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शावर तन्त्र शास्त्र | २४१
अन्न की राशि उड़ाने का मन्त्र
मन्त्र-"ॐ नमो हंकालू चौंसठ जोगिनी हंकालू बावन वीर
कार्तिक अर्जुन कीर बुलाऊँ आगे चौंसठ वीर जल बंध बल बंध आकाश बंध पौन बंध तीन देश की दिशा बंध उतरें तो अर्जुन राजा दक्षिणें तो कार्तिक वीर्य राजा असमान तो बावन वीर गाजे नीचे तो चौंसठ चौंसठ जोगनी विराजें पीर तो पासि चल्यावें छपन्या भैरू रासि उड़ावें एक बंध अस्मान में लगाया दूजा बंध रास घर में ल्याया शब्द साँचा पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरो
वाचा सत्य नाम आदेश गुरू का।" साधन एवं प्रयोग-विधि
दीपावली की रात्रि को वन (जंगल) में जाकर सुरसा की मैंगनी लेकर उन्हें ३१ बार उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर, जिस अन्न की राशि (ढर) पर उन्हें रखते हुए, घर लौट आया जायेगा, वह राशि खेत से उड़ कर मन्त्र साधक के घर चली आयेगी।
दरिद्रता-नाशक मन्त्र
मन्त्र-“याकवीयो या गनीयो या मलीये या वशीयो।" प्रयोग एवं साधन-विधि
प्रातः काल किसी से बातचीत करने से पूर्व ही हाथ-मुंह धोकर एक बार 'विस्मिल्लाह' पढ़कर १२०० बार मन्त्र को पढ़ें तथा मन्त्र के आदिअन्त में २१-२१ बार दारूद पढ़े तो थोड़े ही समय में दरिद्रता दूर हो जाती है। दारूद का मन्त्र इस प्रकार है । ___"अल्लहुलसल्ल अला मुहम्मदित व अलाआल मुहम्मदिन ववारिक वसल्लिम् ।"
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