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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २८२ | भावर तन्त्र शास्त्र की दृष्टि में विश्वासी कार्यनिष्ठ, सही और सच्चा माना जाएगा। जातक अपनी उन्नति की महत्वाकांक्षा के कारण कभी-कभी थोड़े समय के लिए परेशान हो सकता है। अपने कार्यों में टोकना या बिना मांगे सुझाव देना जातक को पसंद नहीं होगा। जातक . का सम्पर्क नये से नये और श्रेष्ठ लोगों से बढ़ता जायेगा। जातक आवश्यकता के अनुसार व्यय करेगा। अस्त-व्यस्त, फूहड़पन और शिथिलता पसन्द नहीं करेगा। जातक कला का प्रशासक होगा। झूठी प्रशंसा से घृणा करेगा। परिस्थिति अनुसार स्पष्ट वक्ता होगा। जीवन में आकस्मिक हानि-लाभ चलते रहेंगे। जातक का व्यक्तित्व प्रभावशाली होगा तथा दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करने में निपुण होगा। कभी-कभी दिखावे के लिए जरूरत से ज्यादा व्यय कर डालेगा . धन सम्बन्धी मामलों में जोखिम उठाने से परेशानी बढ़ सकती है। मित्रों पर अधिक विश्वास करने से धन सम्बन्धी धोखा मिलेगा। स्त्री की आसक्ति जातक पर लांछन भी ला सकती है। जातक के जीवन के १,१०, १६, २८, ३७, ४६, ५५, ६१, ७३, वां वर्ष श्रेष्ठ होगा और ७ १६, २५. ३४, ४३, ४२. ६१, ७० अनुकूल वर्ष नहीं होंगे। जातक को हृदय और रक्त सम्बन्धी बीमारियाँ जैसे-रक्तचाप, हार्ट-अटक एवं नेत्र पीड़ा आदि रोग होते रहेंगे। २. चन्द्रमा-चन्द्र, ग्रह से प्रभावित व्यक्ति भावुक, कोमल, कल्पना प्रिय, सहृदयमधुर भाषी, एक ही विषय पर स्थिर न रहने वाला चंचलमन, शारीरिक कार्यों की अपेक्षा मानसिक कार्यों में अधिक योग्य, शंकालु और दूसरों का भला करने वाला, दयालु, दूसरों को चुटकियों में सम्मोहित कर लेने वाला, अपनी गलती स्वीकार करने वाला, यह जानते हुए भी कि दूसरा चापलूसी करके अपना काम मुझसे निकाल रहा है फिर भी 'ना' न कह पाने वाला, परिवार से जली-कटी सुनने वाला, अधैर्यवान होने के कारण पछताने वाले काम करने वाला । अक्सर निराशा और हीनता की भावना से युक्त हो जाने वाला, मित्र बहुत रहें पर वास्तविक मित्र की कमी मन में खटकती रहेगी, स्त्रियों सहज ही विश्वास करें, दूसरों के हृदय की बात जान लेने वाला, ललित कलाओं में रुचि रखने वाला, सुन्दर-शिक्षित पत्नी का विश्वासी पति कहलाने वाला, यात्रा वाले कार्यों से लाभ उठाने वाला, सभ्य, सतर्क, सुशील, व समझदार, जरा सी बात पर घबरा जाने वाला, अपने कार्य को अक्सर अधूरा छोड़ देने वाला, प्रेम के चक्कर में बदनाम होने वाला, फालतू मित्रों की संख्या बढ़ाने वाला, स्त्रियों में अधिक रमने For Private And Personal Use Only
SR No.020671
Book TitleShavar Tantra Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Dikshit
PublisherDeep Publications
Publication Year1994
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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