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शावर तन्त्र शास्त्र | २८१ शतमिषा-जातक, स्वच्छ, पवित्र, साधु संतों में श्रद्धा रखने वाला, धर्म-भीरु अविवेकी, चंचल प्रकृति का होता है।
पूर्वाभाद्रपद-जातक धार्मिक, स्त्रियों के प्रति संकोची लज्जाशील, पुजारी, भ्रमणशील, बच्चों के प्रति स्नेहपूर्ण वृद्धावस्था में धन प्राप्त करने वाला होता है।
उत्तराभाद्रपद-जातक भावुक, मनसा वाचा, कर्मणा उदार हृदय, उच्चकुलोत्पन्न एवम् विद्वानों से मित्रता करने वाला, विद्या व्यसनी और आलसी होता है।
रेवती-जातक साधु स्वभाव, आस्तिक, सरल स्वभाव, तीर्थ यात्रा करने वाला, मित्रों से सहयोग पाने वाला।
इन नक्षत्रों का प्रभाव जातक की विचार धारा को एक विशेष दिशा का स्थायित्व देता है, जिससे व्यक्ति की सम्पूर्ण कार्य-प्रणाली में अन्तर आ जाता है।
इन नक्षत्रों के अलावा कुछ अन्य सितारे मिलकर सम्मिलित रूप से व्यक्तित्व पर सम्मिलित प्रभाव डालते हैं ऐसे सम्मिलित-सितारों को 'राशियाँ कहते हैं। राशियाँ केवल बारह होती हैं।
नक्षत्रों पर ग्रह का प्रभाव पड़ने से नक्षत्रों का प्रभाव उग्र या क्षीण हुआ करता है। ग्रह यों तो ८८ मान गये हैं परन्तु यहाँ पर उपयुक्त ग्रह केवल ६ हैं। इन ग्रहों की चारित्रिक विशेषताएं निम्नलिखित हैं -
१. सूर्य-- इस ग्रह से प्रभावित व्यक्ति की सहन शक्ति उत्तम होगी। जीवन में बहुत उथल-पुथल और विपरीत परिस्थितियाँ मिलेंगी। जातक साहसी होगा । नेतृत्व करने की प्रबल प्रवृत्ति रहेगी। किसी भी अपरिचित व्यक्ति से मित्रतापूर्ण सम्बन्ध थोड़े ही दिनो में बना लेगा। समाज में प्रशंसा होगी। जातक कुछ न कुछ नया अलोकिक कार्य करने की खोज में रहेगा। शरीर सुदृढ़ सक्षम होगा । तथा जीवन से हिम्मत हारने की बात नहीं करेगा। व्यापार में अपनी दूरदर्शिता के कारण सफल होगा। नौकरी में शीघ्र ही प्रमोशन होगा। जातक अपने लक्ष्य के प्रति पूर्णतः सजग और सचेष्ट रहेगा, भटकेगा नहीं। जातक निर्णय लेने में चतुर, स्वततन्त्र व्यक्तित्व वाला होगा। अपने विचार स्वयं बनाएगा और उन पर चलेगा। किसी की घोंस में नहीं रहेगा। अपने निर्णय पर अटल होने के कारण जातक समाज
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