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३०/शावर तन्त्र शास्त्र
मन्त्र-तन्त्र सिद्धिकर मन्त्र
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मन्त्र-"ॐ परब्रह्म परमात्मने नम: जगदुत्पत्ति स्थिति प्रलय
कराय ब्रह्मा हरिहराय त्रिगुणात्मने सर्व कौतुकानि दर्शय
दात्तालेयाय नमः तन्त्रान् सिद्धि कुरु-कुरु स्वाहा ।" साधन एवं प्रयोग-विधि
घी का दीपक जलाकर, धूप देकर तथा चन्दन इत्यादि चढ़ाकर किसी शुभ मुहूर्त से आरम्भ कर २१ दिन तक नित्य १०८ की संख्या में जप करते रहने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। इस मन्त्र को सिद्ध हो जाने के उपरान्त जिस मन्त्र अथवा तन्त्र का साधन एवं प्रयोग किया जाता है, वह सफल होता है।
इन्द्र जाल का मन्त्र
मन्त्र-"ॐ नमो नारायणाय विश्वंभराय इन्द्रजाल कौतुकान्
दर्शय-दर्शय सिद्धि कुरु-कुरु स्वाहा ।" साधन एवं प्रयोग-विधि
यह मन्त्र किसी शुभ मुहूर्त से आरम्भ कर २१ दिनों तक नित्य १०८ की संख्या में जपने से सिद्ध हो जाता है। किसी भी इन्द्रजाल के कौतुक को करने से पूर्व इस मन्त्र का उच्चारण कर लेने से कार्य में सफलता मिलती है।
रसायन-मन्त्र
मन्त्र-"ॐ नमो हरिहराय रसायण सिद्ध कुरु कुरु स्वाहा ।" साधन एवं प्रयोग विधि
किसी शुभ मुहर्त से आरम्भ कर इस मन्त्र को २१ दिनों तक नित्य १०८ की संख्या में जपने से यह सिद्ध हो जाता है। इसे मन्त्र के प्रारम्भ में उच्चारण करने से रासायनिक कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है।
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