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शावर तन्त्र शास्त्र | ३३
विशेष
उक्त संकल्प वाक्य में जहाँ 'अमुक' शब्द आया है, वहाँ जो कार्य करना हो, उसके नाम का उच्चारण करना चाहिए।
अथ कराङ्ग न्यासइसके बाद निम्नानुसार कराङ्ग न्यासं करें
'ॐ नमो अङ्ग,ष्ठाभ्यां नमः । कामाख्यायै तर्जनीभ्यां नमः स्वाहा । सर्व सिद्धिदायै मध्यमाभ्यां वौषट् । अमुक कर्म अनामिकाभ्यां हुँ । कुरु कुरु कनिष्ठिकाभ्यां वौषट् स्वाहा । करतल कर पृष्ठाभ्यां अस्त्राय फट ।"
अथ हृदयादि न्यासइसके बाद निम्नानुसार हृदयादि न्यास करें
"ॐ नमो हृदयाय । कामाख्यायै शिरसे स्वाहा । सर्व सिद्धिदायै शिखायै वषट् । अमुक कर्म कवचाय हुँ। कुरु कुरु नेत्र त्रयाय वौषट् । स्वाहा अस्त्राय फट ।"
अथ ध्यानइसके उपरान्त निम्नानुसार ध्यान करें“योनि मात्र शरीराया कंगुवासिनि कामदा । रजः स्वला महातेजा कामाक्षी ध्येयतां सदा ।।"
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