसन के नीचे दबा कर तथा उस आसन के ऊपर स्वयं बैठ कर उक्त मन्त्र का जप करना चाहिए। ६ NO UN GY m ( स्त्री वशीकरण यन्त्र ) स्त्री-वशीकरण मन्त्र (५) मन्त्र- 'ॐ ह्रीं सः ।" साधन-विधि ___ ग्रहण-पर्व में १०००० की संख्या में जप करने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। For Private And Personal Use Only Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रयोग-विधि जिस स्त्री को सदैव के लिए वश में करना हो, उसके 'स्मर सदन' में अपने 'मदनांकुश' को डाल कर अर्थात् सहवास करने की स्थिति में रहते हुए इस मन्त्र का १०००० की संख्या में जप किया जाय, तो वह सदा-सदा के लिए वशीभूत हो जाती है । स्त्री वशीकरण मन्त्र ( ६ ) शावर तन्त्र शास्त्र | ७५ मन्त्र - - " ह्रां अघोरे ह्रीं अघोरे ह्र घोर घोरतरे सर्व सर्वे नमस्ते रूपे ह्रः ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे विच्चे ।' साधन-विधि ग्रहण पर्व में १०००० की संख्या में जप करने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है । प्रयोग-विधि - ॐ कामिनी रंजनि स्वाहा ।" साध्य - स्त्री को भोजन के लिए आमन्त्रित कर, उक्त सिद्ध मन्त्र द्वारा २१ बार अभिमन्त्रित भोजन-सामग्री को उसे खिला देने से वह सदैव के लिए वशीभूत हो जाती है । स्त्री वशीकरण मन्त्र ( ७ ) मन्त्र साधन-विधि- ग्रहण पर्व १०००० की संख्या में जप करने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है । प्रयोग-विधि (१) आवश्यकता के समय उक्त सिद्ध मन्त्र को जिस साध्य स्त्री की हथेली पर अलक्त (अलता) द्वारा लिख दिया जाय, वह वशीभूत हो जाती है । For Private And Personal Use Only (२) रवि, गुरु तथा भौमवार इन तीन दिनों तक यह मन्त्र स्त्री की हथेली पर लिखते रहने से वह अवश्य वशीभूत होती है । Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७६ / शावर तन्त्र शास्त्र स्त्री-वशीकरण मन्त्र (6) ........ .... ........ .. मन्त्र- 'ॐ कुम्भनी स्वाहा ।" साधन-विधि ग्राग-पर्व में १०००० की संख्या में जप करने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि इस सिद्ध मन्त्र द्वारा किसी सुगन्धित पुष्प को १०८ बार अभिमन्त्रित करें फिर वह पुष्प साध्य-स्त्री को सुघा दें तो वह वशीभूत हो जाती है । स्त्री-वशीकरण मन्त्रा (६) मन्त्र-"ॐ नमो नमः पिशानी रूप त्रिशूलं खङ्ग हस्ते सिंहारूढे अमुकी मे वशमागच्छमागच्छ कुरु कुरु स्वाहा ।" साधन-विधि ग्रहण-पर्व से आरम्भ करके ७ या २१ दिन तक नित्य १००० की संख्या में जप करने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। टिप्पणी ___ इस मन्त्र में जहाँ 'अमुकी' शब्द आया है, वहाँ साध्य-स्त्री के नाम का उच्चारण करना चाहिए। प्रयोग-विधि सिद्ध मन्त्र को भोज पत्र के ऊपर लिखकर जिस साध्य-स्त्री का नाम लेकर धूप दी जाती है; वह वशीभूत हो जाती है । स्त्री-वशीकरण मन्त्र (१०) मन्त्र-“ऐ सहवज्लरि क्लीं कर क्लीं काम पिशाच अमुर्की कामं ग्राहय ग्राहय स्वप्ने मम रूपेण नौविदारय विदारय द्रावय द्रावय रद महेन बन्धय श्रीं फट् ।" For Private And Personal Use Only Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | ७७ टिप्पणी उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुकी' शब्द आया है, वहाँ साध्य-स्त्री के नाम का उच्चारण करना चाहिए। साधन एवं प्रयोग-विधि उक्त मंत्र को काम-विह्वल चित्त से १५ दिनों तक रात्रि के समय निरन्तर जपते रहने से साध्य-स्त्री वशीभूत हो जाती है । स्त्री-वशीकरण मन्त्र (११) मन्त्र-“ऐ सहवल्लरि क्लीं कर क्लीं काम पिशाचि अमुकी काम ग्राहय पद्म मम रूपेण नखैविदारय विदारय द्रावय द्रावय बन्धय बन्धय श्रीं फट् ।” टिप्पणी उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुको' शब्द आया है, वहाँ साध्य-स्त्री के नाम का उच्चारण करना चाहिए। साधन एवं प्रयोग-विधि पूर्व मन्त्र के समान है। विशेष यदि उक्त दोनों मन्त्रों को काम-विह्वल-चित्त से १५ दिनों तक रात्रि के समय लगातार जपा जाय तो शिवजी की कृपा से साध्य स्त्री अवश्य वशीभूत होती है। स्त्री-वशीकरण मन्त्र (१२) मन्त्र-“ॐ ठः ठः ठः ठः अमुकी मे वश मानय स्वाहा ह्रीं क्ली श्री श्रीं क्लीं स्वाहा।" टिप्पणी उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुकी' शब्द आया है, वहाँ साध्य-स्त्री के नाम का उच्चारण करना चाहिये। For Private And Personal Use Only Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७५ | शावर तन्त्र शास्त्र साधन-विधि यह मन्त्र रविवार के दिन १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि रविवार के दिन जौ का आटा सवा पाव महीन पीस कर उसे गूथ कर एक लोई बनायें तथा उसे बेलकर मन्द-मन्द आग पर पकायें। रोटी को केवल एक ही ओर सेकें, दूसरी ओर न सेकें । वह एक ओर से हो ऐसी सिक जानी चाहिए कि दूसरी ओर भी सिकी हुई सी अनुभव हो । तत्पश्चात् जिस ओर रोटी सिकी न हो, उस ओर सिन्दूर को पानी में घोलकर, अपनी तर्जनी अंगुली द्वारा उसके ऊपर उक्त मन्त्र को लिखें। फिर गंध, पुष्प, सुपारी, पान, दीपक, गोरे बटुकनाथ तथा दक्षिणा सहित उस मन्त्र लिखित रोटी का पूजन कर । फिर उसके ऊपर मिष्ठान्न, दही तथा चीनी इन वस्तुओं को इतना और इस प्रकार से रखें कि उनसे रोटी ढंक जाय। तत्पश्चात् जिसे वश में करना हो, उसका नाम लेते हुए १०८ बार मन्त्र का जप करें। फिर मन्त्र पढ़-पढ़ कर उस रोटी के टुकड़े कर-कर के किसी काले कुत्ते को खिलादें। इस प्रयोग से साध्य-स्त्री अवश्य वशीभूत हो जाती __इस मन्त्र के जप तथा प्रयोग काल में पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है। स्त्री-वशीकरण मंत्र (१३) मन्त्र-“ऐं भग भुग भगनि भगोदरि भगमाले योनि भगनिपतिनि सर्व भग संकरी भगरूपे नित्य क्लै भगस्वरूपे सर्व भगानि मम वश मानय वरदे रेते भग क्लिन्ने क्लान द्रवे क्लेदय द्रावय अमोघे भगविधे क्षुभ क्षोभय सर्व सत्वाभगे श्वरि ऐं क्ल ज ब्लू भै ब्लु मा मलू हे हे क्लिन्ने सर्वाणि भगानि तस्मै स्वाहा । साधन-विधि - यह मन्त्र ग्रहण-पर्व में १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध हो जाता है। For Private And Personal Use Only Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | ७६ प्रयोग-विधि आवश्यकता के समय जिस स्त्री को वश में करना हो, उसकी ओर देखते हुए इस मन्त्र का जप करने, से वह शीघ्र वशीभूत हो जाती है। स्त्री-वशीकरण मंत्र (१४) ... ........ .... ... मात्र-“ॐ नमः क्षिप्रकामिनी अमुकीं मे वश मानय स्वाहा।" टिप्पणी-- उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुकी' शब्द आया है, वहाँ साध्य स्त्री के नाम का उच्चारण करना चाहिए। साधन-विधि ___ ग्रहण पर्व में १०००० की संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि प्रातःकाल दन्तधावन करके पानी की भरी लुटिया हाथ में लेकर उसे उक्त मन्त्र द्वारा ७ बार अभिमंत्रित करें फिर उसमें भरे पानी को स्वयं पी जाँय । इस क्रिया को निरन्तर ७ दिन तक नित्य करते रहने से साध्यस्त्री वशीभूत हो जाती है। स्त्री वशीकरण मंत्र (१५) मन्त्र-“या आमीन या फामीन हमारे दिल से फलानी का दिल मिलादे ।" टिप्पणी उक्त मन्त्र में जहाँ 'फलानी' शब्द आया है, वहाँ साध्य-स्त्री के नाम का उच्चारण करना चाहिए। साधन-विधि ---- जुमेरात (बृहस्पति वार) के दिन यह मन्त्र १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध हो जाता है। For Private And Personal Use Only Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८० शावर तन्त्र शास्त्र प्रयोग-विधि जिसको वश में करना हो, उसे अपने सामने अग्नि के समीप बैठाये, फिर गुग्गुल, लोबान तथा धूप हाथ में लेकर उसकी (साध्य स्त्री की) दृष्टि इन वस्तुओं पर डलवायें। जब उसकी दृष्टि लोबान, धूप आदि पर पड़ जाय, तब पूर्वोक्ति मन्त्र का उच्चारण करते हुए उसे अग्नि में डाल दें। इस प्रक्रिया को २१ बार दुहरायें तथा इसी प्रकार ७, १४ अथवा २१ दिन तक इस क्रिया की पुनरावृत्ति करते रहे। इस अवधि में साध्य-स्त्री साधक के वशीभूत हो जाती है। विशेष इस मन्त्र का प्रयोग पुरुष-वशीकरण के लिए भी किया जाता है। पुरुष के लिए प्रयोग करने पर मंत्र में 'फलानी' के स्थान पर साध्य-पुरुष के नाम का उच्चारण करना चाहिए। स्त्रियों पर यह मंत्र अपना प्रभाव शीघ्र प्रकट करता है। स्त्री-वशीकरण मन्त्र (१६) मन्त्र-"ॐ हु स्वाहा ।" साधस-विधि सिद्ध योग, शुभ-मुहूर्त अथवा ग्रहण पर्व में १००० की संख्या में जप करने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग विधि काली विष्णु क्रान्ता की जड़ को पान में रखकर, उसे उक्त मन्त्र बार अभिमन्त्रित करके जिस स्त्री को खिला दिया जायगा, वह साधक के वशीभूत हो जाएगी। स्त्री-वशीकरण मन्त्र (१७) मन्त्र-ॐ पिशाच रूपिण्यै लिङ्ग परिचुम्बयेत् । नागं विसिंचयेत्' साधन-विधि यह मन्त्र १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध हो जाता है । For Private And Personal Use Only Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र १ प्रयोग-विधि (१) उक्त मन्त्रा का उच्चारण करते हुए प्रातःकाल २२ बार अपने मुख का प्रक्षालन करें तथा साध्य-स्त्री का नाम ले तो वह बस में हो जाती है। (२) उक्त मन्त्र से ७ बार अभिमंत्रित-जल साध्य-स्त्री को पिला देने से वह वशीभूत हो जाती है। स्त्री-वशीकरण मन्त्र (१८) मन्त्रा-"मद मद मद मादय खिल ह्रीं अमुक नाम्नी 'अमुकस्व रूपां स्वाहा ।" टिप्पणी उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुक नाम्नी' शब्द आया है, वहाँ जिस स्त्री को वशीभूत करना हो, उसके नाम का उच्चारण करना चाहिए तथा जहाँ, अमुक स्वरूप स्त्री शब्द आया है। वहाँ उसके स्वरूप अर्थात् वर्ण (रंग), आय आदि का उच्चारण करना चाहिए, जैसे स्त्री का रंग गोरा तथा आयु उन्नीस वर्ष की हो तो "एकोनविंश वत्सरेण वय समन्वितां' आदि । इस मन्त्र का जप करने से पूर्व निम्नानुसार कामदेव का ध्यान करना चाहिएध्यान -- "कनक रुचिर मूर्तिः कुन्दपुष्पाकृतिवं युवति हृदयमध्ये निश्चतादत्तदृष्टिः । इति मनसि मनोजं ध्याययेद्यो जपस्थो बशयति च समस्तं भूवलं मन्त्र सिद्धः ।, साधन विधि ध्यानोपरान्त पूर्वोक्त मन्त्रा का १०००० की संख्या में जप करके, जप का दशांक अर्थात् १००० की संख्या में लाल फूलों से होम करें। इस प्रयोग में सभी काम बाँये हाथ से करने चाहिये । For Private And Personal Use Only Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir र तन्त्र शास्त्र प्रयोग-विधि-- मंत्र सिद्ध हो जाने पर साध्य-स्त्री का ध्यान करते हुए १०८ बार मंत्र का जप करने से वह बशोभूत होती है। स्त्री-वशीकरण मन्त्र (१६) मन्त्र-"ॐ नमो कामाख्या देवी अमुकी मे वश्यं कुरु-कुरु स्त्र. विशेष उक्त मन्त्र में 'अमुकी' शब्द आया है, वहाँ साध्य-स्त्री के नाम का उच्चारण करना चाहिए। साधन एवं प्रयोग-विधि (१) शनिवार के दिन साध्य-स्त्री के सिर के बाल तथा उसके बाये पाँव के नीचे की धूलि लेकर एक पुतली का निर्माण करें। फिर उसे नीले वस्त्र में लपेट कर, उसकी योनि में अपना वीर्य भरदें तथा भग में सिन्दूर लगादें । तदुपरांत उस पुतली को उक्त मंत्र से २१ बार अभिमंत्रित कर साध्य-स्त्री के घर के दरबाजे के बांई ओर गाढ़ दें तो जैसे ही कभी वह उस स्थान को लांघेगी, वैसे ही साधक के वशीभूत हो जायेगी। .. अथवा-~~ (२) सोमवार को जब मृगशिरा नक्षत्र हो, उस दिन अपने वीर्य में सुपाड़ी मिलाकर पान में रखदे तथा उसे २१ बार मन्त्र से अभिमन्त्रित कर साध्य-स्त्री को खिलादें तो वह वशीभूत हो जाती है। स्त्री-वशीकरण मन्त्र (२०) मन्त्र-“ॐ नमो काला भैरू काली रात, काला चाला आधी रात, काला रे तू मेरा वोर, परनारी ते राखे सीर, बेगीं जा छाती धरल्याव, सूती होय तो जगाय ल्याव, शब्द सांचा पिंड कांचा फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा ।" साधन एवं प्रयोग विधि दिवाली अथवा होली की रात को लाल अरण्ड का पेड़ एक झटके में तोड़ लावें उसे जलाकर काजल पारें तथा उस काजल को उक्त मन्त्र से For Private And Personal Use Only Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org शावर तन्त्र शास्त्र | ८३ २१ बार अभिमंत्रित कर साध्य-स्त्री की आँखों में लगा दें तो वह साधक के वशीभूत हो जाती है । स्त्री वशीकरण मंत्र (२१) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मन्त्र - " धूली- धूली विकट चंदनी, पट मांरू धूली फिरे दिवानी, घर तजे, बाहर तजे, ठाडो भरतार तजे, देवी दिवानी एक सठी कलुवा न तू नाहरसिंह वीर अमुकी ने उठाय ल्याव मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।" साधन एवं प्रयोग विधि शनिवार के दिन जो स्त्री मरी हो, उसके लेकर एक कोरी हाँडी में रखकर उस पर ७ बार साध्य स्त्री के शरीर से स्पर्श करा दी जायगी । विशेष पग तल के अंगारे को मंत्र पड़े । वह हांडी जिस जायेगी, वह वशीभूत हो उक्त मंत्र में जहाँ 'अमुकी' शब्द आया है, वहाँ साध्य - स्त्री के नाम का उच्चारण करना चाहिए। राजा - वशीकरण मंत्र ( १ ) मन्त्र- "ॐ ह्री रक्ते चामुंडे अमुकस्य मम वश्यं कुरु-कुरू स्वाहा ।" साधन एवं प्रयोग - विधि इस मन्त्र को १००० को संख्या में जपे । फिर कुकुम, चन्दन, गोरोचन तथा गाय का दूध - इन सब को मिलाकर, मन्त्र द्वारा ७ बार अभिमंत्रित करें और उसका तिलक लगाकर राजदरबार में जाय तो राजा वशोभूत हो । राजा - वशीकरण मंत्र ( २ ) मन्त्र – “ ॐ नमो आदेस गुरू को जल बाँधू, जलहर बाँधू आणी बांधू, बार बार बाँधू, शिवपूत प्रचंड बांधू, रूठा राजा For Private And Personal Use Only Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra -८४ | शावर तन्त्र शास्त्र www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir देसी, आसण टीको कांई करसी, आसण छोड़ मंन्ने बंसण चंदन ललाट, टीको काढ़ि सिंह वर्ण कहाऊं और करू सइया तले में बंध्यान, गौरा पार्वती बंध्याने, मैं बध्याया, गुरु की शक्ति मेरी भक्ति कुरो मंत्र ईश्वरोवाचा ।" साधन एवं प्रयोग विधि धूप, दीप, नवेद्य रखकर, पार्वतीजी का ध्यान कर, शनिवार के दिन से मन्त्र का जप आरम्भ करे तथा २१ दिन तक नित्य १२१ बार मन्त्र जप कर सिद्ध कर लें । फिर कुकुम, चंदन तथा गोरोचन को गाय के दूध में मिलाकर, उसे अभिमंत्रित करे तथा उसी का तिलक अपने मस्तक पर लगाकर राजा के सम्मुख जाय तो वह वशीभूत हो । राजा वशीकरण मंत्र मन्त्र – “ ॐ नमो भास्कराय त्रिलोकात्मने अमुक महीपते मे वश्यं कुरु कुरु स्वाहा ।" विशेष मन्त्र उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुक' शब्द आया है, वहाँ जिस राजा (अथवा राज्याधिकारी) को वश में करना हो, उसके नाम का उच्चारण करना चाहिये । साधन एवं प्रयोग विधि रविवार के दिन ओंगा (अपामार्ग ) के पुष्प लाकर, उन्हें इस मन्त्र से २२ बार अभिमंत्रित करके राजा को खिलादें तो वह वशीभूत हो जायगा । राज-कर्मचारी वशीकरण मन्त्र - ॐ विस्मिल्लाह दाना कुलहु अल्लाह यगाना दिल है सख्त तुम हो दाना, हमारे बीच फलाने को करो दीवाना ।" विशेष इस मन्त्र में जहाँ 'फलाने' शब्द आया है, वहाँ जिस अधिकारी को वश में करना हो; उसके नाम का उच्चारण करना चाहिए । For Private And Personal Use Only Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | ८५. साधन एवं प्रयोग विधि ४१ बिनौले लाकर रात्रि के समय प्रत्येक को ४१-४१ बार मन्त्र से अभिमंत्रित कर अग्नि में डालें, तो तीन दिन के भीतर मनोरथ सिद्ध होता अथवा २१ दिनों तक २१ विनौलों पर २१-२१ बार मन्त्र पढ कर, उन्हें जलायें तो मनोरथ पूर्ण हो जायगा। . शत्रु-वशीकरण प्रयोग नीचे प्रदर्शित यन्त्र भोजपत्र के ऊपर गोरोचन से लिखकर गन्ध पुष्पादि चढ़ाकर यथाविधि पूजन करें। फिर उसे किसी शहद भरे पात्र (बर्तन) में डालकर रख दें तो जिस शत्रु को वशीभूत करने के उद्देश्य से यह प्रयोग किया जाय, वह साध्य-व्यक्ति के वशीभूत हो जाता है। टिप्पणी इस मन्त्र के मध्य भाग में जहाँ 'देवदत्त' लिखा है, वहाँ साध्य शत्रु का नाम लिखना चाहिए। ओखः ओखः ओखः ओवः ओंखे: ओवः 18 देवदन आरक - औरवः ओवः ओ रवः । ६ ५ (शत्रु-वशीकरण यन्त्र) For Private And Personal Use Only Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वर तन्त्र शास्त्र वैश्या-वशीकरण मन्त्र मन्त्रा--"ॐ द्राविणी स्वाहा । ॐ हामिले स्वाहा ।" साधन एवं प्रयोग विधि यह मन्त्र १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध हो जाता है। मन्त्र के सिद्ध हो जाने पर अपामार्ग (ओंगा) की ७ अँगुल लम्बी लकड़ी को उक्त मन्त्र से ७ बार अभिमन्त्रित करके वैश्या घर में डाल देने से वह वशीभूत हो जाती है। राजा क्रोध-शमन एवं वशीकरण मन्त्रा मन्त्र-"हथेली तो हनुमन्त बसे भैरू बसे कपार, नाहरसिंह की मोहनी मोहो सब संसार, मोहन रे मोहन्ता वीर, सब वीरन में तेरासीर, सबकी दृष्टि बाँधि दे मोहि, तेल सिन्दूर चढ़ाऊँ तोहि, तेल सिन्दूर कहाँ से आया, कैलास पर्वत से आया, कौन लाया, अंजनी का हनुमन्त, गौरी का गणेश, काला गोरा तोतला तीनों वसे कपाल, विन्दा तेल से दूर का दुश्मन गया पाताल, दुहाई कामिया सिंदूर की, हमें देख सीतल हो जाय, मेरी भक्ति गुरू की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा सत्य नाम आदेस गुरू का ।" साधन-विधि-- १४ रविवार को नृसिंह का विधि पूर्वक पूजन कर, इस मन्त्र का १२१ बार जप करें। फिर ७ रविवार तक दीपक, तेल, लोबान एवं लड्डू रख कर १२१ बार मन्त्र का जप करें तो सिद्ध हो जायेगा। प्रयोग-विधि सिन्दूर को उक्त मन्त्र से ७ बार अभिमन्त्रित कर, उसका टीका अपने मस्तक पर लगा कर राजा के सामने जाये तो उसका क्रोध शान्त हो और वह प्रसन्न तथा वशीभूत हो । For Private And Personal Use Only Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir মা বন্স হাসি | নও लौंग वशीकरण मन्त्र मन्त्र---"ॐ जल की जोगनी पाताल का नाग, जिस पै भेजें तिसके लाग, सोते सुख न बैठे सुख, फिर फिर देखे मेरा मुख, मेरी बाँधी घूटे तो बाबा नाहरसिंह की जटा टूटे।" साधन एवं प्रयोग विधि-- ४ लौंग पीस कर बताशे में रखें फिर उन्हें गुगल की धूनी, तत्पश्चात् अपने होठ के नीचे रख कर पानी में गोता लगाये । गोता में ७ वार मन्त्र को पढ़ें। फिर पानी से निकल कर, मुह में से बताशा निकाल कर लौंग के चूरे को गूगल की धूनी दें। तदुपरान्त उस लौंग के चुरे को पान में रख कर अथवा अन्य प्रकार से जिसे खिला दिया जायेगा, वह वशीभूत हो जायेगा। इलायची वशीकरण मन्त्र मन्त्र--"ॐ नमो काला कलुआ काली रात, तिसकी पुतली मांजी रात, काला कलुआ घाट बाट सूती को जगा लाव, बैठी को उठा लाव, खड़ी को चला लाव, वेगी धर यां लाव, मोहनी जोहनी चल राजा की ठांव, अमुकी के तन में चटपटो लगाव, जीया ले तोड़ जो कोई खाय हमारी इलायची, कभी न छोड़े हमारा साथ, घर को तजे बाहर को तजे, घर के साई को तजे, हमें तज और कने जाय तो छाती फाट तुरन्त मर जाय, सत्य गुरू आदेस गुरू की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा, ईश्वर महादेव की वाचा, वाचा से टरे तो कुम्भी नरक में पड़े।" साधन एव प्रयोग विधि शुभ मुहूर्त से आरम्भ कर, २१ दिन तक नित्य १२१ बार मन्त्र को जपने से यह सिद्ध हो जाता है। फिर इलायची पर ११ बार मन्त्र पढ़ कर जिसे खिला दें, वह साधक से वशीभूत हो। For Private And Personal Use Only Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८८ | शावर तन्त्र शास्त्र पान वशीकरण मन्त्र मन्त्र- 'कामरूदेस कामारध्या देवी तहां बसे इस्माइल जोगी, इस्माइल जोगी ने दीन्हा बीड़ा, पहला बीड़ा आतो जाती, दूजा बीड़ा दिखावे छाती, तीजा बीड़ा अंग लिपटाइ, फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा दुहाई गुरू गोरखनाथ की।" साधन-विधि दीपावली की रात्रि में दीपक जलाकर, धूप दे तथा मिठाई रख कर १४४ बार जप करने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है अथवा किसी रविवार से आरम्भ करके प्रतिदिन २१ की संख्या में २१ दिन तक जप करने से सिद्ध होता है। प्रयोग-विधि बिना तराशे (काटे हुए) ३ पानों का मसालेदार बीड़ा बना कर उसे ७ बार मन्त्र से अभिमन्त्रित कर, जिस व्यक्ति को खिला दिया जायेगा, वह वशीभूत हो जायेगा। मन्त्र-"हाथ पसारू मुख मलू काची मछली खाऊँ। आठ पहर चौंसठ घड़ी जगमोह घर जाऊँ ॥ साधन-विधि (१) दीपावली की रात को १०१ बार कागज के टुकड़ों पर एक और इस मन्त्र को लिखें तथा उन प्रत्येक कागज के टुकड़ों के दूसरी ओर प्रेमी तथा प्रेमिका और उनकी माता का नाम लिखें यथा-"अमुकी की बेटी अमुकी अमुकी, के बेटा अमुक के पास आये।" ती यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। अथवा (२) सात शनिवार और इतवार को प्रतिदिन १०१ बार इस मन्त्र को पढ़ें तथा दीपक जलाकर गूगल की धूनी दे और मिठाई तथा फूल दीपक के आगे रखें तो मन्त्र सिद्ध होता है। For Private And Personal Use Only Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रयोग-विधि - (१) पान के बीड़ा को सिद्ध मन्त्र से ७ बार अभिमन्त्रित कर जिसे खिलादें वह वशीभूत हो । ..... शाबर तन्त्र शास्त्र | ८६ अथवा (२) हाथ की हथेलियों पर उक्त मन्त्र को ७ बार पढ़ कर, दोनों हाथों को मुँह पर फेर कर साध्य स्त्री के पास जाय तो वह वशीभूत हो और सभा में जाय तो सब लोग वश में हों । फूल वशीकरण मन्त्र मन्त्र — "कामरू देस कामाख्या देवी, तहाँ बसे इस्माइल जोगी इस्माइल जोगी ने लगाई फुलवारी, फूल बीने लोना चमारी, जो इस फूल को सूघे बास, तिसका जीव हमारे पास, घर छोड़े घर आँगन छोड़े, लोक कुटम की लज्या छोड़े, दुहाई लोना चमारी की दुहाई धनन्तर की छू ।” साधन - विधि शनिवार से आरम्भ कर २१ दिनों तक नित्य १४४ बार मन्त्र का जप करें, दीपक जलायें, लोबान की धूप दें एवं शराब का भोग दें तो मन्त्र सिद्ध हो जाता है । प्रयोग-विधि फूल को ७ बार मन्त्र से अभिमन्त्रित कर, जिसे सुधा दिया जाय वह वशीभूत हो जाता है । वशीकरण का शैतानी अमल For Private And Personal Use Only मन्त्र - (१) “इन्ना आत्वेन शैताना, मेरी शिकल बन अमुकी के पास जाना, उसे मेरे पास लाना, न लावे तो तेरी बहन भानजी पर तीन सौ तीन तलाक ।" Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६० | शावर तन्त्र शास्त्र प्रयोग-विधि खाट के पांइते में नंगा होकर, इस मन्त्र को १०१ बार गुड़ के ऊपर पढ़ें। फिर गुड़ को खाट के नीचे रख कर सो जाय । प्रातः काल वह गुड़ बालकों को बाँट दें तो साध्य स्त्री ७ दिन के भीतर सामने आकर खड़ी हो जाती है । विशेष उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुकी' शब्द आया है, वहाँ साध्य - स्त्री के नाम का उच्चारण करना चाहिए । मन्त्र --- - ( २ ) "अलफ गुरू गुफ्तार रहमान, जाग जाग रे अलहादीन शैतान, सात बार अमुकी को जा रान, जो न राने तो तेरी माँ की तलाक, बहन की तीन तलाक । " साधन एव प्रयोग - विधि बेसन का चौमुखा दीपक बना कर उसके चारों कौनों पर चिड़े का रक्त (न) तथा अपने दाँये हाथ की अनामिका अंगुली का खून लगा कर ४ बत्ती रख कर जलायें । फिर स्वयं नंगा होकर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके बैठें तथा दीपक जला कर लोबान की धूनी दें, फिर भुने हुए चने तथा भुने हुए जौ भोग में रख कर १०८ बार मन्त्र जपे फिर दीपक को जलता । हुआ छोड़ कर, स्वयं नंगा ही सो जाय । यह प्रयोग जिसके नाम से किया जाता है, शैतान उसके साथ रात भर में ७ बार भोग करता है, फलस्वरूप वह स्त्री व्याकुल होकर साधक के पाँवों पर जा गिरती है तथा उसके वश में हो जाती है । विशेष इस मन्त्र में जहाँ 'अमुकी' शब्द आया है, वहाँ साध्य स्त्री के नाम का उच्चारण करना चाहिए। मन्त्र (३) "अलफ अलोप एक रहमान, सुन शैतान, मेरी शकल बन फलानी को जा रान, जो न राने तो तेरी माँ बहन को तीन सौ तीन तलाक तलाक । " For Private And Personal Use Only Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | &t विशेष इस मन्त्र में जहाँ 'फलानी' शब्द आया है, वहाँ साध्य-स्त्री के नाम का उच्चारण करना चाहिए। साधन एवं प्रयोग-विधिमन्त्र संख्या २ के अनुसार। सर्व वशीकरण पुतली मन्त्र मन्त्र- 'ॐ ह्रीं क्लीं जं हिये जं हि ये अमुकी आकर्षय आकर्षय मम वश्यं कुरु कुरु मोहं कुरु कुरु स्वाहा।" विशेष इस मन्त्र में जहाँ 'अमुकी' शब्द आया है, वहाँ साध्य-स्त्री अथवा साध्य-पुरुष के नाम का उच्चारण करना चाहिए। साधन विधि सर्व प्रथम आगे प्रदर्शित चित्र के अनुसार एक पुतली की आकृति का निर्माण करें। इस चित्र को केसर, कुकुम तथा गोरोचन द्वारा भोज पत्र के ऊपर शुभ घड़ी में निर्मित करना चाहिए । फिर उस चित्र का पूजन करके, उससे अपनी कार्य की सिद्धि के लिए प्रार्थना करें। फिर चित्र को अरंड की नली में रख कर, खैर के अंगारों पर तपायें तथा १०८ बार मन्त्र का जप करें। गूगल की गोली तथा लाल कनेर के फूलों को घी में सान कर अग्नि में १०८ बार होम करें। होम करते समय मन्त्र का उच्चारण करते जाय । इस प्रयोग के करने से ७ दिन के भीतर मनोकामना पूर्ण होती है। For Private And Personal Use Only Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra -२ | शावर तन्त्र शास्त्र क्लीं मो क्लीं क्लीं ही हीं हीं www.kobatirth.org ही आकर्षयत जं जं जं जं जं जं ही आकर्षयत मोहा ( सर्व वशीकरण पुतली) For Private And Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क्लीं क्लीं कल हीं हीं ε Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४ उच्चाटन, विद्वेषण एवं मारण प्रयोग उच्चाटन, विद्वेषण एवं मारण के विषय में 'उच्चाटन' का अर्थ है --किसी व्यक्ति को अपने स्थान से हटने के लिए, उसके मन को उच्चाटित कर देना । अर्थात् उच्चाटन मन्त्र का प्रयोग करने पर साध्य-व्यक्ति अपने निवास स्थान से स्वयं ही हट कर कहीं अन्यत्र चला जाता है। ऐसे प्रयोग प्रायः अपने किसी शत्रु को, उसके आवास-स्थान से हटा देने के लिए किये जाते हैं और आवश्यक होने पर इनका प्रयोग अनूचित भी नहीं माना जाता, क्योंकि इन प्रयोगों से शत्र अथवा विरोधी केवल अपना स्थान ही छोड़ता है, उसे अन्य कोई कष्ट नहीं होता। 'विद्वेषण' का अर्थ है-किन्हीं दो मित्रों अथवा प्रेमियों में,परस्पर विरोध उत्पन्न करा देना। जब कभी यह अनुभव हो कि कोई दो व्यक्ति संयुक्त रूप से हानि पहुँचाने के इच्छुक हैं, उस समय उन दोनों में परस्पर विरोध करा देने से प्रयोगकर्ता का हित-साधन होता है। अतः आवश्यकता के समय 'विद्वेषण' का प्रयोग भी अनुचित नहीं माना जाता। 'मारण' का अर्थ है-किसी व्यक्ति की मृत्यु के लिए मन्त्र-प्रयोग करना । यह प्रयोग अत्यन्त गहित माना गया है, क्योंकि इससे एक प्राणी की हत्या हो जाती है, अतः मारण-मन्त्र का प्रयोग खूब सोच-समझ कर तथा नितान्त आवश्यक होने पर ही करना चाहिए। स्मरणीय है कि किसी की हत्या के पाप का फल साधक को भी किसी-न-किसी रूप से अवश्य भोगना पड़ता है, अतः यदि अनिवार्य विवशता न हो तो मारण-प्रयोग का साधन हर्गिज नहीं करना चाहिए। For Private And Personal Use Only Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २४ | शावर तन्त्र शास्त्र www.kobatirth.org उच्चाटन मन्त्र (१) मन्त्र—“ॐ नमो भगवते रुद्राय दंष्ट्राकरालाय अमुकं सपुत्र बाँध सह हन हन दह दह पच पच शीघ्र उच्चाटय उच्चाटय हुँ फट् स्वाहा ठः ठः । " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir साधन-विधि दीपावली, होली अथवा ग्रहण के दिन १०००० की संख्या में जप करने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है । विशेष प्रयोग के समय इस मन्त्र में जहाँ " अमुक " शब्द आया है, वहाँ जिस व्यक्ति का उच्चाटन करना अभीष्ट हो, उसके नाम का उच्चारण करना चाहिए । प्रयोग विधि (१) जिस स्थान पर गधा लोटा हो, वहाँ की धूलि को बांये पाँव से लायें तथा मंगलवार की दोपहरी में उसे उक्त मन्त्र से १०८ बार अभिमन्त्रित करके शत्रु के घर में डाल दें तो उसका उच्चाटन होता है, अर्थात् वह अपना घर छोड़ कर कहीं अन्यत्र चला जाता है । अथवा (२) सरसों तथा शिव - निर्माल्य ( शिव-पिण्डी पर चढ़ाई गई वस्तुओंफल-फूल मिठाई आदि को 'शिव-निर्माल्य' कहते हैं) को उक्त मन्त्र से १०८ बार अभिमन्त्रित करके शत्रु के घर में गाढ़ देने से उसका उच्चाटन होता है । अथवा (३) कौए के पंख को उक्त मन्त्र से १०८ बार अभिमन्त्रित करके शत्रु के घर में गाढ देने से उसका उच्चाटन होता है । ww अथवा (४) उल्लू की विष्ठा तथा सरसों का चूर्ण करके, उसे उक्त मन्त्र से १०८ बार अभिमन्त्रित कर, जिस व्यक्ति के सिर पर डाला जाता है, उसका उच्चाटन होता है । For Private And Personal Use Only Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | ६५ अथवा(५) गूलर की लकड़ी की ४ अंगुल लम्बी कील उक्त मन्त्र से १०८ बार अभिमन्त्रित करके जिस व्यक्ति के घर माढ़ दी जायगी, उसका उच्चाटन होगा। अथवा (६) उल्लू के पंख को मंगलवार के दिन उक्त मन्त्र से अभिमंत्रित करके वैरी के घर में गाढ़ दिया जाय तो उसका उच्चाटन हो । अथवा(७) कौआ तथा उल्लू-दोनों के पंखों को घी में सानकर, साध्यशत्रु के नाम का उच्चारण करते हुए उन्हें १०८ बार मन्त्र द्वारा अभिमंत्रित करके होम करें तो उसका उच्चाटन होगा। अथवा(८) मनुष्य की हड्डी की ४ अंगुल लंबी कील को उक्त मन्त्र से १०८ बार अभिमंत्रित करके शत्रु के दरवाजे पर गाढ़ देने से उसका उच्चाटन होता है। उच्चाटन मन्त्र (२) मन्त्र- 'ॐ नमो भीमास्याय अमुक गृहे उच्चाटन कुरु कुरु स्वाहा।" विशेष उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुक' शब्द आया है, वहाँ जिसका उच्चाटन करना हो, उसके नाम का उच्चारण करना चाहिए। साधन-विधि यह मन्त्र १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध होता है। प्रयोग-विधि दोपहर के समय जहाँ गधा लोटा हो, उस स्थान की धूलि को पूर्व अथवा पश्चिम की ओर मुंह करके बांये हाथ से उठा लायें। फिर उस For Private And Personal Use Only Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६ , शावर तन्त्र शास्त्र धूलि को उक्त सिद्ध मन्त्र से १०८ बार अभिमंत्रित कर, सात दिनों तक नित्य शत्रु के घर में फेंकते रहने से गृह-स्वामी का उच्चाटन होता है। विद्वेषण मन्त्र (१) मन्त्र--(१) “ॐ नमो नारायणाय अमुके अमुकेन सह विद्वषं कुरु कुरु स्वाहा ।" साधन-विधि . यह मन्त्र ग्रहण के दिन या दीवाली की रात में १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध हो जाता है। विशेष प्रयोग के समय इस मन्त्र में जहाँ 'अमुके अमुकेन सह' शब्द आया है, वहाँ उन दोनों मित्रों के नाम का उच्चारण करना चाहिए, जिनमें परस्पर विद्वेषण (शत्रुता) कराना अभीष्ट हो। जैसे रामलाल का द्वारकादास के साथ विद्वेष कराना हो तो 'रामलालस्य द्वारकादासेन सह" आदि। प्रयोग-विधि (१) एक हाथ में कौए के पंख तथा दूसरे हाथ में घुग्घू पक्षी के पंख लेकर दोनों को उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर, परस्पर मिलाकर, काले सूत में लपेटें। फिर उन्हें हाथ में लेकर पानी (नदी, तालाब आदि) के किनारे पहुंचकर, उक्त मन्त्र का जप करते हुए १०८ बार तर्पण करें तो दोनों मित्रों में परस्पर विद्वेष हो जाएगा। . अथवा(२) सिंह तथा हाथी के बाल लेकर, दोनों मित्रों के पाँव के नीचे की मिट्टी लें फिर तीनों वस्तुओं को एक पोटली में बांधकर उसे पृथ्वी में गाढ़ दें तथा उस स्थान के ऊपर अग्नि जलाकर उसमें चमेली के फूलों की १०८ आहुतियां मन्त्र पढ़ते हुए दें। For Private And Personal Use Only Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | ९७ अथवा(३) बिल्ली और चुहा-दोनों की वीष्ठा लें तथा दोनों मित्रों के पाँव के नीचे की धलि में उसे सानकर एक पूतला बनायें, फिर उसे नीले रंग के वस्त्र में लपेट कर उसके ऊपर उक्त मन्त्र को १०८ बार पढ़कर फंक मारे तदुपरांत उस पुतले को श्मशान में ले जाकर गाढ़ दें। उक्त चारों विधियों में से किसी भी एक का प्रयोग करने से दोनों मित्रों में परस्पर विद्वेष (बैर) हो जाता है । विद्वेषण-मन्त्र (२) मन्त्र ---'बारा सरस्यों तेरा राई पाट की मांटी मसान की छाई, पढ़कर मारू करद तलवार, अमुका कढे न देखे अमुकी का द्वार, मेरी भक्ति गुरू की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा सतनाम आदेस गुरू का।'' साधन-विधि मन्त्र संख्या १ के अनुसार। विशेष उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुका' शब्द आया है, वहाँ एक मित्र का तथा जहाँ 'अमूकी' शब्द आया है, वहाँ दुसरे मित्र के नाम का उच्चारण करना चाहिए। यदि दोनो में एक पुरुष तथा दूसरी स्त्री हो तो 'अमुका' की जगह पुरुष के नाम तथा 'अमुकी' की जगह स्त्री के नाम का उच्चारण करना चाहिए । मुख्यतः यह मन्त्र दो प्रेमी स्त्री-पुरुषों के बीच विद्वेष कराने के लिए ही प्रयुक्त होता है। प्रयोग-विधि सरसों, राई और राख---इन सबको समान मात्रा में एकत्र करें। आक-ढाक की लकड़ी में उक्त मन्त्र का उच्चारण करते हुए इनकी १०८ आहुतियां दें। यह काम मंगलबार को करना चाहिए। अन्त में, होम की थोड़ी सी राख लेकर जहाँ दोनों स्त्री-पुरुप मित्र रहते या बैठते हों, उस स्थान पर या घर के दरवाजे के सामने डाल देने से दोनों में विद्वेष हो जाता है। For Private And Personal Use Only Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८ | शावर तन्त्र शास्त्र विद्वेषण-मन्त्र (३) .. .... .... .... मन्त्र— 'सत्य नाम आदेश गुरू को आक ढाक दोनों वन राई. अमुका अमुकी ऐसी करें जैसे कूकर और बिलाई ।" साधन-विधि मन्त्र संख्या २ के अनुसार। प्रयोग-विधि शनिवार से आरम्भ करके सात दिनों तक आक के सात पत्तों पर मन्त्र लिखकर उन्हें ढाक की लकड़ी के अंगारों में जलायें तो साध्य प्रेमीप्रेमिका में परस्पर विद्वेष हो जाता है। विद्वेषण-मन्त्र (४) मन्त्र- 'ॐ नमो नारदाय अमुकस्य अमुकेन सह विद्वेषणं कुरु कुरु स्वाहा।" साधन विधि यह मन्त्र १ लाख की संख्या में जपने से सिद्ध होता है। विशेष उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुकस्य अमृकेनसह' शब्द है, वहाँ जिन दो व्यक्तियों में परस्पर विद्वेष कराना हो, उनके नाम का उच्चारण करना चाहिए। प्रयोग-विधि (१) घोड़े का बाल तथा भैसे का बाल-दोनों को उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर, जिस सभा में उन दोनों को जलाकर धूप दी जायेगी, वहाँ उपस्थित लोगों में परस्पर विद्वेष हो जाएगा। अथवा(२) सेही के काँटे को उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर जिसके घर के दरवाजे पर गाढ़ दिया जायेगा, उस घर के लोगों में नित्य कलह होगी। For Private And Personal Use Only Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शाबर तन्त्र शास्त्र | ६९ अथवा(३) मोर की बीठ और सर्प का दाँत-इन दोनों को घिसकर उक्त मन्त्र से अभिमंत्रित कर अपने मस्तक पर तिलक लगाकर जिन दो व्यक्तियों के सामने खड़ा हो जाएगा, उन दोनों में परस्पर विद्वेष हो जाएगा। मारण-मन्त्र (१) मन्त्र—ॐ ह्रीं अमुकस्य हन् हन् स्वाहा।" साधन-विधि यह मन्त्र ग्रहण के दिन अथवा दिवाली की रात्रि में १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध होता है। विशेष __उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुकस्य' शब्द आया है, वहाँ साध्यं व्यक्ति (जिसकी मृत्यु अभीष्ट हो) के नाम का उच्चारण करना चाहिए। प्रयोग विधि कनेर के १००० फूलों को सरसों के तेल में भिगोकर 'उन्हें बैरी के नाम सहित मन्त्र का उच्चारण करते हुए अग्नि में होम करने से शत्रु की मृत्यु होती है। मारण-मन्त्र (२) मन्त्र- 'ॐ नमो हाथ फाउडी कांधे मारा भैरू बीर मसाने खड़ा लोहे की धनी वज्र का वाण वेगना मारे तो देवी कालका की आण गुरू की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा सत्यनाम आदेश गुरू का।" साधन-विधि मन्त्र संख्या १ के अनुसार । प्रयोग-विधि दीवाली की रात्रि को चौका लगाकर, दीपक जला, गूगल की धूनी दे। फिर उड़दों को अभिमन्त्रित कर दीपक की लौ पर मारता जाय । पहले For Private And Personal Use Only Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १०० | शावर तन्त्र शास्त्र १०८ बार उड़द मारें, फिर दुबारा १२ बार मारें । तत्पश्चात् काले कुत्ते के खुन को उड़दों पर लगाकर उन्हें राख में मिलाकर रखे तथा उनमें ३ उड़दों पर मंत्र पढ़कर, उन्हें बैरी के शरीर पर मारे तो मनोभिलाषा की पूर्ति होती है । मारण मन्त्र ( ३ ) मन्त्र. - ॐ नमो काल रूपाय अमुकं भस्मी कुरु कुरु स्वाहा । " विशेष एवं साधन विधिमन्त्र संख्या १ के 'अनुसार । प्रयोग-विधि (२) मनुष्य की हड्डी को पान में रखकर उक्त मन्त्र से १०८ बार अभिमंत्रित कर, जिसे खिलादें, वह मर जाएगा । अथवा- (२) मंगलवार के दिन पन्द्रह का यन्त्र विलोम करके चिता की भस्म से लिखें | फिर उसके ऊपर १०८ बार उक्त मन्त्र पढ़ते हुए श्मशान की । भस्म को डालें तो शत्रु मर जाता है । www.kobatirth.org पन्द्रह के यन्त्र का स्वरूप इस प्रकार है- ६ ut ७ २ 2 ५ € Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १५ का यन्त्र) For Private And Personal Use Only て 3 ४ S Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अथवा (३) जिस मंगलवार को भरणी नक्षत्र हो, उस दिन चिता की लकड़ी को उक्त मन्त्र से १०८ बार अभिमंत्रित करके, जिस व्यक्ति के दरवाजे पर गाढ़ा जाय, उसकी मृत्यु हो जाती है । मारण मन्त्र ( ४ ) मन्त्र शावर तन्त्र शास्त्र | १०१ मन्त्र “ॐ काली कंकाली महाकाली के पुत्र कंकाल भैंरूं हुक्म हाजिर रहै, मेरा भेजा काल करें, मेरा, भेजा रक्षा करे, आन बांधू, बान बांधू, दशों सुर बांधू, नौ नाड़ी बहत्तर कोठा बांधू, फूल में भेजू फल में जाइ कोठे जी पडे थरहर कंपे लहलहले मेरा भेजा सवा घड़ी सवा पहर कू वाला न करे तो माता काली की सज्या पर पग धरे, पे वाचा चुके तो ऊवा सूके वाचा छोड़ि कुवाचा करे तो धोवी नांद चमार के कूड में पड़े मेरा भेजा वाउला न करे तो महादेव की लटा टूट भूम में पड़े, माता पार्वती के चीर पे चोट करें, बिना हुकुम नहीं मारना हो काली के पुत्र कंकाल भैरूं फुरो मन्त्र ईश्वरोवाच । साधन विधि मंत्र संख्या १ के अनुसार । प्रयोग विधि- लौंगें जोड़ा, बताशे, पान सुपारी, कलावा, लोवान, धूप, कपूर तथा एक ठीकरा में रखें सिंदूर के 3 बेदा- इन सबकी त्रिशूल बनाकर, अभिमन्त्रित कर, २२ बार मंत्र पढ़कर अग्नि में होम करदे । इस प्रयोग से साध्य - व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है । मारण मन्त्र ( ५ ) For Private And Personal Use Only “ॐ नमो नरसिंहाय कपिल जटाय अमोघ वीचा सप्त वृत्ताय महोग्रचडरूपाय ॐ ह्रीं ह्रीं क्षां क्षां क्षीं क्षीं फट् स्वाहा ।" Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०२ / शावर तन्त्र शास्त्र साधन-विधि यह मन्त्र १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध होता है । प्रयोग-विधि - (१) मन्त्र को १०००० की संख्या में जप कर, एक हजार की संख्या में लाल रंग के पुष्प, कोविदार तथा घृत मिलाकर होम करने से शत्रु की मृत्यु हो जाती है। अथवा (२) कौए के पंख तथा पंजे को लाकर उसके साथ ही कुर्श हाथ में लेकर उक्त मन्त्र का जप करते हुए नदी में २१ अंजुलि तर्पण करने से शत्रु की मृत्यु हो जाती है। For Private And Personal Use Only Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शत्रु-पीड़न प्रयोग शत्रु, पीड़न के विषय में शत्रु यदि बलवान हो और समझाने-बुझाने, अनुनय-विनय अथवा किसी अन्य शान्ति पूर्ण उपायों के द्वारा भी हठधर्मी पर आमादा होकर हानि पहुँचाने का इच्छुक हो, उस स्थिति में शत्रु-पीड़न विषयक प्रयोगों का साधन करना चाहिए। ___ इस करण में शत्र-पीड़न के अनेक प्रयोगों को प्रस्तुत किया गया है। इनका प्रयोग करते समय विवेक-बुद्धि से काम लेना आवश्यक है। उदाहरणार्थ यदि शत्रु केवल बदनामी ही करता फिरता हो तो उसके प्रति मुखस्तम्भ प्रयोगों का साधन करना चाहिए। इससे उसका मुह बन्द हो जायेगा । न्यायालयों में मुकदमे आदि के समय शत्रु पक्ष कोई हानिकारक बयान न दे सके, इस हेतु भी मुख-स्तम्भन प्रयोगों का साधन उचित रहता है। ___ यदि केवल मुख-स्तम्भन से काम न चले तो शत्रु को कष्ट देने, उसे अपमानित करने अथवा अन्य प्रकार से पीड़ित करने के प्रयोगों का साधन करना चाहिए। किसी छोटे से अपराध के लिए बड़े दण्ड देने वाले मन्त्रादि का प्रयोग करना उचित नहीं रहता। शत्रु का व्यवहार जैसा हो, उसी के अनुरूप उसे सामान्य अथवा कठोर दण्ड देने वाले मन्त्र का प्रयोग करना ही ठीक है। शत्रु-नाशक यन्त्र-मन्त्र आगे प्रदर्शित यन्त्र को भोजपत्र के ऊपर हल्दी तथा हरताल से लिखें। प्रदर्शित यन्त्र के मध्यभाग में जहाँ 'देवदत्त' लिखा हआ है, वहाँ साध्य-शत्रु का नाम लिखें। लेखनोपरान्त यन्त्र को किसी एकान्त स्थान पर रख दें तो उसे बहुत हानि पहुँचती है। For Private And Personal Use Only Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०४X शावर तन्त्र शास्त्र Kललललल ललल बललल में विदों नल देवदत्तः/२ लललल लल ललल - (शत्रु नाशक-यन्त्र) उक्त यन्त्र को किसी एकांत स्थान में रखकर तथा उसके समीप स्वयं बैठकर निम्नलिखित मन्त्र का जप करने तथा कडुवे तैल (सरसों का तैल) हवन करने पर शत्रु की मृत्यु हो जाती है । मन्त्र इस प्रकार हैमन्त्र---"भुक्ष्व भुक्ष्व अमुकं क्षं।" टिप्पणी ___ उक्त मन्त्र में जहाँ अमुक' शब्द आया है, वहाँ णत्रु के नाम का उच्चारण करना चाहिए। शत्रु को नष्ट करने का मन्त्र निम्नलिखित मन्त्र को पहले किसी ग्रहण पर्व में १०००० की संख्या में जप कर सिद्ध करले। फिर शत्रु नाश हेतु इसका अर्द्धरात्रि के समय १००० की संख्या में नित्य जप करते रहने से कुछ ही दिनों में शत्रु का नाश हो जाता है। मन्त्र--- "त्रिपुरा संदुरित जौ तोहि तुजगे मानि जाउ पूत रारे बैरी रक्त नहाउ अलथांमौ थल थांमौ आपतिकाया खड For Private And Personal Use Only Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १०५ पृथिवी थांभौ त्रिपुरामाया थांभौ तिन्हम त्रिपुरसुन्दरी की शरण जौं अमुका के विष हरय परो वेगि देइ ।" टिप्पणी उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुका के' शब्द आया है, वहाँ शत्रु के नाम का उच्चारण करना चाहिए। शत्रु के ऊपर शैतान (प्रेत) चढ़ाने का मन्त्र शत्रु के ऊपर प्रेत (शंतान) चढ़ाने के लिए निम्नलिखित मन्त्र का. साधन करना चाहिएमन्त्र - "अल्प गुरु अल्प रहमान । उसकी छाती चढ़ शैतान । उसकी छाती न चढ़ तौ मा बहिन की सेज पै पग धरै अली की दुहाई।" टिप्पणी उक्त मन्त्र में जहाँ जहाँ 'उसकी' शब्द आया है, वहाँ-वहाँ शत्रु के नाम का उच्चारण करना चाहिए। साधन-विधि किसी भी शुक्रवार की रात्रि से इस मन्त्र का जप आरम्भ करना चाहिए। सर्व प्रथम फर्श के ऊपर मिट्टी से चौका लगायें। फिर उसके ऊपर उत्तर की ओर तिल तथा तेल का दीपक धरें, तदुपरान्त स्वयं दक्षिण की ओर मुह करके बैठे तथा सफेद फूल एवं रेवड़ी समीप रखकर, लोबान की धूप देते हुए १७००० की संख्या में उक्त मन्त्र का जप करें। जप पूरा हो जाने पर रेवड़ियाँ किसी क्वारे लड़के को देदें। इस विधि के पूर्ण हो जाने पर साधक को रात्रि में सोते समय वर प्राप्त होता है तथा मन्त्र सिद्ध हो जाता है। परन्तु मन्त्र की सिद्धि बनाये रखने के लिए इसका नित्य १०८ की संख्या में जप करते रहना चाहिए। प्रयोग-विधि मन्त्र के सिद्ध हो जाने के बाद आवश्यकता के समय, रात्रि में इस मन्त्र का १००० को संख्या में जप करें तथा जप की समाप्ति पर तीन बार अली की दुहाई दें अर्थात् "या अली, या अली, या अली" का जोर से उच्चारण करें। मन्त्र-जप के समय शत्रु का ध्यान करना तथा मन्त्र में उसकी के स्थान पर शत्र के नाम का उच्चारण करते रहना आवश्यक है। For Private And Personal Use Only Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०६ / शावर तन्त्र शास्त्र उक्त प्रक्रिया के सम्पूर्ण हो जाने पर शत्र के ऊपर शंतान चढ़ जाता है। यदि शत्र पर चढ़े हए शंतान को कभी उतारना अभीष्ट हो तो एक गेहूँ की रोटी बनाकर उसे एक ओर घी से चूपड़े तथा उसके ऊपर एक गुड़ की भेली रखकर दरिया (नदी) में बहा दें तो शत्र के ऊपर चढ़ा हुआ शैतान उतर जायेगा। शत्रु को परास्त करने का यन्त्र नीचे प्रदर्शित यन्त्र को भोजपत्र के ऊपर हरताल द्वारा चाहे जिस वस्तु की कलम से लिखकर पूजन करें। यन्त्र के मध्य भाग में जहाँ 'देवदत्तः' लिखा है, वहाँ शत्र का नाम लिखना चाहिए। लेखनोपरान्त यन्त्र का पूजन करें फिर उसे किसी क्वारी कन्या के हाथ से काते गए सूत में लपेट कर पथ्वी में गाढ़ दें तथा उस स्थान के ऊपर बैठकर नित्य प्रातः कुल्ला-दाँतौन करने के बाद, उस जगह पर ७ बार लात मारे । जब तक शत्र परास्त अथवा शरणागत न हो, तब तक इस क्रिया को नित्य करते रहना चाहिए। यन्ता का स्वरूप इस प्रकार है भावतासा देवदत्तः HNI आ आ (शत्रु को परास्त करने का यन्त्र) For Private And Personal Use Only Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शाबर तन्त्र शास्त्र | १०७ शत्रु की छाती फटने का यन्त्र नीचे प्रदर्शित यन्त्र को बकरे के रक्त द्वारा किसी कपड़े पर लिखकर, उसे धोबी के पटले के नीचे गाढ़ दे । जब-जब धोबी उस पटले पर अपने कपड़े पछीटेगा, तब-तब शत्र की छाती फटा करेगी अर्थात् उसकी छाती में भयंकर दर्द उठा करेगा। यन्त्र का स्वरूप इस प्रकार है २० । २० २ | - २४ | २३ | २६ | २१ | २२ | २५ (शत्र की छाती फटने का यन्त्र) शत्रु ज्वर-कारक यन्त्र आगे प्रदर्शित यन्त्र को एक कोरे ठीकरे पर लिखें । प्रदर्शित चित्र में जिस जगह 'देवदत्त' लिखा है, वहीं शत्रु का नाम लिखना चाहिए। For Private And Personal Use Only Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०८ | शावर तन्त्र शास्त्र यन्त्रालेखनोपरान्त ठीकरे को अग्नि में डाल दें तो शत्र को ज्वर आ जायेगा । यदि ठीकरे को अग्नि से बाहर निकाल लिया जायेगा तो उसका ज्वर उतर जायेगा। यन्ता का स्वरूप इस प्रकार है ११ देवदत्त Et) ( शत्रु ज्वर-कारक यन्त्र ) शत्र को कष्ट देने का मन्त्र मन्त्र--"ॐ काल भैरू कंकाल का वीर मार तोड़ दुश्मन की छाती घोट हाथ काल जो काढ़ बत्तीस दाँत तोड़ यह शब्द ना चले तो खरी जोगिनी का तीर छुटे मेरी भक्ति गुरू को शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा सत्यनाम आदेश गुरू का।" साधन-विधि ग्रहण, होली अथवा दीपावली के रात में १०००० की संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि ___ कन्नेर के २१ फूल तथा गूगल की २१ गोली लेकर सबको उक्त मन्त्र से अलग-अलग अभिमंत्रित करें फिर उन्हें सरसों के तेल में डुबाकर, प्रत्येक For Private And Personal Use Only Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १०६ फूल तथा गोली को २१.२१ बार मन्त्र से अभिमन्त्रित करते हए अग्नि में होम करें। इस प्रयोग को लगातार २१ दिनों तक करने से बैरी को अत्यधिक कष्ट मिलता है। अन्यायी-पुरुष को कष्ट देने का मन्त्र मन्त्र-“ॐ नमो आदेस गुरू को लाल पलंग नौरंगी छाया काढि काढ कलेजा तूही चख ।" साधन-विधि चौका लगाकर उस पर दीपक रखकर जलाये तथा तीन बार "आओ महावीर बलवान हनुमान जी"-कहे। फिर तीन बार "आओ कलुआ वीर रणधीर" कहे। फिर गूगल की धूनी देकर भोग रक्खे । इस क्रिया को नित्य करते हुए ११ दिनों तक प्रतिदिन ६००० की संख्या में उक्त मंत्र का जप करें तथा जप के अन्त में घत में लौंग, सुपारी, जायफल गूगल तथा मिश्री का चूर्ण मिलाकर १२५ बार मंत्र पढ़ कर अग्नि में १२५ आहुति दें। ग्यारह दिनों के बाद दो ब्राह्मणों को भोजन करायें। इस विधि से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि आवश्यकता के समय पूर्व कथित नियमानुसार पूजन करके, ११ दिनों तक नित्य १ माला मंत्र का जप करते रहने से, जिस अन्यायी पुरुष के उद्देश्य से प्रयोग किया गया हो, उसे कष्ट प्राप्त होता है। शत्रु को अपमानित करने का मन्त्र मन्त्र-“ॐ नमो हनमंत बलवंत माता अंजनी पुत्र हल हलंत आओ चलंत आओ गढ किल्ला तोडत आओ लंका जाल वाल भस्मि करि आओ ले लंका लंगूरतें लपिटाय सुमेर तें पटिकाओ चन्द्रा चन्द्रावली भवानी मिलि गावें मंगलचार जीते राम लक्ष्मण हनुमानजी आओजी तुम आओ सात पान का बीड़ा चर्वत मस्तक सिन्दूर चढ़ाओ आओ मंदोद्री के सिंहासन डुलता आओ यहाँ आओ हनुमान मोया For Private And Personal Use Only Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११० / शावर तन्त्र शास्त्र जागते नृसिंह मोया आगे भैरू किल्किलाय ऊपर हनुमन्त गाजे दुर्जन को वार दुष्ट को मार सिंहारए जा हमारे सत्त गुरू हम सत्त गुरू के बालक मेरी भक्ति गुरू की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।" साधन विधि होली, दीवाली, ग्रहण अथवा किसी शुभ मुहूर्त से मन्त्रा को जपना आरम्भ करें। १०००० की संख्या में जपने से मन्त्र सिद्ध हो जाता है। २१ दिन या ४० दिन में जप पूरा कर लेना चाहिए। जप की अवधि में मंगलवार के दिन ७ पान के बीड़ा तथा ७ लड्डू का भोग रखना चाहिए तथा अन्य बारों में नित्य १ बोड़ा पान, बतासे रखने चाहिए तथा प्रतिदिन धूप, दीप, नैवेद्य से हनुमान जी का पूजन करना चाहिए एवं इत्र में सिन्दूर सानकर तथा सुगन्धित पुष्प चढ़ाने चाहिए। इस विधि से सांधन करने पर मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि (१) पृथ्वी पर शत्रु की मूर्ति बनाकर उसमें आगे प्रदर्शित चित्र के अनुसार जहाँ-तहाँ '' बीज लिखकर मूर्ति की छाती में शत्रु का नाम लिलें। फिर मन्त्र पढ़ कर उसके सिर पर जता मारे तो बैरी का सिर फूटता है और वह रोता है तथा उसकी बुद्धि नष्ट हो जाती है। अथवा (२) आगे प्रदर्शित चित्र के अनुसार एक मोम का पुतला बनाकर; उस पर जहाँ-तहाँ 'हुँ' बीज लिखें। बीज-मन्त्रा लिखते समय पूर्व दिशा की और मुंह करके बैठना चाहिए । पुतली की छाती पर शत्रु का नाम लिखें। फिर मुर्दे की हड्डी की एक कील उस पुतली की छाती में गाढ़ कर, पुतली को श्मशान भूमि में गाढ़ कर, मुर्दे के हाड़ की भस्मी से उसे ढंक दें तो बैरी बावला होकर कभी भागेगा, कभी चलने से रुक जायेगा और बीमार रहेगा। जब तक पुतली को पृथ्वी से बाहर नहीं निकाला जायेगा, तब तक दुश्मन के सिर पर हजारों विपत्तियाँ मँडराती रहेंगी । पुतली को उखाड़ देने पर आफतें टल जायेंगी, अन्यथा वह मर जायेगा। For Private And Personal Use Only Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १११ ha ई TA देवदत (दुश्मन को अपमानित करने के मन्त्र की विधि का चित्र) इस प्रयोग को करते समय यह ध्यान रखना आवश्यक है कि जो कुछ भी काम करें, वह मन्त्र पढ़ते हुए ही करें। लोहे की ४ कीलों को बैरी के घर की चारों दिशाओं में गाढ़ देना चाहिए। इससे स्तम्भन होता है । जिस समय पुतली का चित्र पृथ्वी पर बनाये अथवा मोम का पुतला बनाये अथवा स्तम्भन की कीलों को गाढ़ें, उस समय हनुमान जी को खीर का भोग लगाना चाहिए। शत्रु-मुख-बंधन मन्त्र मन्त्रा--"ॐ ह्रीं श्रीं खेतल वीर चौंसठ जोगनी प्रतिहार मम शत्रून् अमुकस्य मुख बन्धनं कुरु-कुरु स्वाहा ।" For Private And Personal Use Only Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११२ | शावर तन्त्र शास्त्र विशेष उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुकस्य' शब्द आया है, वहाँ शत्रु के नाम का उच्चारण करना चाहिए। साधन-विधि उक्त मन्त्रा ग्रहण, होली अथवा दिवाली की रात्रि में १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध होता है। प्रयोग-विधि घृत तथा शहद की अग्नि में १००० आहतियाँ दें। प्रत्येक आहति देते समय उक्त मन्त्र का उच्चारण करें। फिर लोहे की ४ अंगुल की एक कील को उक्त मन्त्रा से अभिमन्त्रित कर श्मशान में गाढ़ दें तथा उसे गाढ़ते समय भी मन्त्रोच्चारण करें। इस प्रयोग से शत्रु का मुह बन्द हो जाता है। शत्रु-बुद्धि स्तम्भ मन्त्र मन्त्र---"ॐ नमो भगवते शत्रूणां बुद्धि स्तम्भनं कुरु-कुरु स्वाहा ।" साधन-विधि पूर्वोक्त मन्त्र के अनुसार। 'प्रयोग-विधि ऊँट की लीद को छाया में सुखाकर उसमें से १ रत्तीभर पान में रक्खें तथा उस पर १०८ बार मन्त्र पढ़ कर शत्रु को वह पान खिला दें तो वह बावला हो जाता है। शत्रु-मुख-स्तम्भन मन्त्र (१) मन्त्र-(१) "अलफ अलफ दुश्मन के मुंह में कुलफ मेरे हाथ ___ कुन्जी रूपा रेत कर, दुश्मन को जेर कर।" साधन-विधि किसी शनिवार से आरम्भ कर ७दिन-रात्रि में घृत का दीपक जला कर तथा फूल-बताशे चढ़ाकर, नित्य कपूर के १००० टुकड़ों को मन्त्र पढ़पढ़ कर, अग्नि में डालें तो मन्त्र सिद्ध हो जाता है। For Private And Personal Use Only Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | ११३ प्रयोग-विधि न्यायालय (अदालत) में मुकदमा चलते समय इस मन्त्र को मनही-मन १०८ बार पढ़कर शत्र से बात करें तथा उसकी ओर फूक मारे तो उसका मुह बन्द हो जाय और कुछ बोल न सकें। ___इसी मन्त्र को १०८ बार पढ़ कर अर्जी (आवेदन पत्र) पर फूक मारे तथा उसे लोबान की धूनी देकर, हाकिम के हाथ में दें तो मनोरथ सिद्ध होगा अर्थात हाकिम उस अर्जी को मंजूर कर लेगा। शत्रु-मुख-स्तभन मन्त्र (२) मन्त्र-"ॐ नमो या वली या वली उसका चश्मा कुलफ उसका बाजू कुलफ दुश्मन को जेर कर हमको सेर ।" साधन-विधि हनुमानजी का विधि पूर्वक पूजन करके गुग्गुल की १००० डली, प्रत्येक को उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित करते हुए अग्नि में डालें तो मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि __ आवश्यकता के समय इस मन्त्र को ७ या ११ बार पढ़ कर दुश्मन की ओर फूक मार देने से उसका मुह बन्द हो जाता है और वह अदालत में बकवास नहीं कर पाता। शत्रु-मुख-स्तम्भन मन्त्र (३) मन्त्र-"शाह आलम कुतुब आलम जेर कर दुश्मन दफे करो जालिम ।" साधन-विधि किसी शुभ महीने के शुक्ल पक्ष की पहली जुमेरात से आरम्भ करके ८ दिनों तक नित्य ४० बार मन्त्र का जप करें तथा रात्रि के समय दीपक जलाकर फूल-बताशे चढ़ा कर लोबान की धूनी दें तथा रेबड़ी चढ़ावें तो मन्त्र सिद्ध हो जाता है। For Private And Personal Use Only Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११४ | शावर तन्त्र शास्त्र प्रयोग-विधि आवश्यकता के समय शत्र पर यह मला पढ़कर फूक मारने से उसका बोलना बन्द हो जाता है। शा के जूता लगने का मन्त्र मन्त्र— "इम्नामोन सलास मातिन् ।" साधन-विधि एक माला का नित्य जप करें । जब १०००० की संख्या में जप पूरा हो जाय, तब अमल करना चाहिए। प्रयोग विधि ___ फूल, लोबान, सन्दल, चमेली का तेल, कस्तुरी, अरगजा और दशांग अवर-इन सबको समभाग (बराबर-बराबर लेकर चूर्ण कर लें। फिर इनकी धूप चमेली के तेल में दें और ४० दिन तक अमल करें। तदुपरान्त मिट्टी का एक खूब मजबूत पुतला बनाकर सुखा लें, फिर उसे अपने सामने रखकर बैठे तथा शत्रु का ध्यान करके जीयापोता के १०८ दाने वाली माला पर ऊपर लिखे मन्त्र का जप करें । एक माला का जप पूरा हो जाने पर, उस पुतले की चाँद पर एक जूता मारें। इसी प्रकार १०० माला का जप करें तथा पुतले को १०० जूते लगायें साथ में धूप भी देते जायें। . इस प्रयोग को ७ दिन तक लगातार करते रहने से शत्रु पर कहीं जूते पड़ते हैं। यदि इस मन्त्र का जप तथा प्रयोग लगातार ४० दिन तक किया जाय तो शत्रु का कपाल फट जाता है। शत्र को आबद्ध करने का मन्त्र मन्त्र—"जाग जागरे मसान मेरे सुरति करि करि फलाने का बेटा फलाने के घर जाय जो न जाय तो तेरी मां बहिन की तीन तलाक ।" टिप्पणी इस मन्त्र में जहाँ 'फलाने का बेटा फलाने' शब्द आया है, वहाँ शत्र. के पिता का नाम तथा शत्र के नाम का उच्चारण करना चाहिए । जैसे"रामलाल का बेटा देवकीनन्दन के घर जाय” इत्यादि । For Private And Personal Use Only Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | ११५ साधन-विधि __ इस मन्त्र को सिद्धि-योग में १०८ बार जप कर सिद्ध कर लें। प्रयोग-विधि आवश्यकता के समय किसी कब्र में एक शूकर का दाँत गाढ़ दें तथा २१ दिनों तक उसी कब्र के पास खड़े होकर उक्त मन्त्र का रात्रि के समय जप करें तो शत्रु का अपने घर से निकलना बन्द हो जाता है। यदि शत्रु को घर से बाहर निकलने देना हो तो कब्र में गाढ़े गये शूकर के दाँत को बाहर निकाल लेना चाहिए। शत्र पीड़ा-कारक एवं मारण प्रयोग मन्त्र--- "बार बांधौं बार निकाले जाकाट धारनी सूजांये लय बहरना चौहाथ से तौ काट दाँत से दुहाई मामा हवा की।" साधन-विधि पहले फर्श पर पोता-मिट्टी से चौका लगावें । फिर उसके ऊपर सफेद चादर बिछाकर, उसके ऊपर पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाय तथा एक घी का दीपक जलाकर अपने सामने रख लें । साथ में थोड़ा सा हलुआ, दो पूड़ी, इत्र, मेवा तथा गाँजे की चिलम -इन सब पदार्थों को रखें । दीपक के आगे लौंग के दो जोड़े तथा एक नीबू को रख कर, लोबान की धूप दें तथा मन्त्र को जपें । तत्पश्चात् सम्पूर्ण वस्तुओं को किसी नदी के पानी में फेंक द । परन्तु नीबू और दीपक को वहीं रखा रहने दें। अन्त में पूर्वोक्त मन्त्र से नीबू को १०१ बार अभिमन्त्रित करके उसे छेद अर्थात् नीबू में किसी लोहे की कील आदि से छेद करें। उक्त प्रक्रिया को ४० दिन तक नित्य दुहराते रहने से शत्रु के उदर (पेट) में पीड़ा होने लगेगी और अन्तिम दिन जब नीबू को छेदा जायेगा, तब उसकी मृत्यु हो जायेगी। शत्रु-मारण मन्त्र मन्त्र-“ऐदू ऐ श्री मम शत्रु न् हानय हानय घातय घातय मारय मारय हुँ फट् स्वाहा ।" For Private And Personal Use Only Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११६ | शावर तन्त्र शास्त्र साधन-विधि रात के समय शत्रु का ध्यान करके काष्ठ कमीला के ऊपर इस मन्त्र का नित्य १००० की संख्या में जप करें। इस प्रकार ४८ दिन तक मन्त्र जप करते रहने से शत्रु की मृत्यु हो जाती है। शत्रु-मोहन यन्त्र नीचे प्रदशित यन्त्र को लाल चन्दन द्वारा भोज पत्र पर लिखने के उपरान्त उसका पूजन करें, तत्पश्चात् मन्त्र लिखित भोज पत्र को शहद से भरे हुए बर्तन में डाल दें तो शत्रु सम्मोहित होकर; साधक के वशीभूत हो जाता है। __ यन्त्र का स्वरूप निम्नानुसार है। इस चित्र के मध्य भाग में जहाँ 'देवदत्त' लिखा है, वहाँ शत्रु का नाम लिखना चाहिए। देवदत्त रिवः Ne/ ( शत्र, मोहन यन्त्र ) For Private And Personal Use Only Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | ११७ कलहकारक यन्त्र नीचे प्रदर्शित यन्त्र को स्याही द्वारा कागज पर लिखकर अथवा लाल चन्दन द्वारा भोज पत्र पर लिखकर, जिस व्यक्ति के घर के दरवाजे पर गाढ़ दिया जाता है, उसके घर में कलह होने लगती है । ३१ । ३१ | ३१ । ३१ । ३१ ३१ 22 ३१ ( कलह कारक यन्त्र ) सर्वोपरिजिह्वा-स्तम्भन मन्ना यह बगलामुखी जिह्वा-स्तम्भन का सर्वोपरि प्रयोग है। इसमें क्रमशः संकल्प, न्यास तथा ध्यान करने के बाद मन्त्र-जप किया जाता है इसके साधन में षट्कोण यन्त्र के निर्माण की भी आवश्यकता पड़ती है। इसकी विधि निम्नानुसार है। सर्व प्रथम संकल्प-वाक्य का उच्चारण करेंअथ संकल्प-"श्री बगलामुखी नमः । श्री गणेशायनमः । ॐ अस्य श्री बगलामुखी महामाया मन्त्रस्य नारद ऋषि अनुष्टुप् छन्दः श्री बगलामुखी देवता लं बीज ह्रीं शक्ति रं कीलकं झटिति मम शत्रूणां नाथार्थे जपे विनियोगः ।" इसके बाद निम्नानुसार न्यास करें। For Private And Personal Use Only Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११८ / शावर तन्त्र शास्त्र अथकराङ्गन्यास - "ॐ ह्रां अंगुष्ठाभ्यां नमः "ॐ ह्रीं तर्जनीभ्यां स्वाहा । "ॐ ह्र मध्यमाभ्यां वषट् । ''ॐ ह्र अनामिकाभ्यां वौषट् । "ॐ ह्रौं कनिष्ठिकाभ्यां हुँ । "ॐ ह्रः करतलकरपृष्ठाभ्यां फट् । अथहृदयादिन्यास--"ॐ ह्रां हृदयाय नमः । "ॐ ह्रीं शिरसे स्वाहा । "ॐ ह्रसिखायै वषट् । "ॐ ह्र नेत्रत्रयाय वौषट् । 'ॐ ह्रौ कवचाय हुँ। "ॐ ह्रः अस्त्राय फट् ।" अथ ध्यानं-"वादीमूकतिदासतिक्षितिपति वैस्वानरः शीतति । क्रोधी शम्यति दुर्जनः सुजनति क्षिप्रानुगः खजति ॥ गर्वीखर्वति सर्वविच्च जडति त्वन्मत्रणा यंत्रतः । श्रीविद्य बगलामुखि प्रतिदिनं कल्याणि तुभ्यं नमः ॥" ध्यानोपरान्त निम्नलिखित मन्त्र का जप करें। अथ मन्त्र--ॐ ह्रीं बगुलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वां कीलय बुद्धि विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा ।" For Private And Personal Use Only Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | ११६ साधन-विधि किसी शुभ मुहर्त से मन्त्र को जपना आरम्भ करें। ४१ दिन में सवा लाख की संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। यदि सवा लाख का प्रयोग न कर सकें तो ३६ दिन में ३६००० मन्त्र (प्रतिदिन १०००) जप कर, जप का दशांश होम करें। होम का दशांश तर्पण करें तथा तर्पण का दशांश ब्राह्मण भोजन करायें, तो भी यह मन्त्र चमत्कारी फल प्रदर्शित करता है, परन्तु पूर्ण योग सवा लाख का ही है । सवा लाख मन्त्र जपकर, जप का दशांश होम, होम का दशांश तर्पण तथा तर्पण का दशांश ब्राह्मण-भोजन कराना चाहिए। यन्त्र पूजन इस मन्त्र का जप करते समय नीचे प्रदर्शित चित्र के अनुसार षटकोण यन्त्र बनाकर उसका विधिवत् पूजन करना भी आवश्यक होता है। यन्त्र का स्वरूप इस प्रकार होगा - (षट्कोण पत्र) For Private And Personal Use Only Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२० | शावर तन्त्र शास्त्र इस यन्त्र का निर्माण तथा पूजन करते समय साधक को पीले वस्त्र पहिन कर पीले रंग के आसन पर बैठना चाहिए। घी में थोड़ी सी केशर मिलाकर उसे पीले रंग का कर लें तथा उस घृत को दीपक में भर कर रुई को भी पीला रंगकर, उसकी बत्ती दीपक में डाल कर जलायें ! तत्पश्चात् एक कांसे की थाली में पिसी हुई हल्दी से षट्कोण यन्त्र का निर्माण करें। यन्त्र के छहों कोणों में 'ॐ' तथा मध्य भाग में केशर से 'ही' लिखें। लेखनोपरान्त हल्दी से चौका लगा कर, उस पर यन्त्र को थाली रखकर, पूजन-आवाहन आदि से षोडशोपचार पूजन कर, पीले रंग के पुष्प चढ़ावें तथा केशर से पूजन कर, पीले अक्षत चढ़ाकर, पोले लड्ड का भोग रक्खे । तदुपरान्त मन्त्र का जप आरम्भ करें। प्रयोग-विधि आवश्यकता के समय इस मन्त्र को पढ़ कर दुश्मन के मुंह की ओर फूक मार दें तो उसका मुंह बन्द हो जाता है। यदि हाकिम या अफसर गाली देकर बात करता हो तो उसके मुह की ओर मन्त्र पढ़कर फूक मारने से भी ऐसा ही प्रभाव होता है अर्थात् हाकिम या अफसर का दुष्टस्वभाव बदल जाता है और वह साधक के अनुकूल हो जाता है। For Private And Personal Use Only Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वन्दी-मोक्षण प्रयोग वन्दी-मोक्षण के सम्बन्ध में 'वन्दी-मोक्षण' का अर्थ है-बन्धन में पड़े हुए किसी व्यक्ति को बन्धन-मुक्त कराना। वर्तमान समय में वन्दी व्यक्तियों की दो श्रेणियाँ हैं-(१) जिन्हें न्यायालय द्वारा दण्डित किया गया हो और जो कारागर में कैदी के रूप में वन्दी-जीवन बिता रहे हों तथा (२) जिन्हें किसी व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के समूह ने अवैध रूप से अपने घेरे में ले रक्खा हो और उसे अपने घर न जाने दे रहे हों। दूसरी प्रकार के बन्दो प्रायः डकैतों द्वारा अपहरण किये गये लोग होते हैं। वन्दी-मोक्षण के प्रयोग उक्त दूसरी प्रकार के लोगों को बन्धन-मुक्त कराने में विशेष प्रभावकारी सिद्ध होते हैं। साथ ही, कारगार में बन्द 'वन्दी' को भी राहत पहुंचाने वाले सिद्ध होते हैं अर्थात इन प्रयोगों के साधन से यदि कोई व्यक्ति कारागार में बन्द है, तो उसे शीघ्र छोड़ देने के विषय में न्यायालय द्वारा पुनविचार किया जा सकता है तथा इस दिशा में किये गए प्रयत्न सफल सिद्ध हो सकते हैं। कारागार की सजा प्राप्त वन्दियों के अतिरिक्त अपहरण करके वन्दी बनाये गए लोगों के प्रति इन साधनों का यह लाभ होता है कि अपहरणकर्ताओं की मनःस्थिति बदल जाती है और वे स्वयं के द्वारा वन्दी बनाये गये व्यक्ति को छोड़ देते हैं अथवा वन्दी व्यक्ति को कोई ऐसा सुअवसर उपलब्ध हो जाता है, जिसका लाभ उठाकर वह स्वतः ही घर लौट आता है। इस प्रकरण में वन्दी-मोक्षण विषयक कुछ मन्त्र-साधनों का उल्लेख किया गया है। For Private And Personal Use Only Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२२ | शावर तन्त्र शास्त्र वन्दी-मोक्ष मन्त्र (१) निम्नलिखित में से किसी भी एक मन्त्र का प्रयोग किसी बन्धन में पड़े हुए मनुष्य (वंदी) को छुड़ाने के लिये किया जाता है— मन्त्र-“ॐ चक्र श्वरी चक्रधारिणी शंख गदा प्रहारिणी अमुकस्य बंदी खलास ।" टिप्पणी ___ उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुकस्य' शब्द आया है, वहाँ जिस बंदी व्यक्ति को बंधन से छुड़ाना अभीष्ट हो, उसके नाम का उच्चारण करना चाहिए। साधन विधि सूर्य ग्रहण अथवा दीवाली की रात्रि में यह मंत्र १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध हो जाता है । प्रयोग विधिइस मन्त्र को २१ बार पढ़ने से वन्दो व्यक्ति बंधन से छूट जाता है। वन्दी-मोक्ष मन्त्र (२) मन्त्र- "ॐ गज गतेऽम कुरते दाम डंडस्त फेफेफेत्कार फारै विशिष ज्वाला माला करालं हो हो होनि हातं हसि हसि मनिसभा सपाटा रहा सेहं कारणा नौदौस्ति खन कुरुते सर्वत् मुखं जति ।" साधन एवं प्रयोग विधि-- मन्त्र संख्या १ के अनुसार। वन्दी मोक्ष मन्त्र (३) मन्त्र-"ॐ छोटि मोटि वेटुकी कानो कटुकइ इताहसा एक विदुजइ ममीजइ सविंदु जाइ अमुका का विबंधि पवंधि दोषो कामाक्षा देवी तेरी शक्ति मेरी भक्ति फुरौ मन्त्र । टिप्पणी इस मन्त्र में जहाँ 'अमुका' शब्द आया है वहाँ वन्दी-व्यक्ति के नाम का उच्चारण करना चाहिए। For Private And Personal Use Only Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १२३ साधन एवं प्रयोग-विधिमन्त्र संख्या १ के अनुसार। वन्दी-मोक्ष मन्त्र (४) मन्त्र--"ॐ नमोस्तुते भगवते पार्श्वचन्द्राधरेन्द्र पद्मावती सहि ताय मेऽभीष्ट सिद्धि दुष्टग्रहं भस्म भक्ष्यं स्वाहा स्वामी प्रसादे कुरु कुरु स्वाहा हिलि हिलि मातंगिनि स्वाहा स्वामी प्रसादे कुरु कुरु स्वाहा ।" साधन एवं प्रयोग विधिमन्त्र संख्या १ के अनुसार। वन्दी-मोक्ष मन्त्र (५) मन्त्र—"बाघ वाहिनि सिंहेया काली काली कालाम्बी आजा देवी मैं तोरी शरणे वने नाही विशस तोहि देवी त्रिभुवन रे माप चौषष्टि बन्धन काटार भांगी अपिला बाघ बाघ थापा एनी अलं चाषीष्ट बंधन होइल वीरल काली काया छोड़े हंकार चौषष्टि बन्धन काटार भागिभल छार थार कालिकार आज्ञा ।" साधन विधि मन्त्र संख्या १ के अनुसार। प्रयोग-विधि इस मन्त्र को १०८-१०८ बार करके दो बार अर्थात् कुल २१६ बार पढ़ने से वन्दीगृह में अनेक प्रकार के छिद्र खुल जाते हैं, ताकि उनमें से वन्दी सरलता पूर्वक बाहर निकल सके । फिर इसी मन्त्र को २१ बार पढ़ कर हाथ की अंगुली द्वारा प्रहार करने मात्र से ही बन्दीगृह का द्वार खुल जाता है। तत्पश्चात् "ॐ दं हं ॐ आये आये चिविठि होलो वभनंदिका कालिका"इस मन्त्र द्वारा अभिमन्त्रित सफेद सरसों तथा सफेद पुष्पों को वन्दीगृह के पहले द्वार पर डाल देने से शेष सभी दरवाजे खुल जाते हैं। For Private And Personal Use Only Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७. गर्भ, प्रसव एवं रजोधर्म संबंधी प्रयोग ___गर्भ, प्रसव एवं रजोधर्म के विषय में इस प्रकरण में वध्यत्व-दोष-नाशक, गर्भ-स्थिति कारक, गर्भ-रक्षक, सुख पूर्वक प्रसव कराने में समर्थ तथा असमय प्रारम्भ होने वाले रजःस्राव को, जिसके कारण गर्भ के गिर जाने का खतरा हो, रोकने वाले मन्त्रसाधनों का उल्लेख किया जा रहा है। नियोग-विधि से गर्भ-धारण की प्रथा प्राचीन काल से भारत में भी प्रचलित थी, जिसका उल्लेख पुराणादि ग्रन्थों में पाया जाता है। नियोगविधि अपनाये जाने पर भी यदि गर्भ-स्थिति न हो तो सारा प्रयत्न ही निष्फल हो जाता है। ऐसे अवसर पर मन्त्र-प्रयोग सहित किये गये प्रयत्न सफलता दायक सिद्ध हो सकते हैं। ___ इसी प्रकार गर्भस्थ शिशु की रक्षा एवं गर्भ-स्राव अथवा गर्भपात को रोकने में भी मन्त्र-प्रयोग अपना चमत्कारी प्रभाव दिखाते हैं। आकस्मिक रूप से होने वाला रजः-स्राव गर्भच्युति का कारण तो बनता ही है, स्त्री के स्वास्थ्य के लिए भी विशेष हानिप्रद सिद्ध होता है। इन संकटों पर भी मन्त्र-साधन द्वारा नियन्त्रण प्राप्त किया जा सकता है। प्रसव के समय अभूतपूर्व वेदना होती है, उसे कम करने में सुखप्रसव के मन्त्र-प्रयोग हितकर सिद्ध होते हैं। अस्तु, इनका समयानुसार उचित प्रयोग करना आवश्यक है। नियोग-विधि से गर्भधारण का मन्त्र जो स्त्रियाँ बाँझ हों और जिनके पति सन्तानोत्पादन करने में असमर्थ (नपुंसक हों, वे यदि नियोग-विधि (पर-पुरुष के साथ सहवास के गर्भ-स्थिति) को अपनाना चाहें तो निम्नलिखित मन्त्रों के प्रयोग से उन्हें एक बार पुत्र का लाभ हो सकता है। इन मन्त्रों के प्रयोग के साथ शर्त For Private And Personal Use Only Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भावर तात्र शास्त्र | १२५ यही है कि गर्भ स्थिति के लिए पर-पुरुष के वीर्य का ही उपयोग करना चाहिए। मन्त्र-"विष्णुर्योनि कलपयतुत्वष्टारूपाणि पिंशतु आसिं ब्रजंतु प्रजापति ता गर्भ विदधातु गर्भ धेहि सिनीवाली गर्भ धेहि सरस्वती गर्भते अश्विनौ देवा अधत्तांपुष्कर सजौ।" प्रयोग-विधि इस मन्त्र को ३, ७ अथवा २१ बार पढ़ कर वीर्य धारण करना चाहिए। नियोग-विधि से गर्भ-धारण का मन्त्र (२) .. .... .... .... .... .... ........ .... मन्त्र- 'ॐ नमो आदेश गुरु को ॐ नमो आदेश गुरु को बांझिन पुत्रिनि एक बांझ मराक्ष जाति चौथो गर्भ पालिनी चारि उन्हि एकमत भय चली चली कामरू गई कामरू देश कामाक्षा रानी ते इस्माइल योगी बषानी तुम जाहु योगि के पास पुरहि तो हरि मन के आस इस्माइल के संग उन्ह रतिकइ आंतर भेंटनो नावमा इनी से भइ नोने कहा तहु चारिहु छिनारी कोषित निति कीन्हन देहगारी कोषि निति कुन्ती पाँच संगषेली एक द्रोपदी पाँच के सहेली सूरज देवता साषी होहु मोरे जिवमे भा सन्ताप मोहि तजि लागे पर पुरुष के पाप एक बूद निति अकरम कीन्ह तेहिते है वंश कर चोन्ह शिववाचा ब्रह्मवाचा लेहु जमाउ ठोना टमाना भूत प्रेत दोष रोग जो लाख होइ तेहि जग चण्डी जाउ हरिजंबीर ।" प्रयोग विधि इस मन्त्र को १ या ३ बार पढ़ कर वीर्य धारण करना चाहिए। For Private And Personal Use Only Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२६ / शावर तन्त्र शास्त्र गर्भ-रक्षा मन्त्र (१) मन्त्र- 'ॐ पतहुर्भावया नारी स्थिर ग पिजायते ।" प्रयोग-विधि जिस स्त्री का गर्भ गिरने की संभावना हो, उसे इस मन्त्र द्वारा ७ बार अभिमन्त्रित जल पिला देने से गर्भ की रक्षा होती है। गर्भ-रक्षा मन्त्र (२) मन्त्र-"हिमवंत उत्तरे कूले कीदृशी नाम राक्षसी । तस्या स्मरण मात्रेण गर्भी भवति अक्षयः । ॐ थाथो मोथो मेरा कहा कीजिये फलानी का गर्भ जाते राषि लीजिये गुरू की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।" टिप्पणी उक्त मन्त्र में जहाँ 'फलानी' शब्द आया है, वहाँ गर्भवती स्त्री के नाम का उच्चारण करना चाहिए। प्रयोग-विधि इस मन्त्र को चन्दन द्वारा भोजपत्र पर (अभाव में स्याही द्वारा कागज पर) लिख कर, उसका गण्डा बना कर गर्भवती स्त्री की कमर में बाँध देने से गर्भ की रक्षा होती है अर्थात् गर्भपात नहीं होता है । गर्भ-रक्षा मन्त्र (३) मन्त्र- 'ॐ नमो गंगा उकारे गोरख बहाघोर घीपार गोरख बेटा ___ जाय जय द्रुत पूत ईश्वर की माया ।" प्रयोग-विधि क्वारी कन्या के हाथ से काते हुए सूत का गण्डा बनाकर उसे इस मन्त्र द्वारा अभिमन्त्रित कर गर्भवती-स्त्री को पहिना देने से रक्त स्राव तथा गिरता हुआ गभं रुक जाता है। For Private And Personal Use Only Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १२७ गर्भ-रक्षा मन्त्र (४) मन्त्र- 'ॐ नमो आदेश गुरू को ॐ बाबा अङ्ग ते बांधि राख नृसिंह जती सीस तें बाँधि राख श्री गोरखनाथ कांखतें बांधि राख हयूली का राजा मूडी ते बांधि राख तूडासन देवी यह मन पवन काया को राख थांभे गर्भ और बांधे घाव थांभे माता पारवती गंडो बांधे ईश्वरजती जब लग गंडो कट पर रहै तब लग गर्भ काया में रहे गुरू की शक्ति मेरी भक्ति फूरो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।" प्रयोग-विधि __ क्वारी-कन्या के हाथ से काते हुए सूत द्वारा गर्भवती स्त्री के शरीर की एड़ी से चोटी तक ७ बार नाप कर उसकी ७ लड़ बनायें फिर ७ बार मन्त्र का उच्चारण करते हुए उसमें ७ गांठ लगायें, तदुपरान्त उसे गर्भवती स्त्री की कमर में बांध दें । जब 6 महीने पूरे हो जाय, तब उसे खोल दे । कमर में बाँधने से पूर्व गण्डे की गूगल की धूनी देनी चाहिए तथा फूल चढ़ाने चाहिए । साथ ही सवा पाव मिठाई बच्चों को खिलाये । जब तक यह गण्डा बँधा रहेगा, तब तक गर्भ स्थिर रहेगा। प्रसव का समय समीप आने पर ही इसे खोलना चाहिए। गर्भ-रक्षा मन्त्र (५) मन्त्र- 'ॐ नमो आदेश गुरू को हनुमंत वीर गंभीर धूजे धरती बंधावे धीर बाँध बाँध हनुमंता. वीर मास एक बाँधू, मास दोइ बांधू, मास तीन बाँधू, मास चार बाँधू, मास पाँच बाँधू, मास छै: बाँधू', मास सात बाँधू, मास आठ बाँधू, मास नौ बांधू, अमुकी. को गर्भ गिरे नहीं ठांह को ठांह रहे, ठांह को ठांह न रहे मेरा बाँधा बंध छूटे तो ईश्वर For Private And Personal Use Only Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२८ } शावर तन्त्र शास्त्र महादेव गुरू गोरखनाथ जती हनुमन्त वीर लाजें मेरी भक्ति गुरू की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा । टिप्पणी उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुकी' शब्द आया है, वहाँ गर्भवती-स्त्री के नाम का उच्चारण करना चाहिए। प्रयोग विधि मन्त्र संख्या ४ के अनुसार अथवा एक ही डोरे में दोनों मन्त्रों को पढ़कर गर्भवती की कमर में बाँधे । गर्भ-रक्षा मन्त्र (६) .... ........ ... .... . ... .... मन्त्र--"ॐ नमो आदेश गुरू को जभीर वीर परधान हर अठो तर से गर्भ ही ताण तणे पाचे न फूट न पीड़ा करे तो जभीर वीर की आज्ञा फुरो गुरू की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा।" 'प्रयोग-विधि .६ क्वारी कन्याओं से रविवार के दिन सूत कतवा कर ६ तार का डोरा गर्भवती-स्त्री की एड़ी से चोटी तक नाप के, उसमें मन्त्र से अभिमन्त्रित कर ह गांठ बांधे तथा उसे गूगल की धूनी देकर गर्भवती स्त्री की कमर से बांध दें। इसके प्रभाव से ३ दिन के भीतर ही गर्भस्राव, पैर कटना आदि अलक्षण दूर हो जाते हैं तथा गर्भ स्थिर बना रहता है। प्रसव के समय डोरा खोल देना चाहिए। सुख-प्रसव का मन्त्र . मन्त्र---"ॐ श्रावणो बंचगी च सुखमेव प्रसूयते ।" प्रयोग-विधि इस मन्त्र द्वारा पानी को ७ बार अभिमन्त्रित कर, वह पानी प्रसूतिका को पिला देने से प्रसव शीघ्र तथा सुखपूर्वक होता है। For Private And Personal Use Only Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १२६ सुख-प्रसव का मन्त्र नीचे प्रदर्शित यंत्र को काँसे की थाली में लिखकर गभिणी प्रसवा सन्ना-स्त्री को दिखाते रहने से सुख पूर्वक सन्तान उत्पन्न होती है तथा प्रसव के समय कोई विशेष कष्ट नहीं होता। ९ १६ २ १२ १५ १० १४ (सुख-प्रसव यन्त्र) गर्भ-स्राव स्तंभन मन्त्र मन्त्र-"ॐह्रां ह्रीं चल चलेहुः चल मलेहुँः ठः ठः ठः स्वाहा।" प्रयोग-विधि उक्त मन्त्र से अभिमंत्रित २१ गांठों वाला कच्चे सूत का डोरा गर्भवती की कमर से बाँध देने से गर्भस्राव नहीं होता। स्त्री के पर थामने का मन्त्र मन्त्र-"ठिम ठिम अमुकी श्रोणितं एषि एषि धूतं ह्रीं स्वाहा ।" टिप्पणी ____ इस मंत्र में जहाँ 'अमुकी' शब्द आया है, वहाँ साध्य-स्त्री के नाम का उच्चारण करना चाहिए। For Private And Personal Use Only Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मन्त्र - टिप्पणी १३० | शावर तन्त्र शास्त्र प्रयोग-विधि लाल रंग के कच्चे सूत के १४ तारों में २१ गाँठें मन्त्र पढ़-पढ़ कर । फिर उसे गूगल की धूप देकर स्त्री की कमर से बाँध दें तो उसके पैर थम जायेंगे अर्थात असामयिक रक्त स्राव बन्द हो जायेगा स्त्री का रजोधर्म बन्द करने का मन्त्र Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir “ॐ अमुकी चट चट खट ठः ठः स्वाहा ।" इस मन्त्र में जहाँ 'अमुकी' शब्द आया है, वहाँ साध्य - स्त्री के नाम का उच्चारण करना चाहिए । प्रयोग-विधि साध्य-स्त्री के बाँये पाँव के नीचे की मिट्टी लेकर उसे मुर्दे के कफन के टुकड़े में बाँधकर, उस पर १०८ बार इस मन्त्र का जप करने से स्त्री को मासिक धर्म होना बन्द हो जाता है । जब सांगली कंद को शहद में घिस कर उसकी योनि और नाभि पर रक्खा जाता है, तभी वह पुनः खुलता है। For Private And Personal Use Only Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भूत-प्रेत विषयक प्रयोग भूत-प्रेतादि के विषय में आधुनिक वैज्ञानिक अथवा अर्वाचीन संस्कृति के उपासक भूत-प्रेतादि का अस्तित्व ही स्वीकार नहीं करते, परन्तु वास्तविकता यह है कि भूतप्रेतादि के उपद्रवों के प्रमाण विश्व के प्रायः सभी भागों में प्रत्यक्ष मिलते रहते हैं और उन्हें घटित होते हुए देखकर अनास्थावादियों की भी बोलती बन्द हो जाती है । विश्व के प्रायः प्रमुख धर्म-ग्रन्थों में भूत-प्रेतादि का उल्लेख पाया जाता है और उन धर्मों के अनुयायी इसके अस्तित्व को निर्विवाद रूप से स्वीकार करते हैं । भारतीय धर्मग्रन्थों में तो अन्य प्राणियों की भाँति भूतप्रेतादि की भी एक विशिष्ट 'योनि' मानी गई है तथा उसके भेद - उपभेदादि का भी विस्तृत वर्णन किया गया है। जिस प्रकार हिन्दू धर्म में भूत, प्रेत, डाकिनी, शाकिनी, चुडेल आदि की मान्यता है, उसी प्रकार इस्लामी मत में जिन, खईस आदि की विद्यमानता मानी गई है । ये भूत-प्रेतादि पूर्व जन्म की शत्रुता किसी अपराध अथवा अन्य कारणों से जब किसी व्यक्ति विशेष को अपने चंगुल में जकड़ लेते हैं, उस समय उसके शरीर में विभिन्न विकृतियों के जो लक्षण प्रकट होते हैं, उन्हें औषधोपचार आदि से दूर कर पाना असम्भव हो जाता है । उस स्थिति में मन्त्रादि के साधन ही कारगर सिद्ध होते हैं । प्रस्तुत प्रकरण में भूत-प्रेतादि विषयक ऐसे ही मंत्रों का उल्लेख किया गया है । भूत-प्रेत तथा रोगादि नाशक बाबा आदम मन्त्र भूत, प्रेत डाकिनी - शाकिनी देव, दानव, नहरू, उहरू, रक्त पीत मूत्र, आधासीसी, मिरगी आदि अनेक रोग-दोषों को दूर करने के लिए निम्नलिखित 'बाबा आदम मन्त्र' का झाड़ा लाभकारी सिद्ध होता है For Private And Personal Use Only Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १३२ | शावर तन्त्र शास्त्र मन्त्र—"गुरु सत्य विस्मिल्लाह का पूज्योमा आवनकार आदि गुरु सृष्टि करतार वेद वहर तारांहि एकी आइ युग चारि तीन लोक वेद चारि पाँचों पांडव छव मारग सात समुद्र आठ वसु नव ग्रह दश रावण ग्यारह रुद्र बारह राशि तेरह मोल चौदह शोक पन्द्रह तिथि चारि खानि चारि वानि पाँच भूत चौरासी आत्मा लाषित अयानि अष्ट कुली नाग तैतीस कोटि देवता आकाश पाताल मृत्यु लोक रात दिन पहर घरी दण्ड पल विपल महारथ साषिधरभेहौ अब जो कछु फलाने के पीरा देव दानव भूत प्रेत राखी सुजानु विनानु किताकराषादितावा क्षागाठिमुठिरषणी मुखणी विलनी फोठौरीगद्वहीनी नाईक षोलाइ अधौगीकरण मूलवायु सूलुण सुरू ननहरू वागडहरू वाजगरहू कर रक्तपीत मूत्र कुछ डाढारह प्रमेह गोला प्लीहा नहरूआ अहोगा सोगा अर्धशीशी कुटी लुती बुवारी मिरगी कमलवांड हंडी आनुवावुहयेलगडक्र, वायु चोटफेट रिताकिताला पालगायाषर पितीलंघा उलंघा बाटघाट बाहर निसार पसार साँझ सकार कौनहु प्रकार होइ हाड उदवार चामनाडी अर्द्ध अंग जहारूसी दोहाइ सलेमान पैगम्बर की तुरन्त विलाही षीन जाही नातरु सवा लाख पैगम्बर की वज्रथाप नवनाथ चौराशी सिद्धि के सराप शेषसरपूदी अहि आपीर मनेरी की शक्ति बाबा आदम की भक्ति जरिभस्म होइ जाय जाहि निहिनिषद्ध जाहि जाइ पिंड कुशल दोष फिटु फिटु स्वाहा।" For Private And Personal Use Only Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १३३ भूत-डायन गलनाल झाड़ने का मंत्र निम्नलिखित मंत्र को पढ़ते हुए झाड़ा देने से भूत, डायन तथा गलनाल की बाधा दूर होती है । मन्त्र--"जैसे कैलोमाकार्य सरूपे करि करिवो न करो वली तते राम लक्ष्मण सीतेया कार कोटि कोटि आज्ञा ।" भूत नाशक मंत्र निम्नलिखित मंत्र का १०८ बार उच्चारण करते हुए भूत-ग्रस्त रोगी के शरीर में तेल लगाने से भूत पुकारने लगता है तथा स्वग्रस्त व्यक्ति को छोड़कर भाग जाता है। मन्त्र- 'ॐ नमो काली कपाली दही दही स्वाहा ।" राक्षस-नाशक मन्त्र . ... . .... ........ .. .. .. . ... .. निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए झाड़ा देने से राक्षस का उन्माद दूर हो जाता है ।। मन्त्र- 'ॐ ठं ठां ठिं ठीठुठूठे ठै ठो ठौं ठ ठः अमूकं हैं।" टिप्पणी इस मंत्र में जहाँ 'अमुक' शब्द आया है, वहाँ राक्षस-ग्रस्त रोगी व्यक्ति के नाम का उच्चारण करना चाहिए। भूतादि नाशक मन्त्र मन्त्र--"ॐ नमः श्मशानवासिने भूतादीनां पलायनं कुरु कुरु प्वाहा ।" साधन एवं प्रयोग-विधि रविवार के दिन सिरस के पत्ते तथा फूल लाकर, उसमें घुग्घू, कुत्ता और बिल्ली की विष्ठा, ऊँट के रोम, गावर गंधक, सफेद घघची तथा For Private And Personal Use Only Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १३४ | शावर तन्त्र शास्त्र • कंड आ (सरसों का तेल डालकर, उक्त मंत्र को १०८ बार जपकर धूप देने से भूत, प्रेत, राक्षस, बैताल, देव, दानव, खेचर, डाकिनी, प्रेतिनी, भूतिनी आदि हर प्रकार की बाधायें दूर होती हैं । मसान - बाधा नाशक मन्त्र ***** मंत्र- "सपेदा मसान गुरु गौरख की आन, यमदण्ड मसान काल भैरों की आन, सुकिया मसान नुनिया चमारी की आन, फुलिया मसान गोरे भैरों की आन, हलदिया मसान aaौडा भैरों की आन, पीलिया मसान दिल्ली की जोगिनी की आन, कमेदिया मसान कालका की आन, कीकडिया मसान दामचन्द्रजी की आन, मिचमिचिया मसान शिवशंकर की आन, सिसिलिया मसान बीर मौहम्मदा पीर की आन । " सर्व बाधा - नाशक मन्त्र निम्नलिखित मन्त्र को पहले ग्रहण के समय १०८ बार जपकर सिद्ध करलें । फिर सिद्ध मन्त्र द्वारा झाड़ा देने से सब प्रकार की बाधा दूर होती है । मंत्र - " सतनाम आदेस गुरु की आदेश पवन पानी का नाद अनाहद दुन्दुभी बाजै जहां बैठी जोगमाया साजे चौंसठ जोगनी बावन बीर बालक की हरै सब पीर आणे जात शीतला जानिये बन्ध बन्ध बारे जात मसान भूत बन्ध प्रेत बन्ध छल बन्ध छिद्र बन्ध सबकौ मारकर भसमन्त सतनाम आदेश गुरु की ।" प्रेत वरावे ( भगाने) का मन्त्र नीचे लिखे मन्त्र को पढ़कर प्रेत ग्रस्त व्यक्ति को झाड़ा देने से प्रत भाग जाता है For Private And Personal Use Only Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पावर तन्त्र शास्त्र | १३५ मन्त्र-"बांधो भूत जहाँ तु उपजो छाड़ो गिरे पर्वत चढ़ाइ सर्ग दुह्नली पृथिवी तुजभि झिलिमिलाहि हुँकारे हनुवन्त पचारइ भीमा जारि जारि जारि भस्म करे जो चांपेसीउ।" डाइन-चुड़ल आदि भगाने का देवी मन्त्र नीचे लिखे मन्त्र को पढ़कर झाड़ा देने से डाइन-चुड़ल आदि की व्याधा दूर हो जाती है - मन्त्र-ॐ रुनु इझनु इमृत मारातं देवी ओरम्पर तारा वीर मान्यो वीर तोन्यो हांक-डांक महिमथन करणजोग भोग जोग धर छतीस नक्षत्र धर सर्प पति वासुकी धर सप्त ब्रह्माडे पति ब्रह्मो के छायाधौ देवीधौ देवताधौ डाइनिधौ गुरु रार्णाधौ भूतधौ प्रेतधौ धरधर माँ चण्डी बीज करुवालषण्डी धौर्यवागुटिनां य दाददलीं इमानको चलन्ते केके जाते आर रे वीर भैरवी कामरूप कामचण्डी धर-धर वाकी महा काव्य करे मडरुमारौ कुकी धर वारण धौरवलीते ते कामरू कामचण्डी इटमाया प्रसरणि कोटि-कोटि आज्ञादेवी रामचण्डी बीजे चलिषण्डी चौदिगे ऐरलदेवी वसिलाकिमॉडि चण्डिचन्द्र चमेकिले सूर्यटरिल ऐरलदेवी हराहरांपरि सुखिला कोटरे जीवो परांद्रिवाहन्ते खप्पर दाहिने हाथे छरि ऐरलादेवी अवरतारि डाइनि बाँधो चुरइलि बाँधु गुनी बाँधु मीरा बाँधु मसानी बाँधु गुनिया नासुनी आवे गरणि आंबु लावे राण्डे माला डांडे जीवतडांडै हसै खेले भारिवन झारोवलिते ते ते कामरू कामचण्डि कोटिश आज्ञा ।" For Private And Personal Use Only Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १३६ / शावर तन्त्र शास्त्र प्रेत-विमोचन यन्त्र ........................ नीचे प्रदर्शित यन्त्र को कागज के ऊपर स्याही से लिखें । फिर उसे रूई में लपेट कर, घी में भिगो लें। तदुपरान्त एक बालिश्त चौकोर पृथ्वी को गोबर से लीप कर उस चौके में उक्त बत्ती का दीपक जलायें तथा जिस रोगी व्यक्ति पर प्रेत चढ़ा हो, उसे सामने बैठाकर दीपक को बुझा दें। फिर उसे दिखा कर दीपक को पुनः जला दें। तात्पर्य यह कि दीपक को बुझाते तथा जलाते समय प्रेत ग्रस्त व्यक्ति की दृष्टि दीपक की ओर रहनी चाहिए। ऐसा करने से प्रेत छोड़ कर भाग जाता है। यदि पुरुष को प्रेत चढ़ा हो तो यन्त्र के ऊपरी भाग में स्त्री का नाम तथा नीचे पुरुष का लिखना चाहिए और यदि स्त्री को प्रेत चढ़ा हो तो ऊपर पुरुष का नाम और नीचे स्त्री का नाम लिखना चाहिए। कहने का तात्पर्य यह है कि पुरुष को लगा प्रेत यदि स्त्री हो तो उस रोगी पुरुष का नाम नीचे और प्रेतरूपिणी स्त्री का नाम ऊपर और यदि स्त्री को पुरुष प्रेत हो तो स्त्री का नाम नीचे और प्रेत पुरुष का नाम ऊपर लिखना चाहिए । इस प्रकार यन्त्र में शेष पूर्ववत् प्रयोग करके दिखाने से प्रेत भाग जाता है। यदुः यःबुदुः यःबुदु यदुदुःया हुः ययुः पदुद्धः यः बुद्धः या पादुका यावु दुःयाबुद्धः याब डाय:बुजन यादया यःबुदु बुलायसुचःदुःतक तथा यादुदुः याः याद यादुः मादयः यायुधः याबुदुःयावयाहुयातुः यः याबुछ (प्रेतविमोचन यन्त्र ) For Private And Personal Use Only Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र । १३७ भूतादि को बकराने का मन्त्र (२) मन्त्र (१)-"ॐ नमो भगवते भूतेश्वराय किल किल तर वाय, रुद्र द्रष्ट्राकराल वक्त्राय, त्रिनयन भीषणाय, धग(गत पिशंग ललाट नेत्राय, तीन कोपानलायामित तेजसे पाश शूल खड्ग डमरूक धनुर्वाण मुद्गर भूपदण्ड त्रास मुद्रा वेग दश दोर्दण्ड मण्डिताय, कपिल जटाजूट कूटाद्धं चन्द्र धारिणे भस्मि राग रंजित विग्रहाय, उग्रफणपति घटाटोप मंडित कण्ठ देशाय, जय जय भूत डामरस आत्म रूपं दर्शे दर्श निरते निरते सर सर चल चल पाशेन बंध बंध हुंकारेन त्रासय त्रासय वज्रदंडेन हन हन् निशिति खङ्गन छिन्ध छिन्ध शूलाग्रे भिन्ध भिन्ध मुद्गरण चूर्णय चूर्णय सर्व ग्रहाणां आवेशय आवेशय।" साधन एवं प्रयोग-विधि इस मन्त्र को पहले ग्रहण दीपावली की रात अथवा होली के दिन १००० की संख्या में जप कर सिद्ध कर लें । प्रयोग के समय गाय के घृत के गूगल, नीम को पत्तो तथा सर्प की केंचुल मिलाकर मन्त्र पढ़-पढ़ कर, बहुत सी धूप दें तथा उड़द पर मन्त्र पढ़-पढ़ कर रोगी की मारें तो भूत बकरने लगता है अथवा अपने विषय में यह बताने लगता है कि वह कौन है, क्यों और कहाँ से आया है आदि । इसके बाद 'नृसिंह मन्त्र' द्वारा भूत को रोगी के शरीर से बाहर निकाल देना चाहिए। भूतादि को बकराने का मन्त्र (२) मन्त्र-“ॐ नमो आदेश गुरु को नारी जाया नाहरसिंह, अंजनी जाया हनुमंत, वाने जारी बीज भवंता, वा तोड़ी गढ़ लंका तेरी पाखरि कौन भरे, नाहरसिंह बलवंत वन में फिरे अकेलड़ा भंवर खिलायें केस बारो भाटी मध की For Private And Personal Use Only Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १३८ शावर तन्त्र शास्त्र पीवे, बारा बकरा वाय न धाये, तो नाहरसिंह तू दौड़ मसाणा जाय सात पांच ने मार खाय सात पांच ने चख खाइ देखू नाहरसिंह वीर तेरे मंत्र की शक्ति हाड़ा हाड़ में सू, चाम चाम में सू, नख नख में सू, रोम रोम सू, बार बार में सूअमुकी के नौ नारी बहत्तर कोठा में सो खेद को पकड़ आणि हाजिर ना करे तो माता नाहरी का चूखा दूध हराम करे, राजा रामचन्द्र की पौड़ी फाट भै पड़े शब्द सांचा पिण्ड काचा फुरो मंत्र ईश्वरोवाचा ॥" साधन एवं प्रयोग विधि पहले मन्त्र संख्या १ के अनुसार जप करके इस मन्त्र को सिद्ध कर तें। फिर काली मिर्चों को ७ बार अभिमन्त्रित करके भूत-ग्रस्त रोगी को खिलायें तो भूत बकरता है अर्थात् अपने विषय में बताता है। विशेष इस मन्त्र में 'जहाँ अमुकी' शब्द आया है, वहाँ भूत-ग्रस्त रोगी के नाम का उच्चारण करना चाहिए। भूतादिक को उतारने का मन्त्र (१) मन्त्र--- "ॐ नमो ॐ ह्रां ह्रीं ह्र, नमो भूतनायक समस्त भुवन भूतानि साधय साध हू हू हू।" साधन एवं प्रयोग-विधि शनिवार के दिन से आरम्भ करके नित्य ७ दिनों तक १४४ बार मन्त्र का जप करें। दीपक जला कर उसके आगे गूगल की धूनी दे तथा फूल बताशे चढ़ावें। इस विधि से जब मन्त्र सिद्ध हो जाय, तव मोर के पंख से भूत-ग्रस्त रोगी को मन्त्र पढ़ते हुए झाड़ा देने से भूत उतर जाता है। भूतादि को उतारने का मन्त्र (२) मन्त्र-"ॐ नमो नारसिंहाय हिरण्यकशिपु वक्ष विदारणाय त्रिभुवन व्यापकाय भूतप्रेत पिशाच शाकिनी डाकिनी कीलोन्मूलनाय For Private And Personal Use Only Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org शावर तन्त्र शास्त्र | १३६ स्पंषाद भव समस्त दोषान् हन हन सर सर चल चल कम्प कम्प मथ मथ हुँ फट् हुँ फट् ठः ठः महारुद्र जापियत स्वाहा: । " साधन एवं प्रयोग विधि पूर्वोक्त मंत्र संख्या १ की भाँति इस मन्त्र को भी विधि पूर्वक सिद्ध करलें तथा नृसिंह भगवान का पूजन करें। फिर आवश्यकता के समय भूतग्रस्त रोगी को मोर के पंख से मन्त्रोच्चारण करते हुए झाड़ा देने से भूत उतर जाता है । मन्त्र भूतादि को मारने का मंत्र Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ******** -“ॐ नमो आदेश गुरूको हनुमंत वीर बजरंगी वज्रधार safeit शाकिनो भूत प्रेत जिंद खईस को ठोक ठोक मार मार नहीं मारे तो निरंजन निराकार की दुहाई ।" साधन एवं प्रयोग - विधि शनिवार के दिन से आरम्भ करके २१ दिनों तक हनुमानजी का विधिपूर्वक पूजन करें तथा नित्य १२१ की संख्या में मन्त्र का जप करें तो यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है । फिर, चौराहे की कंकड़ी अथवा उड़द को इस मन्त्र से अभिमंत्रित करके भूत-ग्रस्त रोगी के शरीर पर मारें तो भूत मर जाता है । भूतादि को कैद करने का मन्त्र मन्त्र - " बंध बंध शिव बंध शिव बंध।" प्रयोग-विधि इस मन्त्र से अभिमंत्रित उड़द भूत ग्रस्त रोगी के ऊपर मारे तो भूत कंद हो जाता है । भूतादि को छोड़ने का मंत्र मन्त्र - " या खालिसा या मुखलिस या खल्लास ख्वाजे खिजर मेहतरलयास ।" For Private And Personal Use Only Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १४० | शावर तन्त्र शास्त्र प्रयोग-विधि इस मन्त्र से अभिमन्त्रित उड़द पढ़कर मारने से भूत छूट कर भाग जाता है। डाकिनी-शाकिनी को उतारने का मन्ता मंत्र-“ॐ नमो हनुमानजी आया कांई कांई लाया डाकिनी शाकिनी आन आन कुरु-कुरु स्वाहा ।" प्रयोग विधि पहले मन्त्र को १०००० की संख्या में जपकर सिद्ध करलें । फिर उल्टी चक्की का पिसा हुआ सतनजा, जो रोगी की माता ने पीसा हो, को लेकर एक पुतला बनायें । दूसरा पुतला रोगी की माता के लहंगे की लान का बनायें । उसे तिली के सवा पाव तेल में भिगोवे, फिर उसे तकुए में पिरोकर रोगी के ऊपर ७ बार उतार कर जलायें। फिर सिर की ओर से ३ बार मन्त्र पढ़कर, उड़द तथा पानी को पुतले पर मारते जाय । सवा पाव उड़द मंगाकर रखलें। फिर सतनजा के पुतले को थाली में खड़ा करके, थाली में पानी भरें और उस पुतले को डाकिनी जानकर उसके ऊपर जलते हए दूसरे पुतले का तल डालें। यह ध्यान रक्खें कि पानी में खड़ा हुआ सतनजे का पुतला पानी से बाहर न निकल जाय। उस पुतले पर जल्दी-जल्दी तेल की बूदें पड़ने से डाकिनी रोगी के शरीर से बाहर निकल कर हाजिर हो जायेगी तथा रोगी का रोग दूर हो जायेगा। परन्तु जब इस क्रिया को करे, उस समय डाकिनी की चोट से अपने शरीर की रक्षा का प्रबन्ध अवश्य कर लेना चाहिए। शरीर-रक्षा के जिस मंत्र का उल्लेख किया गया है, उसके द्वारा अपने शरीर की रक्षा का प्रबन्ध करना चाहिए । For Private And Personal Use Only Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झाड़ा देने के विविध मन्त्र झाड़ा देना विभिन्न प्रकार की विपत्तियों के निवारणार्थ झाड़ा (झारा) देने की प्रथा हमारे देश के प्रायः सभी भागों में अत्यन्त प्राचीन काल से प्रचलित है। जिस जमाने में आधुनिक-चिकित्सा सुविधाएं सर्वत्र यथेष्ट मात्रा में उपलब्ध नहीं थीं, तब अधिकांश रोगियों की चिकित्सा में इसी का प्रयोग किया जाता था। नगरों से बहत दूर बसे गाँवों, वन-पर्वतों की बस्तियों तथा अन्य दुर्गम स्थानों में आज भी इसका सर्वाधिक प्रयोग प्रचलित है। झाड़ा देने वाले लोगों को प्रायः ओझा अथवा सयाने के नाम से जाना जाता है । स्थानिक भाषाओं में इनके अन्य नाम भी हैं। 'ओझा' शब्द का प्रयोग सम्भवतः 'झाड़ा' (झारा) शब्द के प्रथम अक्षर के आगे 'ओ' सम्बोधन लगाकर प्रचलित हुआ होगा । 'सयाने' का अर्थ तो चतुर अथवा होशियार है ही। जो लोग विभिन्न रोगों का मन्त्रोपचार करने में होशियार थे, उन्हें 'सयाना' कहा जाने लगा होगा, जो कि बाद में इस कार्य के करने वालों के लिए 'रूढ़' बन गया। ____ झाड़ा देने में अधिकतर मोर पंख का प्रयोग किया जाता है । अर्थात् दस-बीस मोर पंखों को इकट्ठा बाँध कर उन्हें मन्त्रोच्चारण करते हुए रोगी के सिर से पाँव तक लाया जाता है । मोर पंख के अभाव में 'कुश' (दाभ) से भी झाड़ा दिया जाता है। कई मन्त्रों में राख (भस्म) का प्रयोग भी किया जाता है। प्रस्तुत प्रकरण में विभिन्न रोगों से सम्बन्धित झाड़ा देने के अनेक मंत्र प्रस्तुत किये गये हैं। कर्णमूल झाड़ने का मन्त्र मन्त्र---“वनाह गाठि बनरौ तौ डाठे हनुमान् कंठा बिलारी बाघी For Private And Personal Use Only Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १४२ | शावर तन्त्र शास्त्र www.kobatirth.org थनैली कर्णमूल सभ जाइ रामचन्द्र की बचन पानी पथ होइ जाइ ।” प्रयोग-विधि साधन-विधि ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जपने से मन्त्र सिद्ध होता है । प्रयोग-विधि इस मन्त्र को पढ़कर राख से झाड़ा देने पर कर्णमूल नहीं रहते । टिप्पणी कंठ की बिलारी, बाघी तथा थनैली रोग में भी इसी मन्त्र का झाड़ा दिया जा सकता है । थनैली झाड़ने का मन्त्र मंत्र - "कंठ बिलारी बघ थनैला पांचवान मोहि भैरों दल कंष बिलारी बघ थनला डावा पलटि जाहुँ घर अपने राजा मनेरी की दुहाई जौडावार है गुरु की दोहाई ।"" साधन विधि ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जप करने से मन्त्र सिद्ध हो जाता है। २१ बार मन्त्र पढ़कर फूंक मारें । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खांगा नाशक मन्त्रा मंत्र- "अर्जुनः फाल्गुण जिष्णुः किरीटी श्वेतवाहनः । वीभत्सु विजयः कृष्णः सव्यसाची धनंजयः ।" प्रयोग विधि रविवार के दिन इस मन्त्र को कागज पर लिखकर पशु के गले में बाँध देने से 'खांग' ठीक हो जाता है । For Private And Personal Use Only Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १४३ ममरषा झाड़ने का मन्ग मन्त्र--"राजा अजयपाल सागर खतवारा वट बांधा घाट उतई ममरषी पानि पिउ सात राति मोहि पीपरपात गुंगी बौरी डोमिनी चंडालिनी तू है नीकी ममरषी तिल एक रथ ठाठि कण्ठ झारि ममरषी क्रोध करु ।" साधन-विधि ग्रहण पर्व में १००० की संख्या में जप करने से यह मन्त्र सिद्ध होता है। प्रयोग विधिइस मन्त्र को २१ बार पढ़-पढ़ कर फूक मारनी चाहिए । हक झाड़ने का मंत्र (४) मन्त्र (१)-"ॐ सुमेरु पर्वत पर नोना चमारो सोने की रांपी सोने की सुतारी हूक चूक वाह बिलारी धरणी नालि काटि कूटि समुद्र खारी बहावौ नौना चमारी की दुहाई पुरो मंत्र ईश्वरोवाच ।" । साधन-विधि ग्रहण के समय अथवा दीवाली की रात में १००० की संख्या में जप करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि-- इस मन्त्र को २१ बार पढ़ कर फूक मारने से शरीर हूक नहीं रहती। हूक-झाड़ने का मन्त्रा (२) मन्त्र—''मेघडंबर पोतरहड़ी तातो शरीर गरोगै जाती दोहाई अजैपालक जोन जाय बाँधि।" साधन एवं प्रयोग विधि मन्त्र संख्या १ के अनुसार । For Private And Personal Use Only Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १४४ | शावर तन्त्र शास्त्र रस्सा झाड़ने (भूख प्यास बढ़ाने का मंत्र .... ........ ........ .. मन्त्र-"ॐ अगस्त्यः खनमानः खनित्र: मयामयत्यंवलमीक्ष्यमाणः उभौवणावृष्टिरुग्रपुयोषसप्तादेवेष्वाशिषो जगाम ॥ भ्रातापि भक्षितो येन वातापि च महाबलः । समुद्रः शोषितो मे ऽगस्त्यः प्रसीदतु ।। अगस्त्यं कुंभकर्ण शनि च वानलम् । आहार परिपाकार्थं संस्मरेच्च वृकोदरम्। साधन-विधि ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जपने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि इस मन्त्र द्वारा ७ बार अभिमंत्रित जल पिलाने से कब्ज दूर होकर, भूख-प्यास की वृद्धि होती है । हूक झाड़ने का मंत्र ........ ...... मन्त्र-"ॐ सुमेरु पर्वत पर नोना चमारी सोने की राँपी सोने की सुतारी हूक चूक वह बिलारी धरणी नालि काटि कूटि समुद्र खारी बहावौ नौना चमारी की दुहाइ फुरो मंत्र ईश्वरोवाच ।" साधन-विधि ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग विधि इस मन्त्र को २१ बार पढ़ कर झाड़ा देने से हूक, बिलारी, धरणी, नाल चढ़ना आदि की शिकायतें दूर होती हैं। For Private And Personal Use Only Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १४५ सर्व-विष झाड़ने का मन्त्रा (१) मन्त्र--(१) "उत्तर दिशि कारी बादरि तेहि मध्य ठाढ़ काल पुरुष एक हाथ चक्र एक हाथ गदा चक्र मारा शतखंड जाइ गदा मारे सातों पाताल जाइ ॐ हर-हर निविष शिवाज्ञा।" साधन विधि ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि जिस व्यक्ति को सर्प ने काटा हो, उसको इस मन्त्र का उच्चारण करते हुए मोर पंख द्वारा झारा दने से सर्प का विष उतर जाता है । सर्प-विष झाडने का मन्त्रा (२) मन्ना-"थिरुपवन जेहि विष नाशे तेहि देखि विषधरहू कांपे सत्पर्जा आष विषमो संदीषष्ठय नहिं विषइ मंत्रे कुशल बालुगाले झावित्काल निर्विश होइ ।" साधन एवं प्रयोग विधिमन्त्र संख्या १ के अनुसार। सर्प-विष झाड़ने का मंत्र (३) मंत्र-"नृसिंह भरी के वचनः वै जी हो नीरंतर नार।" साधन-विधि मता संख्या १ के अनुसार। प्रयोग विधि तीन चुल्लू पानी उक्त मंत्र से अभिमंत्रित कर सर्प दंशित व्यक्ति को पिलायें तथा उसके माथे में तीन टोना मारें तो सर्प का विष उतर जाता है। For Private And Personal Use Only Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १४६ | शावर तन्त्र शास्त्र www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बिच्छू - विष झाड़ने का मंत्र ( १ ) मन्त्र – “ ॐ नमो सुरे गाय परवत नाय सुरे चरे सूको बंबूल सूल गाय गोबर कियो जिहि में उपजा बीछू सात कालो कंकाल वालो सांप अपनी वालो हरो लीलो पीलो उतरे तो उतार नहीं तो मोर कंठ कूँ धरि हकारू शब्द सांचा पिंड कांचा फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा ।" साधन-विधि- ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जपने से मन्त्र सिद्ध होता है । प्रयोग-विधि जूती से अथवा नीम की डाली से ७ बार झाड़ा देने से बिच्छू का जहर उतर जाता है । बिच्छू विष झाड़ने का मंत्र (२) मन्त्र - "ॐ नमो आदेश गुरू को क्यों रे बीछू तें को काट्यो गौद गिरी मुख चाख्यो में काठाने पानी प्याऊं का क्यों उतर जाय उतरे तो उतारू चढ़े तो उतारूं चढ़े तो मारु नातर गरुड मोर हंकारू लंका सा कोट समुद्र सो खाई उतर रे बील जती हनुमंत की दुहाई शब्द सांचा पिंड कांचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा । " साधन-विधि - ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जप करने से मन्त्र सिद्ध हो जाता है । प्रयोग-विधि इस मन्त्र द्वारा पानी को ७ बार अभिमन्त्रित करके उसे पृथ्वी पर गिरा देने से बिच्छू का विष उतर जाता है । For Private And Personal Use Only Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १४७ बिच्छू-विष झाड़ने का मन्त्र (३) मन्त्र--"सुरही कारी गाइ गाइ की चमरी पूछी ते करे गोबरे बिछी बिआइ बीछी तोरे कइ जाति गौरावर्ण अठारह जातिछ कारीछ पीअरीछ भूमाधारीछ रत्न पवारी छ छ कु कुहु कुहुँ छारि उतरु बीछी हाड हाड पोर पोर ते कसमारे लीलकण्ठ गरमोर महादेव की दुहाई गौरा पार्वती की दुहाई अनीत टेहरी शडार बन छाइ उतरहि बीछो हनुमन्त की आज्ञा दुहाई हनुमन्त की।" साधन-विधि ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जप करने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि-- उक्त मन्त्र को पढ़ते हुए झाड़ा देने से बिच्छू का विष उतर जाता है । बिच्छु-विष झाड़ने का मन्त्र (४) . .... ... . मन्त्रा- "परबत ऊपर सुरही गाइ ते करे गोवरे बीछो बिआइ छः कारी छः गोरी छः का जोता उतारिक बिधा बिछिठा बहिआ आठ गाठि नव पोर बोछी करे अजोर बलि चलु चलाइ करवाऊ ईश्वर महादेव की दुहाई जहाँ गुरु के पांव सरके तहहि गुरू के कुश कजुरी तहहि विष्णुपुरी निर्मा जाइकै दुहाई महादेव गुरु के ठावहिं ठाव बीछी पार्वती ।" साधन-विधि-- ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि मन्त्र संख्या ३ के अनुसार । For Private And Personal Use Only Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १४८ | शावर तन्त्र शास्त्र साधन एवं प्रयोग विधि मन्त्र -- "बीछी तौरै कै जाति छः पोयरी छः परवारी वोधा पषाना पसस्वपाउ तोरी विषितइ में नाहि ठाउ ऊपर जा सिगधे षाउ ( खाउ ) शिव वचन शिव नारि हनुमान के आन महादेव के आन गौरा पार्वती के आन नोना चमारिन के आन उतारि आउ ।” मन्त्र www.kobatirth.org मन्त्र संख्या ३ के अनुसार । बिच्छू - विष झाड़ने का मन्त्र ( ५ ) -- मन्त्रा- - " अब हट मुठि बैगन भावि उतरू बीछी मति करुवानि ।” साधन एवं प्रयोग विधि मन्त्र संख्या ३ के अनुसार । साधन-विधि Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रयोग विधि बिच्छू - विष झाड़ने का मन्त्र ( ६ ) -"कायो पाये शिर मानिकरा मुख मोड़ो मरिजासि अनखांधनो पानी पावै बांधि उतरि जासि ।" बिच्छू - विष झाड़ने का मन्त्र ( ७ ) मन्त्र संख्या ३ के अनुसार । जो व्यक्ति किसी बिच्छू काटे आदमी का समाचार लेकर आये, उसे उक्त मन्त्र द्वारा ७ बार अभिमन्त्रित पानी पिला देने से बिच्छू काटे हुए आदमी का विष उतर जाता है । यही प्रयोग जिस व्यक्ति को बिच्छू ने डंक मारा हो, उस पर भी किया जा सकता है । बिच्छू विष झाड़ने का मन्त्र मन्त्र -- "टूटे खाट पुराने बान, चढ़ जा बीछू शिर के तान ।" For Private And Personal Use Only Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra साधन-विधि जाता है । प्रयोग विधि www.kobatirth.org ● ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जप करने से मन्त्र सिद्ध हो जिस जगह बिच्छू ने काटा हो, वहाँ इस मन्त्र को पढ़ पढ़ कर ७ बार फूँक मारने से विल का विष और अधिक चढ़ जाता है । कुत्ता काटे का झाड़ा देने का मन्त्र ( १ ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १४६ मन्त्र - - "कारी कुत्ती विविलारी धौला कुत्ता कलोर फलाना काटा कुकुर वार धयल्यायु ।” विशेष उक्त मन्त्र में जहाँ 'फलाना' शब्द आया है, वहाँ जिस व्यक्ति को कुत्ते ने काटा हो, उसके नाम का उच्चारण करना चाहिए। साधन-विधि .............. मन्त्र – “ ॐ कुलकु स्वाहा । " - साधन-विधि ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है । प्रयोग विधि जाता है । कुम्हार के चाक की मिट्टी लेकर उसे कुत्ता काटे मनुष्य के शरीर के जिस स्थान पर कुत्ते ने काटा हो, वहाँ फेरते हुए तथा मन्त्रोच्चारण करते झाड़ा देने से दंशित स्थान से रोंवे निकलते हैं तथा कुत्ते का विष दूर होकर रोगी ठीक हो जाता है । कुत्ता काटे का झाड़ा देने का मन्त्र ( २ ) ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जप करने से यह मन्त्र सिद्ध हो For Private And Personal Use Only Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५० | शावर तन्त्र शास्त्र प्रयोग विधि जिस व्यक्ति को कुत्ते ने काटा हो, उसे इस मन्त्र से अभिमन्त्रित जल में भरे ७ चिरुवा (शकोरे या सरैया) मिला देने से कुत्ते का विष दूर हो जाता है। कुत्ता काटे का झाड़ा देने का मन्त्र (३) मन्त्र----"प्रकट कूकरा विकट वाट विषक झाडू वारू वार । कोरा करवाइ ब्रत नइया गौरा ढाले ईश्वर न्हाय कुत्ता को विष उतर जाय दुहाई महादेव पार्वती की फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।" साधन-विधि--- पहले ग्रहण के दिन अथवा दीपावली की रात्रि में १०००० की संख्या में जप कर इस मन्त्र को सिद्ध कर लें। प्रयोग-विधि कुम्हार के चाक की मिट्टी लाकर, उससे ७ गोली बनायें । उन गोलियों को उक्त मन्त्र से सात-सात बार अभिमन्त्रित करें। फिर उनमें से ३ गोली तो रोगी को दें और ४ गोली अपने पास रक्खें। फिर उन गोलियों के टुकड़े करके बिखेर दें। ऐसा करते समय गौरा पार्वती की दुहाई पढ़ते जाँयें। फिर दो पैसे भर कुचला उठा कर कुत्ता द्वारा काटे गये स्थान पर बाँध दें तो पागल कुत्ते के काटे का विष उतर जाता है। कुत्ता काटे का झाड़ा देने का मन्त्र (४) मन्त्र--"ॐ नमो कामरू देश कमक्ष्या देवी जहाँ बसे इस्माइल जोगी इस्माइल जोगी ने पाली कुत्ती दश काली दश कावरी दश पीली दश लाल इसको विष हनुमान हरे रक्षा करे गुरू गोरखवाल शब्द साँचा पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।" साधन-विधि ग्रहण के दिन १०००० की संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। For Private And Personal Use Only Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रयोग-विधि दिन में ठीक हो जाता है । इस मन्त्र से अभिमन्त्रित विभूति रोगी को खिला देने से वह तीन www.kobatirth.org - मन्त्र मन्त्र -" चमारे बभने कैल मिताई । ओकारे पापे परुर साई । सूर्य देवता साखी । जो अब रसाइरहे माखी ।" साधन-विधि ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध होता है। प्रयोग-विधि कीड़ा झाड़ने का यन्त्र ( १ ) दोपहर के समय इस मन्त्र द्वारा ७ कंकड़ियों को अभिमन्त्रित करके मारने से कीड़े झड़ जाते हैं । कीड़ा झाड़ने का मन्त्र ( २ ) शावर तन्त्र शास्त्र १५१ मन्त्र --- "गंगा पार बबुर के गाछी । झरे कोरा झरे रसाइ ईश्वर महादेव गौरा पार्वती के दुहाई । " साधन एवं प्रयोग विधि मन्त्र संख्या १ के अनुसार । साधन-विधि Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रयोग-विधि कीड़ा झाड़ने का मन्त्र ( ३ ) - " महन्ते पटवारी अरजगाती क्या जिनके पायों की डा गया ।" मन्त्र संख्या १ के अनुसार For Private And Personal Use Only चौराहे की ७ कंकड़ियों को इस मन्त्र द्वारा ३ बार अभिमन्त्रित करके जिस व्यक्ति का जानवर हो, उसका नाम लेकर, उसके मालिक को कंकड़ी Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५२ | शावर तन्त्र शास्त्र देते हुए यह कहे कि 'कीड़ा गया। फिर मालिक अपने जानवर के पास पहुंच कर उसे कंकड़ी मार के कहे--'कीड़ा गया। इस प्रयोग से जानवर के कीड़ा झड़ जाते हैं। विशेषयह प्रयोग शनिवार अथवा रविवार को करना चाहिए। कोड़ा झाड़ने का मन्त्र (४) मन्त्र---"ॐ नमो कोड़ा रे तू कुड कुडीला लाल पूछ तेरा मुंह काला, मैं तोहि पूछौं कहां ते आया । तोड़ मास ते सब क्यों खाया । अब तू जाय भस्म हो जाय । गुरू गोरखनाथ के लागू पाय । शब्द सांचा पिण्ड काचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा।" साधन-विधि मन्त्र संख्या १ के अनुसार। प्रयोग-विधि उक्त मन्त्र को ७ बार जपते हुए रोगी-पशु को झाड़ा देने से कीड़े नष्ट हो जाते हैं। १० रोग नाशक मन्त्र ......... मन्त्र--"परवत ऊपर परवत परवत ऊपर फटक सिला फटक सिला पर अंजनी जिन जाया हनुमन्त ने हजारे हला काख की कलाई पीछे की अदीस कान की कनफेंड़ रात की मद कण्ठ को कण्ठ माला, कुदरने का डहरू डाढ की डढशूल पेट की ताप तिल्ली या इतने को दूर करे भस्मत नातर तुझे अंजनी माता का दूध पीया हुआ हराम मेरी भक्ति गुरू की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा सत्त नाम आदेश गुरू का।" For Private And Personal Use Only Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org डहरूको आक से, तिल्ली को भद, कण्ठ माला को राख से तथा डढ़ झाड़ा दें | झाड़ा देते समय मन्त्रोच्चारण एक मन्त्र से ही दूर हो जाते हैं । मन्त्र साधन-विधि शनिवार के दिन से आरम्भ करके २१ दिनों तक विधि पूर्वक हनुमान जी की पूजा करते हुए नित्य १०८ बार मन्त्र का जप करें तो मन्त्र सिद्ध हो जाता है । फिर हर ग्रहण के समय तथा दिवाली की रात्रि में मन्त्र का जप करते रहना चाहिए । प्रयोग-विधि Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १५३ छुरी से, किखलाई, अदीठ, कनफेड़, शूल को नीम की डाली से ७ बार करता जाय तो ये सब कष्ट इस दाँत दर्द झाड़ने का मन्त्र ( ४ ) - "अग्नि बांधौं अग्निश्वर बाँधौं सो खाल विकराल बाँधौं सो लोहा लोहार बाँधौं वज्रक निहाय वज्रघन दाँत पिराय महादेव के आन ।” प्रयोग-विधि पहले ग्रहण के समय मन्त्र को १०००० की संख्या में जप कर सिद्ध कर लें। आवश्यकता के समय इस मन्त्र को ७ बार पढ़ कर दर्द वाले स्थान पर ७ बार फूंक मारने से दाँत का दर्द दूर हो जाता है । दाँत दर्द का मन्त्र मन्त्र - " हे दन्ता तुम क्यों कुलता हमें तुम्हें संजाइवा हम एक सर तुम हो बत्तीस हमरी तुम्हरी कौन सी रीति । हम कमाई तुम बैठे पाउ । मृत्यु की बरियाँ संग ही जाउ 11 For Private And Personal Use Only ? प्रयोग-विधि सर्व प्रथम किसी ग्रहण के समय इस मन्त्र को १०००० की संख्या में जप कर सिद्ध कर लें । फिर आवश्यकता के समय, प्रातः काल मुँह धोते समय हाथ में जल लेकर उसे उक्त मन्त्र से ७ बार अभिमन्त्रित करके कुल्ला करें तो दाँतों की पीड़ा दूर हो जायेगी तथा हिलते हुए दाँत भी जम जायेंगे | जब तक पूर्ण लाभ न हो, तब तक इस क्रिया को नित्य करते रहना. चाहिए । Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १५४ | शावर तन्त्र शास्त्र www.kobatirth.org आँख झाड़ने का मन्त्र *********** Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मन्त्र - - " सप्पति च सुकन्यां च च्यवनं शक्रमन्वितौ । स्मरणान्नृणां नेत्र रोगो प्रणश्यति । " एतेषां प्रयोग-विधि पहले किसी ग्रहण पर्व में इस मन्त्र को १०००० को संख्या में जप कर सिद्ध कर लें । फिर आवश्यकता के समय रोगी की आँखों पर इसी मन्त्र द्वारा ७ बार अभिमन्त्रित जल के ७ छींटे मारे तो नेत्र रोग दूर होते हैं । उठी ( दुखती हुई ) आँख झाड़ने का मन्त्र मन्त्र ---- "ॐ बने बिआई बानरी जहाँ जहाँ हनिवन्त आँखि पीड़ा कषावरी गिहिया थनैलाइ चारिउ जाइ भस्मन्त । गुरू की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मन्त्र ईश्बरोवाचा ।" प्रयोग-विधि 1 पहले इस मन्त्र को किसी ग्रहण पर्व में १०००० की संख्या में जप कर सिद्ध कर लें । फिर आवश्यकता के समय रोगी की आँख पर हाथ फेरते हुए इस मन्त्र को ७ बार पढ़कर फूंक मारें तो पीड़ा तथा व्यथा दूर हो | विशेष इस मन्त्र का प्रयोग कख़ावरी (काँख में उठने वाली गिल्टी), गिरिणा थाना की पीड़ा दूर करने के लिए भी किया जाता है । रतौंधी झाड़ने का मन्त्रा मन्त्र---" भाट भाटिनि सरि चली कहां जाइव जावेउ समुद्र पार । भाटिनि कहा मैं बिआवेऊ कुश की छाली बिआवे उपसमा छीकर मुड़ा अण्डा घोसों हिलतारा सोहिल तारा राजा अजैपाल ऊतर तर है राजा अजैपाल करकेदार पाना भरत रहै उन्हें देखें पावा वालाउ गोडिया मला उजाल के मैं अधोखी ईश्वर महादेव की दोहाई मेरी घरी उतरि जाइ ।" For Private And Personal Use Only Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १५५ प्रयोग-विधि पहले इस मन्त्र को किसी ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जप कर सिद्ध कर लें। फिर आवश्यकता के समय इस मन्त्र को पढ़-पढ़ कर रोगी की आँखों पर २१ बार फूक मारें तो रतौंधी की पीड़ा दूर होती है। नेत्र-रोग नाशक मन्त्र मन्त्र--"ॐ नमो श्रीराम की धनी लक्ष्मण का बान । आंख दर्द करे तो लक्ष्मण कुवर की आन । मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा सत्तनाम आदेश गुरु का।" प्रयोग-विधि - दीपावली की रात्रि में इस मन्त्र को १४४ बार जप कर सिद्ध कर में। फिर इस मन्त्र से पानी को अभिमन्त्रित कर, उससे आँखों को धोये तो नेत्र रोग दूर हों। बाल रक्षा कर झगड़े का मन्त्र (१) छोटे बालक के रोग-दोष, नजर लगना, भूत-प्रेत ग्रहादि के कोप से रक्षा करने के लिए निम्नलिखित मन्त्र में से किसी भी एक के द्वारा झाड़ा देने से लाभ होता है। झाड़ा देना आरम्भ करने से पूर्व मन्त्र को सिद्ध कर लेना आवश्यक है। ग्रहण के समय में प्रत्येक मन्त्र १०००० की संख्या में जप करने से सिद्ध हो जाते हैं। मन्त्र--"उलदेव विहरतषे भगरज श्री नारसिंह देवं ये उरे फलाना का भेउ ताहि षोडनारसिंह पं षं षं षं षं।" टिप्पणी उक्त मन्त्र में जहाँ 'फलाना' शब्द आया है, वहाँ बालक के नाम का उच्चारण करना चाहिए। बाल रक्षा कर झाड़े का मन्त्र (२) मन्त्र-"आदिनाथ भय हरण कहहु कहवायो ये ही अब डर होयसे For Private And Personal Use Only Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५६ | शावर तन्त्र शास्त्र सावर हेत हवा वडिल भूत ब्याधि डीठि मूठि सब बाँधि के आनो ग्रह गाठकन सुरवायु साजि पङमनै बांध विज्ञत के भैरव टोनहि लेइ आउ भैरवानन्द काशी का कोतवाल बनारसि के षंभ बालु के कीजे हार तेहि लगि बात है।" विधिपूर्व मन्त्र के अनुसार। बाल रक्षाकर झाड़े का मन्त्र (३) मन्त्र—“शुक्र शनिश्चर भीम अवारी कहवा चलेउ डाइनि मारी हंकिनी डंकिनी चढ़ी पुरुव देशाकै वैसी पीपर के डार सात से योगिनी जागे मशान डीठि मूठि बांधिके आ नगरह गाडकन मुखाय सन्तावे मनैवाद पर भैरव टोनहि लै आउ।" विधिपूर्व मन्त्र के अनुसार। बाल रक्षा का झाड़े का मन्त्र (४) .. .... ........ मन्त्र--"षिल लौराई षिललौलीन षिलौसोपनु सजांकालां मीडीठि अग्नि परोसे जेवे गरुड़ पाथरखाई भस्मत भैजाई पत्थर शिलउ पत्थणि षिलावंरंडषिलषिलंग परबत हाथ चढ़ा बशकरौं धौक लोहे को चना चण्डी डीठि मूठि भस्मत होइ जाइ अपनी डीठि पर डीठि पर पीठि पाछे घालु बाटवीर हनुवन्त तेरी शक्ति।" बाल रक्षा का गण्डा (ताबीज) क्वारी कन्या के हाथ से कते हुए सूत के तेरह धागे में कच्चा घोंघा डालकर, उसमें १६ बासमती चावलों को राँध कर भर दें तथा उसका For Private And Personal Use Only Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org शावर तन्त्र शास्त्र | १५७ मांड़ बालक को पिला दें। फिर सूत से गण्डे को लपेट कर उसे बालक के गले में बांध दें । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घोंघा को सूत में लपटते समय निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करना चाहिए मन्त्र मन्त्र - " घोंघा घोंघा समुद्र घोंघा घोंघा जनि जरु सूत जरें तो महादेव के जटा जरै ।" गण्ड भरते समय निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करें- समुद्र के कितजानि जानहु तो पारवती केश आचर जरै -“ॐ आसन योगी कपूत जंबीरी के पास न कोई श्रवरी गैकरीर कतमासुकी सानी बिआरी जेहिमे बाँधो बाँधि के जडाव धषधीक जाइ कावरू के विद्या कामाक्षा जल विधि नाथ गुरु गोरखनाथ रक्षपाल ।” बालक को अभिमन्त्रित पानी पिलाने का मन्त्र इस प्रकार हैमन्त्र - " पानी तीनि पानी ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर जानी शिव शक्ति कुमारी अब छार भार सब तोही की ताइ कहहु कतहूं का होउ धैले आउ बालक के तोके मोके पुण्य जब होय महादेव के जटा परे पारवती के आँचर जो यह बालक दुःख पावैं ।” बालक को झाड़ने का मन्त्र मन्त्र - "शंकर यशसामी केशरि ललित केशरि पंचमि वारूणि भूकटेन कुटौकार दंत विकारों तेंतिस कोटि भूत भीमदेव संघारी भीम बालक के छरू अहकहं बालक के ससुखना चोटो खाजौ मोरा कोषें गरुड़ कण्ठे समुद्रतीर गिधिनिउ आवथरोष भस्मत होई जाइ ठौर भक्षिनी स्वाहा । " For Private And Personal Use Only Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५८ | शाबर तन्त्र शास्त्र साधन-विधि __ ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि बालक की रक्षा हेतु इस मन्त्र को पढ़ते हुए २१ बार झाड़ा देना चाहिए। यदि किसी स्त्री के बालक हो-हो कर मर जाते हो तो उसे गर्भावस्था में ही उक्त मन्त्र द्वारा २१ बार अभिमंत्रित जल पिलाने से वह सुन्दर, स्वस्थ तथा दीर्घजीवी बालक को जन्म देती है। बालक का रोना बन्द करने का यन्त्रा जो बालक अत्यधिक रोता हो, उसका रोना बन्द करने के लिए नीचे प्रदशित यन्त्र को काली स्याही अथवा लाल चन्दन से कागज या भोज पत्र पर लिख कर बाँध देना चाहिए। १६ १८ ३३ १८ (बालक रुदन अवरोधक यन्त्र) For Private And Personal Use Only Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १५६ ज्वर का झाड़ा देने का मन्त्रा (१) निम्नलिखित मन्त्रों में से किसी एक को पढ़कर ज्वर-ग्रस्त व्यक्ति को झाड़ा देने से उसका ज्वर दूर हो जाता है। मन्त्र-“ॐ नमो अजैपाल की दुहाई जो ज्वर रहे तो महादेव .की दुहाई फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा।" प्रयोग विधि पहले इस मन्त्र को ग्रहण के दिन १०००० की संख्या में जपकर सिद्ध कर लें, फिर आवश्यकतानुसार ७ बार मन्त्र पढ़ कर रोगी को झाड़ा देना चाहिए। ज्वर का झाड़ा देने का मन्त्र (२) । मन्त्र-“समुद्रस्योत्तरे कूले कुमुदो नाम वानरः । तस्य स्मरण ____ मात्रेण ज्वरो याति दिशो दश ।" प्रयोग-विधि पहले इस मन्त्र को ग्रहण के दिन १०००० की संख्या में जपकर सिद्ध कर लें। फिर आवश्यकता के समय इस मन्त्र को पढ़-पढ़कर कुश से झाड़ा दें तो ज्वर उतर जाता है। ज्वर का झाड़ा देने का मन्त्र (३) मन्त्र-“कारी कुकरी सात पिल्ला ब्याई सातों दूध पिआई जिआई बाघ थन इलोकांश्चलायके मन्त्रे तोनों जाइ।" प्रयोग-विधि तीनों सध्याकाल मे इस मन्त्र को पढ़-पढ़कर रोगी के आंचल का अपने दांये हाथ से स्पर्श करें तो 'तिजारी-ज्वर' दूर हो जाता है। ज्वर का झाड़ा देने का मन्त्रा (४) मन्ग- “जटा ऊपर कारागरे ॐ नमः शिवाय शिव की आज्ञा कागाचरे भीटे पनिनि आपरे पीठे सवा भार विष निजबडं अपने डीठे ॐ नमः शिव विआज्ञा । For Private And Personal Use Only Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६० | शावर तन्त्र शास्त्र प्रयोग-विधि पहले इस मन्त्र को ग्रहण पर्व में १०००० की संख्या में जपकर सिद्ध कर लें। फिर आवश्यकता के समय इस मन्त्र का उच्चारण करते हुए झाड़ा देने से ज्वर दूर हो जाता है और यदि ज्वर के आने की सम्भावना हो तो वह नहीं आता। ज्वर का झाड़ा देने का मन्त्रा (५) मन्त्रा--"ॐ ह्रां ह्रां क्लीं सुग्रीवाय महाबल पराक्रमाय सूर्य पुत्राय अमित तेजसे एकाहिक, द्वयाहिक न्याहिक चातुर्थिक महाज्वर, भूतज्वर, प्रेत ज्वर, महावीर वानर ज्वराणां बन्ध ह्रां ह्रीं फट् स्वाहा ।" प्रयोग-विधि पहले इस मन्त्र को ग्रहण पर्व में १०००० की संख्या में जपकर सिद्ध कर लें। आवश्यकता के समय इस मन्त्र को २१ बार पढ़कर, ज्वर रोगी को झाड़ा दें। इसके प्रभाव से सामान्य ज्वर, इकतरा, तिजारी, चौथैया, महाज्वर, प्रेत ज्वर आदि सब प्रकार के ज्वर दूर हो जाते हैं। जादू टोना झाड़ने का मन्त्रा (१) निम्नलिखित मन्त्र में से किसी भी एक मन्त्र को ७ बार पढ़कर झाड़ा देने से किसी के द्वारा किया गया जादु-टोना दूर हो जाता हैमन्त्रा- -“लोना सलोना योगिनि बाँधे टोना आबहु सखि मिलि जादू कवन कवनु देश कवन फिरि आदि अफूल फुलवाई ज्यों ज्यों आवै बास त्यों त्यों फलानी आवै हमरे पास कवरू देवी की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मोहिनी ईश्वरोवाचा ।" जादू-टोना झाड़ने का मन्त्रा (२) मन्त्रा-- “सोम शनिश्चर भौम अगारी। कहा चललि देई अधारी । चारि जटा वज्र केवार । दीनहि बाँधो सोम For Private And Personal Use Only Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १६१ दुबार । उत्तर बांधौं कोइला दानव दक्षिण बाँधौं क्षेत्र पाल चारि विद्या बांधिके देउ विशेष मवर भवर दिधिल भवर गए चलु उत्तरापथ योगिनी चलु पाताल से बासुकी चल रामचन्द्र के पायक अंजनी के चीर लागे ईश्वर महादेव गौरा पार्वती की दुहाई जो टोना रहै एदी पिण्ड मन्त्र पढ़ि फूकै टोना कइल न रहे ।" टोना-झाड़े को प्रत्यक्ष करने का मन्त्र नीचे लिखे मन्त्र को ७ बार पढ़ कर झाडा देने से किसी के द्वारा किया गया जादू-टोना प्रत्यक्ष हो जाता है अर्थात् उसका पता चल जाता है। मन्त्र---"लोहे के कोठिला बज्र के केवार । तेहि पर नावो बार म्बार । तेते नहिं पहनहिं कहुए बार एक । पण्डा अनण्डा । बाँधौ पाताले बासुकी नाग बाँधौं सैयद के पाँव शरण षोदकी भक्ति नारसिंह आदिकार खेल खेलु शंकिनी डंकिनी । सात सेतर के संकरी बारह मन के पहार तेहि ऊपर बैठु अब देवी चौतराकय आन जंभाइ जंभाइ । गोरख की दुहाई नोना चमारी की दुहाई तैंतीस कोटि देवताओं की दुहाई हनुमान की दुहाई काशी कोतवाल भैरो की दुहाई अपने गुरुहि कटारी मारू देवता खेल सभ आप लेइ काशी कादि कादि काशी कर पाप तेहि देवता के कन्ध चढ़ाइ काट जो मन महं झोभ राखे ।" स्त्री को चुडैल का टोना झाड़ने का मन्त्रा एकान्त में पर्दा करवा कर जादू-टोना ग्रस्त स्त्री को नमक-पानी से जाड़ा देते हुए निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण तरें तो टोना आदि उतर जाता है। For Private And Personal Use Only Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६२ / शावर तन्त्र शास्त्र मन्त्र-"औं पूर्व पश्चिम उत्तर दक्षिण चारिका सर्ग पाताल आंगन द्वार मंझार खाट बिछौना गडई सोवनार सागलन औ जेवनार विरा सोंधावे फुलेल लवंवेग सोपारी जे मुंह तेल अवटन उवटन औ अवनहान पहिरणलहँगा सारी जान डोरा चोलिया चादरि झीनमोट रूइ ओढ़न झीन शंकर गौरा क्षेत्रपाला पहिले झारो बारम्बार काजर तिलक लिलार आँखि नाक कान कपार मह चोटी कण्ठ अवकष काँध बाँह हाथ गोड अंगुरी नख धुकधुकी अस्थल नाभी पेट नीचे जोनि चरणि कत भेटी पीठि करि दाब जांघ पेडुरी घूठी पावतर ऊपर अंगुरा चाम रक्त माँस डाँड गुदो धातु जो नहीं छाडु अन्तरी कोठरी करेज पित्त ही पित्त जिय प्राण सब बित बात अंक मने जागु बड़े नरसिंह कि आनु कबहुन लागु फाँस पित्तर राँग काँच लोह रूप सोन साच पार पट वशन रोग जोग कारण दोशन डीठि मूठि टोना थापक नवनाथ चौरासी सिद्ध के सराप डाइनि योगिनी चुरइलि भूत व्याधि परिअर जेजुत भनै गोरख बैन साच प्रगट रे बिलउकाली और भैरव की हाँक फुरो ईश्वरोवाच ।” डाकिनी को नजर दूर करने का मन्त्र निम्नलिखित मन्त्र को १०८ बार पढ़-पढ़कर झाड़ा देने से डाकिनी की नजर का दोष दूर होता है। डाकिनी की नजर प्रायः छोटे बच्चों को लगा करती है। मन्त्र---"ॐ नमो नारसिंह पाईहार भस्मना योगनी बंध डाकनी बध चौरासी दोष बंध अष्टोत्तरशत व्याधी बंध खेदी खेदी भेदी भेदी मारे मारे सोखे सोखे ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल नारसिंह वीर की शक्ति फुरो।" For Private And Personal Use Only Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १६३ नजर झाड़ने का मन्त्र मन्न - 'ॐ सत्यनाम आदेश गुरु को ॐ नमो नजर जहाँ पर पीर न जानी, बोले छलसों अमूतबानी, कहो नजर कहाँ ते आई यहाँ ठौर तोहिं कौन बताई, कौन जात तेरे कहाँ ठाम, किसकी बेटी कहा तेरौ नाम, कहाँ से उड़ी कहाँ को जाय, अब ही बस करले तेरी माया, मेरी जात सुनो चितलाय, जैसी होइ सुनाऊँ आय, तेलन, तमोलन चूहड़ी चमारी कायषनी खतरानी कुम्हारी, महतरानी, राजा की रानी जाको दोष ताही के सिर पड़े जाहरपीर नजर की रक्षा करे मेरी भक्ति गुरू की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा।" विधि यह मन्त्र १००८ बार जपने से सिद्ध हो जाता है। इस मन्त्र को पढ़ते हुए मोर पंख से झाड़ा देने पर नजर उतर जाती है। For Private And Personal Use Only Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विविध रोग-नाशक मन्त्र विभिन्न रोगों के विषयों में रोग अनेक प्रकार के होते हैं। उनमें से अधिकांश तो केवल औषधोपचार से ही ठीक हो सकते हैं, परन्तु कुछ को मन्त्रों द्वारा भी ठीक किया जा सकता है। मन्त्रोपचार द्वारा ठीक किये जाने वाले रोगों में मृगी, नेहरूआ. घिनहीं, अण्डवृद्धि, दाढ़ का दर्द, सिर दर्द, आँख-दुखना, पेट-दर्द, पीलिया, बवासीर, बच्चों के रोग, कृमि, दाद, कखलाई आदि मुख्य हैं। प्रस्तुत प्रकरण में मन्त्रोपचार द्वारा ठीक होने वाले रोगों से सम्बन्धित मन्त्रों का उल्लेख किया गया है। इन मन्त्रों का प्रयोग करने से पूर्व उन्हें निश्चित संख्या में जप कर सिद्ध कर लेना आवश्यक है। जिन मन्त्रों के साथ जप संख्या दी गई हो तथा साधन के मुहूर्त का उल्लेख किया गया हो, उन्हें तदनुसार ही सिद्ध करना चाहिए, परन्तु जिनके साथ इस विषय का उल्लेख न हो, उन्हें होली अथवा दीवाली की रात्रि में अथवा ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जप कर सिद्ध कर लेना चाहिए। तदुपरान्त आवश्यकता के समय उल्लिखित संख्या में अथवा १०८ बार जपकर रोगी पर प्रयुक्त करना चाहिए। जिन मन्त्रों के प्रयोग में अन्य विधियों का उल्लेख हो, उनका तदनुसार ही प्रयोग करना चाहिए। स्मरणीय है कि यदि मन्त्रोपचार द्वारा सफलता प्राप्त न हो तो रोग को मन्त्र के प्रभाव से परे जान कर, किसी सुयोग्य चिकित्सक द्वारा औषधोपचार कराना चाहिए । मगी का मन्त्र मन्त्र-- "हाल हल सरगत मंडिका पुड़िया श्रीराम फुकै मृगीवायु सूख ॐ ठः ठः स्वाहा ।" For Private And Personal Use Only Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १६५ साधन-विधि ग्रहण अथवा सिद्धि योग में १०००० की संख्या में जपने से मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि जब रोगी को मगी का दौरा हो, तब इस मन्त्र को कागज पर लिखकर उसके गले में बाँध देने से दौरा समाप्त होकर, रोगी होश में आ जाता है। नेहरुवा का मन्त्र (१) मन्त्र—"बने बिआई अंजनि जायो सुत हनुवन्त नेहरुवा देहरुवा जरि होइ भस्मत गुरू की शक्ति ।" साधन-विधि यह मन्त्र ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि एक, तीन अथवा सात सीके हाथ में लेकर, ७ बार मन्त्र पढ़ कर झाड़ा देने से नेहरुवा रोग दूर होता है। नेहरुवा का मन्त्र (२) मन्त्र-“भांमनसेति योगी भया जने उतोरि नेहरु आकिया न पाकै न फूटे व्यथा करे विरूपाक्ष की आज्ञा भीतरहि सरै।" साधन-विधि मन्त्र संख्या १ के अनुसार। प्रयोग-विधि हर बार २१-२१ बार मन्त्र पढ़कर, ७ बार पानी के छींटा मारने से नेहरुवा नहीं रहता। For Private And Personal Use Only Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६६ | शावर तन्त्र शास्त्र धीनही का मन्त्र मन्त्र-“एहर चालो मेहर चालो लंका छोड़ि विभीषण चालो । बेगि चलि मन्त्र सहि ।" साधन-विधि ___ ग्रहण के समय १००० की संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि२१ बार मन्त्र पढ़ कर झाड़ा दें। अण्ड-वद्धि का मन्त्र मन्त्र-“ॐ नमो आदेश गुरु को जैसे के लेहु रामचन्द्र कबून ओसइ करहु राध बिनि कबूत पवनपूत हनुमन्त धाउ हर हर रावन कूट मिरावन श्रवइ अण्ड खेतहि श्रवइ अण्ड अण्ड विहण्ड खेतहि श्रवइ वाजंगर्भहि श्रवइ स्त्री सीलहि श्रवइ शाप हर हर जंबीर हर जंबीर हर हर हर ।" साधन विधि ग्रहण, दीपावली की रात्रि अथवा सिद्धि योग में १०००० की संख्या में जपने से मन्त्र सिद्ध हो जाता है । प्रयग-विधि इस मन्त्र को पढ़-पढ़ कर अण्ड कोषों पर फूकमारे तथा उन्हें मले तो अण्ड वृद्धि से छुटकारा मिलता है। विशेष यह मन्त्र चार वस्तुओं पर चलता है (१) इस मन्त्र द्वारा अभिमन्त्रित जल पुरुष को पिलाया जाय तो उसे अण्ड वृद्धि से छुटकारा मिले। (२) इस मन्त्र से अभिमन्त्रित जल यदि दो-तीन मास की गर्भवती स्त्री को पिलाया जाय तो उसका गर्भ गिर जाता है। For Private And Personal Use Only Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १६७ (३) इस मन्त्र को एक ढेले पर पढ़कर उसे सर्प की बॉमी पर रख दिया जाय तो सर्प वहाँ से भाग जाता है। (४) तीन-चार दिन के बोये हुए खेत में यदि इस मन्त्र से अभिमन्त्रित तीन डेलों को पढ़कर उसके तीन कौनों में डाल दिया जाय तो खेत सूख जाता है। दाढ की पीडा का मन्त्र मन्त्र --"ॐ नमो आदेश गुरु को नौ लाख कांवरु एक बार जहाँ बैठे ग्वाल बाल । गंगा जमुना सरस्वती जहाँ बैठे गोरखजती । गौतम ऋषि सूरवर परवत तें आई कामधेन छत्तीस रोग टलें आधो दीनों पृथ्वी आधो राखो वाय भौंरा पा ही रणटिया मिगत पासु वटियाम दौड़ रक्षा करे श्री रामचन्द्र हनुमन्त वीर हाल भाव रोग दोष जाय पराई सींव गुरू की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।" प्रयोग-विधि सर्वप्रथम किसो ग्रहण के समय इस मन्त्र को १०००० की संख्या में जपकर सिद्ध कर लें। फिर आवश्यकता के समय अक्षत-पानी को २१ बार इसो मन्त्र से अभिमन्त्रित कर गांव के निकास-मार्ग पर जा लेटे। वहाँ डाढ को निकालता जाय और पानी के छींटा देता जाय तो डाढ़ को पीड़ा दूर होगी। दाढ़ के पीड़ा का मन्त्र (१) मन्त्र--"सवारा में सीसी सीसी, में माची माची, में कीड़ा कीड़ा में पीड़ा, कोड़ा मरे पीड़ा टरे । शब्द साँचा पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा।" प्रयोग-विधि---- पहले ग्रहण पर्व में मन्त्र को १०००० की संख्या में जप कर सिद्ध कर ले । प्रयोग के समय मन्त्र पढ़ते हुए दो लोहे की कीलों ने चाकें। फिर For Private And Personal Use Only Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६८ / शावर तन्त्र शास्त्र उनमें से एक को कुआ में डाल दें तथा दूसरी को नींव में गाढ़ दें तो दाढ़ का कीड़ा मरे या निकल जाता है। दाढ़ के कीड़ा का मन्त्र (२) ... ...... .. .... .... .... मन्त्र- 'कामरू देश कामख्यादेवी, जहां बसे इस्माइल जोगी। इस्माइल जोगी ने पाली गाय, नित उठि चरवा वन में जाय । सूर को गम्भूर जो गाय गोबर कियो जासों निपजे कोड़ा सात सूत सुताला छ पुछाला धड़ पिंजर सहु मुठागाल में मुण्डी करे तो गुरू गोरखनाथ की दुहाई फिरे । शब्द साँचा पिण्ड कांचा फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा।" प्रयोग-विधि - पहले ग्रहण पर्व में इस मन्त्र को १०००० की संख्या में जप कर सिद्ध कर लें, फिर आवश्यकता के समय इस मन्त्र द्वारा लोहे की ३ कीलों को ७ बार अभिमन्त्रित करके, किसी काठ में ठोक दें तो दाढ़ का कोड़ा मर या निकल जाता है। दाढ़ के दर्द का मन्त्र मन्त्र- 'ॐ नमो आदेश गुरू को वन में ब्याई अंजनी जिन जाया हनुमन्त कीड़ा मकुडा माकडा ये तीनों भस्मतं गुरू की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।" प्रयोग-विधि पहले इस मन्त्र को दिवाली की रात्रि में अथवा ग्रहण के दिन १०००० की संख्या में जप कर सिद्ध कर लें। फिर आवश्यकता के समय इस मन्त्र का उच्चारण करते हुए नीबू से आँके तो दाढ़ की पोड़ा दूर होती है। दाढ़ को फुसी का मन्त्र मन्त्र---"ॐ नमो आदेश गुरू को वन में ब्याई अंजनी जिन जाया हनुमन्त फूनी फुन्सी गूमडी ये तीनों भस्मंत ।" For Private And Personal Use Only Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र मात्रा १६ प्रयोग विधि सर्वप्रथम इस मन्त्र को किसी ग्रहण के दिन अथवा दिवाली की रात्रि में १०००० की संख्या में जप कर सिद्ध कर लें। फिर आवश्यकता के समय दाढ़ की फुन्सी पर हाथ फेरते हुए इस मन्त्र का उच्चारण करते जाँय तो दाढ़ की फुन्सो, सूजन आदि पीड़ाएं दूर होती हैं। विशेष इस मन्त्र का प्रयोग अन्य स्थानों की फुन्सी, गूमड़ी आदि पर भी किया जाता है। दाढ़ के कष्ट का मन्त्र मन्त्र--"ॐ नमो आचाय ननाय स्वाहा ।" प्रयोग-विधि -- ____ सर्व प्रथम इस मन्त्र को ग्रहण के दिन १०००० की संख्या में जप कर सिद्ध कर लें। फिर आवश्यकता के समय इस मन्त्र को कागज पर लिख कर, एक लोहे की कील को मन्त्र में उल्लिखित 'य' कार अक्षर पर माढ़ दें। तत्पश्चात् जिस मनुष्य की दाढ़ दुखती हो तो उसे कहें कि यदि तुम्हारी दाई ओर की दाढ़ दुखती हो तो उसे बांये हाथ को अंगुली और अँगूठे से पकड़ लो ओर यदि बाँई दाढ़ दुखती हो तो दाये हाथ की अंगुली और अँगुठे से पकड़ लो । जब वह ऐसा कर चुके, तब इस मन्त्र को ७ बार पढ़ कर उस लोहे की कील को किसी काठ में ठोक दें तथा रोगी से कहें कि वह जमीन पर थूक दें। इस क्रिया को ६ बार दुहराने से दाढ़ का दर्द दूर हो जाता है। दुखती आंख का मन्त्र मन्त्र- 'ॐ नमो झलमल जाहर भरी तलाई जहाँ बैठा हनुमन्ता आई फूटे न पाले न करे न पीड़ा जती हनुमन्त राखे हीडा।" प्रयोग-विधि पहले इस मन्त्र को किसी ग्रहण के समय १०.०० को संख्या में जप For Private And Personal Use Only Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १७० | शाबर तन्त्र शास्त्र कर सिख कर लें। फिर आवश्यकता के समय इस मन्त्र को पढ़ते हए विभूति से चाके तो दुखती आँखों की पीड़ा दूर होगी। आँख की फूली काटने का मन्त्र मन्त्र--"उतर कूल काछ सुन जोगी की बाछ इस्माइल जोगी के दो बेटी एक पाथे चूल्हा एक काटे फुली का काछ फुली का काछ, फुली का काछ ।" प्रयोग-विधि पहले इस मन्त्र को किसी ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जप कर सिद्ध कर लें, फिर आवश्यकता के समय मन्त्रोच्चारण करते हुए छूरी से पथ्वी पर २१ बार काटने के चिह्न बनायें। ऐसा ७ दिनों तक करते रहने से आँख की फूलो कट जाती है। नेश-ज्योति रक्षक मन्त्र nan................ ................ मन्त्र--"अजातश्च सुकन्याश्च चन्दनं शक्रामप्यऊ। भोजनांते स्मरेत् यस्य तस्य नेत्रं न नश्यति ।" प्रयोग-विधि नित्य भोजनोपरान्त उक्त मन्त्र को पानी के पात्र पर पढ़ कर, उस पानी द्वारा नेत्रों को धोते रहने से नेत्र-ज्योति नष्ट नहीं होती। शिरोव्यथा (सिर-दर्द) का मन्त्र (१) मन्त्र-"निसुनहिरै रोइबदधर मेघ गरजहि निसुनहि कहलु धर कुफ निवेरी फान डमरू न बजे निसुनहि कहल विन्न पटु साचभई।" प्रयोग-विधि पहले ग्रहण के दिन इस मन्त्र को १०००० की संख्या में जप कर सिद्ध कर लें। आवश्यकता के समय २१ बार मन्त्र पढ़ कर रोगी के मस्तक पर फूक मारने से सिर-दर्द दूर होता है। For Private And Personal Use Only Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १७१ सिर-दर्द का मंत्र (२) मन्त्र-"सुरगाय के गर्भ में उपजा बच्छा बच्छे के पेट में कच्छा कच्छे के पेट में उपजा कालजा कालजा कट मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा महादेव की आज्ञा फुरो।" प्रयोग-विधि पहले ग्रहण के दिन इस मन्त्र को १०००० को संख्या में जप कर सिद्ध कर लें। फिर आवश्यकता के समय इस मन्त्र को ११ बार पढ़ कर रोगी के सिर में झाड़ा देने से सिर-दर्द दूर हो जाता है। आधा शीशी का मन्त्र (१) मन्त्र-“वन में जाई बंदरो जो आधा फल खाइ । खडे मुहफद हांक दें आधा शीशी जाइ।" साधन-विधि पहले ग्रहण के दिन इस मन्त्र को १००० की संख्या में जप कर सिद्ध कर लें । शुक्ल पक्ष के पहले बृहस्पतिवार को केवल १०१ बार जप करने से भी यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है । जिस रोगी के आधे सिर में दर्द होता हो, उसके सिर पर.३ बार यह मन्त्र पढ़ कर फूक मारने से दर्द दूर हो जाता है। आधा शीशी का मन्त्र (२) मन्त्र-काली चिड़िया किलकिली काले बन फल खाइ । खड़े मुहम्मदशाह आँक दें आधा शीशी जाय ।" साधन-विधि किसी ग्रहण के दिन १०००० की संख्या में जप करने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। विशेष यह पूर्वोक्त मन्त्र का ही कुछ भिन्न स्वरूप है। For Private And Personal Use Only Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १७२ | शापर तन्त्र शास्त्र प्रयोग-विधि जिस रोगी के आधे सिर में (आधा शीशी का) दर्द होता हो, उसे दोपहर १२ बजे के समय किसी खुली जगह में खड़ा करके सूर्य की ओर टकटको बाँध कर देखने को कहे तथा - स्वां ३५ बार मन्त्र का उच्चारण करें। प्रत्येक बार मन्त्र का उच्चारण करने के बाद लकड़ी के कोयले से एक एक खड़ी लकीर पृथ्वी पर खींचता जाय । ३६वीं बार मन्त्र जप करके, उन ३५ लकीरों को एक बड़ी आड़ी लकीर द्वारा काट दें तथा रोगी को एक मिनट के लिए अपनी आँखें पृथ्वी की ओर कर लेने को कहें। तत्पश्चात् पुनः यही क्रिया करें। इस प्रकार इस प्रक्रिया को ३ बार दुहराना चाहिए। तीन बार दुहराने से मन्त्र-जप की संख्या १०८ हो जाती है। इतने से ही रोगी की पीड़ा दूर हो जाती है। इस प्रयोग को गुरुवार एवं शुक्रवार को करना विशेष हितकर रहता है। सिर दर्द का मन्त्र ......... नीचे प्रदर्शित यन्त्र को २ कागजों अथवा भोजपत्र के टुकड़ों पर अलग-अलग लिखें। फिर उन्हें ताबीज में भरकर एक ताबीज को खारी घरती में गाढ़ दें तथा दूसरे को रोगी के सिर में बाँध दें तो सिर का दर्द दूर हो जाता है। यन्त्र का स्वरूप इस प्रकार है (सिर दर्द नाशक यन्त्र ) For Private And Personal Use Only Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १७३ सब प्रकार की पौड़ (बर्व) का मन्त्र ... .. ..... .... .... .... मन्त्र--"लशकर फरऊन दर रोदनील गर्क शुद ।" साधन-विधि यह मन्त्र केवल १०८ बार जपने से सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि जहाँ कहीं दर्द हो, वहाँ पीली मिट्टी द्वारा इस मन्त्र को ३ बार लिखें। फिर मिट्टी के बराबर गुड़ तौल कर उसे छोटे बालकों को बाँट दें तो सब प्रकार की पीड़ा दूर हो जाती है । पेट-दर्द का मन्त्र मन्त्र-“ॐ नमो आदेश गुरू को स्याम गुरू परवत स्याम गुरू परवत में बड़, बड़ में कुवा, कूवा में तीन सूवा, कौन सूवा बाइस बाज हर सूवा पीड़ सूवा भाज भाज बेजार आयगा जती हनुमन्त मार करेगा भसमन्त फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा।" प्रयोग-विधि इस मन्त्र द्वारा ३ बार पानी को अभिमन्त्रित कर, वह पानी पेट दर्द के रोगी को पिला देने से दर्द दूर हो जाता है । पीलिया का मन्त्र (१) मन्त्र- 'ॐ नमो आदेश गुरू को रामचन्द्र सर साधा लक्ष्मन साधा वाण काला पीला राता पीला थोथा पीला पीला पोला चारों झड़ जो रामचन्द्र जी थां के नाम मेरी भक्ति गुरू को शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा।" साधन-विधि - यह मन्त्र किसी शुभ मुहूर्त में १००८ बार जपने से सिद्ध हो जाता है। For Private And Personal Use Only Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १७४ । शावर तन्त्र शास्त्र प्रयोग-विधि . पीतल की कटोरी में पानी भर कर उसे सुई द्वारा मन्त्र पढ़ते हुए १०८ बार काटें । ७ दिन तक नित्य यही क्रिया करते रहने से पीलिया रोग दूर होता है। पोलिया का मन्त्रा (२) मन्त्र--- "ॐ नमो वार वेताल असराल नारसिंह देव खादा तु . खादी तु पीलिया भेद तु नास्तुनास्तु पीलिया नास्तु ।” साधन-विधि शुभ मुहूर्त में १००८ बार जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है । प्रयोग विधि - एक कटोरी में कड़वा (सरसों का तेल भर कर, रोगी के मस्तक पर रख दें। फिर उसे दूब से अभिमन्त्रित करें। जब तेल पीला हो जाय, तब कटोरी को रोगी के मस्तक से नीचे उतार लें। तीन दिनों तक इसी प्रक्रिया को दुहरायें तो पीलिया रोग ठीक हो जाता है। सीया का मन्त्र ... .... ... . .... मन्त्र- 'ॐ नमो कामरू देस कामाख्या देवी जहाँ बसे इस्माइल जोगी इस्माइल जोगी के तीन पुत्री एक तोड़े एक निछोड़े एक तो तेजरी तोड़े।" साधन-विधि पूर्व मन्त्रानुसार। प्रयोग-विधि रोगी को खड़ा करके जहाँ ठण्ड लगती हो उस स्थान को हाथ से पकड़ कर २१ बार इस मन्त्र को पढ़ कर फूंक मारने से सीया (ठण्ड) रोग दूर हो जाता है। बवासीर के मन्त्र (१) मन्त्र-“खुरासान की टीनी साइ, खूनी बादो दोनों जाइ।" For Private And Personal Use Only Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra साधन-विधि जाता है । प्रयोग-विधि www.kobatirth.org ग्रहण अथवा दीवाली को रात में १००८ बार जपने से मन्त्र सिद्ध हो पूर्व मन्त्रानुसार । प्रयोग विधि Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उक्त मन्त्र से पानी को ३ बार अभिमन्त्रित कर, उस अभिमन्त्रित पानी द्वारा आबदस्त लें । प्रतिदिन ऐसा करते रहने से थोड़े ही दिनों में खूनो बादी बवासीर दूर हो जाती है । बवासीर का मन्त्रा (२) शावर तन्त्र शास्त्र | १७५. मन्त्र----" ईसा ईसा ईसा कांच कपूर के सीसा, यह अक्षर जाने नहीं कोय, खूनी बादी एक न होय, दुहाई तख्त सुलेमान बादशाह की ।" साधन-विधि - इस मन्त्र को ३ बार पढ़ कर पानी को अभिमन्त्रित करें और उसी पानी से आब-दस्त लें । फिर पाखाने के हाथ धोकर मस्सों को हाथ से पकड़ तथा थोड़े से पानी को अभिमन्त्रित कर उसे स्वयं पीलें तो कुछ ही दिनों में बवासीर दूर हो जाती है । अन्न पचाने का मन्त्रा (१) -- मन्त्र - " अगस्त्यं कुंभकर्णं च सम च बडवानलं । आहार पाचनार्थाय स्मरेत् भीमस्य पंचकम् ।" प्रयोग-विधि भोजन करने के बाद इस मन्त्र को पढ़ते हुए ७ बार अपने पेट पर हाथ फेरने से खाया हुआ भोजन पच जाता है । अन्न पचाने का मन्त्र (२) For Private And Personal Use Only मन्त्र----‘“अज्र हाथ वज्र हाथ भस्म करे सब पेट का भात, दुहाई हजरत शाह कुतुब आलम पंडवा की ।" Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १७६ / शावर तन्त्र शास्त्र प्रयोग-विधि इस मन्त्र को हाथ पर ११ बार पढ़ कर उसे पेट पर फेरे तो अन्न पचे एवं गिरानी मिटे। पसली का मन्त्र मन्त्र-"समन्दर के किनारे सुरह गाय सुरह गाय के पेट में बच्छा, बच्छा के पेट में कलेजा, कलेजा के पेट में डबडब कटे सरवडे दुहाई लोना चमारी की।" साधन-विधि होली, दीवाली अथवा ग्रहण के दिन इस मन्त्र को १४३ बार पढ़ कर. लोबान की धूप जलाने से मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि सिरकी की एक लकड़ी तथा ७ कोरी सींकों के ७७ अंगुल टुकड़े नापकर काट लें । फिर उनसे ७ बार मन्त्र पढ़कर रोगी को झाड़ा दें। दोनों वस्तुओं से झाड़ा देने पर दोनों वस्तुएँ बढ़ती जायेंगी और जब रोग मिट जायेगा, तब वे ज्यों की त्यों हो जायेंगी। बच्चों की पसली चलने पर यह प्रयोग करना चाहिए रोंघनवाय का मन्त्र मन्त्र---"कामहदेस कामाख्या देवी जहाँ बसे इस्माइल जोगी, इस्माइल जोगी के तीन पुत्री, एक तोडे, एक पिछोड़े, एक करेखन वाय को तोड़े शब्द सांचा पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा।" साधन-विधि पूर्व मन्त्र के अनुसार। प्रयोग-विधि मनिहार के मोगरा से उक्त मन्त्र पढ़ते हुए झाड़ा देने पर रीघनवा य में लाभ होता है। For Private And Personal Use Only Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र] १७७ बच्चों के प्रत्येक रोग का माड़ा मन्त्र मन्त्र- "बंध तो बंध मौला मुर्तजाअली का बंध, कीड़े और मकोड़े का बंध, ताप और तिजारी का बंध, जूड़ी और बुखार का बंध, नजर और गुजर का बंध, दीठ और मूठ का बंध, कीये और कराये का बंध, भेजे और भिजाये का बंध, नावत पर हान का बंध, बंध तौ बंध मोला मुर्तजाअली का बंध, राह और वाट का बंध, जमीं और आसमान का बंध, घर बाहर का बंध, पवन और पाणी का बंध, कूवा और पनहारी का बंध, लौह और कलम का बंध, बंध तो बंध मौला मुर्तजाअली का बंध ।" साधन-विधि दीपावली, होली अथवा ग्रहण के दिन १००८ की संख्या में जपने तथा लोबान की धूनी देने से मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि रोगी की एडी से चोटी तक डोरा नाप्र कर, उसमें मन्त्र द्वारा सात गांठ दें तथा सवा पाव मिठाई सँगाकर मुर्तजाअली के नाम से बालकों को बाँट दें। फिर गण्डा को लोबान की धूनी देकर रोमी के कण्ठ में बाँध दें तो उसकी सभी तकलीफें दूर होती हैं। जहर उतारने का मन्त्र मंत्र- 'गंगा गौरी ये दोऊ राणी, टांक कर मारि करो विष पाणी, गंगा बांटे गौरा खाइ, अटारा भार विष निर्विष हो जाइ । गुरु की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा।" प्रयोग-विधि रविवार को ७ मिर्च उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित करके रोगी को देने से विष उतर जाता है । For Private And Personal Use Only Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १७८ / शावर तन्त्र शास्त्र जानुवा, डमरू तथा पसली वाय का मन्त्र मन्य-- "ॐ नमो खंखारी खंखारा कहां गया सवा लाख परवतो गया सवा लाख परवतों जाइ का करेगा सवा भार कोइला करेगा सवा भार कोइला कर कहा करेगा हनुमन्त वीर का नव चन्द्रहास खडग करेगा नव चन्द्रहास खडग को धर कहा करेगा जानुवा डमरु पसलीवाय । काटि कूट खारी समुद्र में नाखेगा जागत गुरु की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा।" साधन एवं प्रयोग विधि । उक्त मन्त्र किसी शुभ मुहर्त में १००८ बार जपने से सिद्ध होता है । सिद्ध हो जाने पर इस मन्त्र द्वारा तिली के तेल में सिन्दूर मिलाकर, तोर से आँकने पर जानुवा, डमरू तथा पसली वाय को लाभ होता है। उवा का मन्त्र मन्त्र- 'ॐ खंखारी खंखारा कहाँ गया, सवा लाख परवतों गया, सवा लाख पर्वतों जाइ कहा किया, लकड़ कटाया, लकड़ कटाइ कहा किया, कोइला कराया, कोइला कराइ कहा किया, छुरा घड़ाया, छुरा घड़ाइ कहा किया, उवा के हाड़गोड़ कूटि काटि काला कामल में लपेट समुद्र पार बगाया शब्द साँचा पिण्ड कांचा फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा.।" साधन एवं प्रयोग-विधि किसी शुभ मुहूर्त में १००८ बार जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। सिद्ध हो जाने पर ८ अँगुल लम्बा तीर का सांटा लेकर उससे दाढ़ में चोट मारता उवा का रोग दूर हो । For Private And Personal Use Only Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मन्त्र www.kobatirth.org प्रयोग-विधि काले तिलों को उक्त पर डाल देने से वे ७ दिन के गाय-भैंस के Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir काँच का टुकड़ा गढ़ जाने के कारण 'नगरा' नामक कीड़ा पड़ जाने पर उन्हें नष्ट करने का मन्त्र शावर तन्त्र शास्त्र | १७६. - "जा दिन गिरतें चाली राणौ सहस कोटि लख च्यार, वोट काली काबली सबै एक उनहार । मन्दिर माहीं घर करे प्रजा ने बहुत सतावे । दुहाई हनुमन्त जती की जो हमारी गैल में आवे | लंका सो कोट समुद्र सी खाई, जे कीडी नगरों रहे तो जती हनुमन्त वीर की दुहाई । शब्द साँचा पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा सत्य नाम आदेश गुरू का ।" 1 मन्त्र से ७ बार अभिमन्त्रित कर नगरा कीड़ो भीतर नष्ट हो जाते हैं । कीड़ा नष्ट करने का मन्त्र मन्त्र - " महन्ते पटवारी अरजगाती वया जिनके पायो कीड़ा गया ।" प्रयोग विधि चौराहे की ७ कंकड़ियाँ लेकर, उन्हें इस मन्त्र द्वारा ३ बार अभिमंत्रित करके, जिस जानवर के कीड़ा हो, उसका नाम लेकर, उसके मालिक को वे कंकड़ियाँ देकर कहे कि 'कीड़ा गया। फिर मालिक अपने जानवर को उन कंकड़ियों को मारते हुए कहे कि 'कीड़ा गया' तो इस प्रयोग से जानवर के कीड़े नष्ट हो जाते हैं । विशेष यह प्रयोग शनिवार अथवा रविवार को ही करना चाहिए। नकसीर रोकने का मन्त्र For Private And Personal Use Only मन्त्र -- “ॐ नमो आदेश गुरू को सार सार महासार सार बाँधू सात बार अणी बाँधू तीन बार लोही की सोर बाँधू Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८० ! शावर तन्त्र शास्त्र सीर बाँधे हनुमन्त वीर पाके न फूटे तुरत सूखे शब्द साँचा पिण्ड काचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा।" साधन-विधि गृहण के दिन अथवा होली, दिवाली को १०००८ की संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि उक्त मन्त्र से विभूति (भस्म) को ७ बार अभिमन्त्रित कर रोगी की नाक पर लगाने से, नाक से खून बहना बन्द हो जाता है । घाव भरने का मन्त्र मन्त्र-“सार सार विजैसार सार बांधू सात बार, फूटे अन न उपजे घाव, सार राखे श्री गोरखनाथ ।" साधन-विधि पूर्वोक्त मन्त्र के अनुसार। प्रयोग-विधि ___इस मन्त्र को ७ बार पढ़कर घाव पर फूक मारने से पीड़ा नहीं होती तथा घाव शीघ्र भरने लगता है। पीड़ा कारक मन्ग . .. .. .... .. .. मन्त्र-ॐ ह्री श्रौं 'क्लीं' त्रपुर वहरू त्रपुर वीर मम शत्रू अमुकस्य पीड़ां कुरु कुरु स्वाहा।" टिप्पणी उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुक' शब्द आया है, वहां अपने शत्रु के नाम का उच्चारण करना चाहिए। साधन-विधि पूर्वोक्त मन्त्र के अनुसार। For Private And Personal Use Only Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १८१ प्रयोग-विधि शत्र के दाँये पांव के नीचे की मिट्टी लाकर, उसे सात करेलों में भर कर उन्हें धागे में पिरोकर अग्नि में तपावे तथा प्रत्येक करेले पर ७. बार मन्त्र पढ़ें तो शत्रु के शरीर में पीड़ा होती है । दाद का मन्त्र (१) मन्त्र—"ॐ गुरुभ्यो नमः दंव दंन पूरी दिशा मेरुनाथ दलक्षनामरे विशाहतो राजा बैरीघन आज्ञा राज वासुकी के आन हाथ वेगे चलाव ।" साधन-विधि ___ ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जप करने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि इस मन्त्र से २१ बार अभिमन्त्रित जल रोगी को पिलाने से दाद की बीमारी दूर हो जाती है। दाद का मन्त्र (२) .... ... ..... .. .. ........ .... ... मन्त्र --"हाथ बेगे चलाइ अदिनाय पवनपूत हनिवन्त कर मोर कतमेरुचाल मन्दिर चाल नवग्रह चाल दोष चाल पिनाइचाल डोरी चाल इन्द्रहि चाल चालर चाल हतन्त बिना सहकाल उठि विषितरुवरचाल हम हनुमन्ते मुगरे लिंडापरोरी वर्धछले तरुपरिधान परिहि यब अष्टोत्तरशत व्याधि लावरे विशालाव अहरोविश आहे।" साधन एवं प्रयोग विधिमन्त्र संख्या १ के अनुसार । दाद का मन्त्र (३) मन्त्र- 'ॐ ककराके नास्यकोन अव अगनित अमुका के हर्ष न For Private And Personal Use Only Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८२ | शावर तन्त्र शास्त्र होय रक्ता पीता स्वेता जावत जीवती हर्ष शत तावत प्रकाशं ब्रह्महत्याप्राप्नोति ब्रह्मणे नमः रुद्राय नमः अग स्त्याय नमः । साधन एवं प्रयोग-विधि मन्त्र संख्या १ के अनुसार। टिप्पणी ___ इस मन्त्र में जहाँ 'अमुका' शब्द आया है, वहां रोगी के नाम का उच्चारण करना चाहिए। दाद का मन्त्र (४) मन्त्र-"विष के पावरि विष कै मानि। विष करिय भादिउ - जानि । एकम जाइ दादुकरि अ अमुका अंगेक सकंडु दादु दिनाइ के छेद करि सिद्ध गुरु की जाव शरण ।" टिप्पणो इस मन्त्र में जहाँ 'अमुका' शब्द आया है, वहाँ रोगी के नाम का उच्चारण करना चाहिए। साधन तथा प्रयोग-विधिमन्त्र संख्या १ के अनुसार । कठबेगुची का मन्त्र मंत्रा- “सोने के सिंधोरा रूपे लागबान छवमास के मुअलिमे ग्वीलागसिन जिसघरुवरुआके कान धरुवरुआ मन्त्र तुहहि जगावै नोता योगिनि श्री पार्वती जागु जागु उपरवैशे होइत।" साधन-विधि ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जपने से मन्त्र सिद्ध हो जाता है। For Private And Personal Use Only Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रयोग-विधि www.kobatirth.org २१ बार मन्त्र को पढ़कर फूँक मारें । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १८३ शींगी मछली के विष का मन्त्र मन्त्र - "शींगी मौरी मेवताशी मारे मारे दुर्गादशी जैथा लषना ता पोखरा गौरा पैठि नहाहि महादेव पढ़ि फूँकहि विष निर्विष होइ जाइ ।” साधन-विधि --- ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जपने से मन्त्र सिद्ध हो जाता है । प्रयोग-विधि इस मन्त्र से २१ बार अभिमन्त्रित जल पिला देने से शींगी मछली का विष उतर जाता है । शुल- नाशक मन्त्र मन्त्र -- " कालि कालि महाकालि नमोस्तुते हन हन दह दह शूलं त्रिशूलेन हुँ फट् स्वाहा ।" साधन-विधि ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जपने से मन्त्र सिद्ध हो जाता है । प्रयोग विधि इस मन्त्र द्वारा २१ बार अभिमन्त्रित जल को पिलाने से सब प्रकार के शूल शान्त हो जाते हैं । धरन ठिकाने आने का मंत्र (1) For Private And Personal Use Only मंत्र- " ऊँची नीची धरणी श्री महादेव की सरनी टली धरन आनू ठौर सत सत भाखं श्री गोरखनाथ । " Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८४ | शावर तन्त्र शास्त्र विधि उक्त मन्त्र से झाड़ा देकर, सवा तीन माशे चांदी की अंगूठो पांव के अँगूठे में पहना देने से धरन ठिकाने पर आ जाती है। धरन ठिकाने आने का मंत्र (१) मन्त्र-“ॐ नमो नाडी नाडी नौ से बहत्तर सो कोस चल अनाडी डिगे न कोण चले न नाडी रक्षा करे जती हनुमन्त की आन मेरी भक्ति गुरू की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा।" विधि कच्चे सूत के धागे में गांठें लगा कर उसे छल्ले की भांति बना लें। फिर उसे रोगी की नाभि पर रखकर उक्त मन्त्र को १०८ बार पढ़ते हुए नाभि के ऊपर फूक मारने से धरन ठिकाने पर आ जाती है। कखलाई का मन्त्र मन्त्र-“ॐ नमो कखलाई भरी तलाई जहाँ बैठा हनुमन्त आई पसे न फूट चले न पीड़ा रक्षा करे हनुमन्त वीर दुहाई गुरु गोरखनाथ का शब्द साँचा पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा सत्य नाम आदेश गुरु को।" विधि २१ बार मन्त्र पढ़कर नीम की डाली से झाड़ा देने तथा कखलाई वाले स्थान पर पृथ्वी की मिट्टी लगा देने से वह दो-तीन दिन में बैठ जाती है। For Private And Personal Use Only Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विविध कार्य-साधक मन्त्र विविध कार्यों के विषय में सभी कार्य मन्त्र-प्रयोग द्वारा निष्पादित नहीं होते, तथापि कुछ अवसरों पर मन्त्र-प्रयोग विविध कार्यों की सम्पन्नता में साधक सिद्ध होते हैं। प्राचीन काल में धनुष-वाण, तीर, तोप, ढाल-तलवार आदि से लड़ाइयाँ हुआ करती थीं, उस समय इन शस्त्रास्त्रों के प्रहार से बचने तथा. इनका निशाना चूका देने अथवा धार को कुण्ठित करने हेतू मन्त्र प्रयोग का प्रचलन था। परन्तु वर्तमान काल में युद्ध का स्वरूप ही बदल गया है। अब युद्ध में मशीनगन, टैंक और बमों का प्रयोग होता है, अतः धनुष, तलवार आदि के अवरोधन-मन्त्र अनुपयोगी कहे जा सकते हैं, तथापि व्यक्तिगत झगड़ों के समय यदि तीर-तलवारादि का उपयोग किया जा रहा हो तो इन मन्त्रों का प्रयोग प्रभावकारी सिद्ध हो सकता है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए इस प्रकरण में शस्त्रास्त्र-स्तम्भन सम्बन्धी प्रयोगों का उल्लेख किया गया है। शूकर, मूषक, टिड्डी आदि को भगाने, कुश्ती जीतने, बाघ, सर्पादि हिंसक जीवों को मार्ग से हटाने आदि की आवश्यकता किसी समय भी पड़ सकती है, अतः इनसे सम्बन्धित प्रयोग तथा विभिन्न प्रकार के चेटक दिखाने सम्बन्धी प्रयोग भी इस प्रकरण में संकलित किये गये हैं। समुचित सिद्धि के पश्चात् इन मन्त्रों का प्रयोग हितकर सिर हो सकता है। शस्त्र की धार बांधने का मंत्र (१) निम्नलिखित मन्त्रों में से किसी भी एक मन्त्र द्वारा ७ बार मिट्टी को अभिमन्त्रित कर शरीर पर लगाने से शस्त्र की धार बंध जाती है अर्थात् किसी शस्त्र की धार शरीर पर चोट नहीं कर पाती। For Private And Personal Use Only Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मन्त्र www.kobatirth.org १८६ | शावर तन्त्र शात्र मन्त्र - " जहिआ लोह तोर शिर जाका घाव मासकर जानि हिया आनन्त सोचर करहु मैं बांधों धारधार मूठि धनि नौ तारि ठढोही मोहिन अडाफाटिहि चण्डी दीन्हि वर मोहिं धार जेठठे तोरिरइ ईश्वर महादेव की दुहाई मोरे पथ न आउ धार धार बांधौं लेहु उठे धार फुटै मुनै फुटै मोरि सिद्धि गुरू के पांव शरण ।" शस्त्र को धार बाँधने का मंन्त्र ( २ ) मन्त्र Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - "माता-पिता गुरू बांधौ धार बांधौ अस्त्री वश्ये कटै मुन बांधा हनुमन्तनसुर नवलाख शूद्रनपा के पांउ रक्षा कर श्री गोरखराउ ऐता देइन वाचा नरसिंह के दुहाइ हमारी सवति आ ।" शस्त्र की धार बांधने का मन्त्र ( ३ ) - "धार धार खण्ड धार धार बांधू तीन बार उड़े लोह ना लागे घाव सीर राखे श्री गोरखराय लोह का कड़ा मूँज का वाण हनुमत मेल्ही लाल यह पिण्ड लागे न पैनी धार शब्द साँचा पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।" सूची बन्धन मन्त्र सुई हाथ में लेकर निम्नलिखित मन्त्र को ७ बार पढ़े, फिर जहाँ बांधोगे, वहीं छेगी । 1 मन्त्र - "धार धार बाँधौ सात बार न लागे न फूट न आवे घाव रक्षा करें श्री गोरखराव मेरी भक्ति गुरु की शक्ति हनुमन्त वीर रक्षा करें फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।" शस्त्रास्त्र स्तम्भन मन्त्र निम्नलिखित मन्त्र को ७ बार पढ़कर सर्वाग को धूलि स्पर्श कराने For Private And Personal Use Only Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org शावर तन्त्र शास्त्र ! १८७ अर्थात् पृथ्वी की धूलि में लोट जाने से शस्त्रास्त्र का स्तम्भन होता है अर्थात् शस्त्रास्त्र की चोट नहीं लगती । मा - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -"बांधो तूपक अवनि वार न धरै चोट न परै घाउ करें श्री गोरखराउ ।” तोप बाँधने का मन्त्र मन्त्र- “ॐ नमो आदेश गुरू को जल बांधू जलवाई बांधू बाँधू ताखी ताई, सवा लाख अहेडी बांधू गोली चले तो हनुमन्त जतो की दुहाई, शब्द साँचा पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा । " प्रयोग विधि--- एक घड़ा गाय के दूध को उक्त मन्त्र से ७ बार अभिमन्त्रित करके तोप के मुँह पर मारे तो उससे गोला न निकले । तलवार बांधने का मंत्र मन्त्र – “ ॐ धार धार अधर धार धार, बाँधू सात बार कटे न रोम ना भीजे चीर, खांड़ा की धार ले गयो हनुमन्त वीर, शब्द सांचा पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।" प्रयोग विधि उक्त मन्त्र से ७ बार अभिमन्त्रित मिट्टी को अपने शरीर पर लगा कर युद्ध करें तो दुश्मन की तलवार की धार से चोट न लगे । ढाल रोपने का मन्त्र (१) - निम्नलिखित में से पहले मन्त्र को ककड़ी पर तथा दूसरे को ताँबे से पैसे पर ७ बार पढ़कर उसे ढाल पर मारने से ढाल का स्तम्भन हो जाता है For Private And Personal Use Only Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १८८ | शावर तन्त्र शास्त्र मन्त्र मन्त्र www.kobatirth.org - "ॐ चौंसठ जोगनी बावन वीर छप्पन भैरू सत्तर वीर आय बैठा ढाल के तीर हालीहले न चाली चले वादी वाद शत्रु सों मेले या ढाल ले चले तो जाहर पीर की दुहाई फिरे, शब्द साँचा पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।" प्रयोग विधि ढाल रोपने का मन्त्र ( २ ) - ॐ काली देवी किलकिला भैरू चौंसठ जोगनी बावन बीर, तांबा का पैसा वज्र की लाठी मेरा कीला चले न साथी ऊपर हनुमन्त वीर गाजे मेरा कीला पैसा चले तो गुरु गोरखनाथ लाजे शब्द साँचा पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।" Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मन्त्र संख्या १ के अनुसार । पहुँचा छेदने का मन्त्र निम्नलिखित मन्त्र पढ़कर बकरे को मारें तो उसे घाव नहीं लगेगा मन्त्र -- "काले तील कवेला तील गुजरी बैठी वीर प्रसारै सुई न बेधे माधाइ पीर न आवैं काली करुइमती भारी दुष्य तिबुकीलार अवनी बांधौ सुई अषषांडे की धार आवै न लोहू न फुटै घाव रक्षा करें श्री गोरखराउ ।” गागर छेदने का मन्त्र निम्नलिखित मन्त्र को पढ़ने से गागर में छेद नहीं होता । मन्त्र -- “ नीरा धार बांधौ लक्षवार न बहै घाउ न फूट धार रक्षा करे श्री गोरखराउ ।" For Private And Personal Use Only Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धनुबन्धन मन्त्र निम्नलिखित मन्त्र को पढ़ने से धनुष बँध जाता है अर्थात् उससे तीर नहीं छूटता । शावर तन्त्र शास्त्र । १८६ मन्त्र- "ॐ सार सार माहासारसो बांधौ तीनि धार न धरै चोट न परं घाव रक्षा करे श्री गोरखराउ ।" बन्धन का मिश्रित मन्त्र निम्नलिखित मन्त्र को पढ़ने से अनेक वस्तुओं का बन्धन होता हैमन्त्र - "गोरख चले विदेश कहँ सातो देहे बांधि से पाँचों चोरविग यथा गोरखनाथ की दुहाई जौं काहु सतावै । " सुई छेदने का मन्त्र मन्त्र -- ॐ नमो चण्डप चूर्न लोहासार लोहा का पत्र घड़े लुहार मोढ़ माड़ कर की या पानी जारे लोहा भस्म हुलारी रामवीर तोलावे मांटी लछमन वीर मूँदो घाव पाच फूटें पीड़ा करे, तो महावीर रक्षा करे शब्द साँचा पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।" मन्त्र प्रयोग-विधि विभूति ( भस्म ) को इस मन्त्र से ७ बार अभिमन्त्रित करके सुई को अभिमन्त्रित करे, फिर उसे गाल में छेदे तो पीड़ा न हो । सुई छेदने का मन्त्र (२) ― - "धार-धार महाधार धार बांधू सात बार अणी बाँधू तीन बार मेरी भक्ति गुरू की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरोहवाचा दुई गुरू गोरखनाथ की छु ।" For Private And Personal Use Only Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १६० | शावर तन्त्र शास्त्र प्रयोग-विधि न हो । मन्त्र www.kobatirth.org मन्त्र Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इस मन्त्र से सुई को ७ बार अभिमन्त्रित करके गाल में छेदे तो पीड़ा अणी-बंध का मन्त्र - "खं ब्रदर ॐ रक्त वंग सर होड़ निर्विष जागन्त भो नाथ होइ यह निर्विष ।" प्रयोग-विधि इस मन्त्र को ३ बार पढ़कर लोहे पर फूकें तो अणी न फूटे और ३ बार मिट्टी पर फूँक कर, उसे अपने शरीर पर लगाये तो अणी न लगे । लाय स्तम्भन मन्त्र - "ॐ नमो कोरा करवा जल सूँ भरिया, ले गोरा के सिर पर धरिया, ईश्वर ढोले गौरजा न्हाई, जलती आग सोतल हो जाइ, शब्द सांचा पिण्ड कांचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।" प्रयोग-विधि कोरा करवा (कुल्हड़ ) लेकर उसमें पानी भरे और उसे उक्त मन्त्र से ७ बार अभिमन्त्रित करें। फिर उस पानी के छींटा जितनी दूर तक लगा सके लगाये, उतनी दूर में लाय नहीं लगेगी । पाषाण-स्तम्भन मन्त्रा नोचे लिखे मन्त्र को पढ़ने से पाषाण (पत्थर) का स्तम्भन होता है । अर्था गिरता हुआ पत्थर रुक जाता है अथवा पत्थर के कारण स्वयं को चोट नहीं लगती मन्त्र - "समुद्र समुद्र में दीप दीप में कूप कूप में कुइ जहाँ ते बरावत चला हनुमत बराचला, भोला ईश्वर भांजि चले हरिहर परे चारों तरफ वत चला भीम ईश्वर गौरी For Private And Personal Use Only Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १६१ मठ में जाइ गौरा बैठी द्वारे न्हाय ठपकै नउद परे न बोला राजा इन्द्र की दुहाई मेरी भक्ति गुरू की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।" कढ़ाई स्तम्भन मन्त्र (१) निम्नलिखित मन्त्रों में से किसी एक की ठीकरी या नमक की डेली पर ७ बार पढ़ कर चूल्हे में डाल देने से कढ़ाही का स्तम्भन होता है अर्थात् गर्म कढ़ाही ठण्डो पड़ जातो है । अथवा कढ़ाही गर्म करने से भो गर्म नहीं होती। मन्त्र---"महि थांभो महि अरथांभो थांभो माटी सार, थांभनो आपनो बैसन्दर तेलहि करो तुषार ।" कढ़ाही स्तम्भन मन्त्र (२) मन्त्र-"वन बाँधौ वन में दिनि बाँधौ बाँधौ कण्ठाधार, तहाँ थाँभौ तेल तेलाई औ थाँभौ बेसन्दर छार । वन में प्लुशीतलताते लावे जय पार ब्रह्मा विष्णु महेश तीनि अचलकेदार देवी देवी कामाक्षा की दुहाई पानी पन्थ होई जाइ।" विधिपहले मन्त्र के अनुसार । तैल-स्तम्भन मन्त्र निम्नलिखित मन्त्र को ७ बार पढ़ने से कोल्हू मे तेल निकलना बन्द हो जाता है -- मन्त्र--"तेल थांभौ तेलाई थांभो अग्नि बैसन्दर थांभौ पांच पुत्र कुन्ती के पांचों चले केदार अग्नि चलन्ते हम चले अगिया परा तुषार ।" For Private And Personal Use Only Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १६२ | शावर तन्त्र शास्त्र www.kobatirth.org विधि - अग्नि- स्तम्भन मन्त्र (1) निम्नलिखित में से किसी एक मन्त्र को ७ बार पढ़ने से अग्निस्तम्भित हो जाती है अर्थात् जलाने से भी अग्नि नहीं जलती अथवा जलती हुई अग्नि ठण्डी पड़ जाती है । मन्त्र -- " अज्ञान बांधो विज्ञान बाँधो बांधौ घोराघाट, आठ कोटि बैसन्दर बाँधी अस्त हमारा भाई आनहि देखें झझके मोहि देखि बुझाइ | हनुवत बाँधौं पानी होइ जाइ अग्नि भवेते के भवे जसमत्तो हाथी होइ बैसन्दर बाँधो नारायण साखि मोरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।" अग्नि-स्तम्भन मन्त्र (२) मन्त्र ----"अग्नि बाँधों वाहन बाँधों कुल्याहा बाँधो बाँधों बीच की वायु, चारिहु खुटे वैसुंदर बाँधों आतस मेरा भाव । अवर देखे उमगे हमहिं देखे शीतल होइ जाइ, अग्नि गलिगण्डे लकड़ी बाँध बहिनि बांधौ शाल । हाथ जरे न जिह्वा जरे हनुवन्त वीर की आज्ञा फुरे देखि वायु वीर हनुमन्त तेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।" मन्त्र संख्या १ के अनुसार । अग्नि-स्तम्भन मन्त्र (३) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मन्त्र -- "काची हाँडी काचौं पाली, ऊपर वज्र की थाली, नीचे भैरू किल किलाय ऊपर नृसिंह गाजे, जो इस हाँडी को आँच लगे तो अंजनी पुत्र लाजे दुहाई हनुमन्त जती की दुहाई अंजनी के पुत्र की शब्द साँचा पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।" For Private And Personal Use Only Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra विधि मन्त्र विधि मन्त्र संख्या १ के अनुसार । www.kobatirth.org अग्नि स्तम्भन मन्त्र (४) मन्त्र संख्या १ के मन्त्र “ॐ नमो जल बाँधू जलवाई बाँधू नर्स गाँव का वोर बुलाऊं रहो रहो रे कड़ाही । जती बाँधू तूवा ताई, हनुमन्त की दुहाई ।” अनुसार 1 अग्नि बुझाने का मन्त्र Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १९३ मन्त्र ----"हिमाचलस्योत्तरे पार्श्वे मारीचो नाम मूत्र पुरोषाभ्यां हुताश स्तम्भयानि स्वाहा । " विधि इस मन्त्र द्वारा जल को ७ बार अभिमन्त्रित करके उसे अग्नि में डालें तो अग्नि बुझ जाती है । अग्नि- मुक्तारन मन्त्र राक्षसाः । तस्य मन्त्र - " अग्नि भवते के भवे जशमदमती परंपिण्ड दुःख पावै दोहाई नरसिंह जग दुःख पावे ।” विधि - इस मन्त्रको ७ बार पढ़ने से बाँधी गई अग्नि का बन्धन छूट जाता जाता है और वह पुन: जलने लगती है । पूंगी (तुरही) बांधने का मन्त्र For Private And Personal Use Only - ॐ वादी आया वादन करता बैठा बड़ पीपर की छाया, रह रे वादी वाद न कीजे बांधू तेरा कण्ठ अरु काया, Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६४ | शावर तन्त्र शास्त्र बाँधूपूगी और नाद बाँधू योगी और साधवा बाधू कंठ की पूगी बाजे और मसान की बानी अब तेरी रे पूगी सो जाने तले बाँधे नाहरसिंह, ऊपर हनुमन्त गाजे, मेरी बांधी पूगी बाजे तो गुरु गोरखनाथ लाजे।" प्रयोग विधि ककड़ी को उक्त मन्त्र से ३ बार अभिमन्त्रित करके पूगी (तुरही) पर मारने से उसका बजना बन्द हो जाता है। पूगी (तुरही) खोलने का मन्त्र मन्त्र---"ॐ गुरु को शब्द आनन्द नाद खुल गई पूगी भयो अवाज शब्द साँचा पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।" प्रयोग-विधि उक्त मन्त्र से धूलि को ३ बार अभिमन्त्रित करके पूगी (तुरही) पर मारने से बंधी हुई तुरही खुल जाती है अर्थात् वह बजने लगती है। कुश्ती जीतने का मन्त्र मन्त्रा-“ॐ नमो आदेश गुरू को अंगा पंहरू भुजंगा पहरू पहरू लोहासार, आते के हाथ तोडू पैर तोडू तोडू सकल शरीर, पोठी साथ मूठी तोडू तें हनुमन्त वीर उठ उठ नाहरसिंह वीर तू जा उठ सोलासौ सिंगार मेरी पीठ लागे, माटी हनुमन्त वीर लुजावे तोहि पान सुपारी नारियल अपनी पूजा लेहु अपना सा बल मोहि पर देहु मेरी भक्ति गुरू की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा गुरू का शब्द साँचा।" For Private And Personal Use Only Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १६५ साधन-विधि - गेरू से चौका लगाकर, लुगी लंगोट बांध, धूप, दीपक रखकर हनुमानजी का पूजन करें। मंगलवार से आरम्भ कर ४० दिनों तक नित्य १०७ बार मन्त्र जपें । मंगलवार को पान, सुपारी नारियल भोग रक्खें तथा अन्य दिनों में नित्य लड्डू का भोग रक्खें तो मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि कुश्ती लड़ते समय हसुमानजी को दण्डवत करके ७ बार मन्त्र को अपने ऊपर फूक कर, कुश्ती लड़े तो प्रतिद्वन्द्वी पर विजय प्राप्त हो । पैसा उडाने का मन्त्र .... .... .... .... .... .. .. ......... मन्त्र--"ॐ हनुमंत वीर हुलासा चल रे पैसा, रूखा वीरखा तेरा वासा, सबको दृष्टि बांधि दे मोहि मेरा मुख जोवे सब कोई, वाद करंता वादी रोवे भरी सभा में मोहि विगोवे साँचा पिण्ड काँचा फुरा मन्त्र ईश्वरोवाचा ।" प्रयोग-विधि उक्त मन्त्र से धूलि को ७ बार अभिमन्त्रित करके पैसे के ऊपर मारें तो वह उड़ जाय । पत्थर बरसाने का मन्त्र मन्त्र--"ॐ नमो उच्छिष्ट चाण्डालिनी देवी महा पिशाचिनी क्लीं ठः ठः स्वाहा ।" साधन-विधि दीपावली अथवा होली की रात्रि में या ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है । प्रयोग-विधि शनिवार के दिन जहाँ मुर्दा जला हो, उसकी चिता ७ ककड़ी उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित करके रख आयें, फिर ३ घड़ी बार दुबारा जाकर उन For Private And Personal Use Only Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org मन्त्र १६६ | शावर तन्त्र शास्त्र कंकड़ियों को निकाल लायें । ये कंकड़ियाँ जिस व्यक्ति के घर में गाढ़ दी जायेंगी, वहां पत्थर बरसने आरम्भ हो जायेंगे। जब उन कंकड़ियों को बाहर निकाला जायेगा, तभी पत्थरों का बरसना बन्द हो सकेगा । हाँडी बांधने का मन्त्र Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - "खनाह की माटी चरी का पानी गध चढ़ि भीख यलानी काची पाली ऊपर जड़ी वज्र की ताली तुले भैरों किलकिलै ऊपर नरसिंह गाजे मेरी बांधे हाँडी उकल तो गुरु गोरखनाथ की लाज । शब्द साँचा पिण्ड काँचा फुरो मंत्र ईश्वरोवाचा ।" प्रयोग-विधि रास्ते की ७ कंकड़ी लेकर, एक-एक कंकड़ी पर सात-सात बार मन्त्र पढ़कर हाँडी में मारने से चाहे जितनी आग जलाई जाय, फिर भी हांडी गरम नहीं होगी । बाघ बराने ( भगाने) का मंत्र ( १ ) निम्नलिखित मन्त्र को तीन बार पढ़कर चार कंकड़ चारों दिशाओं में डालकर, उसके बीच में बैठ जाने से बाघ (व्याघ्र ) समीप नहीं आता । यदि कभी जंगल आदि में बाघ से घिर जाने और प्राण जाने का भय उपस्थित हो तो इस प्रयोग को करना चाहिए । मन्त्र इस प्रकार है मन्त्र - "बैठी बठा कहां चल्यो पूर्व देश चल्यो आँख बांब्यौ तीनों कान बांध्यो तीनों मुँह बांध्यो मुँह केत जिह्वा बांधौ अधौ डांड बांधौ चारिउ गोड बांधौ तेरी पोछि बांधौ न बांधौ तो मेरी आन गुरु की आन वज्र डांड बांधौ दोहाई महादेव पार्वती के ।" बाघ ( भगाने) का मन्त्र ( २ ) निम्नलिखित मन्त्रों में से किसी एक की १० For Private And Personal Use Only बार पढ़ कर अपने Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १६७ सर्वाङ्ग (सम्पूर्ण शरीर) का रेणु पृथ्वी को धूलि से स्पर्श कराने से अर्थात् पृथ्वी की धूलि में लोट जाने से बाघ से रक्षा होती है। मन्त्र इस प्रकार हैमन्त्र-“महादेव का कुक्कर लुटै लुटै कान मोरे निकट आवहु सुनि आवं लोहनपह पाउ रक्षा करें श्री गोरखराउ ।" बाघ बराने का मन्त्र (३) मन्त्र---"ॐ सत्य माता शंकर पिता शंकर किलइ चारिउ दिशा जहाँ जहाँ मैं शंकर जाइ, तहाँ तहाँ मेरी किंकर जाइ जहाँ जहाँ मेरी दीठि तहाँ-तहाँ मेरी मूठि, जहाँ जहाँ मेरी नाद को शब्द सुनि आवे हो नरसिंह वोर माता बाधेश्वरी को दूध हराम कर कहौ कवन कवन किलोवानपुर्वां न पुगलो और शार्दूल केशरि तेंदुवा सोनहार अधिआगाधिआ अटिआर दूदि आर हरिआर काठिपठि पराधिता चलि घेरिये ते नह्नि आरे अवनि किलौ नारसिंह वीर किलै कछु कवन कवन किलौगाइका जाया भद्र सिक जाया भेड़ी का जाया घोड़ी का जाया छेरी का जाया दुइयावची पावक घाउ लागइ शिव महादेव को जटा के घाव लागे पार्वती के वीर चूके हाँके हनुमन्त बरावे भीमसेनि मन्तो बाँधे जो वाये सीम।" विधिमन्त्र संख्या २ के अनुसार । बाघ बराने का मन्त्र (४) मन्त्र--"आरापुरवारा परवत पर बारी जहाँ बोइक पसारी जाको तेगोरानी रानी ताकी बनाई जा रीति के बांधौ बाघ बोलाई एही वन छाँड़ि दूसरे वन देखि परीक्षा होइ तौ For Private And Personal Use Only Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६८ / शावर तन्त्र शास्त्र महादेव गौरा पार्वती के दोहाइ हनुमन्त जती की नोना चमारि की आज्ञा का बातें कुवाचा चूक तो ठाढ़े सूखै गुरु की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरोबाचा ।" विधिमन्त्र संख्या २ के अनुसार । बाघ बराने का मन्त्र (५) मन्त्र---"डांडल कालकमुहविकराल विरराक्षदेकरे अहार नामदेव मेल जटाजाऊ बाघ जोजन सब आठ ।" साधन-विधि उक्त सभी मन्त्र किसी ग्रहण के समय अथवा दीपावली की रात में १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध हो जाते हैं। मन्त्र के सिद्ध हो जाने पर आवश्यकता के समय इनका प्रयोग आरम्भ में वर्णित रोति के अनुसार करना चाहिए। बाघ बराने का मन्त्रा (६) मन्त्रा--- "बघ बाँधू बघायन बाँधू बघ के सातों बच्चा बाँधू राह घाट मैदान बांधू दुहाई वासुदेव की दुहाई लोना चमारी की छ ।” साधन-विधि सात मंगलवारों को यह मन्त्र १०८ की संख्या में जपने से सिद्ध हो जाता है। प्रयोग विधि मार्ग में बाघ के मिलने पर इस मन्त्र को ३ बार पढ़कर उसकी ओर फूक मार देने से बाघ रास्ते से हट जाता है तथा आक्रमण नहीं करता। मार्ग में सर्प, चोर, नाहर आदि का भय न होने का मन्त्र मन्त्र--- "फरीद चले पर देश को कुत्तब जी के भाव । सांपां चोरां नाहरां तीनों दांत बंधाव।" For Private And Personal Use Only Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १६६ साधन-विधि . यह मन्त्र किसी शुभ मुहूर्त में १००८ बार जपने से सिद्ध हो जाता है। प्रयोग विधि मार्ग में जहाँ रात्रि में शयन करना हो, वहां बैठकर तीन बार मन्त्र पढ़कर ताली देने से सर्प, चोर, नाहर आदि का भय उपस्थित नहीं होता। सर्प भगाने का मन्त्र नीचे लिने श्लोकों को पढ़कर तीन तालियां बजाकर, रात्रि के समय सो जाने से सपं का भय नहीं होता अर्थान सोते समय सर्प निकट नहीं आता श्लोक इस प्रकार हैसविसर्प भद्र ते दूर गच्छ महाविष । जन्मेजयस्य यज्ञान्ते आस्तिक्यवचनं स्मर ।। आस्तिक्य वचनं स्मृत्वा यः सर्पो न निवर्त्तते । सप्तधाभिद्यते मूनि वृक्षात्पक्वफलं यथा । शूकर तथा मूषक भगाने के मन्त्रा जिस खेत या घर में शूकर तथा मूषक (चूहों) का उपद्रव हो, वहाँ निम्नलिखित में से किसी एक मन्त्र को स्नानोपरान्त ५ बार पढ़कर, पांच गांठ हल्दो और अक्षत शूकर-मूषकों के आने वाले स्थान पर रख देने से वे भाग जाते हैं तथा वहाँ फिर कभी नहीं आते। मान्छा ..... हमवंत धावति उदरहि ल्याये बांधि अब खेत खाय सूअर और घरमां रहे मूष खेत घर छाँड़ि बाहर भूमि जाइ दोहाइ हनुमानक जो अब खेत मुंह सुवर घर महँ मूस जाइ ।" For Private And Personal Use Only Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २०० | शावर तत्र शास्त्र मन्त्र (२)---"चितफविमनचूहा गांधी एपारी रावन घर बाँधी।" मन्त्र (३)--"हरदीकर गांठी अक्षत पढ़िके बरावइ दुष्टक खेत घर मह । पीत पीताम्बर मूशागांधी । ले जाइहु हनुवंत तु बांधी, ए हनुवंत लंका के राउ । एहि कोणे पैसे हु एहि कोणे जाउ ।” चूहा भगाने का मन्त्र स्नानोपरान्त निम्नलिखित मन्त्र को ५ बार पढ़कर ५ हल्दी की गांठ तथा थोड़े से चावलों को, घर या खेत में जहां चूहों का उपद्रव हो, वहाँ डाल देने से चूहे भाग जाते हैं। मन्त्र इस प्रकार है "मूशा चूहा कुम्भ कराई । जबही पठवी तबही जाई । मूश के ऊपर मूशक फेट । तू जाइ काटहु आन के खेत । गौंरा पार्वती को दुहाई महादेव की आज्ञा ।" बाघ, बिजली, सर्प तथा चोर-भय नाशक मिश्रित मन्त्र : निम्नलिखित मन्त्र का ५ बार उच्चारण करके तीन ताली बजाकर रात्रि के समय शयन करने से बाघ, बिजली, सर्प तथा चोर का भय दूर होता है। . मन्त्र इस प्रकार है "बाघ बिजुली सर्प चोर चारिउ बांधौ एक ठौर । धरती माता आकाश पिता रक्ष रक्ष श्री परमेश्वरी कालिका वाचा दुहाई महादेव की।" बीग बरावे (भगाने) का मन्त्र निम्नलिखित मन्त्र का ५ बार उच्चारण करने से बीग भाग जाती है___"विगुलीतियुताक पठं कात एह एहैं नाथक मान मारे पहरें बाढ़े भीम मरहु विगजौं चापुह सीम।" For Private And Personal Use Only Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २०१ टिड्डी उड़ाने का मन्त्र मन्त्र- 'ॐ नमो आदेश गुरू को आकाश की जोगिनी पाताल की आदि शक्ति माई, पश्चिम देस सों आई, गोरखनाथ आकाश कों चलाई, पश्चिम देस मझ में कूवा, जहाँ भवानी जन्म तेरा हवा, टीडी उपजी सुर्ग समाई, जब टीडी गोरख ने बुलाई, एक जाइ ताँबा, वैसी एक जाई रूपा, वैसी एक जाई सौना, वैसी एक जाई घोड घडानी, बकरा दंत में डक दंत, सरपा दंतादि, दत, अन्न छोड़ वनकों खाव, धूल छोड़ आकाश लग जाव, स्वेत कूकड़ो मध की धार, टोड़ी चली समंदर पार, हकारे हनुमंत बुलावे भीम जा टीड़ी पैला को सोम, नीचे भैरूं किलकिले ऊपर हनुमत गाजे, मेरी सोम में खाय अन्न पाणी तो गुरु गोरखनाथ लाजे, मानी भवानी, भवानी का घड़ पूजे जो मेरी खींव में अन्न पाणी भावेगी तो दुहाई जैपाल चकवे की फिरेगी।" साधन-विधि होली-दिवाली की रात अथवा ग्रहण में १०००८ बार जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि सफेद मुर्गी तथा शराब को ७ बार उक्त सिद्ध मन्त्र से अभिमन्त्रित कर अपनी सीमा के बाहर छोड़े तो खेत में बैठा टिड्डी दल उड़कर सीमा से बाहर चला जाय। टिड्डियों को अपनी सीमा से बाहर निकालने का मन्त्र मन्त्र- 'ॐ नमो पश्चिम देश में अस्तावल हवा, जहाँ अजैपाल दे खुदाया कूवा । जा कूवा में निकला नीर, जहाँ भेला हुवा बावन वीर । जाने मिलकर मता उपाया, हाथ पकड़ For Private And Personal Use Only Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २०२ | शावर तन्त्र शास्त्र टीड़ी • लाया । सुमरे टोड़ो बाँधू डाढ, जमीं आस्मान बोच रहस्यो गाढ़ । उतरे तो तेरी परले बाँधू, चढ़े आस्मान तो सर ले साधू । तीजा तेरा जाया पाऊँ, बारा कोस में काम कराऊं। इहि विधि बिचरे बावन वोर । जा डारा समुद्र के तीर । मेरी सीम पर हनुमत गाजे, किसी की चलाई तें चले मेरा डंका चारों कूट में बाजे । इहि विधि चलाई न चलेगो तो एक लाख अस्सो हजार पीर पैगम्बर लाजे, शब्द सांचा पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा।" साधन-विधि दीवाली अथवा होली की रात या ग्रहण में १००८ बार पढ़ने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि जब कभी यह देखें कि टिड्डी-दल उड़ता हुआ आ रहा है और वह अपने खेत की सीमा में बैठने वाला है. तब एक ठोकरा लेकर उस पर ३ बार मन्त्र पढ़े तथा अपनी कनिष्ठा अँगुली का रक्त उस पर लगायें । तदुपरान्त पैदल अथवा घोड़े पर बैठ कर दौड़ लगाता हुआ, जहाँ जाकर रुके, वहाँ तक टिड्डो दल का पड़ाव नहीं पड़ेगा। इस प्रकार वे साधक के खेत की सीमा से बाहर चली जायेगी। टिड्डी को वाढ़ बांधने का मन्त्र मन्त्र-"ॐ नमो आदेश गुरू को अजर बाँधू बजर बाँधू बाँधू दसों द्वार, लोह का कोड़ा हनुमंत ठोक्या धरती घाले घाव, तेरा टीड़ी भस्मंत हो जाइ कोली टोडी कीलू. नाला, ऊपर ठोकू वज्र का ताला, नोचे भैरू किलकिले ऊपर हनुमत गाजे, हमारी सींव में अन्न पाणी भखे तो गुरु गोरखनाथ लाजे । शब्द साँचा पिण्ड काँचा फुरो भन्त्र ईश्वरोवाचा।" For Private And Personal Use Only Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २०३ साधन-विधि होली, दिवाली की रात अथवा ग्रहण के दिन १००८ की संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि इस मन्त्र को ठीकरी पर ७ बार पढ़ कर, उसे जिस खेत में टिड्डी दल बैठा हो, वहाँ डाल देने से टिड्डियों को दाढ़ बंध जाती है और वे फसल को नुकसान नहीं पहुंचा पाती। टिडडी को धरती पर बैठाने का मन्त्र यदि उड़ती हुई टिड्डियों को नहीं बैठाना हो तो निम्नलिखित मन्त्र का प्रयोग करना चाहिएमन्त्र- 'ॐ नमो आदेश गुरु को अजर कीलनी वज का ताला, कोलू टीड़ी धरू मसान, धर मार धरती सों मार सवा अंगुल पांख धरती में गड़े, ऊपर मोहम्मद वीर की चौकी चढ़े, पथ धरती चाटे खाइ, बाँये हाथ में ल्हे हाथ में उठाव, मेरा गुरू उठावे तो उठजे और चक्रसों उठे तो दुहाई गोरखनाथ की फिरे आदेश गुरू को।" साधन एवं प्रयोग-विधि पूर्वोक्त मन्त्र के अनुसार। For Private And Personal Use Only Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चोरी-विषयक प्रयोग चोरी के विषय में चोरी की घटनाएँ प्रायः सभी जगह होती रहती हैं । इन घटनाओं का पता लगाने के लिए मन्त्र-प्रयोग की प्रथा भी बहुत पुरानी है। . चोरी का पता लगाने विषयक मन्त्र-प्रयोगों की अनेक विधियाँ हैं, उनमें से.११ विधियों का उल्लेख इस प्रकरण में किया जा रहा है। चोरी गये माल का पता लगाने में 'कटोरी-चालन' को विधि अत्यन्त आश्चर्यजनक है । इस विधि में मन्त्र-प्रेरित कटोरी अपने स्थान से चलकर, वहाँ जा पहुंचती है, जहाँ चोरी किया गया माल छिपाकर रक्खा गया हो। इस प्रयोग के लिए कटोरी को विशेष रूप से तैयार कराना पड़ता है। मन्त्र सख्या ३ में इस प्रकार की कटोरी तैयार कराने की विधि का उल्लेख किया गया है। __ कटोरी-चालन के प्रयोग में मन्त्र प्रेरित कटोरी चोरी के छिपाये धन वाले स्थान पर जाकर रूक जाती है और यदि चोर . वहीं उपस्थित हो तो उसके सिर पर चढ़ जाती है। कुछ प्रयोगों में चोर के मुंह से खून निकलने लगता है तथा कुछ के द्वारा चोरी गये माल के सम्बन्ध में स्वप्न में पता चल जाता है। अस्तु यदि चोरी के माल के कहीं समीप ही गढ़ा होने का सन्देह हो अथवा किसी व्यक्ति विशेष पर चोर होने का सन्देह हो तो कटोरी लगाने का चालन का प्रयोग करना चाहिए अन्यथा अन्य प्रयोगों द्वारा चोरी का पता लगाने का प्रयत्न करना चाहिए। चोरी का पता लगाने का मन्त्र (१) मन्त्र-"उद्दमुद्द जल जलाल पकड़ चीटी धर पछाड़ भेज़ कुन्दा ल्या व मुद्दा कहार या कहार ।" For Private And Personal Use Only Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २०५ साधन-विधि होली, दिवाली अथवा ग्रहण के दिन १०००० को संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध होता है। प्रयोग-विधि नदी के किनारे पहुंच कर, इस मन्त्र को रात्रि के समय १२१ बार पढ़कर सो जाय तो ७ दिन के भीतर स्वप्न में यह ज्ञात हो जायगा कि माल किसने चुराया है और वह कहाँ रखा हुआ है । चोरी का पता लगाने का मन्त्र (२) मन्त्र- 'ॐ नाहरसिंह वीर हरे कपड़े ॐ नाहरसिंह वीर चांवल चुपड़े सरसों के फक फक करे शाह को छोड़े चोर को पकड़े आदेश गुरु को।" साधन-विधि पूर्वोक्त मन्त्र के अनुसार। प्रयोग-विधि चौकोर रुपया, जिसमें छेद न हो, मँगवा कर उसे दूध से धोये तथा लोबान की धूनी दें। फिर सवा पाव चावल मँगवा कर उन्हें पानी में धोकर गोमूत्र में भिगो कर सुखावे । फिर शनिवार को प्रातः काल धरती को लीप कर उस पर सफेद कपड़ा बिछाबे और कपड़े के ऊपर चावलों को रख कर लोबान तथा गुग्गुल की धूप दें फिर उन चावलों को पूर्वोक्त मन्त्र से ७ बार अभिमन्त्रित कर, रुपये के बराबर चावल तौल-तौल कर उन लोगों को चबाने के लिए दें, जिन पर चोरी करने का सन्देह हो । इस विधि से जब असली चोर उन चावलों को खायेगा तो उसके मुंह से खून निकलने लगेगा। चोरी का पता लगाने का मन्ला (३) मन्त्रा----"ॐ सत्तरा सै पोर, चौंसठ से जोगनी, बावन से वीर, बहत्तर से भैरू, तेरा सै तन्त्र, चौदह सै मन्त्र, अठारा से For Private And Personal Use Only Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २०६ / शावर तन्त्र शास्त्र परवत, सत्तरा से पहाड़, नौ से नद्दी, निन्नानवे से नाला, हनुवन्त जती गोरख वाला, कांसी की कटोरी अंगुल चार चौड़ी, कहो बीर कहाँ सों चलाई, गिरनारी परवत सों चलाई, अठारा भार बनासपती चली, लोना चमारी की वाचा फुरी, कहां कहां फुरी, चोर के जाय चांडाल के जाइ, कहा कहा लावे, चोर के लावे, गढ़ा धन जाइ बतावे, चाल चाल रे हनुवन्त वीर, जहाँ हो चले, जहाँ है रहै, न चले तो गगा जमुना उल्टी बहै, शब्द सांचा पिण्ड कांचा, मेरी भक्ति गुरू की शक्ति, फुरो मन्त्र ईश्व रोवाचा सत्य नाम आदेश गुरु का ।" साधन-विधि तीन पैसा भर वजनी तथा चार अंगुल चौड़ी कांसे की कटोरी को दीवाली की रात्रि में गढ़वाये (बनवाये) फिर उक्त मन्त्र से उड़द पढ़ कर कटोरी की पूजा करें तथा १००८ की संख्या में उक्त मन्त्र का जप करें तो कटोरी एवं मन्त्र सिद्ध हो जाते हैं। प्रयोग-विधि आवश्यकता के समय उक्त कटोरी को चौक में रख कर, उस पर मन्त्र पढ़-पढ़ कर उड़द मारता जाय तो कटोरी चलने लगेगी और चोरी का माल जहाँ रखा होगा, वहीं जाकर रुकेगी। जब तक कटोरी का चलना बन्द न हो, तब तक उस पर मन्त्र पढ़-पढ़ कर उड़द मारते रहना चाहिए। चोरी का पता लगाने का मन्त्र (४) मन्त्र--"ॐ नमो नाहरसिंह वीर, जन-जन तू चाले, पवन चाले, पानी चाले, चोर का चित्त चाले, चोर मुख लोही चाले, काया थम वै माया परा करे वीर या नाथ की पूजा पाई टले, गोरखनाथ की आज्ञा मेटे नौ नाथ चौरासी सिद्ध की आज्ञा ।" For Private And Personal Use Only Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra साधन-विधि www.kobatirth.org पूर्वोक्त मन्त्र के अनुसार । प्रयोग-विधि - चावलों को उक्त मन्त्र से १०८ बार अभिमन्त्रित करें। फिर कटोरी को दूध से धोकर, उस पर मन्त्र पढ़-पढ़कर अभिमन्त्रित चावलों को मारें तो कटोरी निराधार चलने लगेगी और चोर के माथे पर जा बैठगी । चोरी का पता लगाने का मन्त्र ( ५ ) मन्त्र मन्त्र- “ॐ नमो किष्किंधा पर्वत पर कदलीवन को फल दंढ़ ताल कुन्ज देवी नून प्रसाद अगल पावली पारी साध बूटी चोर तेरे कुन्जन को देवी तनी आज्ञा फुरो ।" साधन-विधि - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यह मन्त्र होली, दिवाली अथवा ग्रहण के दिन १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध हो जाता है । शावर तन्त्र शास्त्र | २०७ प्रयोग-विधि " जिन लोगों पर चोरी करने का सन्देह हो, उनके नाम अलग-अलग कागज के टुकड़ों पर लिखकर उन्हें आटे की गोलियों में अलग-अलग बन्द कर दें। फिर प्रत्येक गोली को उक्त मन्त्र' से २१ बार अभिमन्त्रित कर, एक-एक करके पानी भरे घड़े में डालना आरम्भ करें तो जिस गोली में चोर का नाम होगा, वह पानी में ऊपर तैरने लगेगी । चोरी का पता लगाने का मन्त्र ( ६ ) साधन - विधि -“ॐ ह्रीं चक्रेश्वरी चक्र धारिणी चक्र वेगि कौटि भ्रामी भ्रामी चोर गृहाणी स्वाहा ।" पूर्वोक्त मन्त्र के अनुसार । For Private And Personal Use Only Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २०८ | शावर तन्त्र शास्त्र प्रयोग-विधि इस मन्त्र द्वारा चावलों को २१ बार अभिमन्त्रित कर, जिन लोगों पर चोरी करने का सन्देह हो, उन्हें चबाने के लिए दें तो चावलों को चबाते ही असली चोर के मुंह से खून बहने लगेगा। चोरी का पता लगाने का मन्त्र (७) .. ... . .... .... .... ........ मन्ना---'ॐ इन्द्राग्नि बंध बंध ॐ स्वाहा ।" साधन-विधि पूर्वोक्त मन्त्र के अनुसार। प्रयोग-विधि रविवार अथवा शनिवार को भोजपत्र के टुकड़ों पर, उन लोगों के अलग-अलग नाम लिखे, जिन पर चोरी करने का सन्देह हो। फिर उन्हें १०८ बार मन्त्र जप कर अभिमन्त्रित करें तथा अग्नि में डालें तो जिस टुकड़े पर चोर का नाम लिखा होगा, वह नहीं जलेगा, अन्य टुकड़े जल जायेंगे। अथवा शनिवार या रविवार को मन्त्र लिख कर सफेद मुर्गे के गले में बाँध दें तथा उसके सिर पर एक टोकरी रख दें, फिर सन्देहास्पद लोगों को उस टोकरी पर हाथ रखने के लिए कहें। जैसे ही असली चोर उस टोकरी पर हाथ रखेगा, वैसे ही मुर्गा बोलने लगेगा। चोरी का पता लगाने का मन्त्र (८) मन्त्र-“ॐ नमो इन्द्र अग्निमुख बंधु उसारा अग्नि मुख बंधु ____ स्वाहा ।" साधन-विधि किसी भी रविवार से आरम्भ कर २१ दिनों तक इस मन्त्र को नित्य १४४ बार जप कर सिद्ध कर लें। मन्त्र-जप के समय गूगल की धूनी देनी चाहिए तथा मिठाई चढ़ानी चाहिए । For Private And Personal Use Only Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २०६ प्रयोग-विधि आवश्यकता के समय कागज के टुकड़ों पर उन व्यक्तियों के अलगअलग नाम लिख, जिन पर चोरी करने का सन्देह हो। फिर प्रत्येक नाम लिखे कागज के टुकड़े को २१ बार मन्त्र से अभिमन्त्रित करके अग्नि में डालना आरम्भ करें। जिन टुकड़ों पर चोर का नाम नहीं होगा, वे सब अग्नि में जल जायेंगे, परन्तु वास्तविक चोर के नाम वाला टुकड़ा आग में डालने पर नहीं जलेगा। चोरी का पता लगाने का मन्त्र-(६) मन्त्र-“ॐ मलि मन्त्र चलि ना चले सेत भय कर चले पण नायक चले यदर मदर चले कोण की शक्ति चले जती हनुमन्त की शक्ति चले। क्यों वंद्यो चले अरडती चले मरडती चले छोरती चले कीला उकोलती चले गाडया उखालती चले, चालि चालि हो भद्र नाम ऋषीश्वर तोस्यों मस्तक टूटे धरणी चुवे श्री महादेव को आज्ञा फुरे पाणिंद्र स्वाहा।" साधन विधि मन्त्र संख्या ३ के अनुसार । अलगोव की गिहलो देकर उसके ऊपर कटोरी रख दे। उस पर उड़द और बांये पांव के रक्त का छींटा दें। फिर उड़दों को उक्त मन्त्र से १०८ बार अभिमन्त्रित कर कटोरी पर मारै तो कटोरी चलने लगेगी और जिस जगह चोरी का माल रक्खा होगा, वहाँ पहुंच कर रुक जायेगी। चोरी का पता लगाने का मन्त्रा (१०) मन्त्र- 'ॐ नमो काला भैरू खैचरा भैरू भूचरा भैरू आदि भैरू जुगादि भैरू जल भैरू थल भैरु अवला वला सर्व जीता रण भैरू एक गुगुल धप धार भैरू आई त्रपुरा देवी ऋद्ध सिद्ध लेती आई चोर का मुख सोखत आई साह का मुख पोखंत आई देवों भैरु जीति तेरी।" For Private And Personal Use Only Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २१० शावर तन्त्र शास्त्र साधन-विधि यह मन्त्र १०००० की संख्या में जपने से सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि इस मन्त्र द्वारा २७ बार अभिमन्त्रित चावलों को सन्देहास्पद व्यक्ति को चबाने के लिए दें। असली चोर जब उन चावलों को चबायेगा तो उसके मुह से खून निकलने लगेगा। चोरी का पता लगाने का मन्त्र (११) मन्त्र-ॐ चक्रेश्वरी चक्र वेदिनी चक्र वेगेन शं स्वं भ्रमय भ्रमय स्वाहा ।" साधन-विधि पहले इस मन्त्र को १०००० की संख्या में जप कर सिद्ध कर ले। अन्य बातें मन्त्र संख्या ३ की साधन-विधि के अनुसार समझें। प्रयोग-विधि । उक्त मन्त्र से चावलों को १०८ बार अभिमन्त्रित कर, उन्हें कटोरी पर मारें तो कटोरी चलने लगेगी. और जहाँ चोरी का माल रक्खा होगा, वहाँ जाकर रुक जाएगी। For Private And Personal Use Only Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चमत्कारी मन्त्र प्रयोग चमत्कारी मन्त्रों के विषय में इस प्रकरण में संस्कृत भाषा के उन मन्त्रों का उल्लेख किया जा रहा है, जिनका वर्णन अनेक प्राचीन तन्त्र ग्रन्थों में पाया जाता है। ये मन्त्र चमत्कारी-मन्त्रों के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त हैं तथा मुख्यतः विद्या-बद्धि एवं धन प्राप्ति के लिए प्रयुक्त किये जाते हैं। कर्ज से छुटकारा पाने के लिए "ऋणमोचक मंगल स्तोत्र तथा भीम-मन्त्र का प्रयोग" विशेष ख्याति लब्ध है। अन्य मन्त्रों के प्रभावकारी होने में भी कोई सन्देश नहीं किया जाता। इन मन्त्रों को यथा विधि सिद्ध कर लेने के बाद प्रयोग में लाया जाय तो ये अपना चमत्कारी प्रभाव अवश्य प्रदर्शित करते हैं, ऐसा अनुभव असंख्य लोगों का है। परन्तु साधन-विधि में त्रुटि इनके प्रभाव को प्रकट नहीं होने देती, इसे ध्यान में रखना भी आवश्यक है। जिन मन्त्रों के साथ यन्त्र-पूजन का भी उल्लेख हो, उनका साधन मंत्र के साथ ही करना चाहिए । यन्त्र-लेखन के विषय में जहाँ किसी वस्तु विशेष का उल्लेख न हो, वहाँ यन्त्र को भोजपत्र के ऊपर अष्ट गंध अथवा लाल चन्दन, कपूर और केशर के मिश्रण द्वारा चाँदो की सलाई से लिखना उचित रहता है। आजीविका-दायक मन्त्र मन्त्र--'ॐ नमो भगवती पद्मावती सर्वजन मोहिनी सर्व कार्य कारिणी मम विकट संकट हरणो मम मनोरथ पूरणी मम चिन्ता चूरणी ॐ नमो ॐ पद्मावती नमः स्वाहा।" प्रयोग-विधि किसी शुभ मुहूर्त से मन्त्र का जप आरम्भ करें। For Private And Personal Use Only Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २१२ | शावर तन्त्र शास्त्र (क) यदि नित्य एक माला अर्थात् १०८ की संख्या में मन्त्र जपें तो धन की वृद्धि हो । (ख) यदि १५ का यन्त्र लिखकर, उसे धूप-दीप देकर, पूजन करके तथा अपने सामने रखकर मन्त्र का जप करें तो शीघ्र ही कार्य सिद्ध हो और रोजी मिले। पन्द्रह के यन्त्र का स्वरूप इस प्रकार होता है - - - २ - . (१५ का यन्त्र) धन-वृद्धि कारक वशीकरण मन्त्रा मन्त्र - "ॐ नमो भगवती पद्य पद्मावती ॐ ह्रीं श्रीं ॐ पूर्वाय दक्षिणाय पश्चिमाय उत्तराय आण पूरय सर्वजन वश्यं कुरु-कुरु स्वाहा ।" विधि-. नित्य प्रातःकाल किसी से बात करने से पहले ही उक्त मन्त्र को १०८ बार पढ़कर, मकान के चारों कोनों में दस-दस बार मन्त्र पढ़कर, फूक मारने से चारों दिशाओं से धन का लाभ होता है। For Private And Personal Use Only Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ..... Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सर्वकार्य-साधक करालिनी- मन्त्रा शावर तन्त्र शास्त्र | २१३ .... मन्त्र -- “ ॐ हूं करि करालिनी क्षं क्षां फट् ।” विधि एक पाँव से खड़े होकर उक्त मन्त्र को १०८ बार जपे तथा भोग में बकरी का मांस रखे और फूल चढ़ावें । ६ मास तक नित्य इस प्रयोग को करते रहने से देवी सिद्ध हो जाती है और साधक को मनवांछित वर देती है, जिसके कारण वह सदैव प्रसन्न बना रहता है और उसके सभी कार्य सकुशल सिद्ध सम्पन्न होते हैं । . धनदा कुबेर-मन्त्र मन्त्र -- "यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धन धम्यं समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा । " इस मन्त्र के संकल्प, न्यास, ध्यान तथा पुरश्चरण की विधियाँ निम्नानुसार हैं सङ्कल्प – 'अस्य वाणरामाक्षर मन्त्रस्य विश्रवा मुनिः वृहती छन्दः शिव निधनो वरो देवता ममोपरि प्रसन्नार्थे जपे विनियोग ।” अथ कराङ्क न्यास --- "ॐ यक्षाय अङ्ग ुष्ठाभ्यां नमः । ॐ कुबेरायतर्जनीभ्यां नमः ॐ वैश्रवणाय मध्यमाभ्यां नमः । For Private And Personal Use Only ॐ धनधान्याधिपतये अनामिकाभ्यां नमः । ॐ धनधान्य समृद्धिमे कनिष्ठिकाभ्यां नमः । ॐ देहि दापय स्वाहा करतल कर पृष्ठाभ्यां नमः ।" अथ षडङ्गन्यास ---- "ॐ यक्षाय हृदयाय नमः । ॐ कुबेराय शिरसे नमः स्वाहा । ॐ वैश्रवणाय नमः शिखायै वषट् । Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २१४ | शावर तन्त्र शास्त्र ॐ धन धान्याधिपतये कवचाय नमः हुँ । ॐ धनधान्य समृद्धि मे नेत्र त्रयाय नमः वौषट् । ॐ देही दायय स्वाहा अस्त्राय नमः फट ।" अथ ध्यान---"मनुमयाह्य विमान वर स्थितं, गरुड़ रत्ननिभनिधि नायकं । शिवसयांमुकुटादि विभूषितं, वर गदे दधति भज तुन्दिलम् ।” विधि इस मन्त्र का.१००००० (एक लाख) की संख्या में जप, जप का दंशांश तिलों से होम, होम का दशांश तर्पण, तर्पण का दशांश मार्जन कर, मार्जन का दशांश ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए। इस विधि से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है तथा साधक के घर में धन-धान्य आदि की वृद्धि करता है । मनोकामना-सिद्धि कारक मन्त्र मन्त्रा-“ॐ आं अं स्वाहा ।" विधि-- इस मन्त्र का प्रतिदिन १००० की संख्या में जप करें। जप-काल में ब्रह्मचर्य का पालन करें तथा हल्का भोजन करें। जब सवा लाख की संख्या में मन्त्र-जप पूर्ण हो जाय; तब जप का दशांश होम और क्रमशः उसके दशांश तपंण, मार्जन तथा ब्राह्मण-भोजन के कृत्य करें। इस प्रकार यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। मन्त्र सिद्ध हो जाने पर साधक के धन-धान्य तथा ऐश्वर्य की वृद्धि होती है तथा सभी मनोकामनायें पूर्ण होती हैं । ऋद्धिदाता-मन्त्रा मन्त्र- 'ॐ पद्मावती पद्म नेत्रे पद्मासने लक्ष्मी दायिनी वांछा भूत प्रेत निग्रहणी सर्व - शत्रु संहारिणी दुर्जन मोहिनी ऋद्धि वृद्धि कुरु-कुरु स्वाहा, ॐ ह्रीं श्रीं पद्मावत्यै नमः।" For Private And Personal Use Only Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र २१५ विधि गूगल, गोरोचन, छारछबीला और कपूरी कचरी-इन सबकी चना बराबर १०८ गोलियां बनाले। फिर शनिवार की रात्रि तथा रविवार को दिन में लाल रंग के वस्त्र पहन कर, लाल कोथली पर लाल रंग के पुष्प चढ़ाकर नित्य १०८ की संख्या में मन्त्र का जप करे। प्रत्येक मन्त्र जप के साथ एक-एक गोली अग्नि में डालता जाय । इस प्रकार नित्य एक मास तक साधन करने से लक्ष्मी प्रसन्न होगी। फिर प्रतिदिन ११ गोली को अभिमन्त्रित करके अग्नि में चढ़ाता रहे तो ऋद्धि-सिद्धि एवं धन की वृद्धि प्राप्त होगी। लक्ष्मीदाता-मन्त्र .... .. .. .... मन्त्र-- "ॐ पद्मावती पद्म कुशी वज्रवज्रांबुशी प्रतिक्ष भवंति भवन्ति ।" विधि आधी रात के समय दीपक जलाकर जौ के दानों पर रक्खें तथा मिट्टी की माला पर नित्य १००८ की संख्या में मन्त्र का जप करें। इस प्रकार २१ दिन तक जप करने से लक्ष्मी प्रसन्न होकर दर्शन देती है अर्थात साधक को धन का लाभ होता है। व्यवसाय द्वारा धन लाभ का मन्त्र .. .... .... .... .. .. .... ....... मन्त्र--"ॐ ह्रीं श्रीं क्री श्रीं क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये पूरये चिन्तायै दूरये दूरये स्वाहा ।" विधि नित्य प्रातःकाल दाँतौन करने के बाद इस मन्त्र का १०८ की संख्या में जप करते रहने से व्यवसाय द्वारा धन का लाभ होता है। महालक्ष्मी-मन्त्र मन्त्र----"श्रीगणेशाय नमः । ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्मी श्रोपद्मा वत्यै नमः । महालक्ष्मो महाकाली महादेवी महेश्वरी । For Private And Personal Use Only Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २१६ | शावर तन्त्र शास्त्र महामूर्ति महामाया महाधर्मेश्वरी अर्ह ॥ मुक्ता माला धरा माया महामेधा महोदरी। महाजन्तो जगत्माता महामुद्योतिनी अर्ह ॥" विधि भगवती महालक्ष्मी के षोडश नाम युक्त उक्त स्तोत्र का जो व्यक्ति नित्य पाठ करता है, उस पर लक्ष्मी सदैव प्रसन्न रहती है। ज्वालामुखी मन्त्र मन्त्र - "श्रीगणेशाय नमः । ॐ हीं श्रीं क्लीं सिद्धेश्वरी ज्वालामुखी ज्र भिनी स्थंभिनी मोहिनी वशीकरणो परमन क्षोभिणी सर्व शत्रु निवारिणी ॐ औं क्रौं ह्रीं चाहि चाहि अक्षाभय अक्षोभय सर्वजनं अमुकं मम वश्यं कुरु-कुरु स्वाहा ।" विधि सर्वप्रथम २५०० की संख्या में जप कर मन्त्र को सिद्ध करले। फिर १००० आहतियाँ होम की देकर २ ब्राह्मणों को भोजन कराये। तत्पश्चात नित्य १०८ की संख्या में मन्त्र का जप करता रहे। आवश्यकता के समय ३ अथवा ७ दिन तक नित्य १०८ मन्त्र आधी रात के समय खुले आकाश के नीचे एक पांव से खड़े होकर जपे तो कार्य अवश्य सिद्ध हो । शारदा मन्त्र .... .... .... .... ... मंत्रा-"ॐ ह्रीं श्रीं अहं वद वद वाग्वादिनी भगवती सरस्वती ऐं नमः स्वाहा विद्यां देहि मम ह्रीं सरस्वती स्वाहा ।" विधि - ग्रहण के समय इस मन्त्र का १४४ बार जप करे । फिर २१ दिन तक विधियुक्त १०८ की संख्या में रात्रिकाल में जप करें तथा बाद में नित्य एक माला मन्त्र का जप करता रहे तो विद्या की दिन प्रतिदिन वृद्धि हो। For Private And Personal Use Only Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तात्र शास्त्र | २१७ विद्या-बुद्धि-बर्दक मन्त्र मन्त्र- 'ॐ नमो भगवती सरस्वती परमेश्वरी वाग्वादिनी मम विद्यां देहि भगवती हंस वाहिनी हंस समारूढा बुद्धि देहि देहि प्राज्ञा देहि देहि विद्यां देहि देहि परमेश्वरी सरस्वती स्वाहा ।" विधि रविवार से आरम्भ करके २१ दिनों तक नित्य १००८ की संख्या में इस मन्त्र का जप करें। ब्रह्मचर्य से रहे तथा एक बार भोजन करें तो पढ़ी हुई विद्या कण्ठस्थ हो और उसे कभी न भूले तथा विद्या-बुद्धि की वृद्धि होती रहे। सरस्वती मन्त्र मन्त्र- 'ॐ ह्रीं ऐं ह्री ॐ सरस्वत्यै नमः ।” विधि किसी शुभ मुहूर्त से आरम्भ करके १०००० की संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। फिर १ सेर गाय के घी को ४ सेर बकरी के दूध में डालकर उसमें एक-एक टंक सहजना की जड़, वच, सेंधा नमक, घावड़ा के फूल, तथा लोध मिलाकर मन्दी आग पर पकायें। जब दूध और दवायें जल जाँय तथा घृत शेष रह जाय, तब उसे आग से उतार कर नीचे रक्खें तथा मन्त्र द्वारा अभिमन्त्रित करके नित्य १ तोला घृत उसमें से खाते रहें। इससे विद्या-बुद्धि की अत्यन्त वृद्धि होगी। __ यदि उक्त मन्त्र को नित्य १००० की संख्या में जपता रहे, तब तो विद्या-बुद्धि की वृद्धि के विपय में कहना ही क्या है। टिप्पणी यदि घृत तैयार न कर सके तो मालकांगनी के तेल को उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित करके स्वल्प मात्रा में सेवन करना चाहिए। बुद्धि-बर्द्धक मन्त्र .. .. . मन्त्र- 'ॐ नमो ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वद पद वग्वादिनी बुद्धिद्धिनी ह्रीं नमः स्वाहा ।" For Private And Personal Use Only Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २१८ | शावर तन्त्र शास्त्र विधि www.kobatirth.org ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है । तत्पश्चात् नित्य एक माला अर्थात् १०८ की संख्या में जप करते रहने से बुद्धि तथा विद्या की वृद्धि होती है । भगवती मन्त्रा मन्त्र- "ॐ नमो भगवती रक्त पीठं नमः ।" विधि- Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इस मन्त्र को लाल वस्त्र के ऊपर नित्य १००० की संख्या में ७ दिनों तक जपें । फिर उस कपड़े को अपने हृदय से लगायें तो भगवती की प्रसन्नता प्राप्त होकर साधक की समस्त कामनाएं पूर्ण होती हैं । । कर्ण पिशाचिनी मंत्र मन्त्र विधि - मन्त्र- "ॐ हं हन हन स्वाहा ।" विधि - इस मन्त्र को सवा लाख की संख्या में जपने से कर्ण पिशाचिनी सिद्ध होती है तथा साधक के कान में प्रश्नों का उत्तर देती है । रूद्र मन्त्र “ॐ नमो भगवते रुद्राय हुँ फट् स्वाहा । " धतूरा, कुसुम तथा घी इन तीनों को मिलाकर, उक्त मन्त्र का पाठ करते हुए १०००० (दस हजार ) की संख्या में होम करने से रुद्र देवता प्रसन्न होते हैं। यदि इतने से सफलता न मिले तो फिर १००००० (एक लाख) की संख्या में होम करना चाहिए, तब सफलता अवश्य मिलेगी । उच्छिष्ट गणपति मन्त्र उच्छिष्ट गणपति साधन के मन्त्र, न्यास एवं विधि के सम्बन्ध में अगले पृष्ठानुसार समझना चाहिए । For Private And Personal Use Only Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २१९ मन्त-"ॐ क्षां क्षी ह्रीं ह ह ह्रः उच्छिष्टाय स्वाहा ।" कराङ्गन्यास-"ॐ क्षा अङ्ग ष्ठाभ्यां नमः । ॐ क्षीं तर्जनीभ्यां नमः । ॐ ह्रीं मध्यमाभ्यां नमः। ॐ ह्र अनामिकाभ्यां नमः । ॐ ह्र कनिष्ठिकाभ्यां नमः । ॐ ह्रः उच्छिष्टाय स्वाहा करतल करपृष्ठाभ्यां नमः ।” हृदयादि न्यास- "ॐ क्षां हृदयाय नमः । ॐ क्षी शिरसे स्वाहा। ॐ ह्रीं शिखायै वषट् । ॐ ह्र कवचाय हुँ। ॐ ह्रनेत्र त्रयाय वौषट् । ॐ ह्रः उच्छिष्टाय स्वाहा । अस्त्राय फट् ।" साधन-विधि___कृष्ण पक्ष की अष्टमी से आरम्भ करके चतुर्दशी पर्यन्त नित्य १०८ की संख्या में जप करने से यह मन्त्र सिद्ध होता है । इस मन्त्र की साधना में किसी तिथि नक्षत्र, वार, व्रत आदि का विचार नहीं किया जाता। ऑक की जड की लकड़ी द्वारा एक अँकठे प्रमाण की गणेश जी की मूर्ति बनाकर, उसे किसी एकान्त स्थान में स्थापित कर, एक युवती स्त्री को अपने सामने बैठा, उसके गुह्याङ्ग से सम्बद्ध हो, २८ बार इस मन्त्र का जप करने से सिद्धि प्राप्त होती है। कार्तवीर्य--मन्त्र मन्त्र--"श्रीगणेशायनमः। कार्तवीर्यः खलद्वेषी कृतवीर्य सुतो For Private And Personal Use Only Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २२० | शावर तन्त्र शास्त्र www.kobatirth.org बली । सहस्रबाहुः शत्रुघ्नो रक्तवासा धनुर्द्धरः । रक्तगंधोरक्त माल्यो राजास्मर्तु रभिष्टदः । द्वादशैतानि नामानि कार्त्तवीर्य्यस्य यः पठेत् । अनष्ट द्रव्यता तस्य नष्टस्य पुनरागमः । संपद स्तस्य जायंते जनास्तस्य वशे सदा ।" विधि जिस व्यक्ति का धन चोरी अथवा राजदण्ड आदि के कारण नष्ट हो गया हो, वह व्यक्ति कार्तवीर्य के उक्त द्वादश नामों का नित्य २१ बार पाठ करे तो गया हुआ धन पुनः लौट आता है। जो व्यक्ति इन नामों का नित्य २१ बार पाठ करता है, उसका धन कभी नष्ट नहीं होता। धन की वृद्धि होती है तथा सब लोग उसके वशीभूत रहते हैं । वटुक मन्त्र मन्त्र- - "ॐ ह्रीं वटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु वटुकाय ह्रीं स्वाहा ।" इस मन्त्र के न्यास, ध्यान तथा साधन-विधि निम्नानुसार हैंकर न्यास – “ ॐ ह्रीं अङ्गष्ठाभ्यां नमः | ॐ ह्री तर्जनीभ्यां स्वाहा । हृदयादि न्यास Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॐ ह्री मध्यमाभ्यां वषट् । ॐ ह्रौं अनामिकाभ्यां वौषट् । ॐ ह्रो कनिष्ठिकाभ्यां हुँ । ॐ ह्रः करतल करपृष्ठाभ्यां फट् ।” - ॐ ह्रां हृदयाय नमः । ॐ ह्री शिरसे स्वाहा । ॐ ह्र शिखायै वषट् । ॐ ह्रौं नेत्र प्रयाय वौषट् । G ॐ ह्रीं कवचाय हुँ । ॐ ह्रीं अस्त्राय फट् {" For Private And Personal Use Only Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ध्यान www.kobatirth.org शावर तन्त्र शास्त्र | २२१ -" कर कलित कपालं कुण्डली दण्डपाणीऽस्तुरग तिमिर नीलो व्याल यज्ञोपवीतः । क्रतु समय सुरच्च विघ्न विच्छेद हेतु जयति वटुकनाथ सिद्धि दे साधकानाम् ।” 634. प्रयोग-विधि सिन्दूर का चौका लगाकर उसमें एक त्रिकोण यन्त्र बनायें । यन्त्र के ऊपर कोण में 'ॐ' वाम कोण में 'कु' तथा दक्षिण कोण में 'वं' तथा मध्य में 'ह्रीं' लिखें । 'ह्रीं' के नीचे साधक अपना नाम लिखें । उक्त विधि से बनने वाले यन्त्र के स्वरूप को नीचे के चित्र में प्रदशित किया गया है ॐ कब Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir देवदत्तः ( वटुक - पूजन यन्त्र) यन्त्रस्थ 'ह्रीं' अक्षर के ऊपर दीपक रक्खें। फिर संकल्प, न्यास तथा ध्यान करके आवाहान आदि षोडश उपचारों से पूजन करें । यन्त्र में जहाँ 'ॐ' लिखा है, वहाँ तेल में तले हुए उड़द के बड़े रक्खें । जहाँ 'व' लिखा है, वहाँ दही तथा जहां 'कु' लिखा है, वहाँ गुड़ रक्खें। थोड़ी सी सामग्री अछूती अलग से भोग में रखनी चाहिए । बड़े, दही और गुड़ मिलाकर रक्खें । वटुक के भोग की पाँच वस्तुएँ J होती हैं- बड़े, दही, गुड़, शराब तथा भुनी हुई छोटी मछली । For Private And Personal Use Only Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२२ | शावर तन्त्र शास्त्र फिर प्रतिदिन १००० की संख्या में उक्त मन्त्र का जप करें तथा जप के उपरान्त १०० आहुतियाँ देकर होम करें । ११ दिन के पहले प्रयोग में शक्कर, घृत तथा शहद की आहुतियों से होम करना चाहिए । उक्त विधि से जप- होम करने से साधक की कामना पूर्ण होती है। यदि पहली बार में न हो तो इसी प्रक्रिया को दूसरी तथा तीसरी बार भी दुहराना चाहिए। तीसरी बार के प्रयोग के पश्चात् तो कामना पूर्ति में किसी प्रकार का सन्देह ही नहीं रह जाता । सहदेई कल्प मन्त्र मन्त्र — ॐ नमो भगवती मातङ्गी सर्वन्नतेश्वरी सर्व मनहरणी सर्व लोक वशीकरणी सर्व सुख रंजनी महामाये लघु लघु वश्यं कुरु कुरु स्वाहा ।" साधन-विधि कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन वृत रखकर सहदेई (एक प्रकार की बूटी) को न्यौत आवें । फिर दूसरे दिन नवमी को प्रातः काल उसे उखाड़ कर घर ले आयें। वहाँ उसे सामने रखकर ६ रात्रि तक उक्त मन्त्र को अनिश्चित संख्या में जप कर सिद्ध कर लें। यदि ६ दिन में सिद्धि प्राप्त न हो तो १४ दिन तक मन्त्र जप करना चाहिए। जप का क्रम टूटे नहीं । प्रयोग-विधि मन्त्र सिद्ध सहदेई के प्रयोग निम्नलिखित हैं (क) सहदेई को चूर्ण करके जिसके मस्तक पर डाल दिया जायगा, वह वश में हो जायगा । (ख) उक्त चूर्ण को पान में रख कर जिसे खिला दिया जायगा, वह वशीभूत होगा । (ग) उक्त चूर्ण में गोरोचन मिला कर अपने ललाट पर तिलक लगायें, फिर जिसे देखें, वही वशीभूत हो । (घ) उक्त चूर्ण को काजल में मिलाकर आँख में डालकर, जिसे देखें, वह वशीभूत हो । For Private And Personal Use Only Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २२३ (ङ) उक्त चूर्ण को अपने सिर में डालकर यद भूमि में जाय तो विजय प्राप्त हो। (च) वांझ स्त्री को रजोधर्म के समय उक्त चूर्ण खिलाने से वह गर्भवती हो। (छ) अभिमन्त्रित सहदेई को ताबीज में भरकर वालक के गले में बांध तो ग्रह पीड़ा न हो तथा अतिसार नष्ट हो । (ज) अभिमन्त्रित सहदेई को जड़ को अपने पल्ले में बांध लें तो सब रोग दूर हों। (झ) अभिमन्त्रित सहदेई को मुह में रखकर, जिससे बात करें, वह वशीभूत हो। स्वप्न में प्रश्न का उत्तर पाने का मन्त्र मन्त्र--(१) “ॐ नमो माणिभद्र चेटकाय सर्वार्थ सिद्धि करणाय मम स्वप्ने दर्शनाय कुरु-कुरु स्वाहा ॥" प्रयोग-विधि कन्नेर से लाल पुष्प लाकर उन्हें १०८ बार उक्त मन्त्र से अभिमंत्रित कर, अपने सिरहाने रखकर सोवे । तीन या सात दिनों तक यह प्रयोग करते रहने से अभिलिखित प्रश्न का उत्तर स्वप्न में मिल जाता है । मन्त्र---(२) "ॐ स्वप्नावलोकिनी सिद्ध लोचनी स्वप्नेक कथन स्वाहा ।" प्रयोग विधि पूर्ववत् । इस मन्त्र को २१ बार जपना चाहिए। मन्त्र--(३) "ॐ नमो जाय त्रिनेत्राय पिंगलाय महात्मने वा माय विश्वमुख्याय स्वप्नाधिपतये नमः स्वप्नेक कथय मे तथ्यं सर्व कार्यहा शेषतः क्रिया सिद्धि सविधास्यामिस्वन् प्रसादात् गणेश्वरे।" For Private And Personal Use Only Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २.४ | शावर तन्त्र शास्त्र प्रयोग-विधि उक्त मन्त्र द्वारा शिवजी से प्रार्थना करके रात्रि को सो जाय । फिर जो स्वप्न में दिखाई दे, उसे प्रातः काल अपने गुरुदेव से कह कर उसका फल जान ले। विद्या-मन्त्र मन्त्र-“ॐ ह्रीं श्री अहं वद वद वाग्वादिनी भगवती सरस्वती ऐं नमः स्वा विद्यादेहि मम ह्रीं सरस्वती स्वाहा ।" साधन-विधि सर्वप्रथम ग्रहण के समय इस मन्त्र का १४४ बार जप करें। फिर विधिपूर्वक नित्य तीनों समय १०८ बार मन्त्र जप करें तो दिन-दिन विद्या की वृद्धि हो। पृथ्वी में गढ़ा धन दिखाई देने का मन्त्र मन्त्र-"श्रीं ह्रीं क्लीं सौंषधी प्रणत नमो विच्चे स्वाहा ।" साधन-विधि___काले कौए की जीभ को काली गाय के दूध में औटाकर, दूध को जमा दें । जम जाने पर उसमें से घी निकालें। उस घी को उक्त मन्त्र से १०८ बार अभिमन्त्रित कर आँख में आँजे अथवा काजल बनाकर, जो मनुष्य पाँवों की ओर से जन्मा हो, उसकी आँखों में लगायें तो उसे पृथ्वी में गढ़ा हुआ धन दिखाई देगा। प्रयोग-विधि - बिनौला, मूग और तिल को गाय के मूत्र में पीसें । पोसते समय पूर्वोक्त मन्त्र का उच्चारण करते जाय। फिर जिस स्थान पर खुदाई करनी हो, वहाँ पहले चौका लगाकर बलिदान दें तथा निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करेंमन्त्र- "ॐ नमो भगवते सुमेर रूपायै महाक्रांतायै कंकाल रूपायै हुँ फट् स्वाहा ।" For Private And Personal Use Only Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २२५ उक्त मन्त्र का उच्चारण करते हुए गेहूं तथा तिल के आटे का हवन करें तो गड़े हुए धन वाले स्थान पर उपस्थित सर्प आदि जन्तुओं का भय दूर हो जाता है। उक्त प्रयोग शुभ मास, दिन तथा नक्षत्र आदि का विचार करके करना चाहिए। ऋण-मोचक मङ्गल-स्योत ... .... . .. ... सर्वप्रथम निम्नानुसार संकल्प बाक्य बोलें, तदुपरान्त आगे लिखे अनुसार ध्यान, पूजन, जप आदि करें । सङ्कल्प---"श्रीगणेशाय नमः । ॐ अस्य श्रीमङ्गल स्तोत्र मन्त्रस्य विरूपाक्ष ऋषिरनुष्टुप छन्दः ऋणहर्ता स्कन्दो देवता धनप्रदो मंगलोधिदेवता मं बीजं गं शक्ति लं कीलकं समाभीष्ट सिध्यर्थे जपे विनियोगः ॥" ध्यान----"रकामाल्यांवरधरो शक्ति शूल गदाधरः । चतुर्भुजो वृषगमो वरदश्च धरासुतः ।। दे होहि भगवन् भौमः काल कांत हर प्रभो । त्वयि सर्वमिदं प्रोक्त त्रैलोक्यं सचराचरं ॥" मन्त्र- 'ॐ क्रां की कौं सः मङ्गलाय नमः ।" नामानि----"मङ्गलो भूमि पुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः । स्थिरासनो महाकायः सर्वकर्मावरोधकः ॥ लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः । धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः ।। अङ्गारको यमश्चैवसर्व रोगापहारकः । वष्टि कर्त्तापहर्ता च सर्व काम फलप्रदः ॥" For Private And Personal Use Only Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २२६ | शावर तन्त्र शास्त्र विधि www.kobatirth.org ताम्रपत्र के ऊपर मङ्गल का त्रिकोण यन्त्र बनाकर, उसका केला, लाल चन्दन, तथा लाल कन्नेर के फूलों से पूजन करें। फिर पूर्वोक्त मंगल के २१ नामों को २१ बार जपे । प्रत्येक नाम के साथ निम्नलिखित मन्त्र का पुट लगाना चाहिए“ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः मङ्गलाय नमः ।" “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः ।" Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मङ्गल के २१ नाम अलग-अलग इस प्रकार हैं(१) मंगलाय (११) धरात्मजाय (२) भूमि पुत्राय (३) ॠण ह (४) धन प्रदाय (५) स्थिरासनाय (६) महाकायाय (७) सर्वकर्माविरोधाय (८) लोहिताय (६) लोहिताक्षाय (१०) सामगानांकृपाकराय (१२) कुजाय (१३) भौमाय (१४) भूतदाय (१५) भूमिनन्दनाय (१६) अङ्गारकाय (१७) यमाम (१८) सर्व रोगापहारकाय (१६) वृष्टि क (२०) आपद्ध (२१) सर्व काम फलप्रदाय उक्त सब नामों के अन्त में 'नमः' शब्द लगाकर तथा बोज - मन्त्र को आदि अन्त में लगाकर २१ नामों को २१ बार जपे । मन्त्र जप के बाद खैर की लकड़ी से बाँई ओर तीन लकीरें खींचकर उन्हें निम्नलिखित मन्त्र पढ़कर बाँये पाँव से मिटा द मन्त्र - "दुख दुर्भाग्य नाशाय धन सन्तान हेतवः । व्रत रेखादि य वायेमे वाम पाद तलेनुतः ॥” नाम जप के बाद १ माला "भौम - गायत्री मन्त्र' को पढ़ें, जो इस प्रकार हैं For Private And Personal Use Only Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २२७. भोम गायत्री---"ॐ अङ्गारकाय विद्महे शक्ति-हस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात् ॥" फिर रेखा मिटाने के बाद हाथ जोड़कर निम्नलिखित ध्यान के मन्त्रों का पाठ करेंध्यान-"असृजमरुणवणं रक्तमाल्यांगरागं कनक कनक माला सालिनं विश्वबंधु । प्रति ललित कराभ्यां विम्रतं शक्ति शूले, भजति धरणि सूनु मङ्गले मङ्गलानां ।" इसके पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र से अर्घ्य देकर पूजन समाप्त करेअयं का मन्त्र- "भूमि पुत्र महातेजस्तदो भव पिनाकिनः । धनार्थी त्वाप्रपन्नोस्मिन् गृहणाय नमोस्तुते।" __उक्त विधि से भीम-मन्त्र का जप एवं पूजन करने से ऋणी मनुष्य ऋण-मुक्त हो जाता है तथा उसे धन-धान्य का लाभ होता है। ग्रह-पीड़ा नाशक मन्त्र .... .. .. . मन्त्र----"ॐ नमो भास्कराय अमुकस्य सर्वग्रहाणां पीड़ानाशन कुरु कुरु स्वाहा ।" विशेष उक्त मन्त्र में जहाँ अमुकस्य' शब्द आया है, वहाँ साध्य-व्यक्ति के नाम का उच्चारण करना चाहिए। साधन-विधि यह मन्त्र १००० की संख्या में जपने से सिद्ध हो जाता है । प्रयोग-विधि एक हांडी में मदार की जड़, धतूरा तथा अपामार्ग का दूध, बरगद और पीपल की जड़, शमी, आम तथा गूलर के पत्ते, घी, दूध, चावल, चना, मूग, गेहूं, तिल, शहद तथा मट्ठा भर कर, उसे उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर, शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष की जड़ में गाढ़ दें। इससे ग्रह-पीड़ा नष्ट हो जाती है । यह प्रयोग दरिद्रता तथा पापों को भी नष्ट करता है। For Private And Personal Use Only Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १४ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रभावकारी शाबर-मन्त्र प्रयोग प्रभावकारी शाबर मन्त्रों के विषयों में इस प्रकरण में विशिष्ट मनोभिलाषाओं की पूर्ति करने वाले प्रभाव कारी शाबर मन्त्रों का उल्लेख किया जा रहा है। इनमें धन तथा रोजी प्राप्ति आत्म रक्षा, मनोरथ - सिद्धि, विपत्ति-निवारण आदि के साथ ही लोपांजन, यात्रा में थकान न आने, कागज की कढ़ाही में पुआ उतारने तथा पु'सत्व नाशक आदि कोतुक-प्रदर्शन विषयक मन्त्र भी सम्मिलित हैं। जिस मन्त्र के साथ उनकी साधन - विधि भी उल्लिखित है, उन्हें तदनुसार ही सिद्ध करना चाहिए । कुछ मन्त्रों के लिए किसी पूर्व-साधना (जप आदि) की आवश्यकता नहीं पड़ती, अतः उनका प्रयोग बिना पूर्व साधन के अवसरानुकूल यथोचित प्रकार से ही करना चाहिए । स्मरणीय है कि इन मन्त्रों में कुछ लोक भाषाओं के तथा कुछ इस्लामी विधि के हैं तो कुछ संस्कृत भाषा के भी | अतः प्रत्येक मन्त्र के उच्चारण में शुद्धता का ध्यान रखना आवश्यक है। भाषा की दृष्टि से अशुद्ध प्रतीत होने वाले मन्त्रों को भी, वे जिस प्रकार लिखे गये है, उसी प्रकार उच्चरित करना चाहिए। अपनी ओर से भाषा को संशोधित करने का प्रयत्न न करें । शाबर मन्त्रों की यही विशेषता है कि वे परम्परागत तरीके से जिस प्रकार उच्चरित किये जाते हैं; उसी विधि से उच्चरित किये जाने से ही फलदायक सिद्ध होते हैं । अन्नपूर्णा का मन्त्र मन्त्र – “ ॐ नमो अन्नपूर्णा अन्नपूरे घृतपूरे गणेश देवता पाणी पूरे ब्रह्मा विष्णु महेश तीन देवता मेरी भक्ति गुरु की शक्ति गोरखनाथ की वाचा फुरे ।" For Private And Personal Use Only Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र] २२६ साधन-विधि - पहले १००००० (एक लाख) की संख्या में मन्त्र का जप करें, फिर ब्राह्मण भोजन कराये । जो सामग्रो हो, उसमें से अछूता निकालकर अन्नपूर्णा का भोग रक्खे और एक भाग कुएँ में डाल कर, वहाँ से, एक हाथ से पानी का लोटा भर लायें । फिर दीपक जलाकर भोजन के कोठार में अन्न पूर्णा का तथा वरुण देवता का पूजन कर, एक माला मन्त्र को जप कर, ब्राह्मणों को भोजन करायें तो कोठार में भोजन-सामग्री की कभी कमी न पड़ेगी। महालक्ष्मी का सिद्ध मन्त्र .. ........ .... मन्त्र-"श्री शुल्के महाशुल्के कमलदल निवासे भी महालक्ष्मी नमोनमः, लक्ष्मी माई सत्त की सवाई, आओ चेतो करो भलाई, भलाई ना करो तो सात समुद्रों की दुहाई, ऋद्धी सिद्धी उखगे तो नौ नाथ चौरासी सिद्धां की दुहाई।" विधि जब दूकानदार अपनी दुकान को खोले तब दूकान की गद्दी पर बैठक पहले इस मन्त्र को एक माला जप लें, तत्पश्चात् लेन-देन के काम करें तो उसे लाभ होगा तथा धन की वृद्धि होगी। रोजी-प्राप्ति का मन्त्र (१) मन्त्र- "या गुफूरो।" साधन एवं प्रयोग-विधिरात्रि के समय एक बार मन्त्र को पढ़ें । फिर - 'बिसमिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम' पढ़कर २१ बार दरूद पढ़ें । दरूद का मन्त्र इस प्रकार है"अल्लहुम्मसल्ल अलामुहम्मदिन व अला अल मुहम्मदिन वबारिक वसल्लिम् ।" For Private And Personal Use Only Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २३० / शावर तन्त्र शास्त्र फिर १००० की संख्या में पूर्वोक्त "या गफूरो" मन्त्र पढ़कर २१ बार दरूद पढ़ें । इस प्रकार २१ दिनों तक नित्य मन्त्र का जप करते रहने से लाभ की सूरत दिखाई देती है तथा रोजी प्राप्त होती है। रोजी प्राप्ति का मन्त्र (२) मन्त्रा----"या इश्राफोल बहक्क या अल्लाहो।" साधन एवं प्रयोग-विधि सवा पाव उड़द के आटे का खमीर उठाकर अपने हाथ से एक रोटी बनायें, फिर से दो तह करके सफेद रूमाल में रखकर चोथाई रोटी की जंगली बेर के बराबर को १०१ गोली बनायें। फिर प्रत्येक गोली को १०१ बार उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर, किसी नदी के जल में मन्त्र पढ़ते हुए बहादें तो ४० दिन में मनोरथ पूरा होता है। रोजी प्राप्ति का मन्त्र (३) .. .... .... .... .... .... .. मन्त्र-“काली कंकाली महाकाली मरे व सुन्दर जीये व्याली चार बीर भैरू चौरासी तब तो पूजू पान मिठाई अब बोलो काली की दुहाई।" साधन एवं प्रयोग-विधि. नित्य प्रति स्नान करके, पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठे तथा इस मन्त्र को ७ अथवा ४६ बार जप कर तो शीघ्र ही रोजो प्राप्त होती है। दिग्बन्धन का मन्त्र ... .... .. .. ... .... मन्त्रा--"या हिसार या हिसार या हिसार परी जबर कुफ्फार एक खाई दूसरी अग्निपसार गिर्द व गिर्द मलायक असवार दायां दस्त रक्खे जिब्राईल बायां दस्त रक्खे मीकाईल पीठ रक्खे इश्राफील पेट रक्खे इज्राईल दस्त चयहसन दस्तरास्तहुसेन पेशवामुहम्मद गिर्द व गिर्द अली लाइलाह का कोट इल्लिल्लाह की खाई हजरत अली की चौकी बैठी मुहम्मद रसूलिल्ला की दुहाई ।" For Private And Personal Use Only Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २३१ साधन एवं प्रयोग-विधि यदि किसी मन्त्र के जपने में भय लगे अथवा मसान में बैठने की आवश्यकता हो तो इस मन्त्र को ७ बार पढ़कर अपने चारों ओर हाथ फिरा कर चटकी बजायें अथवा अपने चारों ओर लकीर काढ़ कर बैठे। सफर में जहाँ डेरा डालें, वहाँ यदि कोई श्मशान आदि हो तो उस जगह भी यही क्रिया करनी चाहिए। इससे दिग्बन्धन होकर सब प्रकार के भय दूर हो जाते हैं। विवाद-विजय यन्त्र नीचे प्रदर्शित यन्त्र को कागज के ऊपर लिख कर जुमे (शुक्रवार) के दिन अपने गले में बाँधने से मुकद्दमे में विजय होती है अर्थात् अपराधी न्यायालय से बरी हो जाता है। प्रदर्शित यन्त्र के नीचे साध्य व्यक्ति तथा उसकी माता का नाम लिखना भी आवश्यक है। २४ |3३८३३३ हाफीज २३८३३२ ३३३ हाफीन ३३७ |EE |३३७ - (विवाद विजय यन्त्र) शरीर रक्षा का मन्त्र मन्त्र----"छोटी मोटी थमंत बार को बार बांधे पार को पार बांधे मराघमा हांण बांधे जादू वीर बांधे टोना टम्बर बांधे दोठ मूठ बांधे चोरी द्वार बांधे भिडिया और बाघ बांधे बोलू और सांप बांधे लाइलाह का कोट इल्लिल्लाह की For Private And Personal Use Only Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २३२ | शावर तन्त्र शास्त्र खाई मुहम्मद रसूलिल्लाह की चौकी हजरत अली की दुहाई ।" साधन विधि यह मंत्र शुक्रवार की रात्रि में १०८ बार जपने से सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि यदि सभी जंगल अथवा निर्जन स्थान में सोना हो तो इस मन्त्र को ३ बार पढ़कर अपने दोनों घुटनों पर हाथ मारकर जितनी पृथ्वी में सोना हो, उसमें चारों ओर लकीर खोंच कर एक घेरा बना दें तो कोई भयसर्प, चोर, हिंसक जोव आदि का नहीं होता। आत्म-रक्षा का मन्त्र . ... .... . ... .... .... .... .... .... मन्त्र--"ॐ मुरतों का गड़ा अष्ट वेताल आठों वायु तीसों रहसे छेद भेद की ज्ञान मो रंगे नकरुमामो रमा नारायणी सप्त पाताल जानि मोर काज मोहिसाडारे तइथिला विकिटार आस आस विकिटार तो सोर-षामो गोरषी कारसी आकार बीज गोरषी वज्र करथिवौ।" साधन-विधि ग्रहण के समय १०००० को संख्या में जप करने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि नित्य प्रातः काल इस मन्त्र को ७ बार पढ़ कर अपने ही शरीर पर फूक मारते रहने से साधक की आत्मा-रक्षा होती है। ___ मनोरथ-सिद्धि मन्त्र मन्त्र----"ॐ हर त्रिपुर हर भवानी वाला राजा प्रजा मोहिनी सर्व शत्रु विध्वंसनी मम चिन्तित फलं देहि देहि भुवनेश्वरी स्वाहा ।" For Private And Personal Use Only Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २३३ साधन-विधि पवित्रता पूर्वक केवल १०८ बार- जपने से ही यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि - जब किसी मनोरथ को सिद्ध करने की आकांक्षा हो, उस समय इस मन्त्र का १०८ बार जप करके कार्यारम्भ करें तो मनोरथ सिद्ध होता है। यात्रा में थकान न आने का मन्त्र मन्त्र-“ॐ नमो विचंडाय हनुमंत वीराय पवनपुत्राय हुं फट् ।" साधन-विधि वंशलोचन, श्वेत भांगरा तथा बकरी का दूध इन सबको लेकर, पुष्प नक्षत्र में उक्त मन्त्र को सिद्ध करें। १०००० की संख्या में जपने से मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि यात्रा पर जाते समय उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित उक्त मिश्रण को दोनों पाँवों के तलवों में लगायें और लेप सूख जाय, तब यात्रा.करें तो मार्ग में चलने से थकान नहीं आती। ___ मार्ग और घर में शरीर रक्षा का मन्त्र मन्त्र-"छोटी मोटी थमन्त बार को बार पार को पार बांधे मरा घमासाण बांधे जादू वीर बांधे टोना टम्बर बांधे दीठ मूठ बांधे चोरी छार बांधे चिड़िया और बाघ बांधे लाइलाइ का कोट इल्लिल्लाह की खाई मुहम्मद रसू लिल्लाह की चौकी हजरत अली की दुहाई।" साधन-विधि गुरुवार या शुक्रवार को १०८ बार जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। For Private And Personal Use Only Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २३४ | शावर तन्त्र शास्त्र प्रयोग विधि जंगल या घर में सोते समय इस मन्त्र को ३ बार पढ़कर अपने दोनों पाँवों पर हाथ मारे तथा जितनी पृथ्वी पर सोने की व्यवस्था करें, उतनी में घेरा बांध दें तो किसी प्रकार का भय नहीं होता एवं शरीर की रक्षा होती है। सर्व बाधा नाशक मन्त्र ........ .. .. .... .... .. .... .... .. 'मन्त्र--"चौरा बाधा सरपाउधाइ बन छाडि आबनन जाउ सावज धइ धइ ल्याउ रामचन्द्र मारल. कुकुद्वावन के शोषहि बाऊ मोरि जहाँ तहाँ कपसरे मोरे फरले कठहि निर्विस होइ जाइ दुहाई रामचन्द्र के दुहाई गौरा पार्वती कै जो एही बन रह।" साधन-विधि ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग विधि-- किसी वन, पर्वत अथवा निर्जन स्थान में आकस्मिक सकट, हिंसक पशु आदि के उपस्थित हो जाने पर इस मन्त्र का मन ही मन पाठ करने से सब प्रकार की बाधा (संकट) दूर हो जाती है। दोष-निवारक एवं रक्षा कारक मन्त्र मन्त्र--"ॐ नमो आदेश गुरु को चजरी वजरो वज्र किबाड़ बची पे बाँधू दशोछार दसों छार को थाले थान बउलट वेद वाही को वान पहली चौकी गणपति की दूजी चौकी हनुमत की तीजी भैरों की चौथी चौकी रोम रोम को रक्षा करन को श्री नरसिंहदेव जी आया For Private And Personal Use Only Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org शाबर तन्त्र शास्त्र २३५ शब्द सांचा पिण्ड कांचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा सत्य नाम आदेश गुरु का ।" साधन-विधि यह मन्त्र अष्टमी तिथि को गूगल की धूप देते हुए १०८ बार जपने से सिद्ध हो जाता है । मन्त्र जप के बाद भोग लगाना चाहिए । प्रयोग-विधि Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इस मन्त्र से अभिमन्त्रित जल ७ दिन तक रोगी को पिलाते रहने से. किये कराये का दोष दूर हो जाता है तथा शरीर की रक्षा होती है । देह-रक्षा का मन्त्र ******** - मन्त्र - "ॐ नमो आदेश गुरु को ॐ अपर केस विकट भेस खंब पत प्रहलाद राखे पाताल राखे पाय देवी जंघा राखे कालिका मस्तक राखे महादेवी जो कोई इह पिण्ड प्राण को छेड़े छेदे तो देवदाना भूत प्रेत डाकिनी शाकिनी गंडताप तिजारी जूड़ी एक पहरु द्वे पहरु शांक को सवांरा को कोजा को कराया को उलट वाही के पिण्ड पर पड़े इस पिण्ड की रक्षा श्री नरसिंह जी करे शब्द साँचा पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।" साधन-विधि यह मन्त्र शुभ योग में १०८ बार जपने से सिद्ध हो जाता है । प्रयोग-विधि इस मन्त्र से जल को ७ बार अभिमन्त्रित करके रोगी को पिला दें अथवा इसे कागज पर लिखकर गण्डा बनाकर रोगी के कण्ठ या भुजा में बांध दें तो उसके शरीर की सब प्रकार के रोग-दोष आदि से रक्षा होती है । For Private And Personal Use Only Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २३६ | बाबर तन्त्र शास्त्र सर्व-सुखवाता एवं विपत्ति-निबारक मन्त्र ... .. .. .... .... .... . मन्त्र-"श्री रामजी।" प्रयोग-विधि उक्त मन्त्र को कागज के छोटे-छोटे टुकड़ों पर सवा लाख की सख्या में केशर, कस्तूर तथा लाल चन्दन के मिश्रण द्वारा अनार की लकड़ी की सन्दर कलम से लिखें। फिर उन्हें आटे की गोलियों में भर कर नदी में डाल दें तथा अन्त में ब्राह्मण भोजन करायें तथा पण्डितों को दान दक्षिणा दें तो सब प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं तथा सब प्रकार की विपत्तियाँ दूर होती हैं। देह रक्षा का मन्त्र .... ... .. ... मन्त्र--"ॐ परब्रह्म परमात्मने मम शरीरे पाहि पाहि कुरु कुरु स्वाहा ।" साधन एवं प्रयोग-विधि _इस मन्त्र को किसी शुभ मुहूर्त से जपना आरम्भ कर २१ दिनों तक नित्य १०८ की संख्या में जपता रहे तो मन्त्र सिद्ध हो जाता है। फिर किसी भी मन्त्र, तन्त्र, झाड़-फूक आदि की क्रिया को आरम्भ करने से शरीर की रक्षा होती है। ऋद्धि-सिद्धि का मन्त्र मन्त्र--ॐ नमो आदेश गुरू को गणपति वीर बसे मसाणं जो जो मांगू सो सो आण पांच लाडू सिर सिन्दूर हाटि की माँटी मसाण की खेप ऋद्धि सिद्धि मेरे पास ल्यावे शब्द साँचा पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा।" । साधन एवं प्रयोग-विधि किसी बड़े भोज आदि का आयोजन करना हो, तब इस मन्त्र का प्रयोग करना चाहिए । सर्वप्रथम ५ लड्डुओं के ऊपर सिन्दूर लगा कर उन्हें For Private And Personal Use Only Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org शावर तन्त्र शास्त्र | २३७ कुएं पर ले जाय, वहाँ एक लड्डू छोटे कलश में रख कर उसे कुएं में डालें जब कलश भर जाय, तब २ लड्डू कुएं में डाल आयें तथा जल पूर्ण कलश को लाकर कोठार घर (जहाँ भोजन का सामान रक्खा जाता है) में स्थापित कर दें । फिर शेष २ लड्डू चढ़ाकर देवता का पूजन करें, तदुपरान्त ब्राह्मण तथा अन्य लोगों को भोजन कराना आरम्भ करें तो खाद्य सामग्री की कमी नहीं पड़ती। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शुभाशुभ - कथन मन्त्र मन्त्र – “ ॐ ह्रीं श्रीं वा लीलं बाहुली क्षां क्षीं क्षु क्षेक्षः फट् फट् स्वाहा ।" साधन - विधि शुभ मुहूर्त में पूर्वाभिमुख बैठकर इस मन्त्र का १००० की संख्या में जप करें, ब्रह्मचर्य से रहें, भूमि पर शयन करें तथा एक बार भोजन करें तो यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है । प्रयोग-विधि मन्त्र के सिद्ध हो जाने पर जब किसी प्रश्न का शुभाशुभ ज्ञात करना हो तो रात में निम्नलिखित मन्त्र को २१ बार पढ़कर सो जाय- “ॐ स्वप्ना वलोकिनी सिद्धि लोचनी स्वप्नेक कथन स्वाहा ।" मन्त्र तो रात्रि में स्वप्न के माध्यम से शुभाशुभ का लाभ प्राप्त हो जाता है । कागज की कढ़ाही में पुआ उतारने का मन्त्र ******** - "ॐ नमो घाणी को तेल कागज की कढ़ाही शब्द साँचा पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा । " प्रयोग-विधि तेली की चलती धानी (कोल्हू ) का तेल मँगा कर उसे कढ़ाही में भर दें, फिर उस कढ़ाही के ऊपर उस मन्त्र को २७ बार पढ़ कर फूंकें For Private And Personal Use Only Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २३८ | शावर सन्त्र शास्त्र तदुपरान्त कढ़ाई को आग पर चढ़ा कर उसमें पुआ सेकें तो कागज की कढ़ाई न जले तथा पुआ उतरे। लोपांजन-मन्त्र (अदृश्य होने का मन्त्रा) . .... .... .... .. .. .... ... . .... .. .. मन्त्र--"ॐ नमो भगवती रुद्रश्वराय नमो रुद्राय व्याघ्रचर्म परी धानाय डमरु चण्ड कल काली स्वाहा ।" साधन एवं प्रयोग-विधि (१) काले कुत्ते को भूखा रखे। फिर उसे उक्त मन्त्र से २१ बार अभिमन्त्रित काले तिल दूध में डाल कर खिलावें। जब वे तिल उसकी विस्ठा में निकलें, तब उनसे तेल निकलवायें। फिर उस तेल के दीपक से काजल पाड़ कर उसे अपनी आँखों में लगायें तो अलोप (अदृश्य) हो। अथवा : - (२) अंकोल के तैल को वस्र कर उक्त मन्त्र से २१ बार अभिमन्त्रित करके ७ दिनों तक भिगोये रक्खें । तदुपरान्त उसे मुंह में रक्खें तो अलोप हो। अथवा (३) अंकोल का तेल और कबूतर की बीठ-इन दोनों को उक्त मन्त्र से २१ बार अभिमन्त्रित करके, उसका मस्तक पर तिलक लगायें तो अलोप हो। - यन्त्र, मन्त्र, तन्त्र--तीनों को दूर करने का मन्त्र . .... .... . .. .. .... .... .... मन्त्र-"उलटं वेद पलटंत काया, उतर आव बच्चा गुरु ने बुलाया, वेग सत्तनाम आदेश गुरु का ।" प्रयोग-विधि ___ चौराहे पर पता लगा कर शराब डालें, फिर वहाँ उक्त मन्त्र पढ़कर चला आवे। आवश्यकता के चौराहे की ७ ककड़ियों को २१ बार मन्त्र से अभिमन्त्रित कर, चार कंकड़ियों को तो चारों दिशाओं में फेंक दें और ३ कंकड़ी अपने पास रखें। फिर जिसके शरीर में से जन्त्र-मन्त्रादि का किया कराय For Private And Personal Use Only Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org शावर तन्त्र शास्त्र | २३६ दूर करना हो, उसके शरीर पर एक दो कंकड़ी मन्त्र पढ़ते हुए मारे तो मन्त्रादि के किये -कराये का प्रभाव दूर होता है । कृषि एवं आत्म-रक्षक मन्त्र मन्त्र -- " उलदथि नरसिंह पलदथि काया, रक्षा करधि नरसिंह राया ।" साधन एवं प्रयोग विधि - इस मन्त्र को आवश्यकतानुसार १०८ की संख्या में जपना चाहिए । यह मन्त्र कृषि की तथा शरीर की रक्षा करता है । पशु- दुग्ध-वर्द्धक मन्त्र मन्त्र - "ॐ हुकारिणी प्रसर शीतत ।" Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मन्त्र प्रयोग-विधि करके। इस मन्त्र द्वारा यदि पशुओं के खाद्य तृण धान्य आदि को अभिमन्त्रित पशु को खिलाया जाय तो वे दूध अधिक देते हैं। गाय, भैंस, बकरी आदि दुधारु पशुओं के चारे को इस मन्त्र द्वारा अभिमन्त्रित करके देना उत्तम रहता है । 4 मेघ-स्तम्भन का मन्त्र "ॐ नमो भगवते रुद्रायं जल स्तम्भय स्तम्भय ० : : स्वाहा ।" - प्रयोग विधि मार्ग में अथवा रोटी करते समय यदि पानी बरसने लगे तो श्मशान के कोयले को सुलगा कर उसके ऊपर एक ईंट को उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित करके रख देने से पानी बरसना बन्द हो जाता है । " यात्रा में आराम पाने का मन्त्र *....................................................... मन्त्र -- "गच्छ गौतम शीघ्र त्वं ग्रामेषु नगरेषु च । आसनं वसनं शैया तांबूलं यज कल्पयेत् । " . For Private And Personal Use Only Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४० | शाबर तन्त्र शास्त्र विधि यात्रा करते हुए जब किसी गांव के समीप पहुंचे, तब इस मन्त्र को दूब के ऊपर सात बार पढ़ें तथा अभिमन्त्रित दूब अपने सब साथियों को देकर कहे कि 'गौतम ऋषि का न्योता है। फिर स्वयं भी उस दूब को अपनी पगड़ी में रखकर, गाँव के भीतर प्रवेश करें तो वहाँ हर प्रकार का आराम उपलब्ध होगा। मनचाही वस्तु मगाने का मन्त्र मन्त्र- 'ॐ नमो देवलोक देवख्या देवी · जहां बसे इस्माइल जोगी, छप्पन भैरू हनुमन्त वीर, भूत, प्रेत, दैत्य कू सारा मुगावे, पराई माया लावे, लाडू पेड़ा, बरफी सेव सिंघाड़ा ढांहव का पत्ता माँ मिश्री, घेवर लौंग डोढ़ा इलायची दाणा, तले देवी किल किले ऊपर हनुमत गाजे, इतनी वस्तु चाहीं वस्तु न लावे तो तेतीस कोटि देवता लाजें, मिर्च जावित्री, जायफल हडर बाहड बादाम छुआरा मुफएँ रामवीर तो बता देव से, लछमन वीर पकड़ावे हाथ, भूत प्रेत को चलावे हाथ हनुमन्त वीर लंका कू धाया, भूत प्रेत को साथ चलाया, चाही वस्तु चली आवे, हनुमन्त वीर को सब कोई गावें सौ कोसाँ की वस्तां लादे, न लावे तो एक लाख अस्सी हजार पीर पैगम्बर लजावें ।" साधन एवं प्रयोग-विधि गांव के बाहर जो कुआँ हो वहाँ जाय। कूप में बैठकर हनुमानजी की मूर्ति बनायें। मूर्ति के मुख के आगे दीपक धरें, धूप जलावें तथा मन्त्र जपें । ७ दिन तक ढाई पाव का तथा २१ दिन तक सवा पाव का रोट का खांड़ सहित भोग रखें । बाद में उसे स्वयं ही खायें। जब आकाशवाणी हो, तब वर मांग लें तो जो मांगेगा, वही मिलेगा। - का For Private And Personal Use Only Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २४१ अन्न की राशि उड़ाने का मन्त्र मन्त्र-"ॐ नमो हंकालू चौंसठ जोगिनी हंकालू बावन वीर कार्तिक अर्जुन कीर बुलाऊँ आगे चौंसठ वीर जल बंध बल बंध आकाश बंध पौन बंध तीन देश की दिशा बंध उतरें तो अर्जुन राजा दक्षिणें तो कार्तिक वीर्य राजा असमान तो बावन वीर गाजे नीचे तो चौंसठ चौंसठ जोगनी विराजें पीर तो पासि चल्यावें छपन्या भैरू रासि उड़ावें एक बंध अस्मान में लगाया दूजा बंध रास घर में ल्याया शब्द साँचा पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा सत्य नाम आदेश गुरू का।" साधन एवं प्रयोग-विधि दीपावली की रात्रि को वन (जंगल) में जाकर सुरसा की मैंगनी लेकर उन्हें ३१ बार उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर, जिस अन्न की राशि (ढर) पर उन्हें रखते हुए, घर लौट आया जायेगा, वह राशि खेत से उड़ कर मन्त्र साधक के घर चली आयेगी। दरिद्रता-नाशक मन्त्र मन्त्र-“याकवीयो या गनीयो या मलीये या वशीयो।" प्रयोग एवं साधन-विधि प्रातः काल किसी से बातचीत करने से पूर्व ही हाथ-मुंह धोकर एक बार 'विस्मिल्लाह' पढ़कर १२०० बार मन्त्र को पढ़ें तथा मन्त्र के आदिअन्त में २१-२१ बार दारूद पढ़े तो थोड़े ही समय में दरिद्रता दूर हो जाती है। दारूद का मन्त्र इस प्रकार है । ___"अल्लहुलसल्ल अला मुहम्मदित व अलाआल मुहम्मदिन ववारिक वसल्लिम् ।" For Private And Personal Use Only Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २४२ | शावर तन्त्र शास्त्र www.kobatirth.org पु सत्व नाशक मन्त्र मन्त्र – “ ॐ नमो आदेश गुरु को बाँधों अम्बर बाँधों तारा बाँधों रक्त बिन्दु की धारा ऊपर बांधे कामसैन तले बाँधे हनुमन्त पाँचों पंडू साख दें अमुका की काया बँधे हनुमन्त गुरु की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।" साधन विधि Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ग्रहण दीपावली अथवा होली के दिन १०००० की संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है । विशेष उक्त मन्त्र में जहाँ 'अमुका' शब्द आया है, प्रयोग के समय वहाँ साध्य व्यक्ति के नाम का उच्चारण करना चाहिए । प्रयोग-विधि मन्त्र शनिवार के दिन नीले रंग के धागे में नाड़ा टूटने की भाँति ७ गाँठ लगाकर उस पर १०८ बार मन्त्र का जप करके धूप दें । तदुपरान्त जिस पुरुष को नामर्द बनाना हो, उसकी खाट के पाये के नीचे उक्त अभिमन्त्रित गाँठ युक्त धागे को गाढ़ दें तो वह पुरुष नपुंसक ( नामर्द अर्थात् सन्तानोत्पत्ति के अयोग्य) हो जाता है। जब उस धागे को उखाड़ा जायेगा, तब उसे पुनः पुंसत्व शक्ति प्राप्त हो जायेगी । स्त्री के पैर चलाने का मन्त्र "ॐ नमो आदेश गुरू को काला कलुआ सक्त्या वीर, तलवा सिरसों चढ़े शरीर लटझाड़े मुहम्मद का रक्ता कलुआ पैर चलावे चलाय चलाय मसाणी कलुआ अमुकी चाटे हमारा तलुवा लगा के फूलतरां की साखी अमुकी चलती को खड़ी कर राखी । सत्त सत्त साहिब आदेश गुरु को ।" For Private And Personal Use Only Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २४३ विशेष- उक्त मंत्र में जहां-जहाँ 'अमुकी' शब्द आया है, वहां जिस स्त्री के के पैर चलाने हो, उसके नाम का उच्चारण करना चाहिए। साधन-विधि. पूर्वोक्त मन्त्र के अनुसार। प्रयोग-विधि ताँबे की सुई, नीले रंग का धागा और नीबू हाथ में लेकर दक्षिण दिशा की ओर मुह करके बैठे । अपने दोनों पांवों को पानी में रक्खे फिर बूप देकर, मन्त्र पढ़े। जब धागा टूटे, तब नीबू को डोरे में पिरोकर तथा दोवला में रखकर मोरी में गाढ़ दे। इससे साध्य-स्त्री के पैर चल उठेगे अर्थात् उसके गुप्ताङ्ग से रक्त बहने लगेगा । जब उसे मोरी के बाहर निकाला जायेगा, तब पैर थमेंगे अर्थात् खून बन्द हो जायेगा। उपद्रव नाशक मन्त्र मन्त्र-"घण्टाकारिणी महावीरी सर्व उपद्रव नाशनं कुरु-कुरु . स्वाहा।" साधन-विधि शुभ मूहूर्त में पहले पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठे। धूप. दीप नैवेध से पूजन करके ३५०० बार मंत्र का जप करें। फिर पश्चिम दिशा की ओर मुह करके गूगल को १००० गोलियों से प्रत्येक को उक्त मंत्र से अभिमंत्रित करते हुए अग्नि में डाले । इस विधि से नित्य ३ दिनों तक करते रहने से सब उपद्रव दूर हो जाते हैं तथा, सुख प्राप्त होता है। For Private And Personal Use Only Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यन्त्र-प्रयोग - यन्त्र-प्रयोग के विषय में जिस प्रकार शावर-मन्त्र शास्त्रीय मन्त्रों से भिन्न प्रकार के होते हैं. उसी प्रकार विभिन्न कामनाओं के पूरक लोक-यन्त्र भी शास्त्री यन्त्रों से अलग होते हैं । यद्यपि इन यन्त्रों का स्वरूप सामान्य अंकों से निर्मित होता है, तथापि इनका प्रभाव प्रत्यक्ष देखा गया है। प्रस्तुत प्रकरण में विविध कामनाओं के पूरक यन्त्रों का उल्लेख किया जा रहा है। जिन यन्त्रों के साथ लेखन-विधि का उल्लेख न हो, उन्हें भोजपत्र के ऊपर अष्टगन्ध अथवा केशर, कपूर, गोरोचन एवं लाल-चंदन अथवा इनमें से जो भी वस्तुएँ उपलब्ध हो सके, उनके द्वारा लिखना चाहिए। - लेखनोपरान्त प्रत्येक यन्त्र को धूप, दीप, पुष्प चन्दन आदि से पूजन करके निर्देशानुसार धारण करना चाहिए। यन्त्र धारण करने की विधि यह है कि त्रिलोह (सोना, चांदी, तांबा), अष्ट धातु, चाँदी अथवा केवल तांबे के बने हुए ताबीज में यन्त्र भरकर पुरुष को उसे अपनी दाई भुजा में धारण करना चाहिए । जो लोग यन्त्र को भूजा में धारण न कर सकें, वे चाहे स्त्री या पुरुष हों अथवा बालक-यन्त्रपूरित ताबीज को काले डोरे में पिरो कर कण्ठ में भी धारण कर सकते हैं। (बवासीर) अश-नाशक यन्त्र . .... . .... .... .. .. आगे प्रदर्शित यन्त्र को लाल चन्दन और केशर से भोज पत्र पर लिखकर तथा ताबोज में भर कर धारण करने से खूनी तथा वादी दोनों प्रकार के अर्श (बवासीर) रोग दूर होते हैं । For Private And Personal Use Only Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 2 ४५ tr ६ ४८ १३ 24 r www.kobatirth.org て ४ १५. Co. ४२ C દ २ ७ नीचे प्रदर्शित यन्त्र को स्याही से कागज पर लिखकर तथा उसे 5 २१ 8 ४६ ५ ताबीज में भरकर धारण करने से 'मसान' रोग दूर होता है। १० ( अर्थ - नाशक यन्त्र ) मसान- रोग नाशक यन्त्र 6€ La १४ ४६ { Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २४५. ३. ४३ ( मसान - रोग नाशक यन्त्र) For Private And Personal Use Only far १७ 123 22 ૨૦ २४ Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४६ | शावर तन्त्र शास्त्र शीतला-साधक यन्त्र ........ ...... . .... नीचे प्रदर्शित यंत्र को लाल या सफेद चंदन एवं केशर द्वारा भोजपत्र पर लिखकर जिस व्यक्ति को शीतला (चेचक) निकली हो, उसकी भुजा में बाँध देने से शीतला रोग अधिक जोर नहीं करता , फलतः रोगी के कष्ट में कमी आ जाती है। १ २१६६ १२ २ १२६८ - - ६ ३१०१ ३ ३१७ (शीतला-साधक यन्त्र) स्त्री उदर-पीड़ा नाशक यन्त्र १५ ११ -- - १४ साथ में प्रदर्शित यन्त्र को भोजपा के ऊपर चन्दन तथा केशर से लिखकर कण्ठ अथवा 12२ भुजा में बाँध देने से स्त्री के पेट में दर्द नहीं होता। जिस समय स्त्री के पेट में दर्द नहीं हो रहा हो। उसी समय यह यन्त्र बांधना चाहिए। १६ 20 ६ । १० २६ (स्त्री उदर-पीड़ा नाशक यन्त्र) For Private And Personal Use Only Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २४७ स्त्री का ऊपरी भय नाशक यन्त्र ..... .... ........ .... नीचे प्रदर्शित यन्त्र को भोजपत्र पर लाल चन्दन से लिखकर स्त्री की वाई भुजा या कंठ में बांध देने से उसे ऊपरवासियों का भय नहीं होता। - २ ४ (स्त्री का ऊपरी भय नाशक यन्त्र) स्वप्न-भय नाशक यन्त्र यदि किसी बालक को डरावने स्वप्न दिखाई देते हों जिनके कारण वह चौंककर जग जाता हो तथा भय के कारण रोने लगता हो तो नीचे प्रदर्शित यन्त्र को लाल चा न द्वारा भोजपत्र पर लिखकर उसे कच्चे सूत - योफतायाफता याफता याफा यकता याकता याकता याफता याफता याकता याफता याफता या फता याफता याफता या फता - ( स्वप्न भय नाशक यन्त्र ) For Private And Personal Use Only Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४८ ! शावर तन्त्र शास्त्र में लपेट कर अथवा ताबीज में भरकर बच्चे के गले में बांध देना चाहिए। इससे उसे डरावने तथा खराब स्वप्न आने बन्द हो जायेंगे। गाकिनी-उच्चाटन मन्त्र मन्त्र-ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं मसान। ॐ टं लीं श्रीं ह्रीं ह्रीं ॐ शत्रु ॐ टं लीं टं लीं टं ली राजा वश्यः । ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं ॐ लक्ष्य । ॐ श्री श्रीं श्रीं ॐ पुत्रः हे तौः ह्रीं श्रों टं लीं।" प्रयोग-विधि ... इस मन्त्र को १०८ बार पढ़-पढ़कर झाड़ा देने से डाकिनी का उच्चाटन होता है। सौभाग्य-वृद्धि कर यन्त्र नीचे प्रदर्शित यन्त्र को अष्ट गंध द्वारा भोजपत्र पर लिखकर मस्तक पर धारण करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है * Mok ६६३ ५ ( सौभाग्य वृद्धि का यन्त्र ) For Private And Personal Use Only Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २४६ बाल-रोग-बाधा हर यन्त्र नीचे प्रदर्शित यन्त्र को भोजपत्र के ऊपर लालचन्दन या केशर से मिलकर बालक के गले में बांध देने से उसे रोग सम्बन्धी सभी बाधाओं से छुटकारा मिल जाता है, अर्थात् वह सदैव निरोग तथा स्वस्थ बना रहता है। - - ३३ ३२ । २७ ३३ ६६ ३७ ३७ । ४६६७ 30 (बाल-रोग-बाधा हर यन्त्र ) उदर-शूल-नाशक यन्त्र नीचे प्रदर्शित यन्त्र को किसी स्लेट या कागज पर लिखकर, फिर उसे पानी से धोकर, उस पानी को पी लेने से पेट का दर्द दूर हो जाता है। । सुवार १६ । २ २. | ५१ Ro अप्ज मलना ( उदर-शूल-नाशक यन्त्र ) For Private And Personal Use Only Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २५० शावर तन्त्र शास्त्र श्री हनुमत् प्रसन्न यन्त्र | नं द . साथ में दिये यंत्र को भोजपत्र अथवा कागज के ऊपर अष्टगंध द्वारा सवा लाख की संख्या में लिखने से हनुमान जी प्रसन्न होकर साधक की समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं । लेखनोपरान्त यन्त्र का धूप, दीपादि से पूजन भी करना चाहिए। . . - - S. भ. 4. POM - - 32 (श्री हनुमत्-प्रसन्न यन्त्र ) धु त-विजयप्रद यन्त्र २५॥ २३/ २३॥ ३२॥20॥ ३५॥३६॥ __साथ में दिये यन्त्र को अष्टगंध द्वारा भोजपत्र पर लिखकर धूप, दीप, पुष्पादि से पूजन करें, तदुपरान्त इसे ताबीज में भरकर दाई भुजा में बाँध लें और जुआ खेलें तो जुए में जीत होती है। | 20 २६। M५॥ ४॥ .. (धूत-विजयप्रदं यन्त्र) For Private And Personal Use Only Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २५१ फल-वृद्धि कारक यन्त्र |८७ ६४ २ । साथ में दिये यन्त्र को भोजपत्र अथवा कागज के ऊपर जंभीरी नीबू के रस से लिखकर धूप, दीप देने के उपरान्त अनार के वक्ष पर बांध देने से उसमें अनार अधिक सख्या में लगते हैं। | 2 ९३.८८६० - १ अन्य फल देने वाले वृक्षों पर भी यदि इस यन्त्र ५ । ६ । ८६ को बाँधा जाय तो उनमें अधिक फल लग उठेगे। .( फल-वृद्धि कारक यन्त्र) दुग्ध-वृद्धि कारक यन्त्र .. .... .... .. .. .... .... .... .... . . २८ ३५ - - - - ३२ | ३१ साथ में दिये यन्त्र को केशर, गोरोचन अथवा कुंकुम द्वारा भोजपत्र के ऊपर लिखकर पूजनोपरान्त गूगल की धूप देकर गाय के गले में अथवा भैंस के सींग में बाँध देने से वह बछड़े को लगाने तथा . अधिक दूध देने लगती है। | २६ ८ । १ । ३० ३१ ( दुग्ध-वृद्धि कारक यन्त्र ) For Private And Personal Use Only Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २५२ | शावर तन्त्र बास्त्र सर्व जन-वशीकरण यन्त्र) ६१ ६२ | २ । ६५ ६४ सामने दिये यन्त्र को कुकुम तथा सिन्दूर द्वारा लोटे के निचले भाग में लिखें, फिर उस लोटे में पानी भर कर, जिसे पिलायेंगे वह पानी पिलाने वाले के वशीभूत हो जाएगा। लोटे पर यन्त्र लिखने के बाद धूप-दीपादि से उसका पूजन कर लेना आवश्यक है। |६७ ६२ | ६ ६३६६ 3E ( सर्वजन-वशीकरण यन्त्र ) स्त्री-वशीकरण यन्त्र . ..... .... ...: नीचे प्रदर्शित यन्त्र को केशर द्वारा अपने दाये हाथ की हथेली पर लिखकर, सात दिनों तक साध्य स्त्री को प्रतिदिन दिखाते रहने से वह साधक (यन्त्र-लेखक) के वशीभूत हो जाती है। ५७.६४ | २ ६१ ५. | ६ 30 (स्त्री-वशीकरण यन्त्र ) For Private And Personal Use Only Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २५३ पति-वशीकरण यन्त्र नीचे प्रदर्शित यन्त्र को प्याज के रस द्वारा रोटी पर लिखकर उसे पति अथवा किसी भी पुरुष को खिला देने से वह स्त्री के वशीभूत हो जाता है। 22 ६ | ३ | १६ ५१ - - २५ | ५० ५ ७० २४ (पति-वशीकरण यन्त्र) पत्नी-वशीकरण यन्त्र . ... .... .... .. । ४४२ - - सामने दिरे यन्त्र को अपने मुह के पान की पीक द्वारा पान के पत्ते पर लिख कर उसे अपनी पत्नी अथवा किसी अन्य स्त्री को खिला दिया जाता है। वह पान खिलाने वाले पुरुष के वशीभूत हो जाती है। ४३ | ३८ ३६ . यह यन्त्र पुष्प नक्षत्र में ही लिखना चाहिए। (पत्नी-वशीकरण यन्त्र) For Private And Personal Use Only Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २५४ | शावर तन्त्र शास्त्र ___ शत्रु-वशीकरण यन्त्र नीचे प्रदर्शित यन्त्र को हल्दो द्वारा नगाड़े पर लिखकर, उस नगाड़े को शत्रु का नाम लेकर बजाने से शत्रु वशीभूत हो जाता है। ३४ २ ७ | ३ ३१ | ३० - - ३३ २८ | ६ | १ २४२३ . ५२ (शत्रु-वशीकरण यन्त्र) रोजी-पाने का यन्त्र नीचे प्रदर्शित यन्त्र को शुक्ल पक्ष में कांसे के पात्र पर लाल-चन्दन से लिखकर अपने पास रखने से रोजगार की उपलब्धि होती है । (रोजी-पाने का यन्त्र) For Private And Personal Use Only Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २५५ कान की पीड़ा का यन्त्र .. .. .. .. .. .... """"" - सामने दिये यन्त्र को स्याही द्वारा कागज पर लिखकर कान पर बाँधने से कान की पीड़ा दूर हो जाती है। क ज: हः | 2: दः ५४ ___ (कान की पीड़ा का यन्त्र) सर्वतोभद्र यन्त्र ........... ... .... नीचे प्रदर्शित यन्त्र को कस्तूरी, लाल चन्दन तथा हिम--इन वस्तुओं द्वारा भोज-पत्र के ऊपर लिखकर, धूप, दीपादि से पूजन करें तथा ब्राह्मण को भोजन कराकर उन्हें धन-वस्त्रादि से सन्तुष्ट करें। फिर यन्त्र को त्रिलोह (सोना, चाँदी, तांबा) के ताबीज में भरकर, अपनी भजा अथवा कण्ठ में धारण करें तो सब प्रकार के छल-छिद्र, भय, कष्ट नष्ट होते हैं। . आ| इ - - | अं अः 32 (सर्वतोभद्र यन्त्र) For Private And Personal Use Only Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २५६ | शावर तन्त्र शास्त्र भूत-प्रेतादि-भय नाशक यन्त्र नीचे प्रदर्शित यन्त्र को केशर द्वारा कागज पर लिखकर घर में रखने से भूत, प्रेत, डाकिनी शाकिनी आदि का भय दूर होता है तथा यन्त्र वाले घर में सर्प नहीं आता। ८० ८० ८४ | ८३ ८६ ८१ ८ । ४ ५ | ८२ | ८५ ३र (भूत-प्रेतादि-भय नाशक यन्त्र) भूत-प्रेत-त्रासन यन्त्र सामने दिये यन्त्र को नये वस्त्र पर खड़िया से लिखकर, उसका पुष्प धूप, दीप, फल आदि से पूजन करें, फिर उसे धूलि से ढंक कर खैर के कोपलों की अग्नि के ऊपर रखकर जलायें तो भूत रोता कांपता हुआ स्वग्रस्त व्यक्ति को छोड़कर तुरन्त भाग जाता है। इस यन्त्र के प्रयोग से प्रेत, ही ही ही ही पिशाच, डाकिनी, शाकिनी, ब्रह्मराक्षस आदि भाग जाते (भूत-प्रेत-त्रासन यन्त्र) For Private And Personal Use Only Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सामने दिये यन्त्र को असगन्ध द्वारा भोजपत्र के ऊपर लिखकर घर में रखने से वहाँ भूत प्रेतादि के उपद्रव का भय नहीं रहता । इसी यन्त्र को चाँदी की तश्तरी में श्मशान की मिट्टी (राख) से लिख कर उस तश्तरी को यदि भूत-ग्रस्त रोगी के मस्तक पर रखकर तालाब में फेंक दिया जाय तो भूत उसे छोड़ कर भाग जाता है। ५६ یا ७६ 9 www.kobatirth.org भूत-प्रेत- निष्कासन यन्त्र Co ८५ र्ट् ८० L १२ ६ | ६० | ६२ १३ ४ | १८ | ६१ बलाय दूर करने का यन्त्र नीचे प्रदर्शित यन्त्र को चन्दन द्वारा भोज-पत्र के ऊपर लिखकर, ५७ ૬ ४५ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २५.७ ( भूत-प्रेत-निष्कासन यन्त्र ) ३६ € ५६ ६€ २८ ५ .७५ For Private And Personal Use Only र्ट ४३ ८ ५४ ५८ ४२ ४० (बलाय दूर करने का यन्त्र) विधि पूर्वक पूजन करें, तदुपरान्त उसे घर में गाढ़ दें तो सब प्रकार की बलाय (ऊपरी व्याधियाँ) दूर हो जाती हैं ! Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सामने प्रदर्शित यन्त्र को कुकुम, केशर तथा चन्दन द्वारा, विदाल की कलम से, भोजपत्र के ऊपर लिखकर, पूजनोपरान्त प्रेत ग्रस्त व्यक्ति के कण्ठ में बाँध देने से प्रेत भाग जाता है तथा रोगी ठीक हो जाता है । २५८ | शावर तन्त्र शास्त्र इसी यन्त्र को लाल चन्दन द्वारा कागज पर लिखकर, धूप-दीप देकर गले में बाँध देने से मसान का भय दूर हो जाता है । प्रेत- दूरीकरण यन्त्र £2 ६ ff ४ ३ ईट £3 ५ २ www.kobatirth.org £& £8 SI 205 ॐ १८ £ Co €५ ८ ce इफतरा - ज्वर नाशक यन्त्र E6 (इकतरा-ज्वर नाशक यन्त्र) ॐ ह्रीं ४४ ६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्वं यं ३ क्र (प्रेत- दूरीकरण यन्त्र) For Private And Personal Use Only ८ २ ५७ क्लीं 2 ४३ सामने प्रदर्शित यन्त्र को एक ठीकरी पर लाल चन्दन से लिखकर रोगी की भुजा में बांध देने से इकतरा ज्वर दिन छोड़कर आने ( एक वाला बुखार) दूर हो जाता है । Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २५६ नजर न लगने का यन्त्र नींचे प्रदर्शित यन्त्र को लाल-चन्दन से भोजपत्र के ऊपर लिख कर; पूजनोपरान्त ताबीज में भर कर बालक के गले में बाँध देने से उसे नजर नहीं लगती। ३५ । ७ । ३५ ३७ ८५ (नजर न लगने का यन्त्र) शीत ज्वर-नाशक यन्त्र ... ... सामने प्रदर्शित यन्त्र को किसी शुभ मुहर्त में भोजपत्र के ऊपर लिखकर, धूप-दीप देने के बाद, रोगी के गले में बांध देने से शीत-ज्वर दूर हो जाता है। ४ । - ४६. (शीत-ज्वर नाशक यन्त्र) For Private And Personal Use Only Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २६० | शावर तन्त्र शास्त्र www.kobatirth.org सर्वकार्य सिद्धिदाता यन्त्र ******* ४ १ 222 10 नीचे प्रदर्शित यन्त्र को अष्टगन्ध द्वारा भोजपत्र अथवा कागज के ऊपर सवा लाख की संख्या में लिखकर धूप-दीपादि से पूजन करने से साधक के सभी कार्य सिद्ध होते हैं । 2 ७ | ३ το ८४ ← 2 ५ ६ ८४ (सर्वकार्य सिद्धिदाता यन्त्र) राज-सम्मान पद यन्त्र ५० ८४ सामने प्रदर्शित यन्त्र की ४४ ५१ भोजपत्र के ऊपर अष्ठ गन्ध अथवा केशर से लिखकर धूपदीप दें तथा पूजन करके ताबीज में भरें । फिर उस ताबीज को अपने कण्ठ अथवा भुजा में धारण कर राजसभा में जाने से वहाँ सम्मान प्राप्त होता है । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६ ३ ४७ ८७ ४५ ४ For Private And Personal Use Only કછ २ ४० BE [ राज-सम्मान पद यन्त्र) ७ て 2 2 ४७ ४८ ४८ Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org घर से गये मनुष्य को लौटाने का यन्त्र ६ ३ नीचे प्रदर्शित यन्त्र को अपनी मध्यमा अंगुली द्वारा पानी में लिख कर, पानी के ऊपर कोड़ा मारने से, घर से रूठ कर अथवा भाग कर गया हुआ मनुष्य शीघ्र वापिस लौट आता है । ६२ ६-६ ६८ ६३ ४ ५ २ ૬૪ ६८ ६५ ८ | १ L सुख- प्रसव यन्त्र Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ******* शावर तन्त्र शास्त्र | २६१ जथवा सामने प्रदर्शित यन्त्र को भोज-पत्र कागज के ऊपर लाल-चन्दन अथवा केशर से लिखकर प्रसूता स्त्री को दिखाने से उसे सुख पूर्वक प्रसव होता है । ४१ ( घर से गये मनुष्य को लौटाने का यन्त्र ) .W ६ For Private And Personal Use Only १२ ६७ ६ 20 १४ ( सुख- प्रसव यन्त्र) p १८ ४ ५५ Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २६२ | शावर तन्त्र शास्त्र बाल- ज्वर नाशक यन्त्र www.kobatirth.org *............................. ५६ नीचे प्रदर्शित यन्त्र को श्मशान की ठीकरी पर धतूरे के रस से लिख कर कृष्णपक्ष की अष्टमी अथवा चतुर्दशी के दिन, पूजन करके श्मशान में गाढ़ देने से बालकों का ज्वर तत्काल उतर जाता है । इस यन्त्र को बालक 'के गले में बाँधने से भी उसका ज्वर उतर जाता है । 1. みて ov १ २० ३८ ................. ६२ ४४ ४€ १४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५६ ( बाल - ज्वर नाशक यन्त्र) For Private And Personal Use Only Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मन्त्र गणना (उपयुक्त मन्त्र का चयन कैसे करें ?) लेखक-डा. वाई. डी० गहराना विवाह से पूर्व वर कन्या के सम्बन्धों के भविष्य के बारे में गणना करना जितना जटिल होता है उतना ही संवेदनशील और जटिल कार्य किसी व्यक्ति के लिए मन्त्र का चयन करना है । आप देखेंगे कि एक ही प्रकार के कार्य के लिए अनेकों मन्त्र दिये जाते हैं। ये सभी मन्त्र प्रत्येक व्यक्ति के लिए उपयुक्त नहीं होते। बाजार में बीसियों प्रकार के टॉनिक उपलब्ध होते हैं परन्तु प्रत्येक टॉनिक हर एक रोगी के लिए उपयुक्त नहीं होता । डाक्टर औषधि-संयोजन का ध्यान रखते हए ही रोगी को किसी विशेष टॉनिक को लेने की सलाह देता है। इसी प्रकार शब्द संयोजन का ध्यान रखते हुए ही गुरु किसी मन्त्र का उपदेश करता है। मन्त्र के चयन, मन्त्रा की दीक्षा और मन्त्र की साधना-इन तीनों में से किसी कार्य में भी थोड़ी सी असावधानी हो जाने पर सिद्धि नहीं मिलती है। मन्त्र का चयन 'मन्त्र-गणना' के आधार पर किया जाता है। अच्छा यह होगा कि मन्त्र गणना की बात करने से पूर्व मन्त्रों के प्रभाव की वैज्ञानिक प्रक्रिया को समझ लिया जाय- . आज के विज्ञान का आधुनिकतम यन्त्र रैडार है। इसमें एक एन्टिना होता है, जिसके द्वारा रेडार अपनी तरंगों को आकाश में प्रसारित करता है। कुछ तरंगें आकाश में उड़तो हुई वस्तु से टकराकर वापस आती हैं जों पुनः रडार के उसी एन्टिना द्वारा ग्रहण कर ली जाती हैं, जिन्हें रडार में विशेष प्रक्रियाओं द्वारा पर्दे पर देखा जाता है और इस प्रकार आकाश में उड़ते हुए वायुयान. बादल आदि की दूरी, दिशा, ऊँचाई आदि की गणना रडार द्वारा कर ली जाती है। यदि हम अपने मन्त्र विज्ञान पर ध्यान दें तो ऐसा आभास होगा कि शायद हमारे मन्त्र विज्ञान का रहस्य जान लेने के बाद ही रडार का निर्माण हुआ है । . मानव के अन्दर जो चैतन्य सत्ता है उसे विद्वानों वे "आत्मा" कहा For Private And Personal Use Only Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २६४ ! शावर तन्त्र शास्त्र कहा है, जो स्वयं तरंगोत्पादक' होता है । जैसे रेडार के अन्दर ट्रान्समीटर तरंगोत्पादक होता है। यह तरंगें यदि किसी विशेष दिशा की ओर प्रसारित न की जाये तो व्यक्ति के चारों ओर एक घेरे में फैल जाती हैं। इसे आप ऐसे समझ सकते हैं जैसे कि एक टार्च के ऊपर से उसका रिफ्लक्टर उतार देने से बल्ब का प्रकाश इतना कम होता है कि पास पड़ी हुई वस्तु भी कठिनाई से दिखाई दे पाती है क्योंकि टाचं का प्रकाश चारों ओर बिखर जाता है। यही प्रकाश जब रिफ्लेक्टर लगाकर एक विशेष दिशा की ओर फोकस किया जाता है तो बहुत दूर की वस्तु भी हमें स्पष्ट दृष्टिगोचर हो जाती है । जिस तरह से टार्च में प्रकाश-शक्ति है, उसी तरह से व्यक्ति मात्र में "आत्मिक शक्ति" है इसे फोकस करना सीखने के लिए Concentration एकाग्रता (ध्यान) का अभ्यास करना होता है । एकाग्रता हमारी जितनी अच्छी होगी, आत्मिक शक्ति उतनी ही अच्छी फोकस हो सकेगी। यदि आपकी टार्च का फोकस यन्त्र अर्थात रिफ्लेक्टर चमकदार न हो तो टार्च का प्रकाश कैसा होगा, यह आप समझ ही सकते हैं। यदि Concentration एकाग्रता (ध्यान) के इष्टअभ्यास द्वारा अपनी आत्मिक तरंगों को फोकस करना सीख लेने के पश्चात प्रश्न उठता है कि फोकस किये हुयं शक्तिपूज को विशेष दिशा में कैसे प्रसारित किया जाय ? यह दिशा बोध 'इष्ट' की कल्पना मूति द्वारा होता है। इष्ट से तात्पर्य है --एक विशेष कल्पना मूर्ति, जिसके ध्यान से आत्मिक तरगों को एक विशेष दिशा मिलती है। यदि यह 'इष्ट' आपकी 'मां है तो आपकी मां की ओर आपकी आत्मिक-शक्ति तरंगें प्रवाहित हो जायेंगी। यदि 'इष्ट' बहन है तो उस ओर तरंगें जा टकरायेंगी। यदि कोई और दूरस्थ वस्तु है तो तरगें उसकी ओर पहुच जायेंगी और उसकी कार्य प्रणाली में अवरोध पैदा करेंगी (लोक-व्यवहार में भो आपने किसी की आँख फड़कने पर या हिचकियाँ आने पर यह कहते सुना होगा कि अमुक व्यक्ति का नाम लेने पर ही हिचकियाँ बन्द हुई हैं, वही मुझे याद कर रहा है-यह इन्हीं 'जी-रेज' की करामात होती है)। तात्पर्य यह है कि व्यक्ति विशेष के रूप का ध्यान करने से तरंगें उस दिशा में गमन करने लगती हैं। इसी सिद्धान्त को थोड़ा और आगे बढ़ाने पर हम देखेंगे कि विभिन्न मूर्तियों की कल्पना करके हम • अपनी तरंगों को मंगल, शुक्र आदि विभिन्न ग्रहों की ओर प्रसारित कर सकते हैं । जैसा कि मैंने रडार प्रणाली के सिद्धान्त के बारे में कहा था-इन ग्रहों से टकराकर लौटने वाली तरंगों का उपयोग हम अपने लाभ के लिए कर सकते हैं। यह विशेष मूर्ति (इष्ट) वास्तव में पृथ्वी पर पैदा हुए हों, यह आवश्यक नहीं है। यहाँ पर आवश्यक केवल इतना है कि किस इष्ट का ध्यान करने से हमें क्या परिणाम मिलता है ? जैसे हनुमान का ध्यान करने For Private And Personal Use Only Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २६५ से हमें बल पराक्रम मिलता है, जो मंगल ग्रह की विशेषता है । तात्पर्य यह है कि हनुमानजी का विशेष प्रकार वर्णित रूप में ध्यान करने पर हमारी आत्मिक शक्ति मंगल ग्रह की दिशा में गमन करती है। अब प्रश्न यह है कि शक्ति मंगल तक पहुंचे कैसे ? दिशा का निर्णय तो इष्ट ने कर दिया; दूरी का निर्णय कौन करे। यह निर्णय मन्त्र की जप संख्या और लय पर निर्भर करता है। ऋषियों ने बहुत काल की शोध के उपरान्त अपने विशेष निर्णयों के आधार पर मन्त्रों की जप संख्या निर्धारित की है। मान लीजिये हनुमानजी के किसी विशेष मन्त्र की जप संख्या ६ लाख है। इसका तात्पर्य है कि हनुमानजी के व्यक्त-रूप' का ध्यान करते हुए उस मन्त्र का ६ लाख बार जप किया जाय तो हमारी आत्मिक शक्ति मंगल ग्रह पर पहुंच जायगी। वहाँ से टकराकर जो तरंग पृथ्वी पर वापस आयेंगो वे मंगल ग्रह की शक्ति से प्रभावित रहेंगी और हमें मंगलीय शक्ति प्राप्त हो सकेगी। ग्रह-प्रभावित शक्ति-तरगों का उपयोग विभिन्न प्रकार के कर्म बन्धनों को काटने में सहायक होता है। जो कर्म हम करते हैं उनके आधार पर उत्पादित भावनाओं का एक आवरण आत्मा के ऊपर अच्छादित हो जाता है, जो कर्म बन्धन कहलाता है । इस प्रकार के लाखों करोड़ों कर्मबन्धन एक-एक आत्मा पर होते हैं । आत्मा स्व प्रकाशित शक्ति स्रोत है, जिसमें से शक्ति तरंगें अनवरत रूप से प्रसारित होती रहती हैं। कमबन्धन की कार्यप्रणाली को समझने के लिए एक और उदाहरण लीजिये-आप सौ-सौ वाट के तीन बल्ब लीजिये; अब एक बल्ब पर एक हजार पारदर्शी प्लास्टिक के आवरण लपेट दोजिये । दूसरे बल्ब पर दो सौ आवरण लपेटिये और तीसरे बल्ब को ऐसे ही रहने दीजिये। अब तीनों बल्ब जलाकर उनकी प्रकाश शक्ति का अवलोकन कीजिये। आप पायेंगे कि तीनों बल्बों के प्रकाश में अन्तर आ जायगा; अर्थात तीनों बल्व की प्रकाश-शक्ति में अन्तर होगा, जबकि वास्तव में तीनों बल्बों की 'प्रकाश-शक्ति' एक जैसी (सौ वाट) ही है। इसी प्रकार प्रत्येक आत्मा की अन्दर की शक्ति एक ही है परन्तु विभिन्न आवरणों के कारण प्रत्येक जीव को आत्मिक शक्ति में अन्तर हो जाता है। अब किसी ब्लेड द्वारा धीरे से सौ-सौ आवरण दोनों बल्वों के ऊपर से काट दीजियं । आप देखेंगे कि बल्ब की प्रकाश-शक्ति बढ़ जाती है; फिर सौ-सौ आवरण और काटिये, प्रकाश-शक्ति और बढ़ जायगी, साथ ही दूसरे नम्बर का बल्ब पूर्ण For Private And Personal Use Only Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २६६ | शावर तन्त्र शास्त्र www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शुद्ध हो जायेगा । इसी प्रकार आत्मा पर लगे आवरणों को काटने का काम विभिन्न ग्रहों से प्राप्त शक्ति-तरंगें करती हैं। यूँ तो प्रत्येक ग्रह अपनी 'क्षमता और पृथ्वी से दूरी के आधार पर अपनी तरंगों से आत्माओं को प्रभावित करता है, परन्तु किसी ग्रह का विशेष प्रभाव लेने के लिए हम स्वयं अपनी शक्ति-तरंगें भेजकर उस ग्रह की प्रभाव शक्ति को किसी भी समय प्राप्त कर सकते हैं, चाहे वह ग्रह उस समय पृथ्वी के पास हो अथवा दूर । ग्रह से टकराकर लौटने वाली आत्मिक शक्ति की तरंगें बहुत कुछ तो इधर-उधर बिखर जाती हैं। बहुत थोड़ी तरंगें पृथ्वी तक आ पाती हैं, जो विभिन्न जीवों पर विकीर्णित होती हैं । परन्तु दूसरे जीव उसका लाभ स्पंदनांतर (Frequency Difference) के कारण नहीं ले पाते । प्रत्येक आत्मा की शक्ति उसके ऊपर आच्छादित आवरणों के आधार पर अलग-अलग प्रकार की होती है इसलिए प्रत्येक आत्मा से निकलने वाली तरंगों के स्पंदनों (Frequency) में अन्तर होता है । जिस फ्रीक्वेन्सी की आत्मा ने तरंगें प्रसारित की हैं कि उसी फक्विन्सी की आत्मा उन्हें पुनः ग्रहण कर सकती है, अन्य नहीं । यह एक विज्ञान सम्मत सिद्धान्त हैं । हमारे चारों और विभिन्न प्रकार की फ्रीक्वेन्सियों में कई प्रकार की तरंगें फैली हुई हैं। इन तरंगों को पकड़ने के लिए विभिन्न फोक्वेन्सी की वेवलेंग्थ की लम्बाई के एरियलों की आवश्यकता होती है । हमारे शरीर पर अलगअलग लम्बाई के बाल पाये जाते हैं, जो विभिन्न प्रकार के क्वार्टर लम्डा (^ / ४) हाफ लम्डा (112) ऐरियलों का काम करते हैं । तपस्वी लोग इन एरियलों के महत्व को समझते थे; अत: इन्हें प्राकृतिक आवश्यकता के अनुरूप ही बढ़ने देते थे, कटवाते नहीं थे। साथ ही तपस्या के समय सिर पर कपड़ा बाँधते थे, जिससे अर्जित ऊर्जा इधर-उधर बिखरें नहीं। आज भी उसी परम्परा में लोगों को आप धार्मिक कार्य करते समय सिर को कपड़े से ढके हुए देख सकते हैं हालांकि वे इसका वैज्ञानिक आशय नहीं समझते । तात्पर्य यह है कि ग्रह से लौटकर आने वाली तरंग हमारे बालों द्वारा आत्मा तक पहुंचती हैं और आत्मा पर आच्छादित कर्म बन्धनों के आवरणों को काटती हैं। ज्यों-ज्यों कर्मबन्धन कटते जाते हैं, व्यक्ति की आत्मिक शक्ति बढ़ती जाती है । यह बात तो हुई आध्यात्मिक मंत्रों की अब सांसारिक मंत्रों की बात सुनिये । प्रक्रिया बड़ी सरल है- अभी हम कहकर आये हैं कि इष्ट की मूर्ति For Private And Personal Use Only Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २६७ बदलने से तरंगों की दिशा बदलती जाती है लोक व्यवहार में आपने देखा। होगा कि किसी की आँख फड़कती है या हिचकियां आती हैं तो वह एक-एक करके अपने सम्बन्धियों का नाम लेता है (उनके रूप का ध्यान करता है) जिस सम्बन्धी का नाम लेने से वह विकार बन्द हो जाता है, वही याद कर रहा है, ऐसा माना जाता है-होता यह है कि जब आप किसी व्यक्ति को याद करते हैं तो आपकी आत्मिक-शक्ति उस व्यक्ति को सामान्य रूप से प्रसारित हो रही, आत्मिक-शक्ति के सामान्य प्रसारण में अवरोध पैदा करती है: जिसका प्रभाव शरीर के कोमलतम तन्तुओं पर पड़ता है, जिससे विभिन्न स्वाभाविक क्रिया-कलापों में अन्तर पड़ता है, जो हिचकी या फड़कन आदि के रूप में हमें अनुभव में आता है। जब वह व्यक्ति, याद करने वाले व्यक्ति का नाम लेता (ध्यान करता है तो वह व्यक्ति याद करने वाले व्यक्ति की दिशा में अपनी आत्मिक-शक्ति फोकस करता है, जिससे उसके द्वारा पंदा अवरोध समाप्त हो जाता है, क्योंकि इससे "मोड ऑफ फ्रीक्वेन्सी" समान हो जाती है। इस सबके लिये किसी मंत्र जाप की आवश्यकता नहीं होती, यह सामान्य ध्यान का ही कमाल होता है। अब यह बात तो उस विषय में लागू हई जहाँ याद करने वाला और जिसे याद किया जा रहा है इन दोनों में प्रतिरोध नहीं है लेकिन सम्बन्धित हैं। जहाँ सम्बन्ध नहीं हैं या प्रतिरोधी सम्बन्ध हैं वहाँ अपेक्षाकृत जटिल प्रक्रिया अपनानी पड़ती है। अपनी आत्मिक-शक्ति को हम किसी कायं विशेष के लिये जितनी देर तक पुजीभूत करना चाहते हैं, उतनी ही अधिक संख्या में हमें मंत्र जाप करना होता है। कुछ सांसारिक कार्य ऐसे होते हैं, जहाँ पर ग्रहों की शक्ति का उपयोग होता है-शिव, हनुमान, भैरव, शनि आदि की साधनाओं में ग्रहों की शक्ति का उपयोग होता है इसलिये ये साधनायें अपेक्षाकृत अधिक जप आदि चाहती हैं। तात्पर्य यह है कि जैसे कार्य की अमेक्षा है उसी अनुपात में साधना का विधि-विधान, ध्यान, जप आदि क्लिष्ट होता है। इसी आधार पर षट कर्मों की साधना विधि का निर्माण हुआ है चाहे वह साधना शुद्ध शास्त्रीय तन्त्र विद्या की हो अथवा शाबर-तन्त्र जैसी लोकाचार पद्धति की साधना हो। 'तांत्रिक विधि हो क्यों ? .' यहाँ एक प्रश्न उठता है कि मंत्र के देवता की पूजा तांत्रिक विधि से ही क्यों की जाय? For Private And Personal Use Only Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २६८ | शावर तन्त्र शास्त्र शास्त्रीय मान्यता के अनुसार- सतयुग में वेदों में वर्णित विधि से, त्रेता में मनुस्मृति में दी गई विधि से, द्वापर में पुराणों में दी गई विधि से और कलियुग में तंत्रोक्त विधि से पूजा-अर्चना करने का विधान है क्योंकि कलयुगी मानव अपेक्षाकृत अधिक अपवित्र भाव वाले माने गये हैं अतः वेद वर्णित साधना की अपेक्षा तन्त्र शास्त्र वाणत विधि ही उनके लिये अधिक श्रयस्कर और फलप्रद रहेगी । यह तो हुई शास्त्रीय बात | अब आप स्वयं देखिये - तांत्रिक अनुष्ठानों में अकेली भावना ही काम नहीं करती । यहाँ विभिन्न, साधनों व कर्मकांडों के द्वारा उस भाव तरग को अधिक उग्र ( शक्ति पूर्ण ) बनाया जाता है और उस शक्ति पुंज को विशेष दिशा में कार्यशील कर दिया जाता है इसीलिये कहा जाता है कि तांत्रिक मंत्रों में अधिक शक्ति होती है । तांत्रिक कर्म कांड के बारे में भय लोक व्यवहार में आप देखते हैं कि जब आप किसी सड़क के किनारेकिनारे पंदल चलते हैं तो इतनी सतर्कता नहीं बरतते, जितनी कि साइकिल से चलने पर । इससे भी अधिक सतर्कता स्कूटर से चलने पर बर्तनी होती है । हवाई जहाज चलाने पर और भी अधिक सावधानी रखनी होती है। तात्पर्य यह है कि जितनी तेज काम करने वाली मशीन होगी उतनी ही अधिक सावधानी रखनी पड़ेगी । तांत्रिक अनुष्ठान भी बहुत तेज मशीन की तरह ही कार्य करते हैं । थोड़ी सी असावधानी होने पर तेज मशीन की तरह ही हानि पहुँचाते हैं । इसलिये जितना अधिक शक्ति पूर्ण कार्य करना हो उसी अनुपात में तन्त्रानुष्ठान में सतर्कता बर्तनी होगी । मारण, उच्चाटन, विद्वेषण आदि कर्मों में ही नहीं अपितु शान्ति-पुष्टि के कार्यों में भी तन्त्र उसी तेजी (स्पीड) के साथ काम करता है । मैंने स्वयं ध्यान (मैडीटेशन) में देखा है कि जो अनुभव दूसरी विधियों से साधकों को सामान्य रूप से दस-बारह वर्ष की तपस्या के पश्चात् प्राप्त हो पाते हैं वे तांत्रिक विधि से १-२ घंटे के अन्दर ही प्राप्त होने लगते हैं । इतनी लाभदायक विधि को केवल संभावित दुर्घटना के भय के कारण छोड़ दिया जाय, इससे अधिक कायरता और क्या होगी ? ऐसे अनुभवों का अधिक विस्तृत अध्ययन करने वाली संस्था आई० सी० एम० की भी तांत्रिक अनुष्ठानों के बारे में यही चेतावनी है कि घर में विद्युत से हम कई तरह For Private And Personal Use Only Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २६६ के कार्य सम्पन्न करते हैं। परन्तु विद्युत का स्वभाव और यन्त्र की कार्य विधि समझ लेने के पश्चात् ही अन्यथा यही विद्य त जान लेने में देर नहीं लगाती। विद्युत के इस जान लेवा गुण के कारण यदि आप विद्युत उपकरणों का उपयोग न करे तो यह कोई बुद्धिमानी की बात नहीं होगी। तात्पर्य यह है कि तंत्र से इसलिये दूर भागना क्योंकि उसमें अधिक शक्ति का विस्फोट होता है; हद दर्जे की बेवकूफी और कायरता की बात है। यदि सभी ऐसा सोचने लगें तो सारे विकास कार्य रुक जाँय; न रेल चलें न हवाई जहाज । रही बात तांत्रिक अनुष्ठानों की दीक्षा उपासना आदि में सतर्कता और जागरूकता बर्तने की, वह तो आवश्यक है ही। कई मोक्ष कामी (जो केवल कामना करते हैं पाते कभी नहीं) लोगों को यह कहते सुना जाता है कि यदि धीरे-धीरे चलने में कोई रिस्क (जोखिम) नहीं है तो धीरे चलना अधिक अच्छा है, परन्तु ऐसे धीरे चलने का क्या लाभ है, जो अन्त समय तक मंजिल पर ही न पहुचे पाओ? यदि कोई 'एम० बी० बी० एस' होने में पूरी उम्र लगा दे, तो उस डिग्री का उपयोग कब करेगा ? वैसे भी यह एक मनोवैज्ञानिक तथ्य है कि इस तरह धीरे-धीरे डिग्री लेने की बात करने वाले कभी भी डिग्री पूरी नहीं कर पाते । इसीलिये ऐसे छात्रों को एक-दो वर्ष की प्रतीक्षा के उपरान्त डिग्री के अयोग्य मानकर, शिक्षालय से निकाल दिया जाता है। अब हम अपने मूल विषय 'मन्त्र-गणना' पर आते हैं। मन्त्र गणना से तात्पर्य है-यह गणना कैसे की जाय कि जिस मन्त्र का जप आप किसी विशिष्ट प्रयोजन हेतु करना चाहते हैं वह "मन्त्र" आपके लिए उपयुक्त है या नहीं ? इसके लिए हमें कुछ बातों पर विस्तारपूर्वक विचार करना होता है, यथा __ वर्ग विचार-उपयुक्त मन्त्र का चयन करते समय पहले यह देखिये कि जिस प्रयोजन के लिए आप मन्त्र चनना चाहते हैं, वह किस वर्ग का है ? अर्थात स्वापेक्ष, परापेक्ष अथवा मध्यवर्ती है। स्वापेक्ष वर्ग में वे सभी मन्त्र हैं, जो अपने तक ही सीमित कार्यों के लिए प्रयुक्त होते हैं, जैसे रोग मुक्ति हेतु या लक्ष्मी प्राप्ति हेतु किये गये प्रयोग । परापेक्ष वर्ग में वे मन्त्र आते हैं. जिनमें दूसरे व्यक्ति पर प्रभाव पड़ता हो जैसे-मारण, वशोकरण उच्चाटन, स्तंभन, विद्वेषण आदि। इन दोनों के बीच के प्रयोगों के मन्त्र मध्यवर्ती वर्ग में आते हैं। जैसे गड़े धन की प्राप्ति या सन्तान प्राप्ति के मन्त्र। For Private And Personal Use Only Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २७० शावर तन्त्र शास्त्र गुण विचार-जब आप प्रयोजन के आधार पर मन्त्रों के ग्रुप (वर्ग) का विचार कर लें तब मन्त्रों के 'गुण' पर ध्यान दें-सतोगुणी मन्त्र का जप करने वाला रजोगुणी या तमोगुणी साधना करें तो काम नहीं बनता। तात्पर्य यह है कि विरोधी गुण वाले मन्त्रों का जाप एक साथ नहीं किया जा सकता है। उदाहरणार्थ-सांसारिक लाभ चाहने वाला व्यक्ति प्रणव मन्त्र "ॐ" का जाप करें तो एक दम उल्टा प्रभाव मिलेगा और मोक्ष चाहने वाले के लिए 'प्रणव' के समान दूसरा मन्त्र नहीं है। इसी प्रकार गायत्री मन्त्र भी शुद्ध सतोगुणी मन्त्र है। जिससे गायत्री मन्त्र सिद्ध किया है। वह भैरव के मन्त्र को सिट नहीं कर सकता । अन्यथा जितने उसने गायत्री मन्त्र के जाप किये हैं उतने भैरव के मन्त्र के जप करने पर उसकी 'जीरो' की स्थिति आयेगी, तत्पश्चात् निर्दिष्ट संख्या में भैरव के जप करने पर ही भैरव की सिद्धि सम्भव हो सकेगी । तात्पर्य यह है कि पूर्ण सतोगुणी मन्त्र का जप करने वाले को रजोगुणी या तमोगुणी मन्त्र का जप, अपना प्रभाव नहीं देगा, जो सांसारिक उन्नति चाहता है उसके लिए रजोगुणी मन्त्र उपयुक्त है। वैगे भी रजोगुनी से सतोगुणी या तमोगुणी साधना में जाना आसान रहता है। भाव विचार-मन्त्र के चयन करने में अरिभाव या मित्र भाव का भी विचार करना चाहिये। कई बार मन्त्र के प्रथमाक्षर का साधक के नाम के प्रथमाक्षर या जन्म राशि से मेल नहीं बैठता यह 'अरिभाव' कहलाता है । मन्त्र अनुकूल है या नहीं इसके लिए "मित्रारि चक्र" और "कुलाकुल चक्र" द्वारा गणना करनी चाहिए। एक प्रकार के काम के लिए अनेक मन्त्र रहते हैं, उनमें से बहुत आसानों से बनुकुल मन्त्र चुना जा सकता है। '. ऋतु विचार-मन्त्र को उपयुक्तता की गणना करने में ऋतु का भी ध्यान रखना पड़ता है। गर्म मन्त्रों को ठण्डी ऋतु में करने पर कार्य सिद्धि में विलम्ब होना स्वाभाविक है, परन्तु एक ऋतु वर्ष में एक ही बार मा.शी है अतः इसके विकल्प हेतु २४ घन्टे (एक दिन रात) में छः ऋतुएँ मान लो बलाबल विचार-अब मन्त्र गणना में नम्बर आता है उस व्यक्ति 'शक्ति' का जिसके ऊपर मन्त्र का प्रभाव डालना है। रक्षित, शक्ति म्पन्न , कार्यशील व्यक्ति पर साधारण मन्त्र प्रभाव नहीं दिखा सकते । ऐसे बलाबल का विचार करके मन्त्र गणना करनी होती है। For Private And Personal Use Only Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २७१ पात्रता विचार — मन्त्र गणना करते समय पर्यावरण का ध्यान भी रखना होगा पर्यावरण का प्रभाव बड़ा महत्वपूर्ण होता है। यदि आप चील Share और गीध आमन्त्रित करने की इच्छा करते हैं तो एक पशु के शव को अपने आस-पास कहीं डाल दीजिये और देखिये कितने बिन बुलाये मेहमान पधारते हैं ? इसी प्रकार जब आपकी इच्छा बगुले आदि जल-चरों को एकत्र करने की हो तो एक सुन्दर सा तालाब बना डालिये । तात्पर्य यह है कि जिस प्रकार के देवता का आह्नान करना हो उसी प्रकार का वातावरण बना लेने पर सिद्धि में आसानी हो जाती है। यह वातावरण दो तरह से बनाया जाता है - वाह्य और आन्तरिक । वाह्य वातावरण से तात्पर्य है साधक के आस-पास का वातावरण जैसे वेताल साधना के लिए उपयुक्त स्थल श्मशान होता है। आन्तरिक वातावरण से तात्पर्य है अपने शरीर को देवता के उपयुक्त बनाना, जिसे 'पात्रता' प्राप्त करना कहते हैं। वाह्य वातावरण को उपयुक्त बनाने के ढंग को 'कर्म काण्ड' कहा जाता है । आन्तरिक वातावरण वाली बात से साधक के मानसिक स्तर का प्रदर्शन होता है, जिसे 'चरित्र' कहते हैं । इसी आधार पर व्यक्ति किसी कार्य के लिए सुपात्र या कुपात्र कहलाता है । वर्ण - विचार - जिस मन्त्र में चार बीज अक्षर हों, वह ब्राह्मण मन्त्र कहलाता है, अर्थात् वह ब्राह्मण के उपयुक्त मन्त्र हैं । इसी अर्थ में तीन अक्षर वाला क्षत्रिय मन्त्र है, दो अक्षरों वाला वैश्य मन्त्र, और एक अक्षर वाला शूद्र मन्त्र होता है । 1 ब्राह्मण व्यक्ति क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र आदि के मन्त्र ग्रहण कर सकता है, परन्तु क्षत्रिय या वैश्य आदि ब्राह्मण मन्त्र ग्रहण नहीं कर सकते क्योंकि ब्राह्मण मन्त्र के अक्षर क्षत्रिय शूद्रादि मन्त्रों से अधिक होते हैं । इसी प्रकार वैश्य क्षत्रिय मन्त्र का प्रयोग नहीं कर सकता । शूद्र मन्त्र का प्रयोग कोई भी कर सकता है । पौलस्त्य मन्त्रों में कोई बीज अक्षर नहीं होता अतः शूद्र के लिए भी उपयोगी है। प्रणव मन्त्र “ॐ” एक बीज अक्षर मन्त्र है परन्तु शूद्र के लिये उपयुक्त नहीं है। वैसे भी सांसारिक सुख चाहने वाले गृहस्थी व्यक्तियों के लिए प्रणव मन्त्र प्रतिकूल सिद्ध होता है। गृहस्थी टूटने लगती है। जबकि संन्यासी के लिए प्रणव से बढ़ कर दूसरा मन्त्र नहीं है स्त्री वर्ग को भी प्रणव मन्त्र या प्रणव युक्त मन्त्रों से बचना चाहिये । इसी प्रकार अजपा मन्त्र 'हंस' जिन मन्त्रों के अन्त में स्वाहा हो, श्रीं (लक्ष्मी) For Private And Personal Use Only Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 2 २७२ | शावर तन्त्र शास्त्र बीज मन्त्र, आदि शूद्र और स्त्री को फलदायी नहीं होंगे। इनके लिये शिव, दुर्गा, गणेश, सूर्य, गोपाल आदि के मन्त्र अधिक उपयुक्त रहेंगे परन्तु उसमें प्रणव तथा स्वाहा न हो, अन्यथा स्त्री और शूद्र में सेवा भाव कम हो जायगा और स्वेच्छाचारिता में वृद्धि हो जायगी, जिससे इनके कर्तव्य कर्म में अवरोध प्रारम्भ हो जायेंगे । ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र वाली बात इन वर्णों के शास्त्रीय कर्तव्य कर्म का ध्यान रखते हुए ही कही गई है। किसी को छोटा बड़ा प्रदर्शित करने के उद्देश्य से नहीं । यदि कोई ब्राह्मण शूद्र कर्मी हो गया है तो उसके लिये शूद्र वाला नियम लागू होगा, ब्राह्मण वाला नहीं । मध्यकाल में कुछ अज्ञानियों द्वारा मन्त्रों में 'ॐ' और स्वाहा जोड़जोड़ कर अधिकतर मन्त्रों को दूषित कर दिया गया है। यहाँ तक कि षड़क्षर और नव- अक्षर मन्त्रों में 'ॐ' आदि जोड़कर मन्त्राक्षरों की संख्या में ही दोष पैदा कर दिया गया है । यह सभी बातें अविलम्ब संशोधन माँगती हैं। यह बड़े हर्ष की बात है कि विश्व की आधुनिकतम सामाजिक संस्था "रिफोर्मर्स ऑफ ह्यूमैनिटी एण्ड हैल्थ ( संस्कृति एवं आरोग्य प्रवर्तिका) ने योग और आत्म ज्ञान, मन्त्र-तन्त्र में शोध कार्य करने की ओर ध्यान दिया है और 'इन्स्टीट्यूट ऑफ कास्मिक योगा एण्ड मैटाफिजीकल रिसचेंज' (आई० सी० एम०) की स्थापना की है । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लिंग विचार - जिन मन्त्रों के अन्त में "हूं फट् " आत्म है वह पुल्लिंग मन्त्र होते हैं । जिनके अन्त में "स्वाहा” हो वह स्त्रीलिंग मन्त्र होते हैं और जिनके अन्त में " नमः" आये वह नपुंसक लिंग । 1 राशि विचार - नीचे कोष्ठकों में राशि के नाम और उनके साथ कुछ अक्षर लिखे हैं । साधक अपने जन्म की राशि से, मंत्र के प्रथम अक्षर वाले कोष्ठक तक गिनें। जन्म राशि का ज्ञान न हो तो नाम राशि से गिनें । उदाहरणार्थ साधक की राशि सिह है और 'न' अक्षर से प्रारम्भ होने वाला मंत्र वह लेना चाहता है, जो कि सिंह राशि के खाने से आठवें खाने में पड़ता है । आठवाँ खाना मृत्यु सूचक है अतः 'मंत्र' अशुभ रहेगा। स्थान सूची इस प्रकार है - प्रथम स्थान को लग्न द्वितीय को धन, तृतीय को भाई, चौथे को बन्धु, पांचवें को पुत्र, छठवें को शत्रु, सातवें को स्त्री, आठवें को मृत्यु नवमें को धर्म, दसवें को कर्म, ग्यारहवें को आय और बारहवें को व्यय का स्थान माना गया है। जिस कोष्ठक में जो स्थान आता है, उस सिद्धि को प्राप्त For Private And Personal Use Only Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शाबर तन्त्र शास्त्र | २७३ करने के लिए उस कोष्ठक में लिखे अक्षरों से प्रारम्भ होने वाले मंत्रों का जाप ही उपयुक्त रहेगा। उदाहरणार्थ-सिंह राशि वाला साधक आय वृद्धि हेतु कोई मंत्र जपना चाहता है तो सिंह राशि के स्थान से ग्यारहवाँ स्थान गिनें जो कि तुला राशि का स्थान है, जिसमें "क ख ग घ ङ" अक्षर हैं अतः इन अक्षरों से प्रारम्भ होने वाला "आयवर्घक-मंत्र" ऐसे साधक के लिए उपयुक्त रहेगा। मीन कुम्भ ऋटल अ आ इई / पफवगन मिशन उऊऋत मेष . यरलब/ कर्क ए ऐ मकर तथ द धन धडा ओऔ कखगघड. डढचा कन्या वाश्चक अंश ष स ह क्षज्ञ इस प्रकार आप देखेंगे कि छठा, आठवाँ और बारहवाँ स्थान कभी भी शुभ नहीं हैं, घातक हैं। नक्षत्र विचार-नक्षत्र गणना की कई विधियाँ हैं । पाठकों के लाभार्थ सरलतम विधि यहाँ दे रहे हैं। साधक के जन्म नक्षत्र और मन्त्र के प्रथम अक्षर का गण नक्षत्र सारिणी में देखकर मिलायें-- यदि जन्म नक्षत्र और प्रथमाक्षर दोनों के गण मिल जाते हैं तो इससे अच्छी क्या बात हो सकती है। वर्ना देव-गण के जन्म नक्षत्र वाला देव-गण वाले अक्षरों से प्रारम्भ होने वाले मन्त्र को ग्रहण करें। राक्षस-गण के जन्म नक्षत्र वाला राक्षस-गणं में लिखे अक्षरों से प्रारम्भ होने वाले मंत्रों को सिद्ध करें। देव-गण जन्म नक्षत्र वाला नर-गण में लिखे अक्षरों से प्रारम्भ होने वाले मंत्र को ले सकता है, परन्तु यदि साधक के जन्म नक्षत्र का गण राक्षस है और मंत्राक्षर का गण नर हो तो विनाशकारी है। इसी प्रकार देव और राक्षस गण हों तो भी अशुभ है। For Private And Personal Use Only Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २७४ | शावर तन्त्र शास्त्र महर्षि 'यतीन्द्र' नक्षत्र सारिणी - - - - - - - देव गण राक्षस गण नक्षत्र अश्विनी, मृगशिर भरणी, रोहिणी आर्द्र, कृतिका, अश्लेषा. पुनर्वसु, पुष्य हस्त, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा मधा, चित्रा, ज्येाटा स्वांति अनुराधा, फाल्गुनी, पूर्वाषाढ़, उ. धनिष्ठा, शतभिषा श्रवण रेवती, षाढ़ पू. भाद्रपद, उ. मूल, विशाखा भाद्रप्रद मंत्र का अ, आ, ए, ओ, औ, | , ऋ, ऋ, लु, लु, ऐ. । ई, उ, ऊ, क, ख. र.. प्रथमाक्षर अं, अः, झ, ज, ड, त, | च, छ, ज, ब, भ, व, घ, ङ, ट, ठ, ढ ण. द, म, क्ष, त्र, ज्ञ, श, ष, स, ह ध, न, प, फ, य. २. मास विचार-विभिन्न उद्देश्यों के लिए मत्र ग्रहण करने में मास, तिथि, वार आदि का भी ध्यान रखा जाता है, जिसके विषय में शास्त्रीय मान्यता इस प्रकार है दीर्घायु सर्वसिद्धि चैत्र धन लाभ वैशाख मरण ज्येष्ठ | स्वजन हानि अषाढ़ श्रवण संतान लाभ भादों रन्न लाभ | मंत्र सिद्धि शत्रुद्धि निषेध डा . बुद्धि वृद्धि | मर्ब मनोन्य सिद्धि __ माघ । फाल्गुन आश्विन पौष मल मास कार्तिक मार्गशीर्ष - - वार-विचार धन लाभ . रविवार .. . शांति मोमवार । आयु क्षय मंगलवार श्री बद्धि बुधवार ज्ञान प्राप्ति गुरुवार, भाग्यहीन शुक्रवार अपकीति शनिवार . For Private And Personal Use Only Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २७५ जसा कि उक्त सारिणी से स्पष्ट है, गुरुवार बुधवार, सोमवार और रविवार ही शुभ फलदायक दिन है अतः अपने उद्देश्य का विचार करते - हुए उपयुक्त वार को मंत्र ग्रहण करें। तिथि विचार ज्ञान नाश ज्ञान वृद्धिशील वृद्धि, धन हानि बुद्धि बुद्धि नाश सुख वृद्धि विकास वकास विनाश १० स्वास्थ्य हानि ११, १२ । १३ । १४ अमावस पूर्णिमा सम्मान | पवित्रता सवार्थ | दरिद्रता पक्षी जन्म लाभ लाभ सिद्धि कार्य हानि धर्म वृद्धि इस प्रकार आप उपयुक्त उद्देश्य हेतु उचित तिथि की गणना कर सकते हैं, और प्रतिपदा, चतुर्थी, षष्ठी, अष्टमी, नवमी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, एवं अमावस जैसी अनिष्टकारी तिथियों से अपने को बचा सकते हैं। योग विचार-स्व. डा. वीर बहादुर सिंह (जिन्होंने ज्योतिष के आधार पर हो गणना द्वारा ईश्वर दर्शन करके पंचकादि दोष निवृत्ति होने के पश्चात ही मृत्यु वरण की) के अनुसार योग २७ होते हैं--- विष्कुम्भ प्रतिमयुष्मान सौभाग्य शोमनस्तथा। अतिगण्ड सुकर्मात्वृति शूल गण्ड वृद्धि ध्रुव :॥ ६ ७ ८ ९ १० ११ १२ व्याघात घर्षणा व सिदि व्यतिपात बरीयान परिधः। १३ १४ १५ १६ १७ १८ १६ शिव सिद्ध साध्य शुभे शुक्ले ब्रह्म एन्द्र वैधृति इव ।। २० २१ २२ २३ २४ २५ २६ २७ । For Private And Personal Use Only Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २७६ | जावर तन्त्र शास्त्र इन २७ योगों में से केवल १५ योग ही सिद्धिप्रद हैं-शिव, ब्रह्मा, इन्द्र, सुकर्मा, साध्य, शुक्ल, घर्षण, वरीयान, ध्रुव, सौभाग्य, शोभन, धृति, वृदि, प्रीति और आयुष्मान। कुलाकुल विचार - तत्व आकाश वायू अग्नि ___ जल पृथ्वी ऋ ऋ औ उऊ औ ग घि झ द ज ड द ब ध . भ ल व | व स ण ल ल अंङ | अ आ ए | इ ई ऐ ख न म श क च ट त छठ थ फ ह प य ष । रक्ष अक्षर उक्त सारिणी में साधक के नाम का प्रथमाक्षर एवम् मंत्र का प्रथमाक्षर मिलाकर देखें कि कौन से खाने में है। यदि दोनों अक्षर एक ही खाने में हों तो स्व कुल के कहलाते हैं अन्यथा 'अ कुल' के कहे जाते हैं। उदाहरणार्थ-मदन मोहन नामक साधक 'शन्नोदेवी' शब्द से प्रारम्भ होने वाला मंत्र ग्रहण करना चाहता है तो साधक के नाम का प्रथमाक्षर 'म' और मंत्र का प्रथमाक्षर 'श' दोनों एक ही खाने में [अर्थात आकाश तत्व तीसरे खाने में] में है अतः स्व कूल है अर्थात साधक और मंत्र दोनों में प्राकृतिक समानता है, ऐसा मंत्र शुभ फल देता है। यदि मंत्र और साधक का कुल अर्थात एक ही तत्व न मिले तो 'मित्र तत्व' का मंत्र ग्रहण करें अर्थात् ऐसा मंत्र ग्रहण करें, जिसका प्रथमाक्षर मिश तत्व के खाने में लिखे हुये अक्षरों से मेल रखा जाए। जल तत्व और वायु तत्व का मित्र पथ्वी तत्व है। वायु का अग्नि मित्र है । आकाश सभी का मित्र है। वायु और पृथ्वी शत्रु हैं इसी प्रकार अग्नि के शत्रु जल एवम् पृथ्वी तत्व है। निषिद्ध समय बादल के गरजते समय भूकम्प के समय, संध्या के समय, उल्कापात के समय, मंत्र ग्रहण करने का निषेध है। For Private And Personal Use Only Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २७७ ... षष्ठी और त्रयोदशी तिथियों में विष्णु मंत्र नहीं ग्रहण करना चाहिए। विशिष्ट समय _भादों के दोनों पक्षों की षष्ठी व जन्माष्टमी, आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तथा अष्टमी; कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी, चैत्र की काम चतुर्दशी तथा शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी, वैशाख की अक्षय तृतीया तथा शुक्ल पक्ष की एकादशी, ज्येष्ठ. की दशमी तथा कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी, आषाढ़ की शुक्ल पक्ष की पंचमी, श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी वं एकादशी, मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की षष्ठी, पौष की चतुर्दशी, माध की शुक्ल पक्ष की एकादशी, फागुन की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथियाँ मंग ग्रहण के लिए शुभ हैं। सोमवती अमावस्या, मंगलवारी चतुर्दशी और रविवारी सप्तमी भी अच्छी तिथियाँ हैं। संक्रान्ति के समय, ग्रहण के समय तथा मन्वन्तरा तिथियां भी मंत्र ग्रहण के लिए शुभ हैं। शुद्ध मन्त्र-नृसिंह, बाराह, सूर्य, काली, दुर्गा, तारा, कमला, धूमावती, बगला, भुवनेश्वरी, शीलवाहिनी, मातंगी, त्वरिता, बाला, छिन्नमस्ता, कामाख्या, अन्नपूर्णा, वाग्देवी (सरस्वती) के मंत्र स्वयं शुद्ध हैं। इसी प्रकार प्रसाद बीज मन्त्र "हो", स्वप्न में प्राप्त मन्त्र, स्त्री गुरु द्वारा दिया गया मंत्रा, बीस अक्षर से अधिक का मन्त्रा, तीन अक्षर वाला मन्त्र तथा वेद विहित मंत्र, के शोधन की आवश्यकता नहीं होती। यह सभी स्वयं शुद्ध गुरु मंत्र का चयन अभी तक हमने साधारण मंत्रों के चयन की विधियों का वर्णन किया है; अब गुरु मंत्र के चयन को विधियों का उल्लेख करते हैं। गुरु मंत्र का अर्थ जन साधारण 'गुरु द्वारा दिया गया मंत्र' समझते हैं। इसमें संदेह नहीं कि 'गुरु मंत्र' गुरु द्वारा ही दिया जायगा परन्तु यह भी सही है कि 'गुरु मंत्र' देने वाला व्यक्ति हो 'गुरु है। अब आपकी समझ में सामान्य मंत्र और गुरु मंत्र में भिन्नता स्पष्ट होने लगेगी। For Private And Personal Use Only Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २७८ | शावर तन्त्र शास्त्र । वास्तव में गुरु मंत्र' एक मात्र आपका फ्रीक्वन्सी मंत्र है। जिस प्रकार से दुश्मन के ट्रान्समीटर की फ्रीक्वंन्सी का पता लगाकर, आप दुश्मन को बीसियों तरह से मात दे सकते हैं। इसी प्रकार आपके गुरु मंत्र (अर्थात आपकी फ्रीक्वन्सी) का पता लग जाने पर कोई भी व्यक्ति आपको दूर बैठे कन्ट्रोल कर सकता है। यही कारण है कि गुरू मंत्र को अत्यन्त गुप्त रखा जाता है । अन्यथा गुरु-प्रदत्त सामान्य मंत्र को गुप्त रखने की कोई आवश्यकता नहीं होती। चूकि गुरु मंत्र 'मेन फ्रीक्वन्सी मंत्र है अतः कई प्रकार से गणना करके ही निकाल सकते हैं.। जिसमें पाश्चात्य अक दर्शन विधि, ईरानी सूफी विधि चरित्र मेलापक विधि आदि ही प्रमुख रूप से प्रयोग में आती है । ये सभी विधियाँ व्यक्ति का सम्बन्ध ग्रहों से मानती हैं। ग्रह और व्यक्तित्व-'महर्षि यतीन्द्र दर्शन' के अन्तर्गत 'आत्म तत्व के सिद्धान्तों" में एक सिद्धान्त आत्मिक शक्ति से सम्बन्धित है, जिसके अनुसार-आत्मा पर आच्छादित कर्म बंधनों के आवरणों में से छन कर आने वाला शक्तिमय प्रकाश ही उस आत्मा की आत्मिक शक्ति है; अतः जो भी (नक्षत्रा ग्रह, तपस्या तथा अन्य वस्तुएं) कर्म-बंधनों को प्रभावित करती हैं वे सभी आत्मिक शक्ति में भी परिवर्तन करती हैं, क्योंकि कर्म बंधन ही आत्मिक-शक्ति में कमी-वेषी का कारण होते हैं। दूसरा सिद्धान्त "तपस्या" से सम्बन्धित है, जिसके अनुसार-आत्मा की शक्ति को एकत्र कर ध्यान व मंत्र आदि सहायक विधियों द्वारा) ब्रह्मांड स्थित एक विशेष शक्ति-स्रोत (नक्षत्र-गृह आदि) की ओर प्रसारित किया जाता है; ये शक्ति तरंगें जिन्हें 'जी रेज' (G-Rays) भी कहते हैं, उस शक्ति स्रोत से टकराकर वापिस आती हैं; और आत्मा पर आच्छादित आवरणों को प्रभावित करती हैं, इस प्रकार कर्म बंधनों के आवरण हटाये जा सकते हैं। तीसरा सिद्धान्त 'कर्मबंधन' से सम्बन्धित है-दोनों ही प्रकार के आवरण (पारदर्शी एवं अल्प पारदर्शी) अत्यधिक चेतन (Sensitivc) होते हैं; इसलिये इन पर नक्षत्र, ग्रह तथा अन्य ब्रह्मण्डीय गैसें आदि भी प्रभावकारी होती हैं। ____ इन तीनों सिद्धान्तों से यह स्पष्ट हो जाता है कि नक्षत्र और ग्रह व्यक्ति को किस तरह से प्रभावित करते हैं। For Private And Personal Use Only Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २७६ यह बात तो हुई (Metaphysics) तत्व ज्ञान की, अब ज्योतिष की बात करते हैं, किसी व्यक्ति की कुडली आप देखें तो यही पायेंगे कि व्यक्ति का सम्पूर्ण जीवन उसके 'जन्म के समय नक्षत्रों की स्थिति' से प्रभावित रहता है। आज का ज्योतिष शास्त्र हजारों वर्षों के गहन शोध का परिणाम है। आप तो जानते हैं शोध सदैव उल्टी चलती है। हजारों व्यक्तियों का अध्ययन उनके जन्म नक्षत्रों के आधार पर करने के पश्चात ही एक नियम बन पाता था कि अमुक नक्षत्र में पैदा होने वाले जातक का व्यक्तित्व अमुक प्रकार का होगा। इस आधार पर नक्षत्रों की कुछ चरित्र गत विशेषतायें देखिये --- अश्विनी-जातक बुद्धिमान, रहस्यवादी, चंचल प्रकृति, तर्क बुद्धि, गृह कलह और अर्श रोग पीड़ित होता है। भरणी-जातक धार्मिक कार्यों में रुचि रखते हुए भी कुटिल, मेहत्वाकांक्षी हिंसक प्रवृत्ति, चित्रकार होता। कृतिका--जातक कलह प्रिय, धार्मिक, विद्या व्यसनी, साधु संतों पर विश्वास रखने वाला होता है । रोहिणी-जातक मंत्र तन्त्र. भूत प्रेत का विश्वासी, समाज सेवी, स्वच्छता और संगीत का प्रेमी होता है । मृगशिर-जातक धन लोलुप, तथा प्रदर्शन के लिये पूजानुष्ठान करने वाला होता है। ___ आर्द्रा - जातक सबके साथ प्रेमपूर्ण और मधुरभाषी रहते हुए भी अपनी अदूर दर्शिता के कारण जीवन भर पश्चात्ताप में ही दुखी होता रहता है। पुनर्वसु -- जातक महत्वाकांक्षी, कर्तव्यनिष्ठ, विवेकी, सुखी सुसराल पक्ष से भी सम्पन्न होता है परन्तु अहंकारी, क्रोधी, पायरिया और गठिया आदि से पीड़ित हो जाता है। पुष्प- जातक अपने मतलब के आधार पर मित्रता व शत्रता का व्यवहार करता है अर्थात घोर मललबी और वणिक बुद्धि एवम् चतुर होता है। अश्लेषा -- जातक काम लोलुप, स्वार्थी, लोभी, विनोद प्रिय विपरीत लिंगो के प्रति असहज आकर्षण वाला होता है। मघा-जातक कामुक, आर्थिक चिंता ग्रस्त, दूसरे के धन पर अधि For Private And Personal Use Only Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २८० | शावर तन्त्र शास्त्र कार करने वाला अपनी उन्नति के लिये प्रयत्नशील, ऊँची आवाज वाला होता है। पूर्वाफाल्गुनी-जातक असफलताओं से निराश न होने वाला, इन्द्रियों के रोगों से ग्रस्त, धर्म के प्रति अश्रद्धा रखने वाला होता है। उत्तराफाल्गुनी-संतोषी, मितभाषी, एकान्त प्रिय, तीन स्मृति शक्ति वाला, माता-पिता के सुख से अधिकतर वंचित रहता हो। हस्त - जातक विशालकाय, स्वेच्छाचारी, धूर्त घमंडी, पाखंडी धोखेबाज और झूठा होता है। चित्रा-जातक साहसी, बलवान, क्रोधी, वीर्यवान तथा विद्वान बनने की चेष्ठा करता है। स्वांति-जातक की विचार शक्ति तीव्र होती है, उन्नति के लिये आतुर, क्रोधी महत्वाकांक्षी, कर्मशील, भाग्यवान होता है। विशाखा-जातक भ्रमणशील, नेक सलाह देने वाला, वाचाल, चतुर, ललित कलाओं का शौकीन होता है। अनुराधा - जातक का बचपन कष्टमय होता है, ईमानदार दार्शनिक, उदार हृदय, धार्मिक, आस्थावान, संगति के प्रति अभिरुचि रखने वाला, रूढ़िवाद के आस्थान रखने वाला होगा। ज्येष्ठा--जातक विलासी, आलसी, अभिमानी, मित्रों पर विश्वास करने वाला, लेखक और वक्ता होता है। मूल-जातक स्वेच्छाचारी, अपनी बात को सर्वोपरि रखने वाला, विद्यमान, भ्रमण शील, मंत्र-तन्त्र में सिद्ध पाने वाला, स्वच्छता प्रेमी, पिता के लिये कष्ट कर होता है। पूर्वाषाढ़-जातक लम्पट, प्रबल कामी, स्त्रियों से धन पाने वाला, चितित संगीत प्रवीण, कार्यकुशल पिता की ओर से दुःखी रहता है। उत्तराषाढ़-जातक की इच्छा शक्ति प्रबल, दूरदर्शी, पुष्ट शरीर वाला, ललित कलाओं का ज्ञाता, प्रखर वक्ता, गृह कार्यों एवं व्यापार से लाभ प्राप्त करने वाला होता है। श्रवण - जातक धर्म एवं पूज्यों के प्रति निष्ठावान, वणिक बुद्धि, धनी, सोच-विचार कर काम करने वाला होता है। - घनिष्ठा-जातक अदूरदर्शी, उतावला, मित्र को शत्रु समझने वाला, झगड़ालू होता है। For Private And Personal Use Only Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २८१ शतमिषा-जातक, स्वच्छ, पवित्र, साधु संतों में श्रद्धा रखने वाला, धर्म-भीरु अविवेकी, चंचल प्रकृति का होता है। पूर्वाभाद्रपद-जातक धार्मिक, स्त्रियों के प्रति संकोची लज्जाशील, पुजारी, भ्रमणशील, बच्चों के प्रति स्नेहपूर्ण वृद्धावस्था में धन प्राप्त करने वाला होता है। उत्तराभाद्रपद-जातक भावुक, मनसा वाचा, कर्मणा उदार हृदय, उच्चकुलोत्पन्न एवम् विद्वानों से मित्रता करने वाला, विद्या व्यसनी और आलसी होता है। रेवती-जातक साधु स्वभाव, आस्तिक, सरल स्वभाव, तीर्थ यात्रा करने वाला, मित्रों से सहयोग पाने वाला। इन नक्षत्रों का प्रभाव जातक की विचार धारा को एक विशेष दिशा का स्थायित्व देता है, जिससे व्यक्ति की सम्पूर्ण कार्य-प्रणाली में अन्तर आ जाता है। इन नक्षत्रों के अलावा कुछ अन्य सितारे मिलकर सम्मिलित रूप से व्यक्तित्व पर सम्मिलित प्रभाव डालते हैं ऐसे सम्मिलित-सितारों को 'राशियाँ कहते हैं। राशियाँ केवल बारह होती हैं। नक्षत्रों पर ग्रह का प्रभाव पड़ने से नक्षत्रों का प्रभाव उग्र या क्षीण हुआ करता है। ग्रह यों तो ८८ मान गये हैं परन्तु यहाँ पर उपयुक्त ग्रह केवल ६ हैं। इन ग्रहों की चारित्रिक विशेषताएं निम्नलिखित हैं - १. सूर्य-- इस ग्रह से प्रभावित व्यक्ति की सहन शक्ति उत्तम होगी। जीवन में बहुत उथल-पुथल और विपरीत परिस्थितियाँ मिलेंगी। जातक साहसी होगा । नेतृत्व करने की प्रबल प्रवृत्ति रहेगी। किसी भी अपरिचित व्यक्ति से मित्रतापूर्ण सम्बन्ध थोड़े ही दिनो में बना लेगा। समाज में प्रशंसा होगी। जातक कुछ न कुछ नया अलोकिक कार्य करने की खोज में रहेगा। शरीर सुदृढ़ सक्षम होगा । तथा जीवन से हिम्मत हारने की बात नहीं करेगा। व्यापार में अपनी दूरदर्शिता के कारण सफल होगा। नौकरी में शीघ्र ही प्रमोशन होगा। जातक अपने लक्ष्य के प्रति पूर्णतः सजग और सचेष्ट रहेगा, भटकेगा नहीं। जातक निर्णय लेने में चतुर, स्वततन्त्र व्यक्तित्व वाला होगा। अपने विचार स्वयं बनाएगा और उन पर चलेगा। किसी की घोंस में नहीं रहेगा। अपने निर्णय पर अटल होने के कारण जातक समाज For Private And Personal Use Only Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २८२ | भावर तन्त्र शास्त्र की दृष्टि में विश्वासी कार्यनिष्ठ, सही और सच्चा माना जाएगा। जातक अपनी उन्नति की महत्वाकांक्षा के कारण कभी-कभी थोड़े समय के लिए परेशान हो सकता है। अपने कार्यों में टोकना या बिना मांगे सुझाव देना जातक को पसंद नहीं होगा। जातक . का सम्पर्क नये से नये और श्रेष्ठ लोगों से बढ़ता जायेगा। जातक आवश्यकता के अनुसार व्यय करेगा। अस्त-व्यस्त, फूहड़पन और शिथिलता पसन्द नहीं करेगा। जातक कला का प्रशासक होगा। झूठी प्रशंसा से घृणा करेगा। परिस्थिति अनुसार स्पष्ट वक्ता होगा। जीवन में आकस्मिक हानि-लाभ चलते रहेंगे। जातक का व्यक्तित्व प्रभावशाली होगा तथा दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करने में निपुण होगा। कभी-कभी दिखावे के लिए जरूरत से ज्यादा व्यय कर डालेगा . धन सम्बन्धी मामलों में जोखिम उठाने से परेशानी बढ़ सकती है। मित्रों पर अधिक विश्वास करने से धन सम्बन्धी धोखा मिलेगा। स्त्री की आसक्ति जातक पर लांछन भी ला सकती है। जातक के जीवन के १,१०, १६, २८, ३७, ४६, ५५, ६१, ७३, वां वर्ष श्रेष्ठ होगा और ७ १६, २५. ३४, ४३, ४२. ६१, ७० अनुकूल वर्ष नहीं होंगे। जातक को हृदय और रक्त सम्बन्धी बीमारियाँ जैसे-रक्तचाप, हार्ट-अटक एवं नेत्र पीड़ा आदि रोग होते रहेंगे। २. चन्द्रमा-चन्द्र, ग्रह से प्रभावित व्यक्ति भावुक, कोमल, कल्पना प्रिय, सहृदयमधुर भाषी, एक ही विषय पर स्थिर न रहने वाला चंचलमन, शारीरिक कार्यों की अपेक्षा मानसिक कार्यों में अधिक योग्य, शंकालु और दूसरों का भला करने वाला, दयालु, दूसरों को चुटकियों में सम्मोहित कर लेने वाला, अपनी गलती स्वीकार करने वाला, यह जानते हुए भी कि दूसरा चापलूसी करके अपना काम मुझसे निकाल रहा है फिर भी 'ना' न कह पाने वाला, परिवार से जली-कटी सुनने वाला, अधैर्यवान होने के कारण पछताने वाले काम करने वाला । अक्सर निराशा और हीनता की भावना से युक्त हो जाने वाला, मित्र बहुत रहें पर वास्तविक मित्र की कमी मन में खटकती रहेगी, स्त्रियों सहज ही विश्वास करें, दूसरों के हृदय की बात जान लेने वाला, ललित कलाओं में रुचि रखने वाला, सुन्दर-शिक्षित पत्नी का विश्वासी पति कहलाने वाला, यात्रा वाले कार्यों से लाभ उठाने वाला, सभ्य, सतर्क, सुशील, व समझदार, जरा सी बात पर घबरा जाने वाला, अपने कार्य को अक्सर अधूरा छोड़ देने वाला, प्रेम के चक्कर में बदनाम होने वाला, फालतू मित्रों की संख्या बढ़ाने वाला, स्त्रियों में अधिक रमने For Private And Personal Use Only Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र । २८३ वाला और अपने व्यवहार में स्त्रीत्व की झलक देने वाला, संवेदना प्रधान, स्नायु और हृदय सम्बन्धी बीमारियां, उदर रोग पीड़ित, बीमारी के प्रति लापरवाह, फेंफड़े के रोगों से पीड़ित होने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति का १, १०, १६, २८, ३७, ४६, ५५, ६४, ७३, ८२ वाँ वर्ष में श्रेष्ठ रहेगा और २, ११, २०, २६, ३८ ४७,५६, ६५, ७४, ५३ वाँ वर्ष सर्वोत्तम सिद्ध होगा। जीवन के ५, १४, २३, ३२, ४१, ५०, ५६, ६८, ७७ वें अनुकूल नहीं होंगे। ३. बृहस्पति-गुरु ग्रह प्रभावित व्यक्ति साहसी, विद्या ज्ञान एवं धर्म का ज्ञाता, रूढ़िवादिता से ग्रस्त धर्म का परिमार्जन कर आवश्यक जीवन दर्शन के आधार पर अपने धर्म का पालन करने वाला, अपने विचारों को ऐसी विधि से व्यक्त करने वाला कि दूसरा मान जाय, धन को न रोक पाने वाला, स्वार्थी सजावट व ऐश-आराम की वस्तुओं पर अधिक व्यय करने वाला, महत्वाकांक्षी. छोटा पद, छोटा कार्य पसन्द न करने वाला, आकस्पिक धन लाभ अथवा भाइयों से लाभ न प्राप्त करने वाला, चाहे जब स्वेच्छाचारिता की ओर बढ़ जाने बाना, अपने कार्य में हस्तक्षेप न पसन्द करने वाला और न दूसरे के काम में टांग अड़ाने वाला, सरल जीवन व्यतीत करने का इच्छुक, बुद्धिमान उदार हृदय, क्रोधातिरेक में भी विवेक से काम लेने वाला, अखडित तर्क प्रस्तुत करने वाला, एक से अधिक कार्य साथ में करने वाला मित्रों से विश्वासघात पाने वाला, प्रेम के क्षेत्र में एक प्रकार से असफल, सुन्दर सुशील आज्ञाकारिणी पत्नी पाने वाला, बाल्यावस्था में शिक्षा अव्यवस्थित, अर्थाभावलथा पारिवारिक सहयोग न पाने वाला, सरकारी नौकरी से प्रेम करने वाला, मात्राओं से नये अनुभव प्राप्त करने वाला, विशिष्ट व्यक्तियों से सम्पर्क रखने वाला, अनुशासन प्रिय, जीवन के प्रौढ़ावस्था में जाते-जाते यशोभागी बनने वाला, गहन निद्रा वाला. कठोर परिश्रमी होता है । ऐसे व्यक्ति के ३, १२, २१, ३०, ३३, ३६, ४८, ५७, ६६, ७५, ८४, वें वर्ष श्रेष्ठ होंगे। इस ग्रह का प्रभाव क्षीण होने पर गुप्तेन्द्रिय शिथिल होगी और काम वासना प्रबल रहेगी, स्नायविक शिथिलता, चर्मरोग, हृदय रोग, उदर रोग, अक्सर तंग करेगे। चर्बीयुक्त गरिष्ठ भोजन तथा आवश्यकता से अधिक खा लेना सदैव अस्वास्थ्य कर रहेगा। ४. हर्षल-इस ग्रह से प्रभावित व्यक्ति या तो पहाड़ पर रहता है या खाई में; अर्थात् आकस्मिक घटनायें कुछ इस तरह से जीवन में आती हैं कि व्यक्ति या तो पतन के गर्त में जा गिरता है या उन्नत के शिखर पर For Private And Personal Use Only Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २८४ | शावर तन्त्र शास्त्र 4 कई चढ़ जाता है । ऐसे व्यक्ति का जीवन संघर्ष प्रधान होता है। हर कार्य में अड़चन आती है । क्रोधावेश जितना जल्दी बढ़ता है, उतनी ही तीव्रता से उतर जाता है । ऐसा व्यक्ति मन में बात को दबाकर रखने वाला, शत्रुओं वाला, यहाँ तक कि मित्र भी शत्रु बन जाएगें। क्योंकि वे भी ऊंचे दिमाग के और क्रोधी स्वभाव के होंगे। ऐसा व्यक्ति हरेक समस्या की सलाह दूसरों से लेने वाला होता है, जो स्वतन्त्र और त्वरित निर्णय नहीं ले पाता । ऐसा व्यक्ति दूसरों पर विश्वास न करने वाला, कानून और नियम तोड़ने वाला, अपने स्वार्थ को प्राथमिकता देने वाला, फिजूल खर्च करने वाला, उतावला, असहिष्णु, अपने उग्र स्वभाव के कारण स्मरण शक्ति की शिथिलता, चिड़चिड़े स्वभाव की पत्नी वाला, वृद्धावस्था में हृदय रोग अथवा गुप्त रोग वाला, अपने को ललित कलाओं का पारखी प्रदर्शित करने वाला भाई-बन्धु और पुत्र अथवा पिता का सुख न पाने वाला, विजातीय लोगों की कृपा पाने वाला, एक से अधिक व्यवसाय करने वाला, दूसरों को झूटे आश्वासन देने वाला; दूसरों की निन्दा करने वाला, जुखाम और छूत वाली बीमारियां भोगने वाला, यात्रा में धोखा पाने वाला, उग्र स्वभावी होता है । ऐसे व्यक्ति के जीवन का ४, ८, १३, १७, २२, २६, ३१, ३५, ४०, ४४, ४६, ५३, ५८, ६२, ६७, ७१, ७६, ८५ वाँ वर्ष महत्वपूर्ण होगा । ५. बुध - इस ग्रह से प्रभावित व्यक्ति का मस्तिष्क हर समय कुछ न कुछ सोचता ही रहता है । ऐसा व्यक्ति बुद्धिमान, दूसरों को अपना मित्र बना लेने वाला, यात्राओं में आनन्द लेने वाला, तुरन्त निर्णय लेने वाला, परिस्थिति के अनुसार अपने को ढाल लेने वाला, नियमित व्ययशील, जो भी कार्य करे उसमें तन मन धन से लग जाने वाला, व्यापार प्रधान मस्तिष्क वाला, व्यापार से लाभ कमाने वाला, आकस्मिक धन लाभ के अवसर वाला | अपने किसी भी प्रयोग में किसी भी प्रकार की जोखिम उठाने को तैयार रहने वाला, भाग्यवाद को मानने के कारण हानि लाभ में समभाव रखने वाला, जीवन में मित्रों का अभाव न रखने वाला, सीखने के विशेष 'गुण वाला, प्रौढ़ावस्था में भी जवान दिखने वाला, एक से अधिक कलाओं का ज्ञाता, जल्दी ही प्रसन्न और अप्रसन्न हो जाने वाला, किसी मित्र से नाराज होने पर मित्रता को और गहरी करके धोखे से दुश्मनी का बदला लेने वाला, स्वयं लूट कर भी दूसरे को नंगा कर देने वाला, भौतिक सुखों के लिये प्रयत्नशील होता है। ऐसे व्यक्ति का ५, १४, २३३२, ४१, ५०, ५६, ६८, ७७ वां वर्ष परिवर्तन कारी होता है। जातक के स्नायु रोग; मस्तिष्क For Private And Personal Use Only Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र |- २८५ रोग, रक्त चाप, हृदय दौर्बल्य, चर्म रोग और अन्त में पक्षाघात तक हो जाता है । ६. शुक्र - इस ग्रह से प्रभावित व्यक्ति हँसमुख, मिलनसार, चतुर, योवन पूर्ण, सुरुचिपूर्ण, सुन्दर बने रहने की प्रवृत्ति, निवास स्थान को सजाकर रखने वाला, सलीकेदार कपड़े पहनने वाला, कुरुपता, फूहड़पन, अव्यव. स्था से घृणा करने वाला, कला संगीत काव्य आदि का पारखी, धन का अभाव होते हुए भी व्ययशील, गम्भीर रहस्यों को बातों ही बातों में निकाल लाने वाला घोर सांसारिक, नोतिज्ञ, दीर्घायु, कम प्रयत्न से ही प्रेमिका प्राप्त करने वाला, विपरीत इति के प्रति अधिक झुकाव वाला, सामान्य दाम्पत्य जीवन वाला, ईर्ष्यावान, अपरिचित व्यक्ति या अधिकारी से मिलने में न झिझकने वाला. आकर्षक शरीर वाला, झगड़ा पसन्द करने वाला, चंचल मन, भ्रमणयुक्त कार्य अधिक पसन्द करने वाला, फैशन पसन्द चाहे भले ही आर्थिक तंगी हो, श्वेत वस्त्रों को अधिक पसन्द करने वाला, अपने मन का भेद न बताने वाला, मित्र मंडली में अधिक रमने वाला, पत्नी को मनोनुकूल बना लेने वाला, श्रेष्ठ पारिवारिक व्यक्तित्व वाला, तर्क में कुतर्क, कार्य में उतावला पन आलसी, विलासी, प्रेमिका का चक्कर, क्लबों और संस्थाओं के चक्कर में ग्रहस्थी के प्रति उपेक्षा, शौकिया नशा, बदला लेने की भावना, आदि दुर्गुण वाला होता है। सोने की कमजोरी, स्नायुविक दुर्बलता, मूत्र रोग कब्ज, जुखाम, खाँसी आदि रोग भोगने वाला और हल्की बीमारी की परवाह न करने वाला, भोग मय जीवन जीने वाला । साधारण घराने में जन्म लेकर भी ऊँचा उठने वाला होता है । ऐसे व्यक्ति के जीवन का ६, १५, २४, ३३, ४२, ५१, ६०, ६९, ७८ वां वर्ष श्रेष्ठ होता है । ७. वरुण ( नेपच्यून ) – इस ग्रह से प्रभावित व्यक्ति जलप्रिय सन्तोषी सहिष्णु कल्पना प्रिय, स्वतन्त्र विचार शक्ति वाला, किसी के साथ अन्याय न पसन्द करने वाला, किसी की धौंस में न रहने वाला, ऊपर से कितना ही कठोर हो परन्तु अन्दर से कोमल हृदय वाला, समाज में सम्मानित, बालक युवक और बूढ़ों में लोकप्रिय, सामने वाले के मन का भेद पा लेने वाला । कई लोगों से राय लेते हुए भी अपने ही मन की करने वाला, अपनी आज्ञा की अवहेलना पसन्द न करने वाला, मित्रों से सहयोग पाने वाला, शिक्षण काल से ही हर समय साथ देने वाले मित्र पाने वाला, साहसी कार्यों और साहित्य में रुचि रखने वाला, देश विदेश की यात्राओं की प्रबल इच्छा रखने For Private And Personal Use Only Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २८६ | शावर तन्त्र शास्त्र वाला, प्राकृतिक दृश्यों से आनन्द पाने वाला, साहसी, समुद्र पार देशों से लाभ पाने वाला, लोहे और विद्युत के व्यापार से लाभ कमाने वाला, गहरे जल से जाने का खतरा पाने वाला, जल्दी-जल्दी विचार बदलने वाला समय को न पहचानने के कारण हानि उठाने वाला, आत्म-निर्भर बनकर ही लाभ उठाने वाला, चौंतीसवें वर्ष के बाद से सम्पन्नता में वृद्धि पाने वाला, किसी भी कार्य में जागरूक चेष्टावान और तत्पर रहकर ही सफल होने वाला, जीवन में कई बार धन प्राप्ति और धन हानि के अवसर पाने वाला, सुशील पत्नी की अवहेलना करने वाला, घरेलू कार्यों में दिलचस्पी न लेने वाला, यात्राओं से लाभ उठाने वाला, स्वतन्त्र व्यापार से लाभ कमाने वाला, बड़ी-बड़ी जलमय आँखें सौम्य चेहरा, सलज्ज मधुर और चुम्बकीय व्यक्तित्व वाला, अनेक स्त्रियों के सम्पर्क में आकर भी प्रेम के मामले में अभाग्यवान, हूत की बीमारियाँ पाने वाला, अधिक पसीना निकालने वाली त्वचा वाला, उदर रोग, वात रोग, गुप्त रोग, गठिया, हृदय रोग, फेफड़े के रोग, आदि से व्यथित रहने वाला, अपने ध्यान को एकाग्र कर लेने वाला होता है । इसका ७, १६, २५, ३४, ४३, ५२,६१,७०,७६,८८,६७, वाँ वर्ष परिवर्तन कारी व श्रेष्ठ होंगे । व्यक्ति का जीवन भयंकर संघर्षो मन की थाह न देने वाला, अन्तस्तर की बात न पसन्द करने (८) शनि - इस ग्रह से प्रभावित और उथल-पुथल वाला, दूसरे को अपने मुखी वृत्ति वाला, फूहड़पन और घटिया वाला, छोटे कार्य से सन्तुष्ट न होने वाला, मित्र पर जान देने वाला, प्रेम " पाने के लिये लालायित हृदय वाला दिखावा न करने वाला, सेवा भावी, अर्थ प्राप्ति के लिये कुछ भी कार्य करने को तैयार रहने वाला, लोहे से सम्बन्धित व्यापार या लोहे की फर्म ने नौकरी से लाभ पाने वाला, अधिक हँसी मजाक और गप्पों में समय न गंवाने वाला, व्यर्थ कार्यों में समय व्यतीत न करने वाला, प्रचार प्रसार से दूर रह कर एक मौन चिन्तक जैसे व्यक्तित्व वाला, जीवन में लाभ और हानि अत्यन्त उच्च स्तर के झेलने वाला, शत्रु को परास्त करके ही दम लेने वाला, ठोस और महत्व पूर्ण कार्य करने वाला, गम्भीर प्रकृति वाला, छिछोरापन पसन्द न करने वाला, धार्मिक कार्यों में रुचि न होते हुए भी हर उत्सव को सफल बनाने वाला, कोई भी कार्य करने के लिए खाना-पीना आमोद-प्रमोद त्याग कर भूत की तरह लग जाने वाला, काली वस्तुओं के व्यापार या तेल-तिलहन के व्यापार से भी लाभ पाने वाला, दूसरे के उत्सवों को सफल करने में गांठ का भी लगा For Private And Personal Use Only Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ܘܟ शावर तन्त्र शास्त्र | २८७ बैठने वाला, कार्य व्यस्तता को ही मनोरंजन समझने वाला, काम को ही भगवान मानने वाला, ढोंग और पाखण्ड से घृणा करने वाला, संकट के -समय तक ही पूजा-पाठ में ध्यान लगाने वाला, धन संग्रह करके भी व्यय करने में कंजूस, व्यसनी, स्वभाव में रुखापन और कठोर वाणी वाला, मनुष्य को पहिचानने की शक्ति वाला, पत्नी को धोखे में रखने वाला, इधर की बात उधर करने वाला, अधिकारी से बात करने में हिचकिचाने वाला, दूसरों के भरोसे कार्य छोड़ देने पर हानि उठाने वाला, भाई बन्धु या समाज से कोई सहायता न पाने वाला, शत्र ुओं से सुरक्षित, ऊँचे पर्वतों की यात्रा या गहरे लल में जाना दोनों स्थितियों में जान के खतरे वाला, प्रेम के चक्कर में स्त्रियों से हानि उठाने वाला, घोर भौतिकवादी, अत्यधिक सावधानी रखते हुए भी परेशानी में फँस जाने वाला, शंकालु प्रकृति वाला, होता है। ऐसे व्यक्ति गठिया आदि बात रोग, आंतों के रोग, हृदय रोग, कुष्ठ रोग, मूत्र रोग आदि से ग्रस्त हो सकते हैं। जीवन का ८, १७,२६,३५,४४,५३,६२,७१, ८६ वाँ वर्ष श्रेष्ठ रहेगा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (E) मंगल - इस ग्रह से प्रभावित व्यक्ति धुन का पक्का, आन पर मर-मिटने वाला, क्रोधी, साहसी, वीर, दृढ़ निश्चयी, देखने में प्रचण्ड और विस्फोटक होते हुए भी हृदय से कोमल सहृदय, अधिक दिखावा करने वाला, अधिकारियों को महत्व न देने वाला, पत्नी से खटपट चलती रहने के कारण दाम्पत्य जीवन में पूर्णता न पाने वाला, उतावला, नकली स्वाभिमान वाला व्यसनी, एक से अधिक स्त्रियों से सम्बन्ध रखने वाला, शीघ्र ही पुसत्व हीनता से ग्रसित हो जाने वाला, न्यायालय के चक्कर में अधिक रहने वाला पत्नी की बीमारी पर अधिक खर्चा करने वाला, घर में आतक का सा वातावरण बना देने वाला, आन और बात पर मर मिटने वाला, आपरेशन से हानि उठाने वाला तीस वर्ष बाद मार्ग दर्शक और सच्चा मित्र पाने वाला, मित्रों को भी शत्रु बना लेने वाला, गलत फहमियों का शिकार • होने वाला चुगली निन्दा करने वाला, परस्त्री के प्रति आकृष्ट होने वाला, लोगों को संगठित कर लेने वाला, मन के विपरीत कार्य होने पर निराशा और उदासी के गर्त में जा पड़ने वाला, जमीन के क्रय-विक्रय से लाभ उठाने वाला, कर्म क्षेत्र से टक्कर लेने वाला, सामर्थ्यवान होता है । ऐसा व्यक्ति का ६, १८, २७, ३६-४५, ५४, ६३, ७२, ५१, ६०, ६६ वाँ वर्ष श्रेष्ठ होगा । ऐसे व्यक्ति रक्त सम्बन्धी, हृदय सम्बन्धी, रक्तचाप आदि बीमारियाँ लग For Private And Personal Use Only Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २८८ | शावर तन्त्र शास्त्र सकती हैं। एक्सीडेन्ट, पागलपन, आदि अचानक होने वाली घटनाएँ भी ह। सकती हैं । प्रत्येक ग्रह की इन चरित्रगत विशेषताओं का सूक्ष्म अध्ययन करने पर आप पायेंगे कि इन सभी में कुछ न कुछ अन्तर है अब जिस व्यक्ति का स्वभाव जिस ग्रह से अधिक मेल खाता हो वही उसका प्रतिनिधि ग्रह समझना चाहिये और उस ग्रह से सम्बन्धित मन्त्र को उस व्यक्ति के लिये "गुरु मन्त्र" के रूप में देना चाहिये । मूलांक पाश्चात्य अंक वर्शन -उपर्युक्त ग्रहों की चरित्रगत विशेषताओं के आधार पर ग्रह छाँटने में भूल-चूक होने की अधिक सम्भावना पाई जाती है । इसलिये पाश्चात्य अंक दर्शन की विधि भी काम में लाई जाती हैअंक दर्शन 'मूल अंक' १ से ६ तक मानता है । १० और उससे आगे के अक संयुक्तांक कहलाते हैं । जन्म मूलांक निकालने के लिये इस सारिणी का प्रयोग करें जम तारीख www.kobatirth.org सम्बन्धित ग्रह १ २ ३ १ २ १० ११ १६ २० २१ २८ २६ ३० सूर्य | चन्द्र | बृहस्पि ३ १२. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४ ५ ६ ७ ४ १३ २२ ३१ ५ ६ ८ १५ १६ १७ २३ २४ २५ २६ ५ 6 ू For Private And Personal Use Only ६ १८ २७ बुध इस सारिणी के आधार पर व्यक्ति का जन्म जिस तारीख को हुआ हो उस खाने के ऊपर उसका मूलांक देख लें और नीचे उससे सम्बन्धित ग्रह देख लें फिर उस ग्रह की चरित्रगत विशेषताओं को व्यक्ति के स्वभाव से मिलायें यदि मेल खाता हो तो आपकी ग्रह गणना सही है अन्यथा दूसरी विधि अपनायें | शुक्र वरुण शनि । मंगल 1 ईरानी अंक दर्शन - मूलांक निकालने में अधिक उपयोगी विधि "ईरानी अंक दर्शन" की है इसमें व्यक्ति के नाम के आधार पर अंक गणना की जाती है । इसके अनुसार प्रत्येक अक्षर का कुछ मूल्य अग्र सारणी में माना गया है Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २८९ # iliinji. sh orm अ-१ क-२० । त-४०० ट-६ य-१० । क-१००. आ-१ ख-२८ थ-४०८ । 8-१७ र-४०० । ख-६०० इ-१० ३-७०० ल-३० । ग-१००० घ-११ | ध-१२ ढ-७०० अ-७० ङ...५०. ण-५० श-३०० ज-७०० प-८० । फ-८० ए-१० ऐ--१० ज -३ । ब-२ -८ ओ-८ . झ-११ भ-१० औ-८ -५० । . किसी व्यक्ति के नाम में प्रयुक्त आधे अक्षर को पूरा अक्षर मानकर ही गणना की जाती है। उदाहरणार्थ "राम प्रकाश" नाम का मूलांक ज्ञात करने के लिये नाम के साथ प्रयुक्त गोत्र जाति शर्मा--वर्मा आदि की गणना नहीं की जाती। केवल 'राम प्रकाश' की ही गणना होगी। आ म प र क आ श ४००+१+४०+ ८०+४००+२०+१+३००-१२४२ इस १२४२ के अंकों को पुनः जोड़ें१+२+४+२=8 यही ६ का अंक 'राम प्रकाश'. का मूलांक है। और ६ मूलांक का प्रतिनिधि ग्रह पूर्व बताये अनुसार ही 'मंगल' है। अतः इस व्यक्ति का स्वभाव मंगल ग्रह की चारित्रिक विशेषताओं से मेल खायेगा। उन्हें मिला कर देखिये। यदि आपकी गणना के आधार पर चरित्रगत विशेषतायें व्यक्ति के स्वभाव से मिलती हैं तो सम्बन्धित ग्रह का मन्त्र आप "गुरु मन्त्र" के रूप में उस व्यक्ति को दे सकते हैं। अंग्रेजी मूल्य तालिका-ईरानी अक्षरों की मूल्य तालिका की तरह ही अंग्रेजी अक्षरों की मूल्य तालिका उनके क्रमांक के आधार पर बनाई गई है D E F G HTTK LMNA P Q R S T १२ U-1 १३ १४ १५ १६ १७ १८ १९ २० २१ २२ W X Y Z २३ २४ २५ २६. A B C D E P - - - - For Private And Personal Use Only Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २६० शावर तन्त्र शास्त्र इसके आधार पर एक उदाहरण देखियेजोसेफ Joseph का मूलांक-- १०+१+१३+५+१६+८ ७३ ७+३-१० १+० =१ १ मूलांक का प्रतिनिधि ग्रह 'सूर्य' है। अतः इस व्यक्ति के स्वभाव से सूर्य ग्रह की चारित्रिक विशेषताएं मिलाने के पश्चात ही अपनी गणना को सही मानिये, अन्यथा फिर से गणना कीजिये। हिन्दी वर्णमाला के क्रमांक; के आधार पर हिन्दी वर्णाक्षरों की भी मूल्य तालिका बनाई जाती है, परन्तु इन सभी मूल्य तालिकाओं में अधिक उपयुक्त मूल्य तालिका "ईरानी पद्धति" की मैंने अनुभव को है। ईरानी पद्धति में हर्षल और वरुण अर्थात् मूलांक ४ और ७ का ग्रह नहीं है अतः ४ मूलांक वाले का सूर्य ग्रह और ७ मूलांक वाले का चन्द्रमा ग्रह मानकर, ईरानी सूफो काम करते हैं। अपनी ग्रह-गणना करते समय पहले आप वरुण और हर्षल की चारित्रिक विशेषतायें मिलायें। यदि न मिलें तो उनके समकक्षी ग्रह सूर्य व चन्द्र से मिला कर देखें। काकणो गणना-मन्त्र शास्त्र में आप एक ही ग्रह से सम्बन्धित कई मन्त्रों को पायेंगे। इनमें से उपयुक्त मन्त्र का चयन करने के लिए "काकणी-गणना" की जाती है। काकणी दो निकालनी पड़ती हैं एक तो साधक के नाम की और दूसरी मन्त्र की। इनके सूत्र साधक के नाम की काकणी--- नाम का वर्गीक x२+मन्त्र का वर्गीक मन्त्र की काकणी मन्त्र के प्रथमाक्षर का वर्गीक x२+साधक के नाम का वर्गीक For Private And Personal Use Only Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रकार हैं शावर तन्त्र शास्त्र | २६१ इन सूत्रों के अनुसार 'वर्गांक' जानना आवश्यक है। वर्गीक निम्न वर्ग के अक्षर अ से अ : तक --- क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न- www.kobatirth.org ५×२+८ ८ बर्गीक | वर्ग के अक्षर ८ ४ ५ अब एक उदाहरण से इसे समझिये प्रश्न - " नरेन्द्र नाम का साधक" सविता त्वासवानाम्" मन्त्र का जाप करना चाहता है तो फलप्रद होगा या नहीं । उत्तर - काकणी के पहले सूत्र के अनुसारसाधक के नाम का वर्गांक ५ मन्त्र के प्रथम अक्षर का वर्गांक = Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प फ ब भ म य र ल व शष सह = शेष बचे २. (साधक की काकणी) araणी का तीसरा सूत्र है "यस्याधिक शेषः सः ऋणी" araणी के दूसरे सूत्र के अनुसार- ८×२+५ २१ . शेष बचे ५ . ( मन्त्र की काकड़ी) ८ ८ वर्गाक ७ ८ ( काकणी के जिसके अंक अधिक (शेष ) हैं वही ऋणी होगा अर्थात् देता रहेगा ) For Private And Personal Use Only इस आधार पर मन्त्र साधक को फलप्रद होगा क्योंकि साधक की काकणी में शेष २ बचे हैं ओर मन्त्र की काकणी में शेष ५ बचे हैं अतः मन्त्र ऋणी है । 'काकणी - गणना' का प्रयोग 'गुरु मन्त्र' के अलावा सामान्य मन्त्रों के ग्रहण करने में भी उचित रहता है । Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २६२ शावर तन्त्र शास्त्र विषम परिस्थिति-कभी ऐसी विषम परिस्थिति भी आ सकती है जब साधक के लिये मन्त्र-गणना के आधार पर कोई भी मन्त्र उपयुक्त न बैठता हो तो बीज मन्त्रों के बीजाक्षरों को आवश्यकतानुसार उपर्युक्त मन्त्र-. गणना के नियमों का ध्यान रखते हुए इधर-उधर कर लेते हैं। जैसे-"श्री "ह्रीं क्लीं" मन्त्र को 'क्लीं ह्रीं श्रीं' या 'ह्रीं श्रीं क्लीं' कर देना । इसी प्रकार श्लोक मन्त्रों के लिए भी उनके शब्द संयोजन को अर्थ-भाव बदले बिना अ.वश्यकतानुसार बदला जा सकता है। जहाँ तक हो सके इस प्रकार से मन्त्र के अक्षरों में फेर बदल करने के लिये इस विषय के मन्त्र द्वष्टा विद्वान को ही खोजना चाहिए, जिससे कहीं कोई गलती होने की संभावना न रहे । -डा० वाई० डी० गहराना For Private And Personal Use Only Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org - ज्योतिष की अनुपम पुस्तकें पढ़ें वृदद अंक ज्योतिविज्ञान (अंक विद्या) केवल जन्म तारीख के आधार पर हजारों प्रश्नों के उत्तर इसमें पढ़िए, जैसे क्या आप की भी लाटरी निकलेगी, क्या aurat aorat से आपके सम्बन्ध बने रहेंगे, क्या आपका कार्य सिद्ध होगा । मूल्य २०/ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सरल सुगम ज्योतिष- इस पुस्तक की सहायता से आप भी ज्योतिषी बन सकते हैं । इसे पढ़कर, लग्न निकालना, कुण्डली बनाना, जन्म पत्री बनाना, मुहुर्त निकालना, स्त्रियों के राशिफल व दशाओं के फल, शुभ-अशुभ शकुनों का विचार, स्वप्न विचार, मूक प्रश्न चमत्कार आदि का वर्णन किया गया है । मूल्य २०/भृगु प्रश्न शिरोमणि - ( तत्काल भृगु प्रश्नोत्तरी) मन विचारों का घर है और ये चिन्तायें अनन्त हैं । गरीब को घर की, अमीर को सन्तान की, किसी को विवाह की, नौकरी की तरक्की की आदि २०४ प्रकार की चिन्ताओं को मिटायें | व्यापार अर्ध-मार्तण्ड - ज्योतिष आधार पर व्यापारिक वस्तुओं की तेजी मन्दी का सच्चा उत्तर देने वाली एकमात्र पुस्तक । इस पुस्तक की सहायता से अब तक सैकड़ों व्यापारी मालामाल हो गए । अपने आप मूल्य २०/ केरल ज्योतिष शास्त्र - केरल विद्या वह गुप्त विद्या है, जो प्रश्न कर्त्ता से फल, फूल या पक्षी का नाम कहलवाकर हर कार्यों में सफलता मिलेगी या नहीं इसका उत्तर मालूम हो सकता है प्रामाणिक पुस्तक है । ज्योतिष अंक विद्या, हस्त रेखायें एवं लाटरी - ज्योतिष अंक हस्त रेखाओं द्वारा अपने पारिवारिक सदस्यों, मित्रों, पड़ोसियों तथा भूत भविष्य बताकर वाहवाही प्राप्त करें । For Private And Personal Use Only मूल्य २० /विद्या तथा अन्य लोगों का मूल्य २०/ पुस्तकें मँगाने का पता :-- दीप पब्लिकेशन, हॉस्पीटल रोड, आगरा- ३ Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राचीन यन्त्र-तन्त्र विद्या का चमत्कार देवी-देवता सिद्धि - इम पुस्तक में सभी देवी-देवताओं की सिद्धि करने के दुर्लभ मन्त्र और उनकी कृपा का पूरा वर्णन दिया गया है । भूत-प्रेत पिशाच सिद्धि — भूत प्रेत, पिशाच, बैताल, भूतनी, की सिद्धि करने वाले भूत-प्रेतादि निवारक यन्त्र-मन्त्र दिये गये हैं । मूल्य २०/डाकिनी आदि मूल्य २०/ अघोर विद्या सिद्धि-तन्त्र शास्त्रोक्त, शव-साधन, श्मशान साधन, वीरसाधन, मुण्ड-साधन, अघोर साधन, आदि करने का विस्तृत वर्णन है । मूल्य २०/बंगाल तन्त्र मन्त्र सिद्धि - बंगाल देश में प्रचलित जादू, विद्या, मंत्र-तंत्र आदि विस्तृत वर्णन | मैकड़ों आश्चर्यजनक करिश्मों की जानकारी दी गई है । For Private And Personal Use Only मूल्य २०/ छाया पुरुष ( हमजाद) सिद्धि इस सिद्धि द्वारा छाया की पुरुष को देखकर उस प्राणी के बारे में सही भविष्यवाणी करने की अनेक विधियाँ दी हैं । मूल्य २० /मनोकामना सिद्धि - यह पुस्तक सब तन्त्र ग्रन्थों का निचोड़ है । प्रत्येक कामना साधन की विधियां विस्तार सहित दी गई हैं । मूल्य २५/तांत्रिक साधन सिद्धि - इस पुस्तक में तान्त्रिक साधनों में सफलता प्राप्त करने के लिए प्रत्येक विधि का विस्तृत वर्णन किया गया है । यन्त्र सिद्धि - मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, स्तम्भन आदि के ४०० यन्त्रों का सचित्र वर्णन किया गया है। मन्त्र सिद्धि - मन्त्र शक्ति से रोग, विपत्ति निवारण व मन्त्र शक्ति से कामना सिद्धि के अनेक विधान, प्राचीन मन्त्रों का विशाल संग्रह | मूल्य २०/ मूल्य २०/ तन्त्र सिद्धि--- सैकड़ों ऐसे तन्त्र दिये गये हैं जो अद्भुत चमत्कार दिखाते हैं । रोगों को ठीक करने का तन्त्र तथा सैकड़ों टोने-टोटके बताये गये हैं । मूल्य २०/वशीकरण सिद्धि - राजा, अधिकारी, पत्नी पुत्र, प्रेमी-प्रेमिका अथवा किसी भी स्त्री-पुरुष को वश में करने की सैकड़ों विधियों से युक्त । मूल्य २० / पता - दीप पब्लिकेशन, हॉस्पीटल रोड, आगरा- ३ मूल्य २० / संकट नाश Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राचीनतम भारतीय तंत्र महा ग्रन्थ हिन्दू तन्त्र शास्त्र अप्राप्त ग्रन्थों को ढूढकर उनके विशेष तन्त्रों का संकलन करके, उनको साधुओं से प्रमाणित कराकर इस ग्रन्थ में दिया है। ऐसे तन्त्र जो आज तक प्रकाशित नहीं हुये विधि, विधान, सहित लगभग पृष्ठ २५० सचित्र पक्की बाइन्डिग मूल्य ३०) रु० डाक खर्च ७). २० अलग। जन तन्त्र शास्त्र भारत तथा विदेशों में रह रहे विद्वान जैन मुनियों द्वारा अपनी जिन्दगी में किये गये प्रयोगों को इस पुस्तक में किया गया है। ऐसी विद्या कोई ऋषि मुनि किसी भी कीमत पर नहीं बताते । पृष्ठ संख्या लगभग २५० सचित्र मूल्य ३०) रु० डाक खर्च ७) रु० अलग । मुस्लिम तन्त्र शास्त्रा मुस्लिम धर्म में तन्त्र शास्त्र का इतना भण्डार भरा है, जितना अन्य कहीं भी नहीं लेकिन अभी तक छोटे-छोटे सिद्ध, मुल्ला-मोलवी ही इसका थोडा सा ज्ञान कर पाये हैं। हमने ईराक, ईरान, पाकिस्तान आदि देशों से तथा भारत की प्राचीन मस्जिदों में से उन ग्रन्थों को निकलवाकर यह यह पुस्तक तैयार की है। पृष्ठ संख्या लगभग २५० सचित्र मूल्य ३०) रु. डाक खर्च ७) रु० अलग। शावर तन्त्र शास्त्र प्राचीन हस्त लिखित ग्रन्थों तथा गुप्त साधकों द्वारा प्राप्त विभिन्न कामनाओं की पूर्ति करने वालों शावर प्रयोगों का सरल हिन्दी भाषा में सचित्र विवेचन । हमारे इस ग्रन्थ में महान लेखक ने अपनी पूरी जिन्दगी का निचोड़ निकाल कर रख दिया है। २२० पृष्ठों की सचित्र पुस्तक का मूल्य ३०) रु० डाक खर्च ७) रु० अलग। पूरा सेट मंगाने पर डाक खर्च माफ, २०) रु० पहले अवश्य भेजें। __ वी० पी० मंगाने का पता दीप पब्लिकेशन हॉस्पीटल रोड, आगरा-३ For Private And Personal Use Only Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राचीन यन्त्र-तन्त्र विद्या का चमत्कार · तन्त्र सिद्धि-सैकड़ों ऐसे तन्त्र दिए गए हैं, जो अद्भूत चमत्कार दिखाते हैं । रोगों को ठीक करने के तन्त्र तथा सैकड़ों टोने-टोटके के बताए गए हैं । मूल्य २०/ वशीकरण सिद्धि- राजा, अधिकारी, पत्नी, पुत्र, प्रेमी-प्रेमिका अथवा किसी भी स्त्री, पुरुष को वश में करने को सैकड़ों विधियों से युक्त। मूल्य २०/ अष्ट सिद्धि-मंजुघोष, प्रचण्ड चण्डिका, धनदा, धोरेश्वरी, ब्रह्म तन्त्र तथा षोडसी-विद्या श्यामा मातंगी. अष्ट सिद्धियों का वर्णन । मूल्य २०/ हिप्नोटिज्म और मैस्मेरिज्म (शक्तिचा सहित)-हिप्नोटिज्म एक ऐसा विज्ञान है, जिसके द्वारा किसी को भी सम्मोहित करके इच्छानुसार काम करवाया जा सकता है। भारत में छपी हिन्दी की सबसे बड़ी व प्रमाणिक इस पुस्तक की सहायता से आप हिप्नोटिज्म में छुपे अनेकों चमत्कारों और अदृश्य शक्तियों द्वारा लाभ उठा सकते हैं । जैसे-० दूसरों को वश में कर लेना, मत आत्माओं से बातचीत करना, दूसरों के दिल का हाल जानना, किसी भी व्यक्ति के भूत, भविष्य वर्तमान का हाल जानना, ० कठिन से कठिन रोगों का भी इलाज, अनेक प्रकार के जादू और खेल, जैसे, आदमी को हवा में लटकाना उड़ते पक्षी को गिराना, हाथ के जादू.आदि। चित्र १०० मूल्य २०/ मधुर कण्ठी-इस पुस्तक में बताया गया है कि आपका गला कोयल के समान रसीला (जैसे लता मंगेशकर, रफी, किशोर आदि का है। किस प्रकार बनाया जा सकता है। मूल्य २५) डाक खर्च सहित। वी०पी० मंगाने का पता दोप पम्लिकेशन हॉस्पीटल रोड आगरा-३ For Private And Personal Use Only Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only