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शावर तन्त्र शास्त्र | २०१
टिड्डी उड़ाने का मन्त्र
मन्त्र- 'ॐ नमो आदेश गुरू को आकाश की जोगिनी पाताल
की आदि शक्ति माई, पश्चिम देस सों आई, गोरखनाथ आकाश कों चलाई, पश्चिम देस मझ में कूवा, जहाँ भवानी जन्म तेरा हवा, टीडी उपजी सुर्ग समाई, जब टीडी गोरख ने बुलाई, एक जाइ ताँबा, वैसी एक जाई रूपा, वैसी एक जाई सौना, वैसी एक जाई घोड घडानी, बकरा दंत में डक दंत, सरपा दंतादि, दत, अन्न छोड़ वनकों खाव, धूल छोड़ आकाश लग जाव, स्वेत कूकड़ो मध की धार, टोड़ी चली समंदर पार, हकारे हनुमंत बुलावे भीम जा टीड़ी पैला को सोम, नीचे भैरूं किलकिले ऊपर हनुमत गाजे, मेरी सोम में खाय अन्न पाणी तो गुरु गोरखनाथ लाजे, मानी भवानी, भवानी का घड़ पूजे जो मेरी खींव में अन्न पाणी भावेगी तो दुहाई
जैपाल चकवे की फिरेगी।" साधन-विधि
होली-दिवाली की रात अथवा ग्रहण में १०००८ बार जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि
सफेद मुर्गी तथा शराब को ७ बार उक्त सिद्ध मन्त्र से अभिमन्त्रित कर अपनी सीमा के बाहर छोड़े तो खेत में बैठा टिड्डी दल उड़कर सीमा से बाहर चला जाय।
टिड्डियों को अपनी सीमा से बाहर निकालने का मन्त्र
मन्त्र- 'ॐ नमो पश्चिम देश में अस्तावल हवा, जहाँ अजैपाल
दे खुदाया कूवा । जा कूवा में निकला नीर, जहाँ भेला हुवा बावन वीर । जाने मिलकर मता उपाया, हाथ पकड़
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