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प्रकार हैं
शावर तन्त्र शास्त्र | २६१
इन सूत्रों के अनुसार 'वर्गांक' जानना आवश्यक है। वर्गीक निम्न
वर्ग के अक्षर
अ से अ : तक ---
क ख ग घ ङ
च छ ज झ ञ
ट ठ ड ढ ण
त थ द ध न-
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५×२+८
८
बर्गीक | वर्ग के अक्षर
८
४
५
अब एक उदाहरण से इसे समझिये
प्रश्न - " नरेन्द्र नाम का साधक" सविता त्वासवानाम्"
मन्त्र का जाप करना चाहता है तो फलप्रद होगा या नहीं ।
उत्तर - काकणी के पहले सूत्र के अनुसारसाधक के नाम का वर्गांक ५
मन्त्र के प्रथम अक्षर का वर्गांक =
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प फ ब भ म
य र ल व
शष सह
= शेष बचे २. (साधक की काकणी)
araणी का तीसरा सूत्र है
"यस्याधिक शेषः सः ऋणी"
araणी के दूसरे सूत्र के अनुसार-
८×२+५ २१ . शेष बचे ५ . ( मन्त्र की काकड़ी)
८
८
वर्गाक
७
८
( काकणी के जिसके अंक अधिक (शेष ) हैं वही ऋणी होगा अर्थात् देता रहेगा )
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इस आधार पर मन्त्र साधक को फलप्रद होगा क्योंकि साधक की काकणी में शेष २ बचे हैं ओर मन्त्र की काकणी में शेष ५ बचे हैं अतः मन्त्र ऋणी है ।
'काकणी - गणना' का प्रयोग 'गुरु मन्त्र' के अलावा सामान्य मन्त्रों के ग्रहण करने में भी उचित रहता है ।