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मन्त्र
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१८६ | शावर तन्त्र शात्र
मन्त्र - " जहिआ लोह तोर शिर जाका घाव मासकर जानि हिया आनन्त सोचर करहु मैं बांधों धारधार मूठि धनि नौ तारि ठढोही मोहिन अडाफाटिहि चण्डी दीन्हि वर मोहिं धार जेठठे तोरिरइ ईश्वर महादेव की दुहाई मोरे पथ न आउ धार धार बांधौं लेहु उठे धार फुटै मुनै फुटै मोरि सिद्धि गुरू के पांव शरण ।"
शस्त्र को धार बाँधने का मंन्त्र ( २ )
मन्त्र
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- "माता-पिता गुरू बांधौ धार बांधौ अस्त्री वश्ये कटै मुन बांधा हनुमन्तनसुर नवलाख शूद्रनपा के पांउ रक्षा कर श्री गोरखराउ ऐता देइन वाचा नरसिंह के दुहाइ हमारी सवति आ ।"
शस्त्र की धार बांधने का मन्त्र ( ३ )
- "धार धार खण्ड धार धार बांधू तीन बार उड़े लोह ना लागे घाव सीर राखे श्री गोरखराय लोह का कड़ा मूँज का वाण हनुमत मेल्ही लाल यह पिण्ड लागे न पैनी धार शब्द साँचा पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।" सूची बन्धन मन्त्र
सुई हाथ में लेकर निम्नलिखित मन्त्र को ७ बार पढ़े, फिर जहाँ बांधोगे, वहीं छेगी ।
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मन्त्र - "धार धार बाँधौ सात बार न लागे न फूट न आवे घाव रक्षा करें श्री गोरखराव मेरी भक्ति गुरु की शक्ति हनुमन्त वीर रक्षा करें फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।"
शस्त्रास्त्र स्तम्भन मन्त्र
निम्नलिखित मन्त्र को ७ बार पढ़कर सर्वाग को धूलि स्पर्श कराने
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