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शावर तन्त्र शास्त्र | २४३ विशेष- उक्त मंत्र में जहां-जहाँ 'अमुकी' शब्द आया है, वहां जिस स्त्री के के पैर चलाने हो, उसके नाम का उच्चारण करना चाहिए। साधन-विधि. पूर्वोक्त मन्त्र के अनुसार। प्रयोग-विधि
ताँबे की सुई, नीले रंग का धागा और नीबू हाथ में लेकर दक्षिण दिशा की ओर मुह करके बैठे । अपने दोनों पांवों को पानी में रक्खे फिर बूप देकर, मन्त्र पढ़े। जब धागा टूटे, तब नीबू को डोरे में पिरोकर तथा दोवला में रखकर मोरी में गाढ़ दे। इससे साध्य-स्त्री के पैर चल उठेगे अर्थात् उसके गुप्ताङ्ग से रक्त बहने लगेगा । जब उसे मोरी के बाहर निकाला जायेगा, तब पैर थमेंगे अर्थात् खून बन्द हो जायेगा।
उपद्रव नाशक मन्त्र
मन्त्र-"घण्टाकारिणी महावीरी सर्व उपद्रव नाशनं कुरु-कुरु
. स्वाहा।" साधन-विधि
शुभ मूहूर्त में पहले पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठे। धूप. दीप नैवेध से पूजन करके ३५०० बार मंत्र का जप करें। फिर पश्चिम दिशा की ओर मुह करके गूगल को १००० गोलियों से प्रत्येक को उक्त मंत्र से अभिमंत्रित करते हुए अग्नि में डाले । इस विधि से नित्य ३ दिनों तक करते रहने से सब उपद्रव दूर हो जाते हैं तथा, सुख प्राप्त होता है।
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