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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यन्त्र-प्रयोग - यन्त्र-प्रयोग के विषय में जिस प्रकार शावर-मन्त्र शास्त्रीय मन्त्रों से भिन्न प्रकार के होते हैं. उसी प्रकार विभिन्न कामनाओं के पूरक लोक-यन्त्र भी शास्त्री यन्त्रों से अलग होते हैं । यद्यपि इन यन्त्रों का स्वरूप सामान्य अंकों से निर्मित होता है, तथापि इनका प्रभाव प्रत्यक्ष देखा गया है। प्रस्तुत प्रकरण में विविध कामनाओं के पूरक यन्त्रों का उल्लेख किया जा रहा है। जिन यन्त्रों के साथ लेखन-विधि का उल्लेख न हो, उन्हें भोजपत्र के ऊपर अष्टगन्ध अथवा केशर, कपूर, गोरोचन एवं लाल-चंदन अथवा इनमें से जो भी वस्तुएँ उपलब्ध हो सके, उनके द्वारा लिखना चाहिए। - लेखनोपरान्त प्रत्येक यन्त्र को धूप, दीप, पुष्प चन्दन आदि से पूजन करके निर्देशानुसार धारण करना चाहिए। यन्त्र धारण करने की विधि यह है कि त्रिलोह (सोना, चांदी, तांबा), अष्ट धातु, चाँदी अथवा केवल तांबे के बने हुए ताबीज में यन्त्र भरकर पुरुष को उसे अपनी दाई भुजा में धारण करना चाहिए । जो लोग यन्त्र को भूजा में धारण न कर सकें, वे चाहे स्त्री या पुरुष हों अथवा बालक-यन्त्रपूरित ताबीज को काले डोरे में पिरो कर कण्ठ में भी धारण कर सकते हैं। (बवासीर) अश-नाशक यन्त्र . .... . .... .... .. .. आगे प्रदर्शित यन्त्र को लाल चन्दन और केशर से भोज पत्र पर लिखकर तथा ताबोज में भर कर धारण करने से खूनी तथा वादी दोनों प्रकार के अर्श (बवासीर) रोग दूर होते हैं । For Private And Personal Use Only
SR No.020671
Book TitleShavar Tantra Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Dikshit
PublisherDeep Publications
Publication Year1994
Total Pages298
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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