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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २८४ | शावर तन्त्र शास्त्र 4 कई चढ़ जाता है । ऐसे व्यक्ति का जीवन संघर्ष प्रधान होता है। हर कार्य में अड़चन आती है । क्रोधावेश जितना जल्दी बढ़ता है, उतनी ही तीव्रता से उतर जाता है । ऐसा व्यक्ति मन में बात को दबाकर रखने वाला, शत्रुओं वाला, यहाँ तक कि मित्र भी शत्रु बन जाएगें। क्योंकि वे भी ऊंचे दिमाग के और क्रोधी स्वभाव के होंगे। ऐसा व्यक्ति हरेक समस्या की सलाह दूसरों से लेने वाला होता है, जो स्वतन्त्र और त्वरित निर्णय नहीं ले पाता । ऐसा व्यक्ति दूसरों पर विश्वास न करने वाला, कानून और नियम तोड़ने वाला, अपने स्वार्थ को प्राथमिकता देने वाला, फिजूल खर्च करने वाला, उतावला, असहिष्णु, अपने उग्र स्वभाव के कारण स्मरण शक्ति की शिथिलता, चिड़चिड़े स्वभाव की पत्नी वाला, वृद्धावस्था में हृदय रोग अथवा गुप्त रोग वाला, अपने को ललित कलाओं का पारखी प्रदर्शित करने वाला भाई-बन्धु और पुत्र अथवा पिता का सुख न पाने वाला, विजातीय लोगों की कृपा पाने वाला, एक से अधिक व्यवसाय करने वाला, दूसरों को झूटे आश्वासन देने वाला; दूसरों की निन्दा करने वाला, जुखाम और छूत वाली बीमारियां भोगने वाला, यात्रा में धोखा पाने वाला, उग्र स्वभावी होता है । ऐसे व्यक्ति के जीवन का ४, ८, १३, १७, २२, २६, ३१, ३५, ४०, ४४, ४६, ५३, ५८, ६२, ६७, ७१, ७६, ८५ वाँ वर्ष महत्वपूर्ण होगा । ५. बुध - इस ग्रह से प्रभावित व्यक्ति का मस्तिष्क हर समय कुछ न कुछ सोचता ही रहता है । ऐसा व्यक्ति बुद्धिमान, दूसरों को अपना मित्र बना लेने वाला, यात्राओं में आनन्द लेने वाला, तुरन्त निर्णय लेने वाला, परिस्थिति के अनुसार अपने को ढाल लेने वाला, नियमित व्ययशील, जो भी कार्य करे उसमें तन मन धन से लग जाने वाला, व्यापार प्रधान मस्तिष्क वाला, व्यापार से लाभ कमाने वाला, आकस्मिक धन लाभ के अवसर वाला | अपने किसी भी प्रयोग में किसी भी प्रकार की जोखिम उठाने को तैयार रहने वाला, भाग्यवाद को मानने के कारण हानि लाभ में समभाव रखने वाला, जीवन में मित्रों का अभाव न रखने वाला, सीखने के विशेष 'गुण वाला, प्रौढ़ावस्था में भी जवान दिखने वाला, एक से अधिक कलाओं का ज्ञाता, जल्दी ही प्रसन्न और अप्रसन्न हो जाने वाला, किसी मित्र से नाराज होने पर मित्रता को और गहरी करके धोखे से दुश्मनी का बदला लेने वाला, स्वयं लूट कर भी दूसरे को नंगा कर देने वाला, भौतिक सुखों के लिये प्रयत्नशील होता है। ऐसे व्यक्ति का ५, १४, २३३२, ४१, ५०, ५६, ६८, ७७ वां वर्ष परिवर्तन कारी होता है। जातक के स्नायु रोग; मस्तिष्क For Private And Personal Use Only
SR No.020671
Book TitleShavar Tantra Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Dikshit
PublisherDeep Publications
Publication Year1994
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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