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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ६६ | शावर तन्त्र शास्त्र प्रयोग विधि मन्त्र सिद्ध कर लेने के बाद किसी रविवार अथवा मंगलवार के दिन इस मन्त्र द्वारा १०८ बार अभिमंत्रित किया हुआ कोई पुष्प साध्य-व्यक्ति को सूने के लिए दें तो वह व्यक्ति पुष्प को सूंघते ही साधक के वशीभूत हो जाएगा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सर्व वशीकरण मन्त्र ( ६ ) ************* - मन्त्र - "ॐ नमो भगवती सूचि चण्डालिनि नमः स्वाहाः । साधन एवं प्रयोग विधि इस मन्त्र का पाठ करते हुए मोम द्वारा अभिलषित-व्यक्ति की एक मूर्ति का निर्माण करें । उस मूर्ति को कृतांजलि, युक्त पाद तथा अंग-प्रत्यंग सहित बनाकर, उसमें अभिलषित-व्यक्ति की प्राण-प्रतिष्ठा करें । प्राण प्रतिष्ठा की विधि किसी विद्वान् पण्डित से सीख लें अथवा उसी के द्वारा करायें। फिर उस पुतली के ऊपर उक्त मन्त्रका १०००० की संख्या में जप करके पुतली को अंगारे की अग्नि में तपायें तो अभिलषित-व्यक्ति वशीभूत होता हैं । सर्व वशीकरण मन्त्र ( ७ ) मन्त्र - " पिंगलायै नमः" साधन विधि सिद्धि योग अथवा ग्रहण पर्व में अथवा किसी अन्य शुभ-मुहूर्त में २००० की संख्या में जप करने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है । प्रयोग विधि दोनों पंखों सहित भ्रमर ( भौंरा या मधुप ) तथा शुक (तोता ) के माँस को एकत्र कर, उसमें अपनी अनामिका अंगुली का रक्त तथा कान का मैल मिला दें। इस मिश्रण को उक्त मन्त्र से ७ बार अभिमन्त्रित कर, जिस व्यक्ति को खिला दिया जाता है, वह वशीभूत हो जाता है । टिप्पणी स्मरणीय है कि यह मिश्रण विषैला होगा, अतः इसका प्रयोग अत्यन्त स्वल्प मात्रा में ही करना उचित है । For Private And Personal Use Only
SR No.020671
Book TitleShavar Tantra Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Dikshit
PublisherDeep Publications
Publication Year1994
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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