Book Title: Shavar Tantra Shastra
Author(s): Rajesh Dikshit
Publisher: Deep Publications

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Page 293
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २६२ शावर तन्त्र शास्त्र विषम परिस्थिति-कभी ऐसी विषम परिस्थिति भी आ सकती है जब साधक के लिये मन्त्र-गणना के आधार पर कोई भी मन्त्र उपयुक्त न बैठता हो तो बीज मन्त्रों के बीजाक्षरों को आवश्यकतानुसार उपर्युक्त मन्त्र-. गणना के नियमों का ध्यान रखते हुए इधर-उधर कर लेते हैं। जैसे-"श्री "ह्रीं क्लीं" मन्त्र को 'क्लीं ह्रीं श्रीं' या 'ह्रीं श्रीं क्लीं' कर देना । इसी प्रकार श्लोक मन्त्रों के लिए भी उनके शब्द संयोजन को अर्थ-भाव बदले बिना अ.वश्यकतानुसार बदला जा सकता है। जहाँ तक हो सके इस प्रकार से मन्त्र के अक्षरों में फेर बदल करने के लिये इस विषय के मन्त्र द्वष्टा विद्वान को ही खोजना चाहिए, जिससे कहीं कोई गलती होने की संभावना न रहे । -डा० वाई० डी० गहराना For Private And Personal Use Only

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