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३४ / शावर नन्त्र शास्त्र
साधन-विधि
पूर्वोक्त मन्त्र को १०००० की संख्या में जप कर १०० गुड़हल के फूलों की आहुति देकर होम करें। फिर होम का दशांश तर्पण, तर्पण का दशांश मार्जन कर, मार्जन का दशांश ब्राह्मण भोजन कराये तो मन्त्र सिद्ध हो जाता है । मन्त्र-जप के बाद सकल्प का पानी फूलों पर डालें। प्रयोग-विधि
हाजरात करते समय पहले नीचे के चित्र में प्रदर्शित यन्त्र को भोजपत्र के ऊपर लाल चन्दन, केशर आदि से लिखना चाहिए।
यन्त्र का स्वरूप इस प्रकार है
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(हाजरात का यन्त्र )
रुई में मेढल की राख मिलाकर बत्ती बनायें। उसे तेल के दोपक में रख कर, दीपक का पूजन करके, उसके आगे आठ या दस वर्ष की आयु वाले किसी उच्चवंश एवं देवतागण बालक अथवा बालिका को बैठायें। फिर दीपक के आगे यन्त्र रख कर उसका पूजन करें। फिर यन्त्र उस बालक या बालिका को दें और बालक को हथेली में मेढल की राख तैल में सान कर लगावें। फिर उससे जो कुछ पूछना हो, वह पूछे तो वह सच-सच बतायेगा।
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