Book Title: Shavar Tantra Shastra
Author(s): Rajesh Dikshit
Publisher: Deep Publications

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Page 289
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २८८ | शावर तन्त्र शास्त्र सकती हैं। एक्सीडेन्ट, पागलपन, आदि अचानक होने वाली घटनाएँ भी ह। सकती हैं । प्रत्येक ग्रह की इन चरित्रगत विशेषताओं का सूक्ष्म अध्ययन करने पर आप पायेंगे कि इन सभी में कुछ न कुछ अन्तर है अब जिस व्यक्ति का स्वभाव जिस ग्रह से अधिक मेल खाता हो वही उसका प्रतिनिधि ग्रह समझना चाहिये और उस ग्रह से सम्बन्धित मन्त्र को उस व्यक्ति के लिये "गुरु मन्त्र" के रूप में देना चाहिये । मूलांक पाश्चात्य अंक वर्शन -उपर्युक्त ग्रहों की चरित्रगत विशेषताओं के आधार पर ग्रह छाँटने में भूल-चूक होने की अधिक सम्भावना पाई जाती है । इसलिये पाश्चात्य अंक दर्शन की विधि भी काम में लाई जाती हैअंक दर्शन 'मूल अंक' १ से ६ तक मानता है । १० और उससे आगे के अक संयुक्तांक कहलाते हैं । जन्म मूलांक निकालने के लिये इस सारिणी का प्रयोग करें जम तारीख www.kobatirth.org सम्बन्धित ग्रह १ २ ३ १ २ १० ११ १६ २० २१ २८ २६ ३० सूर्य | चन्द्र | बृहस्पि ३ १२. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४ ५ ६ ७ ४ १३ २२ ३१ ५ ६ ८ १५ १६ १७ २३ २४ २५ २६ ५ 6 ू For Private And Personal Use Only ६ १८ २७ बुध इस सारिणी के आधार पर व्यक्ति का जन्म जिस तारीख को हुआ हो उस खाने के ऊपर उसका मूलांक देख लें और नीचे उससे सम्बन्धित ग्रह देख लें फिर उस ग्रह की चरित्रगत विशेषताओं को व्यक्ति के स्वभाव से मिलायें यदि मेल खाता हो तो आपकी ग्रह गणना सही है अन्यथा दूसरी विधि अपनायें | शुक्र वरुण शनि । मंगल 1 ईरानी अंक दर्शन - मूलांक निकालने में अधिक उपयोगी विधि "ईरानी अंक दर्शन" की है इसमें व्यक्ति के नाम के आधार पर अंक गणना की जाती है । इसके अनुसार प्रत्येक अक्षर का कुछ मूल्य अग्र सारणी में माना गया है

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