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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र |- २८५ रोग, रक्त चाप, हृदय दौर्बल्य, चर्म रोग और अन्त में पक्षाघात तक हो जाता है । ६. शुक्र - इस ग्रह से प्रभावित व्यक्ति हँसमुख, मिलनसार, चतुर, योवन पूर्ण, सुरुचिपूर्ण, सुन्दर बने रहने की प्रवृत्ति, निवास स्थान को सजाकर रखने वाला, सलीकेदार कपड़े पहनने वाला, कुरुपता, फूहड़पन, अव्यव. स्था से घृणा करने वाला, कला संगीत काव्य आदि का पारखी, धन का अभाव होते हुए भी व्ययशील, गम्भीर रहस्यों को बातों ही बातों में निकाल लाने वाला घोर सांसारिक, नोतिज्ञ, दीर्घायु, कम प्रयत्न से ही प्रेमिका प्राप्त करने वाला, विपरीत इति के प्रति अधिक झुकाव वाला, सामान्य दाम्पत्य जीवन वाला, ईर्ष्यावान, अपरिचित व्यक्ति या अधिकारी से मिलने में न झिझकने वाला. आकर्षक शरीर वाला, झगड़ा पसन्द करने वाला, चंचल मन, भ्रमणयुक्त कार्य अधिक पसन्द करने वाला, फैशन पसन्द चाहे भले ही आर्थिक तंगी हो, श्वेत वस्त्रों को अधिक पसन्द करने वाला, अपने मन का भेद न बताने वाला, मित्र मंडली में अधिक रमने वाला, पत्नी को मनोनुकूल बना लेने वाला, श्रेष्ठ पारिवारिक व्यक्तित्व वाला, तर्क में कुतर्क, कार्य में उतावला पन आलसी, विलासी, प्रेमिका का चक्कर, क्लबों और संस्थाओं के चक्कर में ग्रहस्थी के प्रति उपेक्षा, शौकिया नशा, बदला लेने की भावना, आदि दुर्गुण वाला होता है। सोने की कमजोरी, स्नायुविक दुर्बलता, मूत्र रोग कब्ज, जुखाम, खाँसी आदि रोग भोगने वाला और हल्की बीमारी की परवाह न करने वाला, भोग मय जीवन जीने वाला । साधारण घराने में जन्म लेकर भी ऊँचा उठने वाला होता है । ऐसे व्यक्ति के जीवन का ६, १५, २४, ३३, ४२, ५१, ६०, ६९, ७८ वां वर्ष श्रेष्ठ होता है । ७. वरुण ( नेपच्यून ) – इस ग्रह से प्रभावित व्यक्ति जलप्रिय सन्तोषी सहिष्णु कल्पना प्रिय, स्वतन्त्र विचार शक्ति वाला, किसी के साथ अन्याय न पसन्द करने वाला, किसी की धौंस में न रहने वाला, ऊपर से कितना ही कठोर हो परन्तु अन्दर से कोमल हृदय वाला, समाज में सम्मानित, बालक युवक और बूढ़ों में लोकप्रिय, सामने वाले के मन का भेद पा लेने वाला । कई लोगों से राय लेते हुए भी अपने ही मन की करने वाला, अपनी आज्ञा की अवहेलना पसन्द न करने वाला, मित्रों से सहयोग पाने वाला, शिक्षण काल से ही हर समय साथ देने वाले मित्र पाने वाला, साहसी कार्यों और साहित्य में रुचि रखने वाला, देश विदेश की यात्राओं की प्रबल इच्छा रखने For Private And Personal Use Only
SR No.020671
Book TitleShavar Tantra Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Dikshit
PublisherDeep Publications
Publication Year1994
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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