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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ܘܟ शावर तन्त्र शास्त्र | २८७ बैठने वाला, कार्य व्यस्तता को ही मनोरंजन समझने वाला, काम को ही भगवान मानने वाला, ढोंग और पाखण्ड से घृणा करने वाला, संकट के -समय तक ही पूजा-पाठ में ध्यान लगाने वाला, धन संग्रह करके भी व्यय करने में कंजूस, व्यसनी, स्वभाव में रुखापन और कठोर वाणी वाला, मनुष्य को पहिचानने की शक्ति वाला, पत्नी को धोखे में रखने वाला, इधर की बात उधर करने वाला, अधिकारी से बात करने में हिचकिचाने वाला, दूसरों के भरोसे कार्य छोड़ देने पर हानि उठाने वाला, भाई बन्धु या समाज से कोई सहायता न पाने वाला, शत्र ुओं से सुरक्षित, ऊँचे पर्वतों की यात्रा या गहरे लल में जाना दोनों स्थितियों में जान के खतरे वाला, प्रेम के चक्कर में स्त्रियों से हानि उठाने वाला, घोर भौतिकवादी, अत्यधिक सावधानी रखते हुए भी परेशानी में फँस जाने वाला, शंकालु प्रकृति वाला, होता है। ऐसे व्यक्ति गठिया आदि बात रोग, आंतों के रोग, हृदय रोग, कुष्ठ रोग, मूत्र रोग आदि से ग्रस्त हो सकते हैं। जीवन का ८, १७,२६,३५,४४,५३,६२,७१, ८६ वाँ वर्ष श्रेष्ठ रहेगा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (E) मंगल - इस ग्रह से प्रभावित व्यक्ति धुन का पक्का, आन पर मर-मिटने वाला, क्रोधी, साहसी, वीर, दृढ़ निश्चयी, देखने में प्रचण्ड और विस्फोटक होते हुए भी हृदय से कोमल सहृदय, अधिक दिखावा करने वाला, अधिकारियों को महत्व न देने वाला, पत्नी से खटपट चलती रहने के कारण दाम्पत्य जीवन में पूर्णता न पाने वाला, उतावला, नकली स्वाभिमान वाला व्यसनी, एक से अधिक स्त्रियों से सम्बन्ध रखने वाला, शीघ्र ही पुसत्व हीनता से ग्रसित हो जाने वाला, न्यायालय के चक्कर में अधिक रहने वाला पत्नी की बीमारी पर अधिक खर्चा करने वाला, घर में आतक का सा वातावरण बना देने वाला, आन और बात पर मर मिटने वाला, आपरेशन से हानि उठाने वाला तीस वर्ष बाद मार्ग दर्शक और सच्चा मित्र पाने वाला, मित्रों को भी शत्रु बना लेने वाला, गलत फहमियों का शिकार • होने वाला चुगली निन्दा करने वाला, परस्त्री के प्रति आकृष्ट होने वाला, लोगों को संगठित कर लेने वाला, मन के विपरीत कार्य होने पर निराशा और उदासी के गर्त में जा पड़ने वाला, जमीन के क्रय-विक्रय से लाभ उठाने वाला, कर्म क्षेत्र से टक्कर लेने वाला, सामर्थ्यवान होता है । ऐसा व्यक्ति का ६, १८, २७, ३६-४५, ५४, ६३, ७२, ५१, ६०, ६६ वाँ वर्ष श्रेष्ठ होगा । ऐसे व्यक्ति रक्त सम्बन्धी, हृदय सम्बन्धी, रक्तचाप आदि बीमारियाँ लग For Private And Personal Use Only
SR No.020671
Book TitleShavar Tantra Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Dikshit
PublisherDeep Publications
Publication Year1994
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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