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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टिप्पणी उक्त मन्त्र मैं जहाँ 'अमुक' शब्द आया है, वहाँ साध्य - व्यक्ति ( जिस व्यक्ति को वश में करना हो) के नाम का उच्चारण करना चाहिए । जैसे- 'मालती' नामक किसी स्त्री को वश में करना हो तो ---- शावर तन्त्र शास्त्र | ६५ " मालती मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा " अथवा 'रामप्रसाद' नामक किसी पुरुष को वश में करना हो तो - " रामप्रसादं मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा " इस प्रकार उच्चारण करना चाहिए । साधन विधि उक्त मन्त्रको 'सिद्धि योग में १०८ बार जप कर सिद्ध करलें । 'सिद्धि' योग किस दिन और तिथि को पड़ेगा, इसका ज्ञान पञ्चाङ्ग (पत्रा) द्वारा प्राप्त किया जा सकता है । प्रयोग विधि सिद्धि योग में मन्त्र को सिद्ध कर लेने के बाद उक्त मन्त्र से एक सुपारी को अभिमन्त्रित करें अर्थात् १०८ बार उक्त मन्त्र पढ़कर सुपारी पर फूँक मारे. तत्पश्चात् वह सुपारी साध्य व्यक्ति को खाने के लिए दें । उस अभिमन्त्रित सुपारी को खा लेने पर साध्य - व्यक्ति (चाहे स्त्री हो अथवा पुरुष ) साधक के वशीभूत हो जाता है । सर्व वशीकरण मन्त्र (५) मन्त्र – “ ॐ चामुण्डे जय जय वश्यंकरि जय जय सर्व सत्वान्नमः स्वाहा ।" For Private And Personal Use Only साधन-विधि इस मन्त्रको 'सिद्धि योग' में अथवा ग्रहण पर्व में १०००० की संख्या में जप कर सिद्ध कर लें ।
SR No.020671
Book TitleShavar Tantra Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Dikshit
PublisherDeep Publications
Publication Year1994
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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