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२३८ | शावर सन्त्र शास्त्र तदुपरान्त कढ़ाई को आग पर चढ़ा कर उसमें पुआ सेकें तो कागज की कढ़ाई न जले तथा पुआ उतरे।
लोपांजन-मन्त्र (अदृश्य होने का मन्त्रा)
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मन्त्र--"ॐ नमो भगवती रुद्रश्वराय नमो रुद्राय व्याघ्रचर्म परी
धानाय डमरु चण्ड कल काली स्वाहा ।" साधन एवं प्रयोग-विधि
(१) काले कुत्ते को भूखा रखे। फिर उसे उक्त मन्त्र से २१ बार अभिमन्त्रित काले तिल दूध में डाल कर खिलावें। जब वे तिल उसकी विस्ठा में निकलें, तब उनसे तेल निकलवायें। फिर उस तेल के दीपक से काजल पाड़ कर उसे अपनी आँखों में लगायें तो अलोप (अदृश्य) हो।
अथवा : - (२) अंकोल के तैल को वस्र कर उक्त मन्त्र से २१ बार अभिमन्त्रित करके ७ दिनों तक भिगोये रक्खें । तदुपरान्त उसे मुंह में रक्खें तो अलोप हो।
अथवा (३) अंकोल का तेल और कबूतर की बीठ-इन दोनों को उक्त मन्त्र से २१ बार अभिमन्त्रित करके, उसका मस्तक पर तिलक लगायें तो अलोप हो। - यन्त्र, मन्त्र, तन्त्र--तीनों को दूर करने का मन्त्र
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मन्त्र-"उलटं वेद पलटंत काया, उतर आव बच्चा गुरु ने
बुलाया, वेग सत्तनाम आदेश गुरु का ।" प्रयोग-विधि
___ चौराहे पर पता लगा कर शराब डालें, फिर वहाँ उक्त मन्त्र पढ़कर चला आवे।
आवश्यकता के चौराहे की ७ ककड़ियों को २१ बार मन्त्र से अभिमन्त्रित कर, चार कंकड़ियों को तो चारों दिशाओं में फेंक दें और ३ कंकड़ी अपने पास रखें। फिर जिसके शरीर में से जन्त्र-मन्त्रादि का किया कराय
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