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शावर तन्त्र शास्त्र | २२७.
भोम गायत्री---"ॐ अङ्गारकाय विद्महे शक्ति-हस्ताय धीमहि
तन्नो भौमः प्रचोदयात् ॥" फिर रेखा मिटाने के बाद हाथ जोड़कर निम्नलिखित ध्यान के मन्त्रों का पाठ करेंध्यान-"असृजमरुणवणं रक्तमाल्यांगरागं कनक कनक माला
सालिनं विश्वबंधु । प्रति ललित कराभ्यां विम्रतं शक्ति
शूले, भजति धरणि सूनु मङ्गले मङ्गलानां ।" इसके पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र से अर्घ्य देकर पूजन समाप्त करेअयं का मन्त्र- "भूमि पुत्र महातेजस्तदो भव पिनाकिनः ।
धनार्थी त्वाप्रपन्नोस्मिन् गृहणाय नमोस्तुते।" __उक्त विधि से भीम-मन्त्र का जप एवं पूजन करने से ऋणी मनुष्य ऋण-मुक्त हो जाता है तथा उसे धन-धान्य का लाभ होता है।
ग्रह-पीड़ा नाशक मन्त्र
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मन्त्र----"ॐ नमो भास्कराय अमुकस्य सर्वग्रहाणां पीड़ानाशन कुरु
कुरु स्वाहा ।" विशेष
उक्त मन्त्र में जहाँ अमुकस्य' शब्द आया है, वहाँ साध्य-व्यक्ति के नाम का उच्चारण करना चाहिए। साधन-विधि
यह मन्त्र १००० की संख्या में जपने से सिद्ध हो जाता है । प्रयोग-विधि
एक हांडी में मदार की जड़, धतूरा तथा अपामार्ग का दूध, बरगद और पीपल की जड़, शमी, आम तथा गूलर के पत्ते, घी, दूध, चावल, चना, मूग, गेहूं, तिल, शहद तथा मट्ठा भर कर, उसे उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर, शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष की जड़ में गाढ़ दें। इससे ग्रह-पीड़ा नष्ट हो जाती है । यह प्रयोग दरिद्रता तथा पापों को भी नष्ट करता है।
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