Book Title: Shavar Tantra Shastra
Author(s): Rajesh Dikshit
Publisher: Deep Publications

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Page 280
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २७६ यह बात तो हुई (Metaphysics) तत्व ज्ञान की, अब ज्योतिष की बात करते हैं, किसी व्यक्ति की कुडली आप देखें तो यही पायेंगे कि व्यक्ति का सम्पूर्ण जीवन उसके 'जन्म के समय नक्षत्रों की स्थिति' से प्रभावित रहता है। आज का ज्योतिष शास्त्र हजारों वर्षों के गहन शोध का परिणाम है। आप तो जानते हैं शोध सदैव उल्टी चलती है। हजारों व्यक्तियों का अध्ययन उनके जन्म नक्षत्रों के आधार पर करने के पश्चात ही एक नियम बन पाता था कि अमुक नक्षत्र में पैदा होने वाले जातक का व्यक्तित्व अमुक प्रकार का होगा। इस आधार पर नक्षत्रों की कुछ चरित्र गत विशेषतायें देखिये --- अश्विनी-जातक बुद्धिमान, रहस्यवादी, चंचल प्रकृति, तर्क बुद्धि, गृह कलह और अर्श रोग पीड़ित होता है। भरणी-जातक धार्मिक कार्यों में रुचि रखते हुए भी कुटिल, मेहत्वाकांक्षी हिंसक प्रवृत्ति, चित्रकार होता। कृतिका--जातक कलह प्रिय, धार्मिक, विद्या व्यसनी, साधु संतों पर विश्वास रखने वाला होता है । रोहिणी-जातक मंत्र तन्त्र. भूत प्रेत का विश्वासी, समाज सेवी, स्वच्छता और संगीत का प्रेमी होता है । मृगशिर-जातक धन लोलुप, तथा प्रदर्शन के लिये पूजानुष्ठान करने वाला होता है। ___ आर्द्रा - जातक सबके साथ प्रेमपूर्ण और मधुरभाषी रहते हुए भी अपनी अदूर दर्शिता के कारण जीवन भर पश्चात्ताप में ही दुखी होता रहता है। पुनर्वसु -- जातक महत्वाकांक्षी, कर्तव्यनिष्ठ, विवेकी, सुखी सुसराल पक्ष से भी सम्पन्न होता है परन्तु अहंकारी, क्रोधी, पायरिया और गठिया आदि से पीड़ित हो जाता है। पुष्प- जातक अपने मतलब के आधार पर मित्रता व शत्रता का व्यवहार करता है अर्थात घोर मललबी और वणिक बुद्धि एवम् चतुर होता है। अश्लेषा -- जातक काम लोलुप, स्वार्थी, लोभी, विनोद प्रिय विपरीत लिंगो के प्रति असहज आकर्षण वाला होता है। मघा-जातक कामुक, आर्थिक चिंता ग्रस्त, दूसरे के धन पर अधि For Private And Personal Use Only

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