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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | ११५ साधन-विधि __ इस मन्त्र को सिद्धि-योग में १०८ बार जप कर सिद्ध कर लें। प्रयोग-विधि आवश्यकता के समय किसी कब्र में एक शूकर का दाँत गाढ़ दें तथा २१ दिनों तक उसी कब्र के पास खड़े होकर उक्त मन्त्र का रात्रि के समय जप करें तो शत्रु का अपने घर से निकलना बन्द हो जाता है। यदि शत्रु को घर से बाहर निकलने देना हो तो कब्र में गाढ़े गये शूकर के दाँत को बाहर निकाल लेना चाहिए। शत्र पीड़ा-कारक एवं मारण प्रयोग मन्त्र--- "बार बांधौं बार निकाले जाकाट धारनी सूजांये लय बहरना चौहाथ से तौ काट दाँत से दुहाई मामा हवा की।" साधन-विधि पहले फर्श पर पोता-मिट्टी से चौका लगावें । फिर उसके ऊपर सफेद चादर बिछाकर, उसके ऊपर पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाय तथा एक घी का दीपक जलाकर अपने सामने रख लें । साथ में थोड़ा सा हलुआ, दो पूड़ी, इत्र, मेवा तथा गाँजे की चिलम -इन सब पदार्थों को रखें । दीपक के आगे लौंग के दो जोड़े तथा एक नीबू को रख कर, लोबान की धूप दें तथा मन्त्र को जपें । तत्पश्चात् सम्पूर्ण वस्तुओं को किसी नदी के पानी में फेंक द । परन्तु नीबू और दीपक को वहीं रखा रहने दें। अन्त में पूर्वोक्त मन्त्र से नीबू को १०१ बार अभिमन्त्रित करके उसे छेद अर्थात् नीबू में किसी लोहे की कील आदि से छेद करें। उक्त प्रक्रिया को ४० दिन तक नित्य दुहराते रहने से शत्रु के उदर (पेट) में पीड़ा होने लगेगी और अन्तिम दिन जब नीबू को छेदा जायेगा, तब उसकी मृत्यु हो जायेगी। शत्रु-मारण मन्त्र मन्त्र-“ऐदू ऐ श्री मम शत्रु न् हानय हानय घातय घातय मारय मारय हुँ फट् स्वाहा ।" For Private And Personal Use Only
SR No.020671
Book TitleShavar Tantra Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Dikshit
PublisherDeep Publications
Publication Year1994
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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