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२७८ | शावर तन्त्र शास्त्र ।
वास्तव में गुरु मंत्र' एक मात्र आपका फ्रीक्वन्सी मंत्र है। जिस प्रकार से दुश्मन के ट्रान्समीटर की फ्रीक्वंन्सी का पता लगाकर, आप दुश्मन को बीसियों तरह से मात दे सकते हैं। इसी प्रकार आपके गुरु मंत्र (अर्थात आपकी फ्रीक्वन्सी) का पता लग जाने पर कोई भी व्यक्ति आपको दूर बैठे कन्ट्रोल कर सकता है। यही कारण है कि गुरू मंत्र को अत्यन्त गुप्त रखा जाता है । अन्यथा गुरु-प्रदत्त सामान्य मंत्र को गुप्त रखने की कोई आवश्यकता नहीं होती। चूकि गुरु मंत्र 'मेन फ्रीक्वन्सी मंत्र है अतः कई प्रकार से गणना करके ही निकाल सकते हैं.। जिसमें पाश्चात्य अक दर्शन विधि, ईरानी सूफी विधि चरित्र मेलापक विधि आदि ही प्रमुख रूप से प्रयोग में आती है । ये सभी विधियाँ व्यक्ति का सम्बन्ध ग्रहों से मानती हैं।
ग्रह और व्यक्तित्व-'महर्षि यतीन्द्र दर्शन' के अन्तर्गत 'आत्म तत्व के सिद्धान्तों" में एक सिद्धान्त आत्मिक शक्ति से सम्बन्धित है, जिसके अनुसार-आत्मा पर आच्छादित कर्म बंधनों के आवरणों में से छन कर आने वाला शक्तिमय प्रकाश ही उस आत्मा की आत्मिक शक्ति है; अतः जो भी (नक्षत्रा ग्रह, तपस्या तथा अन्य वस्तुएं) कर्म-बंधनों को प्रभावित करती हैं वे सभी आत्मिक शक्ति में भी परिवर्तन करती हैं, क्योंकि कर्म बंधन ही आत्मिक-शक्ति में कमी-वेषी का कारण होते हैं।
दूसरा सिद्धान्त "तपस्या" से सम्बन्धित है, जिसके अनुसार-आत्मा की शक्ति को एकत्र कर ध्यान व मंत्र आदि सहायक विधियों द्वारा) ब्रह्मांड स्थित एक विशेष शक्ति-स्रोत (नक्षत्र-गृह आदि) की ओर प्रसारित किया जाता है; ये शक्ति तरंगें जिन्हें 'जी रेज' (G-Rays) भी कहते हैं, उस शक्ति स्रोत से टकराकर वापिस आती हैं; और आत्मा पर आच्छादित आवरणों को प्रभावित करती हैं, इस प्रकार कर्म बंधनों के आवरण हटाये जा सकते हैं।
तीसरा सिद्धान्त 'कर्मबंधन' से सम्बन्धित है-दोनों ही प्रकार के आवरण (पारदर्शी एवं अल्प पारदर्शी) अत्यधिक चेतन (Sensitivc) होते हैं; इसलिये इन पर नक्षत्र, ग्रह तथा अन्य ब्रह्मण्डीय गैसें आदि भी प्रभावकारी होती हैं।
____ इन तीनों सिद्धान्तों से यह स्पष्ट हो जाता है कि नक्षत्र और ग्रह व्यक्ति को किस तरह से प्रभावित करते हैं।
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