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२३२ | शावर तन्त्र शास्त्र
खाई मुहम्मद रसूलिल्लाह की चौकी हजरत अली की
दुहाई ।"
साधन विधि
यह मंत्र शुक्रवार की रात्रि में १०८ बार जपने से सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि
यदि सभी जंगल अथवा निर्जन स्थान में सोना हो तो इस मन्त्र को ३ बार पढ़कर अपने दोनों घुटनों पर हाथ मारकर जितनी पृथ्वी में सोना हो, उसमें चारों ओर लकीर खोंच कर एक घेरा बना दें तो कोई भयसर्प, चोर, हिंसक जोव आदि का नहीं होता।
आत्म-रक्षा का मन्त्र
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मन्त्र--"ॐ मुरतों का गड़ा अष्ट वेताल आठों वायु तीसों रहसे
छेद भेद की ज्ञान मो रंगे नकरुमामो रमा नारायणी सप्त पाताल जानि मोर काज मोहिसाडारे तइथिला विकिटार आस आस विकिटार तो सोर-षामो गोरषी
कारसी आकार बीज गोरषी वज्र करथिवौ।" साधन-विधि
ग्रहण के समय १०००० को संख्या में जप करने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता है। प्रयोग-विधि
नित्य प्रातः काल इस मन्त्र को ७ बार पढ़ कर अपने ही शरीर पर फूक मारते रहने से साधक की आत्मा-रक्षा होती है।
___ मनोरथ-सिद्धि मन्त्र
मन्त्र----"ॐ हर त्रिपुर हर भवानी वाला राजा प्रजा मोहिनी
सर्व शत्रु विध्वंसनी मम चिन्तित फलं देहि देहि भुवनेश्वरी स्वाहा ।"
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