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शावर तन्त्र शास्त्र | १६३
नजर झाड़ने का मन्त्र
मन्न - 'ॐ सत्यनाम आदेश गुरु को ॐ नमो नजर जहाँ पर
पीर न जानी, बोले छलसों अमूतबानी, कहो नजर कहाँ ते आई यहाँ ठौर तोहिं कौन बताई, कौन जात तेरे कहाँ ठाम, किसकी बेटी कहा तेरौ नाम, कहाँ से उड़ी कहाँ को जाय, अब ही बस करले तेरी माया, मेरी जात सुनो चितलाय, जैसी होइ सुनाऊँ आय, तेलन, तमोलन चूहड़ी चमारी कायषनी खतरानी कुम्हारी, महतरानी, राजा की रानी जाको दोष ताही के सिर पड़े जाहरपीर नजर की रक्षा करे मेरी भक्ति गुरू की शक्ति फुरो मन्त्र
ईश्वरोवाचा।" विधि
यह मन्त्र १००८ बार जपने से सिद्ध हो जाता है। इस मन्त्र को पढ़ते हुए मोर पंख से झाड़ा देने पर नजर उतर जाती है।
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