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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra विधि मन्त्र विधि मन्त्र संख्या १ के अनुसार । www.kobatirth.org अग्नि स्तम्भन मन्त्र (४) मन्त्र संख्या १ के मन्त्र “ॐ नमो जल बाँधू जलवाई बाँधू नर्स गाँव का वोर बुलाऊं रहो रहो रे कड़ाही । जती बाँधू तूवा ताई, हनुमन्त की दुहाई ।” अनुसार 1 अग्नि बुझाने का मन्त्र Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | १९३ मन्त्र ----"हिमाचलस्योत्तरे पार्श्वे मारीचो नाम मूत्र पुरोषाभ्यां हुताश स्तम्भयानि स्वाहा । " विधि इस मन्त्र द्वारा जल को ७ बार अभिमन्त्रित करके उसे अग्नि में डालें तो अग्नि बुझ जाती है । अग्नि- मुक्तारन मन्त्र राक्षसाः । तस्य मन्त्र - " अग्नि भवते के भवे जशमदमती परंपिण्ड दुःख पावै दोहाई नरसिंह जग दुःख पावे ।” विधि - इस मन्त्रको ७ बार पढ़ने से बाँधी गई अग्नि का बन्धन छूट जाता जाता है और वह पुन: जलने लगती है । पूंगी (तुरही) बांधने का मन्त्र For Private And Personal Use Only - ॐ वादी आया वादन करता बैठा बड़ पीपर की छाया, रह रे वादी वाद न कीजे बांधू तेरा कण्ठ अरु काया,
SR No.020671
Book TitleShavar Tantra Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Dikshit
PublisherDeep Publications
Publication Year1994
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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