Book Title: Shavar Tantra Shastra
Author(s): Rajesh Dikshit
Publisher: Deep Publications

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Page 281
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २८० | शावर तन्त्र शास्त्र कार करने वाला अपनी उन्नति के लिये प्रयत्नशील, ऊँची आवाज वाला होता है। पूर्वाफाल्गुनी-जातक असफलताओं से निराश न होने वाला, इन्द्रियों के रोगों से ग्रस्त, धर्म के प्रति अश्रद्धा रखने वाला होता है। उत्तराफाल्गुनी-संतोषी, मितभाषी, एकान्त प्रिय, तीन स्मृति शक्ति वाला, माता-पिता के सुख से अधिकतर वंचित रहता हो। हस्त - जातक विशालकाय, स्वेच्छाचारी, धूर्त घमंडी, पाखंडी धोखेबाज और झूठा होता है। चित्रा-जातक साहसी, बलवान, क्रोधी, वीर्यवान तथा विद्वान बनने की चेष्ठा करता है। स्वांति-जातक की विचार शक्ति तीव्र होती है, उन्नति के लिये आतुर, क्रोधी महत्वाकांक्षी, कर्मशील, भाग्यवान होता है। विशाखा-जातक भ्रमणशील, नेक सलाह देने वाला, वाचाल, चतुर, ललित कलाओं का शौकीन होता है। अनुराधा - जातक का बचपन कष्टमय होता है, ईमानदार दार्शनिक, उदार हृदय, धार्मिक, आस्थावान, संगति के प्रति अभिरुचि रखने वाला, रूढ़िवाद के आस्थान रखने वाला होगा। ज्येष्ठा--जातक विलासी, आलसी, अभिमानी, मित्रों पर विश्वास करने वाला, लेखक और वक्ता होता है। मूल-जातक स्वेच्छाचारी, अपनी बात को सर्वोपरि रखने वाला, विद्यमान, भ्रमण शील, मंत्र-तन्त्र में सिद्ध पाने वाला, स्वच्छता प्रेमी, पिता के लिये कष्ट कर होता है। पूर्वाषाढ़-जातक लम्पट, प्रबल कामी, स्त्रियों से धन पाने वाला, चितित संगीत प्रवीण, कार्यकुशल पिता की ओर से दुःखी रहता है। उत्तराषाढ़-जातक की इच्छा शक्ति प्रबल, दूरदर्शी, पुष्ट शरीर वाला, ललित कलाओं का ज्ञाता, प्रखर वक्ता, गृह कार्यों एवं व्यापार से लाभ प्राप्त करने वाला होता है। श्रवण - जातक धर्म एवं पूज्यों के प्रति निष्ठावान, वणिक बुद्धि, धनी, सोच-विचार कर काम करने वाला होता है। - घनिष्ठा-जातक अदूरदर्शी, उतावला, मित्र को शत्रु समझने वाला, झगड़ालू होता है। For Private And Personal Use Only

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