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२३६ | बाबर तन्त्र शास्त्र
सर्व-सुखवाता एवं विपत्ति-निबारक मन्त्र
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मन्त्र-"श्री रामजी।" प्रयोग-विधि
उक्त मन्त्र को कागज के छोटे-छोटे टुकड़ों पर सवा लाख की सख्या में केशर, कस्तूर तथा लाल चन्दन के मिश्रण द्वारा अनार की लकड़ी की सन्दर कलम से लिखें। फिर उन्हें आटे की गोलियों में भर कर नदी में डाल दें तथा अन्त में ब्राह्मण भोजन करायें तथा पण्डितों को दान दक्षिणा दें तो सब प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं तथा सब प्रकार की विपत्तियाँ दूर होती हैं।
देह रक्षा का मन्त्र
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मन्त्र--"ॐ परब्रह्म परमात्मने मम शरीरे पाहि पाहि कुरु कुरु
स्वाहा ।" साधन एवं प्रयोग-विधि
_इस मन्त्र को किसी शुभ मुहूर्त से जपना आरम्भ कर २१ दिनों तक नित्य १०८ की संख्या में जपता रहे तो मन्त्र सिद्ध हो जाता है। फिर किसी भी मन्त्र, तन्त्र, झाड़-फूक आदि की क्रिया को आरम्भ करने से शरीर की रक्षा होती है।
ऋद्धि-सिद्धि का मन्त्र
मन्त्र--ॐ नमो आदेश गुरू को गणपति वीर बसे मसाणं जो
जो मांगू सो सो आण पांच लाडू सिर सिन्दूर हाटि की माँटी मसाण की खेप ऋद्धि सिद्धि मेरे पास ल्यावे
शब्द साँचा पिण्ड काँचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा।" । साधन एवं प्रयोग-विधि
किसी बड़े भोज आदि का आयोजन करना हो, तब इस मन्त्र का प्रयोग करना चाहिए । सर्वप्रथम ५ लड्डुओं के ऊपर सिन्दूर लगा कर उन्हें
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