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२४० | शाबर तन्त्र शास्त्र
विधि
यात्रा करते हुए जब किसी गांव के समीप पहुंचे, तब इस मन्त्र को दूब के ऊपर सात बार पढ़ें तथा अभिमन्त्रित दूब अपने सब साथियों को देकर कहे कि 'गौतम ऋषि का न्योता है। फिर स्वयं भी उस दूब को अपनी पगड़ी में रखकर, गाँव के भीतर प्रवेश करें तो वहाँ हर प्रकार का आराम उपलब्ध होगा।
मनचाही वस्तु मगाने का मन्त्र मन्त्र- 'ॐ नमो देवलोक देवख्या देवी · जहां बसे इस्माइल
जोगी, छप्पन भैरू हनुमन्त वीर, भूत, प्रेत, दैत्य कू सारा मुगावे, पराई माया लावे, लाडू पेड़ा, बरफी सेव सिंघाड़ा ढांहव का पत्ता माँ मिश्री, घेवर लौंग डोढ़ा इलायची दाणा, तले देवी किल किले ऊपर हनुमत गाजे, इतनी वस्तु चाहीं वस्तु न लावे तो तेतीस कोटि देवता लाजें, मिर्च जावित्री, जायफल हडर बाहड बादाम छुआरा मुफएँ रामवीर तो बता देव से, लछमन वीर पकड़ावे हाथ, भूत प्रेत को चलावे हाथ हनुमन्त वीर लंका कू धाया, भूत प्रेत को साथ चलाया, चाही वस्तु चली आवे, हनुमन्त वीर को सब कोई गावें सौ कोसाँ की वस्तां लादे, न लावे तो एक लाख अस्सी हजार
पीर पैगम्बर लजावें ।" साधन एवं प्रयोग-विधि
गांव के बाहर जो कुआँ हो वहाँ जाय। कूप में बैठकर हनुमानजी की मूर्ति बनायें। मूर्ति के मुख के आगे दीपक धरें, धूप जलावें तथा मन्त्र जपें । ७ दिन तक ढाई पाव का तथा २१ दिन तक सवा पाव का रोट का खांड़ सहित भोग रखें । बाद में उसे स्वयं ही खायें। जब आकाशवाणी हो, तब वर मांग लें तो जो मांगेगा, वही मिलेगा।
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