Book Title: Shavar Tantra Shastra
Author(s): Rajesh Dikshit
Publisher: Deep Publications

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Page 268
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शावर तन्त्र शास्त्र | २६७ बदलने से तरंगों की दिशा बदलती जाती है लोक व्यवहार में आपने देखा। होगा कि किसी की आँख फड़कती है या हिचकियां आती हैं तो वह एक-एक करके अपने सम्बन्धियों का नाम लेता है (उनके रूप का ध्यान करता है) जिस सम्बन्धी का नाम लेने से वह विकार बन्द हो जाता है, वही याद कर रहा है, ऐसा माना जाता है-होता यह है कि जब आप किसी व्यक्ति को याद करते हैं तो आपकी आत्मिक-शक्ति उस व्यक्ति को सामान्य रूप से प्रसारित हो रही, आत्मिक-शक्ति के सामान्य प्रसारण में अवरोध पैदा करती है: जिसका प्रभाव शरीर के कोमलतम तन्तुओं पर पड़ता है, जिससे विभिन्न स्वाभाविक क्रिया-कलापों में अन्तर पड़ता है, जो हिचकी या फड़कन आदि के रूप में हमें अनुभव में आता है। जब वह व्यक्ति, याद करने वाले व्यक्ति का नाम लेता (ध्यान करता है तो वह व्यक्ति याद करने वाले व्यक्ति की दिशा में अपनी आत्मिक-शक्ति फोकस करता है, जिससे उसके द्वारा पंदा अवरोध समाप्त हो जाता है, क्योंकि इससे "मोड ऑफ फ्रीक्वेन्सी" समान हो जाती है। इस सबके लिये किसी मंत्र जाप की आवश्यकता नहीं होती, यह सामान्य ध्यान का ही कमाल होता है। अब यह बात तो उस विषय में लागू हई जहाँ याद करने वाला और जिसे याद किया जा रहा है इन दोनों में प्रतिरोध नहीं है लेकिन सम्बन्धित हैं। जहाँ सम्बन्ध नहीं हैं या प्रतिरोधी सम्बन्ध हैं वहाँ अपेक्षाकृत जटिल प्रक्रिया अपनानी पड़ती है। अपनी आत्मिक-शक्ति को हम किसी कायं विशेष के लिये जितनी देर तक पुजीभूत करना चाहते हैं, उतनी ही अधिक संख्या में हमें मंत्र जाप करना होता है। कुछ सांसारिक कार्य ऐसे होते हैं, जहाँ पर ग्रहों की शक्ति का उपयोग होता है-शिव, हनुमान, भैरव, शनि आदि की साधनाओं में ग्रहों की शक्ति का उपयोग होता है इसलिये ये साधनायें अपेक्षाकृत अधिक जप आदि चाहती हैं। तात्पर्य यह है कि जैसे कार्य की अमेक्षा है उसी अनुपात में साधना का विधि-विधान, ध्यान, जप आदि क्लिष्ट होता है। इसी आधार पर षट कर्मों की साधना विधि का निर्माण हुआ है चाहे वह साधना शुद्ध शास्त्रीय तन्त्र विद्या की हो अथवा शाबर-तन्त्र जैसी लोकाचार पद्धति की साधना हो। 'तांत्रिक विधि हो क्यों ? .' यहाँ एक प्रश्न उठता है कि मंत्र के देवता की पूजा तांत्रिक विधि से ही क्यों की जाय? For Private And Personal Use Only

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