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२३४ | शावर तन्त्र शास्त्र प्रयोग विधि
जंगल या घर में सोते समय इस मन्त्र को ३ बार पढ़कर अपने दोनों पाँवों पर हाथ मारे तथा जितनी पृथ्वी पर सोने की व्यवस्था करें, उतनी में घेरा बांध दें तो किसी प्रकार का भय नहीं होता एवं शरीर की रक्षा होती है।
सर्व बाधा नाशक मन्त्र
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'मन्त्र--"चौरा बाधा सरपाउधाइ बन छाडि आबनन जाउ
सावज धइ धइ ल्याउ रामचन्द्र मारल. कुकुद्वावन के शोषहि बाऊ मोरि जहाँ तहाँ कपसरे मोरे फरले कठहि निर्विस होइ जाइ दुहाई रामचन्द्र के दुहाई गौरा पार्वती
कै जो एही बन रह।" साधन-विधि
ग्रहण के समय १०००० की संख्या में जपने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग विधि--
किसी वन, पर्वत अथवा निर्जन स्थान में आकस्मिक सकट, हिंसक पशु आदि के उपस्थित हो जाने पर इस मन्त्र का मन ही मन पाठ करने से सब प्रकार की बाधा (संकट) दूर हो जाती है।
दोष-निवारक एवं रक्षा कारक मन्त्र
मन्त्र--"ॐ नमो आदेश गुरु को चजरी वजरो वज्र किबाड़
बची पे बाँधू दशोछार दसों छार को थाले थान बउलट वेद वाही को वान पहली चौकी गणपति की दूजी चौकी हनुमत की तीजी भैरों की चौथी चौकी रोम रोम को रक्षा करन को श्री नरसिंहदेव जी आया
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